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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

22वाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन

  • 10 Jul 2024
  • 20 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल, कार्यक्रम-2030, मेक इन इंडिया, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, सकल राष्ट्रीय आय, विश्व बैंक, आत्मनिर्भर भारत, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा

मेन्स के लिये:

भारत-रूस संबंध, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बहुपक्षीय मंचों का महत्त्व

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में मॉस्को में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई मुद्दों पर चर्चा की। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को विशेष रूप से सामरिक भू-राजनीतिक तनाव के परिपेक्ष्य में मज़बूत करना था।

22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • राजनयिक उपलब्धियाँ: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल" से सम्मानित किया।
    • सेंट एंड्रयू द एपोस्टल ऑर्डर की स्थापना ज़ार पीटर द ग्रेट ने वर्ष 1698 में की थी और इसे वर्ष 1998 में पुनः स्थापित किया गया था, जिसमें दो सिर वाला ईगल प्रतीक एवं हल्के नीले रंग का रेशमी मौइर रिबन शामिल है।
      • इस पुरस्कार का नाम रूस और स्कॉटलैंड के संरक्षक संत सेंट एंड्रयू के नाम पर रखा गया है, जिन्हें यूरोप तथा एशिया में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये जाना जाता है।
    • रूस और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी एवं मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री मोदी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था तथा इसकी घोषणा वर्ष 2019 में की गई थी, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने में मोदी की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया था।
      • चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पूर्व कजाख राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव जैसे विदेशी नेताओं को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

  • आर्थिक सहयोग: वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नया द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य निर्धारित किया गया, जो वर्ष 2025 तक 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पिछले लक्ष्य से काफी अधिक है, जिसे वर्ष 2023 में लगभग दोगुना कर दिया गया है।
    • इसका मुख्य कारण यूक्रेन पर आक्रमण के बाद अमेरिका और यूरोप द्वारा रूस पर तेल प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत द्वारा छूट पर रूसी कच्चे तेल का आयात बढ़ाना है।
    • आर्थिक सहयोग के आशाजनक क्षेत्रों के विकास के लिये एक व्यापक "कार्यक्रम-2030" तैयार करने पर सहमति।
      • इस कार्यक्रम का समन्वयन भारत-रूस अंतर-सरकारी व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग आयोग (India-Russia Intergovernmental Commission on Trade, Economic, Scientific, Technical and Cultural Cooperation- IRIGC-TEC) द्वारा किया जाएगा।
        • IRIGC-TEC द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के लिये शीर्ष G2G मंच है जिसकी अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री और रूस के उप-प्रधानमंत्री करते हैं।
    • भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच वस्तुओं पर मुक्त व्यापार समझौते के लिये वार्ता शुरू की जा चुकी है। वे सेवाओं और निवेश में भी द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं। 
    • नेताओं ने "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" कार्यक्रमों में रूसी व्यवसायों की भागीदारी तथा रूस में निवेश परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने पर सहमति व्यक्त की।
  • रक्षा और प्रौद्योगिकी: दोनों देशों के क्रेता-विक्रेता संबंध से आगे बढ़कर संयुक्त अनुसंधान, विकास, सह-विकास और उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी तथा प्रणालियों के संयुक्त विकास हेतु वार्ता की गई।
    • इनका उद्देश्य मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में रूसी मूल के हथियारों और रक्षा उपकरणों के लिये स्पेयर पार्ट तथा घटकों के संयुक्त विनिर्माण को प्रोत्साहित करना भी है।
      • इसमें भारतीय सशस्त्र बलों की ज़रूरतों को पूरा करने और उसके पश्चात् मित्र देशों को इसका निर्यात करने के लिये संयुक्त उद्यम स्थापित करना शामिल है।
    • दोनों देशों नें सैन्य और सैन्य तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग (Intergovernmental Commission on Military and Military Technical Cooperation - IRIGC-M&MTC) की अगली बैठक में इसके प्रावधानों पर वार्ता करने के लिये एक नया कार्य समूह स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
    • रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेनी युद्ध मोर्चे पर रूसी सेना में सेवारत और भारत लौटने की इच्छा रखने वाले भारतीय सैन्य कर्मियों को सेवामुक्त करने के भारत के प्रधानमंत्री के अनुरोध को स्वीकार किया।
      • रूसी कानून में मानसिक और शारीरिक जाँच सहित अन्य गहन जाँच के बाद विदेशी सैनिकों की रूस की सेना में भर्ती का प्रावधान है।
    • शिखर सम्मेलन लंबे समय से प्रतीक्षित रसद आदान-प्रदान समझौते (RELOS) पर हस्ताक्षर किये बिना ही समाप्त हो गया। इस समझौते से रूस और भारत के बीच सैन्य अभियानों के लिये रसद सहायता प्रदान की जाती।
      • इस समझौते से भारतीय नौसेना को सबसे अधिक लाभ होता, क्योंकि उसे आर्कटिक में रूसी सैन्य सुविधाओं तक पहुँच प्राप्त होती।
  • परिवहन और कनेक्टिविटी: दोनों पक्षों ने यूरेशिया में स्थिर और कुशल परिवहन गलियारे विकसित करने पर विचार किया जिसमें चेन्नई-व्लादिवोस्तोक ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरिडोर तथा इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) शामिल हैं।
    • चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा, भारत के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाहों और रूस के सुदूर-पूर्वी क्षेत्र के बंदरगाहों के बीच एक समुद्री संपर्क है जिसे वर्ष 2019 में प्रस्तावित किया गया था और इसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के माल का परिवहन करना तथा भारत-रूस परिवहन समय को 40% तक कम करना है।
    • INSTC एक बहुविध परिवहन मार्ग है जिसकी अभिकल्पना सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के लिये ईरान, रूस और भारत द्वारा वर्ष 2000 में सेंट पीटर्सबर्ग में की गई थी।
      • यह गलियारा हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर से जोड़ता है तथा रूसी संघ के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग एवं उत्तरी यूरोप से जुड़ा हुआ है।
    • दोनों पक्षों का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे की क्षमता में वृद्धि करना और उत्तरी समुद्री मार्ग का उपयोग करना है। दोनों पक्ष कार्गो परिवहन के समय और लागत को कम करने तथा यूरेशियाई क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये मिलकर कार्य करेंगे।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (2021-22) में भारत की अस्थायी सदस्यता की सराहना की और शांति स्थापना तथा आतंकवाद-रोधी प्रयासों में भारत का समर्थन किया।
  • वैश्विक मामले:
    • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से निपटने और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) तथा पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्धता, जिसमें निम्न-कार्बन विकास एवं हरित वित्तपोषण पर सहयोग शामिल है।
    • बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था: बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की आवश्यकता तथा यूरेशियाई अंतरिक्ष और हिंद एवं प्रशांत महासागर क्षेत्रों में समान तथा अविभाज्य क्षेत्रीय सुरक्षा की संरचना के विकास पर बल दिया गया।
    • आतंकवाद का विरोध: नेताओं ने आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही और आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क सहित सभी रूपों तथा अभिव्यक्तियों में आतंकवाद एवं हिंसक उग्रवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की।
      • दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध, धन शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering), आतंकवादी वित्तपोषण और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने में बहुपक्षीय सहयोग को मज़बूत करने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

रूस को उच्च आय वाले देश का दर्जा दिलाने में किन कारकों का योगदान रहा?

  • विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास: विश्व बैंक देशों को उनकी प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income- GNI) के आधार पर वर्गीकृत करता है, जिसे एटलस पद्धति (क्रय शक्ति समता के लिये लेखांकन) का उपयोग करके अमेरिकी डॉलर में व्यक्त किया जाता है।
    • जुलाई 2024 तक, "उच्च आय" की सीमा 14,005 अमेरिकी डॉलर है। रूस ने वर्ष 2023 में 14,250 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के साथ इस सीमा को पार कर लिया।
    • हाल के वर्षों में रूस ने व्यापार (+6.8%), वित्तीय क्षेत्र (+8.7%) और निर्माण (+6.6%) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी, जिससे वास्तविक (3.6%) तथा नाममात्र (10.9%) सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई।
  • सैन्य खर्च का प्रभाव: वर्ष 2023 में सैन्य-संबंधी गतिविधियों में पर्याप्त वृद्धि से आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा, हालाँकि विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह वृद्धि टिकाऊ नहीं हो सकती है।
  • व्यापार विविधीकरण: पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण व्यापार पैटर्न में बदलाव आया, जिससे G7 और यूरोपीय संघ के देशों पर निर्भरता कम हो गई तथा चीन, भारत, तुर्की, मध्य एशिया एवं दक्षिण काकेशस के साथ लेन-देन में वृद्धि हुई।
  • लचीला ऊर्जा क्षेत्र: अपने ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिबंधों के बावजूद, रूस ने वैश्विक तेल की कीमतों और रणनीतिक व्यापार विविधीकरण का लाभ उठाते हुए, समग्र निर्यात मात्रा को स्थिर बनाए रखा।
  • राजकोषीय प्रोत्साहन और निवेश: राजकोषीय प्रोत्साहन और रक्षा व्यय में वृद्धि (GDP का अनुमानित 7%) सहित सरकारी पहलों ने आर्थिक सुधार तथा विकास को समर्थन दिया।
  • जॉब मार्केट और उपभोक्ता व्यय: कम बेरोज़गारी, बढ़ती मज़दूरी तथा मज़बूत निजी खपत ने आर्थिक स्थिरता एवं विकास में सकारात्मक योगदान दिया।
  • वर्ष 2014 के पहले के प्रतिबंधों से उबरते हुए, रूस ने मौजूदा चुनौतियों को कम करने के लिये अपनी आर्थिक नीतियों और बुनियादी ढाँचे में निवेश को अनुकूलित किया।

विश्व बैंक का राष्ट्रीय आय वर्गीकरण क्या है?

  • परिचय: विश्व बैंक समूह द्वारा विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को चार आय वर्गों में विभाजित किया है: समूह: निम्न, निम्न-मध्य, उच्च-मध्य और उच्च।
    • यह वर्गीकरण पिछले कैलेंडर वर्ष की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के आधार पर 1 जुलाई को प्रतिवर्ष अद्यतन किया जाता है।
    • विश्व बैंक के आय वर्गीकरण का उद्देश्य आर्थिक क्षमता के संकेतक के रूप में प्रति व्यक्ति एटलस GNI का उपयोग करते हुए किसी देश के विकास के स्तर को प्रतिबिंबित करना है।
  • वर्गीकरण की सीमाएँ:
    • निम्न आय: 1,145 अमेरिकी डॉलर या उससे कम;
    • निम्न-मध्यम आय: 1,146 अमेरिकी डॉलर से 4,515 अमेरिकी डॉलर;
    • उच्च-मध्यम-आय: 4,516 अमेरिकी डॉलर से 14,005 अमेरिकी डॉलर ;
    • उच्च आय: 14,005 अमेरिकी डॉलर से अधिक।
    • आर्थिक विकास, मुद्रास्फीति, विनिमय दर तथा जनसंख्या वृद्धि जैसे कारक किसी देश की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय को प्रभावित कर सकते हैं।
  • क्षेत्रीय मुख्य आकर्षण:
    • दक्षिण एशिया में निम्न आय वाले देशों की हिस्सेदारी वर्ष 1987 में 100% से घटकर वर्ष 2023 में मात्र 13% रह गयी है।
      • विश्व बैंक के अनुसार, भारत एक निम्न-मध्यम आय वाला देश है। भारत वर्ष 2007 से इस श्रेणी में है, जब यह निम्न-आय श्रेणी से ऊपर आया था।
        • वर्ष 2023 तक, PPP के संदर्भ में भारत की प्रति व्यक्ति GNI लगभग 10,030 अमेरिकी डॉलर है।
    • मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में, कम आय वाले देशों की हिस्सेदारी वर्ष 1987 में 0% से बढ़कर वर्ष 2023 में 10% हो गई है। 
    • लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में, उच्च आय वाले देशों की हिस्सेदारी वर्ष 1987 में 9% से बढ़कर वर्ष 2023 में 44% हो गई है। 
    • यूरोप और मध्य एशिया में वर्ष 2023 में उच्च आय वाले देशों की हिस्सेदारी वर्ष 1987 (71%) की तुलना में थोड़ी कम (69%) होगी।

नोट: GNI, एक निश्चित अवधि, आमतौर पर एक वर्ष में निवासियों द्वारा दावा किये गए कुल घरेलू और विदेशी मूल्य वर्धन को मापता है, जिसे क्रय शक्ति समता दरों का उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय डॉलर में व्यक्त किया जाता है।

  • इसमें सकल घरेलू उत्पाद के साथ-साथ गैर-निवासी स्रोतों से प्राथमिक आय की शुद्ध प्राप्तियाँ शामिल होती हैं तथा यह आय की समग्र माप प्रदान करता है।

निष्कर्ष

22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन ने दोनों देशों के बीच मज़बूत रणनीतिक साझेदारी को रेखांकित किया, जिसमें महत्त्वपूर्ण राजनयिक सम्मान, महत्वाकांक्षी आर्थिक लक्ष्य शामिल हैं। वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने हेतु अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। शिखर सम्मेलन के परिणाम क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास और वैश्विक मंच पर आपसी सम्मान के लिये एक साझा दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जो विकसित हो रही अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता के बीच भारत-रूस संबंधों की स्थायी प्रकृति को मज़बूत करते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. हाल के भू-राजनीतिक बदलावों जैसे बहुध्रुवीयता का उदय तथा बढ़ती वैश्विक रणनीतिक प्रतिस्पर्द्धा ने भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को किस प्रकार प्रभावित किया है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हाल ही में भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ ‘नाभिकीय क्षेत्र में सहयोग क्षेत्रों के प्राथमिकीकरण और कार्यान्वयन हेतु कार्ययोजना’ नामक सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं? (2019)

(A) जापान
(B) रूस
(C) यूनाइटेड किंगडम
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका

उत्तर: B


मेन्स:

प्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों की क्या महत्ता है? हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थायित्व के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020)

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