प्रारंभिक परीक्षा
8वाँ हिंद महासागर सम्मेलन
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मस्कट, ओमान में आयोजित 8वें हिंद महासागर सम्मेलन (IOC) में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस सम्मेलन का विषय, ‘समुद्री साझेदारी के नए क्षितिज की यात्रा’ है।
हिंद महासागर सम्मेलन क्या है?
- परिचय: IOC एक वार्षिक शिखर सम्मेलन है जिसके तहत भू-राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करने के क्रम में हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के नेताओं, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक साथ लाया जाता है।
- इसकी स्थापना इंडिया फाउंडेशन (भारत स्थित थिंक टैंक) द्वारा वर्ष 2016 में सिंगापुर में 30 देशों की भागीदारी के साथ की गई थी।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (SAGAR) दृष्टिकोण के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र में प्रमुख राज्यों और समुद्री साझेदारों को एकजुट करना है।
हिंद महासागर क्षेत्र क्या है?
- परिचय: हिंद महासागर से तात्पर्य हिंद महासागर के आसपास के क्षेत्र से है, जिसमें इसके सीमावर्ती देश भी शामिल हैं।
- यह पूर्व में मलक्का जलडमरूमध्य और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से लेकर पश्चिम में मोज़ाम्बिक चैनल तक फैला हुआ है।
- यह वैश्विक जल सतह का लगभग 20%, वैश्विक भूमि क्षेत्र का एक चौथाई, और वैश्विक तेल भंडार का तीन-चौथाई हिस्सा कवर करता है।
- सामरिक महत्त्व:
- आर्थिक महत्त्व: वैश्विक समुद्री तेल का लगभग 80% और भारत के तेल आयात का 80% प्रतिवर्ष हिंद महासागर के माध्यम से होता है।
- प्रमुख चोक पॉइंट:
- मलक्का जलडमरूमध्य (दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत महासागर को हिंद महासागर से जोड़ता है)।
- होर्मुज जलडमरूमध्य (फारस की खाड़ी को हिंद महासागर से जोड़ता है; जो वैश्विक तेल परिवहन के लिये महत्त्वपूर्ण)।
- बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य (लाल सागर और हिंद महासागर को जोड़ता है, अफ्रीका और मध्य पूर्व के साथ व्यापार को प्रभावित करता है)।
- मोज़ाम्बिक चैनल (केप ऑफ गुड होप से मध्य पूर्व और एशिया तक वस्तु परिवहन के लिये महत्त्वपूर्ण)।
- सैन्य महत्त्व: यह प्रमुख नौसैनिक अड्डों का केंद्र है, जो समुद्री डकैती, अवैध मत्स्य संग्रहण और क्षेत्रीय विवाद जैसी समुद्री सुरक्षा चिंताओं का सामना करता है।
- महत्त्वपूर्ण खनिज: अनुमान है कि मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में निकल, तांबा, कोबाल्ट और मैंगनीज के विशाल भंडार मौजूद हैं।
और पढ़ें..हिंद महासागर क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?, हिंद महासागर क्षेत्र में चुनौतियों से कैसे निपटें?
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: b प्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR_ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
प्रारंभिक परीक्षा
अफगानिस्तान और नेपाल के साथ भारत का व्यापार
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2023-24 में भारत का अफगानिस्तान के साथ असामान्य व्यापार घाटा दर्ज किया गया।
- एक अन्य घटनाक्रम में नेपाल से सोयाबीन तेल का आयात 14 गुना बढ़ गया (अप्रैल-नवंबर 2024), इसका कारण संभवतः उत्पत्ति के नियम (RoO) का उल्लंघन था।
और पढ़ें: भारत के तालिबान के साथ संबंध
अफगानिस्तान और नेपाल के साथ भारत के व्यापार की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- अफगानिस्तान:
- द्विपक्षीय व्यापार प्रवृत्ति: अफगानिस्तान को भारत का निर्यात वर्ष 2020-21 के 825.78 मिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2023-24 में 355.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि आयात वर्ष 2020-21 के 509.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 642.29 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- इससे पहले, भारत का अफगानिस्तान के साथ वर्ष 2000-01 में व्यापार घाटा (0.73 मिलियन अमेरिकी डॉलर) था।
- आयात: अंजीर, हींग, किशमिश, सेब, लहसुन, केसर, बादाम, प्याज, अनार और अखरोट जैसे कृषि उत्पादों का प्रभुत्व है।
- निर्यात: मुख्यतः दवाइयाँ, टीके, सोयाबीन भोजन और वस्त्र।
- प्रमुख उत्पाद: वर्ष 2023-24 में, अफगानिस्तान हींग, किशमिश और लहसुन का प्राथमिक आपूर्तिकर्त्ता था।
- वर्ष 2023-24 में, ईरान और तुर्की के बाद अफगानिस्तान भारत का तीसरा सबसे बड़ा सेब आपूर्तिकर्त्ता बन गया (इटली और अमेरिका को पीछे छोड़ दिया) है।
- द्विपक्षीय व्यापार प्रवृत्ति: अफगानिस्तान को भारत का निर्यात वर्ष 2020-21 के 825.78 मिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वर्ष 2023-24 में 355.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि आयात वर्ष 2020-21 के 509.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 642.29 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- नेपाल: भारत का कुल सोयाबीन तेल आयात वर्ष 2023 में 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 19% बढ़कर लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (अप्रैल-नवंबर 2024) हो गया है।
- उत्पत्ति के नियम का उल्लंघन: नेपाल 98% कच्चा खाद्य तेल आयात करता है, उसे परिष्कृत करता है, तथा भारत को निर्यात करता है, जो शुल्क संरचना शोषण का संकेत है।
- नेपाल-भारत व्यापार संधि (2009) के कारण नेपाल को अन्य निर्यातकों की तुलना में 30% टैरिफ लाभ प्राप्त है, जो भारत को शुल्क मुक्त निर्यात की अनुमति प्रदान करता है।
- उत्पत्ति के नियम का उल्लंघन: नेपाल 98% कच्चा खाद्य तेल आयात करता है, उसे परिष्कृत करता है, तथा भारत को निर्यात करता है, जो शुल्क संरचना शोषण का संकेत है।
नोट: उत्पत्ति के नियम (RoO) वे मानदंड हैं जिनका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में किसी उत्पाद के मूल देश को निर्धारित करने के लिये किया जाता है।
- RoO "व्यापार विचलन" को रोकने में सहायक है, जहाँ एक देश में उत्पादित वस्तुओं को कम टैरिफ का लाभ उठाने के लिये दूसरे देश के माध्यम से प्रेषित किया जाता है।
- RoO को विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा उत्पत्ति के नियमों पर समझौते के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
नेपाल-भारत व्यापार संधि 2009
- शुल्क-मुक्त पहुँच: यह नकारात्मक सूची (जैसे, सिगरेट, शराब, सौंदर्य प्रसाधन) को छोड़कर सभी नेपाल निर्मित वस्तुओं के लिये गैर-पारस्परिक शुल्क-मुक्त पहुँच प्रदान करता है।
- वार्षिक कोटा: इसे केवल चार संवेदनशील वस्तुओं अर्थात वनस्पति वसा, ऐक्रेलिक यार्न, ताँबा उत्पाद और जिंक ऑक्साइड के लिये भारत को शुल्क मुक्त निर्यात हेतु निर्धारित किया गया था।
- व्यापार तंत्र: भारत-नेपाल द्विपक्षीय व्यापार भारतीय रुपए में किया जाता है, जिसकी विनिमय दर 1.6 नेपाली रुपए प्रति भारतीय रुपया निर्धारित है।
और पढ़ें... भारत और नेपाल के बीच सहयोग के क्षेत्र
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त में से किसकी सीमा अफगानिस्तान से लगती है? (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: (c) |
प्रारंभिक परीक्षा
दिल्ली भूकंप 2025
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
फरवरी 2025 में दिल्ली में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका कारण अरावली-दिल्ली फोल्ड बेल्ट के नीचे हाइड्रो फ्रैक्चरिंग था ।
दिल्ली भूकंप 2025 के संबंध में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- भूकंप का अधिकेंद्र: इसका केंद्र शहर के अंदर (हिमालय में नहीं) 5 कि.मी की गहराई पर था, जिसके परिणामस्वरूप सतह पर अधिक भूकंपीय तरंगें और कंपन के साथ उथला भूकंप आया।
- अधिकेंद्र पृथ्वी की सतह पर वह बिंदु है जो केंद्र या हाइपोसेंटर (जहाँ भू-पर्पटी के अंदर भूकंप उत्पन्न होता है) के ठीक ऊपर होता है।
- उथले भूकंपों की गहराई 0 से 70 किमी, मध्यम भूकंपों की गहराई 70 से 300 किमी तथा गहरे भूकंपों की गहराई 300 से 700 किमी तक होती है।
- भूकंपीय क्षेत्र वर्गीकरण: दिल्ली भारत के भूकंप खतरे के मानचित्र के जोन 4 में स्थित है, जो MSK-8 तीव्रता के साथ उच्च भूकंपीय जोखिम को दर्शाता है ( जोन 5, जो सबसे संवेदनशील है, MSK-9 तीव्रता के अनुरूप है )।
- MSK (मेदवेदेव-स्पोनहेउर-कार्निक) पैमाना तीव्रता का माप है, न कि प्रबलता (उत्सर्जित ऊर्जा) का, जिसे परिमाण द्वारा वर्णित किया जाता है।
- हाइड्रो फ्रैक्चरिंग: इस भूकंप का कारण सामान्य फॉल्टिंग (ऊर्ध्वाधर चट्टान का संचलन) था और हाइड्रो फ्रैक्चरिंग को इस भूकंप के प्रमुख ट्रिगर के रूप में पहचाना गया था।
- दिल्ली के नीचे जलभृत और भूमिगत जल चैनलों के कारण चट्टानी संरचनाओं में कमज़ोरी आने से दरारें पैदा होती हैं जिससे कभी-कभी भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होती हैं।
- अरावली-दिल्ली वलित बेल्ट: दिल्ली, अरावली-दिल्ली वलित बेल्ट में स्थित है जिसमें लाखों वर्ष पहले विकृत चट्टान परतें बलित हुई थीं।
- यद्यपि विवर्तनिकी गतिविधियाँ कम हुई हैं लेकिन कुछ सक्रिय भ्रंशों के कारण कभी-कभी कम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं।
- हिमालयी भूकंपों से अंतर: हिमालयी भूकंप विवर्तनिकी प्लेटों की हलचल के परिणामस्वरूप आते हैं, अर्थात भारतीय प्लेट का यूरेशियन प्लेट के नीचे धँसना। जिसके कारण अधिक तीव्रता के भूकंप आते हैं।
- दिल्ली में आए भूकंप का कारण विवर्तनिकी प्लेटों की हलचल नहीं बल्कि स्थानीय भूगर्भीय स्ट्रेस था।
- स्थानीय भ्रंशों की भूमिका: दिल्ली क्षेत्र में महेंद्रनगर फॉल्ट और सोहाना फॉल्ट जैसे कई स्थानीय भ्रंश मौजूद हैं जिनसे 6 तीव्रता तक के भूकंप उत्पन्न हो सकते हैं।
- भूकंप के दौरान ध्वनियाँ: भूकंप से न्यून आवृत्ति की ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं, लेकिन इन्हें सामान्यतः सुना नहीं जाता है।
- भूकंप के दौरान सुनाई देने वाली ध्वनियाँ संभवतः भूकंप के कारण नहीं, बल्कि इमारतों और संरचनाओं में कंपन के कारण उत्पन्न हुई थीं।
- दिल्ली में भूकंप: मुख्य केंद्रीय भ्रंश (MCF) के साथ हिमालय में 8 तीव्रता का भूकंप दिल्ली में बड़े भूकंपों को ट्रिगर कर सकता है, क्योंकि यमुना के जलोढ़ मैदान कठोर चट्टानों की तुलना में ऊर्जा को अवशोषित करने में कम सक्षम हैं।
- MCF उत्तर में महान हिमालय और दक्षिण में लघु हिमालय के बीच स्थित है।
और पढ़ें... भूकंप क्या है?
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: हाइड्रो फ्रैक्चरिंग की भूमिका भूकंपों की घटना में कैसे ज़िम्मेदार है, इसका विश्लेषण कीजिये। ये हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के कारणों से कैसे भिन्न हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्सप्रश्न: भूकंप संबंधित संकटों के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों, में भारत के विभिन्न भागों में भूकंप द्वारा उत्पन्न प्रमुख आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिये। (वर्ष 2021) प्रश्न: भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप की आवृत्ति में बढ़ती हुई प्रतीत होती है। फिर भी इनके प्रभाव के न्यूनीकरण हेतु भारत की तैयारी (तत्परता) में महत्त्वपूर्ण कमियाँ हैं। विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिये। (2015) |
रैपिड फायर
चौथा भारत-यूरोपीय संघ शहरी फोरम
स्रोत: पी.आई.बी.
नई दिल्ली में आयोजित चौथे भारत-यूरोपीय संघ शहरी फोरम के तहत संधारणीय शहरी विकास की दिशा में भारत-यूरोपीय संघ सहयोग को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारत-यूरोपीय संघ शहरी फोरम:
- परिचय:
- यह स्मार्ट और संधारणीय शहरीकरण पर भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच समन्वय एवं सहयोग हेतु एक उच्च स्तरीय फोरम है, जिसे स्मार्ट तथा संधारणीय शहरीकरण हेतु साझेदारी पर वर्ष 2017 की संयुक्त घोषणा के हिस्से के रूप में स्थापित किया गया।
- उद्देश्य:
- यह स्थायी शहरी विकास के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं, नीतियों और नवीन समाधानों के आदान-प्रदान के क्रम में अधिकारियों, विशेषज्ञों तथा हितधारकों के बीच चर्चा की सुविधा प्रदान करता है।
- लक्षित क्षेत्र:
- शहरी अलायंस और एकीकृत दृष्टिकोण, नवाचार और समावेशी शहरी गतिशीलता।
- यह यूरोपीय संघ की ग्लोबल गेटवे रणनीति (स्थायी निवेश हेतु) और भारत के शहरी विकास मिशन (जैसे स्मार्ट सिटी मिशन) के अनुरूप है।
- भारत को समर्थन:
- वर्ष 2017 से यूरोप ने जलवायु-स्मार्ट विकास, गतिशीलता, अपशिष्ट प्रबंधन और जलवायु कार्रवाई में 40 से अधिक भारतीय शहरों का समर्थन किया है तथा 9000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
शहरी क्षेत्रों से संबंधित सरकारी पहल:
और पढ़ें: भारत के शहरी परिदृश्य में सुधार
रैपिड फायर
अरेबियन लेपर्ड
स्रोत: डाउन टू अर्थ
वर्ल्ड अरेबियन लेपर्ड डे (10 फरवरी 2025) के अवसर पर प्रकाशित एक अध्ययन में ओमान के नेज्द पठार में अरेबियन तेंदुए की उपस्थिति की पुष्टि की, जो शिकार और आवास के विखंडन के कारण स्थानीय विलुप्ति की पूर्व मान्यताओं के विपरीत है।
अरेबियन लेपर्ड (पेंथेरा पार्डस निम्र) :
- मुख्य विशेषताएँ: यह सबसे छोटी लेपर्ड उप-प्रजातियों में से एक है, जिसमें नर का वजन 30-40 किलोग्राम और मादा का वजन 25-35 किलोग्राम होता है।
- इसका फर हल्के पीले रंग का होता है तथा इसमें छोटे-छोटे, एक दूसरे से सटी हुई संरचना (रोसेट) होती हैं।
- आवास एवं जनसंख्या: अरब प्रायद्वीप का मूल निवासी। सऊदी अरब, ओमान, यमन और संयुक्त अरब अमीरात में अलग-अलग स्थानों पर पाया जाता है ।
- अनुमान है कि विश्व की वन्यजीव आबादी 100-120 हैं, जिनमें दक्षिणी ओमान में इनकी संख्या सबसे अधिक है।
- IUCN स्थिति: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- खतरे:
- शहरीकरण, कृषि और अतिचारण के कारण आवास की क्षति।
- अवैध शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार।
- शिकार की आबादी में गिरावट के कारण भोजन की कमी आ रही है।
नेज्द पठार:
- ओमान के धोफर में शुष्क नेज्द पठार, छोटी चट्टानों, घाटियों और पठार अवस्थित है।
- वादी निम्न घाटियाँ हैं जो बरसात के मौसम को छोड़कर आमतौर पर शुष्क रहती हैं।
भारत में तेंदुए की जनसंख्या (2024):
- कुल : 13,874 (2018 से 1.08% वार्षिक वृद्धि)।
- सर्वाधिक जनसंख्या: मध्य प्रदेश, उसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु।
- संरक्षण स्थिति: ICUN रेड लिस्ट (सुभेद्य), CITES (परिशिष्ट-I) और भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (अनुसूची-I)।
और पढ़ें: भारत में तेंदुओं की स्थिति 2022
रैपिड फायर
DRC संघर्ष और M23 मिलिशिया
स्रोत: द हिंदू
रवांडा समर्थित M23 मिलिशिया द्वारा खनिज समृद्ध शहर गोमा पर कब्ज़ा कर लेने से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में चल रहा हुतु-तुत्सी संघर्ष और भी उग्र हो गया।
- इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 2,900 लोगों की मौत होने के साथ लगभग 700,000 लोग विस्थापित हुए तथा यह संसाधनों से समृद्ध दक्षिण किवु प्रांत तक फैल गया।
- M23 का गठन वर्ष 2012 में DRC सरकार और तुत्सी नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्ग्रेस फॉर द डिफेंस ऑफ द पीपल (CNDP) के बीच वर्ष 2009 के शांति समझौते की विफलता के बाद हुआ था।
- M23 का दावा है कि वह DRC में तुत्सियों की रक्षा करता है जबकि डेमोक्रेटिक फोर्सेज फॉर द लिबरेशन ऑफ रवांडा (FDLR) हुतु के लिये लड़ता है।
- हुतु-तुत्सी संघर्ष बेल्जियम और जर्मन औपनिवेशिक शासन के समय से ही अस्तित्व में है जहाँ शासन में तुत्सियों को प्राथमिकता दी जाती थी।
- रवांडा नरसंहार (1994) में हुतु चरमपंथियों द्वारा तुत्सी जातीय समूह का सामूहिक नरसंहार किया गया था।
- DRC द्वारा विश्व स्तर पर 40% कोल्टन की आपूर्ति की जाती है जिसका उपयोग हाई चार्ज रिटेंशन के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में टैंटालम कैपेसिटर बनाने में किया जाता है।
रैपिड फायर
हाइड्रोजन उत्पादन हेतु उच्च-एंट्रॉपी मिश्रधातु
स्रोत: बीएल
सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंस (CeNS), बेंगलुरु के शोधकर्त्ताओं ने जल के विद्युत अपघटन द्वारा हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में रूपांतरण के जरिए बेहतर हाइड्रोजन उत्पादन के लिये विकसित एक नया, उच्च-एंट्रॉपी मिश्र धातु (HEA) आधारित उत्प्रेरक, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लिये एक समाधान की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर सकता है, जो सतत् ऊर्जा उत्पादन के लिये प्लैटिनम जैसे महँगे धातु पर निर्भरता को कम करेगा।
- मिश्र धातु और उच्च-एन्ट्रॉपी मिश्र धातु (HEAs): मिश्र धातु 2 या अधिक तत्त्वों से निर्मित धातु पदार्थ होती हैं, जबकि HEAs उन्नत धातु मिश्र धातु पदार्थ होते हैं जिनमें 5 या अधिक तत्त्व बराबर या समान अनुपात में मिश्रित किये जाते हैं।
- HEA उत्प्रेरक में प्लैटिनम, पैलेडियम, कोबाल्ट, निकल और मैंगनीज शामिल हैं।
- HEAs में उच्च शक्ति, संक्षारण और घर्षणरोधी होती है, जो स्थायित्व सुनिश्चित करती है।
विद्युत अपघटन में HEA की भूमिका:
- विद्युत अपघटन में एक उत्प्रेरक (जैसे प्लैटिनम) का उपयोग किया जाता है जिससे रासायनिक अभिक्रिया (सक्रियण ऊर्जा) शुरू करने के लिये आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा को कम किया जाता है जिससे जल, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में विखंडित हो जाता है।
- HEA उत्प्रेरक प्लैटिनम के उपयोग को 7 गुना कम कर देता है, जिससे शुद्ध प्लैटिनम की तुलना में दक्षता में सुधार होता है, और क्षारीय समुद्री जल में 100+ घंटे तक स्थिर रहता है, जिससे लागत प्रभावी हाइड्रोजन उत्पादन संभव होता है।
और पढ़ें: हरित हाइड्रोजन और कार्बन-तटस्थ भविष्य