प्रारंभिक परीक्षा
वैश्विक स्तर पर स्वर्ण की कीमतों का निर्धारण
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
एक हालिया अर्थमिति अध्ययन (econometric study) में पाया गया है कि कच्चे तेल और स्वर्ण की कीमतों के बीच प्रत्यक्ष संबंध है तथा अमेरिकी डॉलर के मूल्य एवं स्वर्ण की कीमतों के बीच एक विपरीत संबंध है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- निष्कर्ष: वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत और स्वर्ण की अंतर्राष्ट्रीय कीमत के बीच एक सकारात्मक संबंध है तथा अमेरिकी डॉलर के बाह्य मूल्य एवं स्वर्ण की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के बीच एक नकारात्मक संबंध है।
- दूसरे शब्दों में जब कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो स्वर्ण की कीमतें बढ़ जाती हैं और जब अमेरिकी डॉलर का मूल्य बढ़ता है, तो स्वर्ण की कीमत कम हो जाती है।
- कारण: अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ती है, जिससे मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव निधि (Hedge) के रूप में स्वर्ण की मांग में वृद्धि होती है, क्योंकि स्वर्ण एक वास्तविक संपत्ति (Real Asset) है और मूल्य के नुकसान के अधीन नहीं है।
- अन्य स्थितियों को स्थिर मानते हुए, जब अमेरिकी डॉलर मज़बूत होता है, तो स्वर्ण की कीमतें कम और स्थिर रहती हैं।
- हालांकि, अगर डॉलर कमज़ोर होता है, तो स्वर्ण की मांग में वृद्धि हो जाती है, जिससे इसकी कीमत में भी वृद्धि होती है।
- यह परिवर्तन इसलिये होता है क्योंकि एक मज़बूत डॉलर अपने मूल्य में विश्वास बढ़ाता है, स्वर्ण में निवेश की आवश्यकता को कम करता है, जबकि एक कमज़ोर डॉलर मूल्य हानि के बारे में चिंताओं को प्रेरित करता है, जिससे उपभोक्ता एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में स्वर्ण में निवेश की ओर बढ़ते हैं।
- अन्य स्थितियों को स्थिर मानते हुए, जब अमेरिकी डॉलर मज़बूत होता है, तो स्वर्ण की कीमतें कम और स्थिर रहती हैं।
वैश्विक स्तर पर स्वर्ण की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?
- स्वर्ण का उत्पादन: आपूर्ति पक्ष पर, स्वर्ण की कीमतें इसके उत्पादन और खनन लागत पर निर्भर करती हैं।
- चूँकि, अधिकांश स्वर्ण का उत्खनन पहले ही किया जा चुका है, इसलिये नए उत्पादन के लिये भूमिगत खनन हेतु लागत में वृद्धि होगी।
- इसलिये जब कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ती हैं, तो यह स्वर्ण की कीमत में वृद्धि में योगदान देती है।
- शीर्ष 5 स्वर्ण उत्पादक देश हैं: चीन, ऑस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा और अमेरिका।
- केंद्रीय बैंकों द्वारा मांगः संस्थागत मांग, विशेष रूप से केंद्रीय बैंकों से, स्वर्ण की कीमतों को रिकॉर्ड स्तर तक ले जाती है।
- वे इसके मूल्य प्रतिधारण (value retention) को देखते हुए, आरक्षित संपत्तियों को मज़बूत करने के लिये स्वर्ण खरीदते हैं।
- कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और भू-राजनीतिक तनाव के साथ, वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिये अपने स्वर्ण के भंडार को बढ़ा रहे हैं।
- मार्च 2024 के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने कुल 822 मीट्रिक टन स्वर्ण का भंडारण किया है, जिसमें से 408 मीट्रिक टन देश के भीतर ही रखा गया है।
- निवेशकों की मांग: जब भी वैश्विक स्तर पर शेयर बाज़ार, रियल एस्टेट और बॉण्ड में गिरावट आती है, तो निवेशक अपना पैसा लगाने के लिये स्वर्ण को विकल्प के तौर पर चुनते हैं।
- इसे अनिश्चितताओं के दौरान निवेशकों के लिये एक सुरक्षित विकल्प के रूप में माना जाता है क्योंकि स्वर्ण अत्यधिक तरल होता है और इसमें कोई डिफाॅल्ट जोखिम नहीं होता है।
- अपने निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने एवं निवेश में सुरक्षा बढ़ाने के लिये, व्यक्तिगत और संस्थागत दोनों निवेशक भौतिक स्वर्ण के साथ-साथ वित्तीय व्युत्पन्न (Financial Derivatives) तथा एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश करना पसंद करते हैं।
- वित्तीय व्युत्पन्न (Financial Derivatives) एक प्रकार के वित्तीय साधन है जो अंतर्निहित परिसंपत्तियों से अपना मूल्य ग्रहण करते है।
- उपभोक्ता मांग: मांग में वृद्धि व्यक्तियों और जौहरियों दोनों की तरफ से बढ़ती है।
- स्वर्ण के सबसे बड़े उपभोक्ता व आयातक चीन और भारत दोनों में इसे धन के पारंपरिक भंडार तथा विशेष अवसरों पर आभूषण के रूप में खरीदा जाता है।
- हालाँकि, उपभोक्ताओं की मांग ज़्यादातर मौसमी होती है।
- औद्योगिक मांग: औद्योगिक मांग प्रौद्योगिकी से प्रभावित होती है। औद्योगिक प्रयोग हेतु स्वर्ण अपने आंतरिक गुणों जैसे नम्यता और संवाहकता के कारण पसंद किया जाता है।
- इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे:
- इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में इसकी उत्कृष्ट संवाहकता और संक्षारण प्रतिरोध के लिये। यह आमतौर पर कनेक्टर्स, सर्किट बोर्ड और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक घटकों में पाया जाता है।
- दंत चिकित्सा में इसका प्रयोग जैव अनुकूलता और स्थायित्व के कारण मुकुट, ब्रिज तथा अन्य कृत्रिम दंत अंगों को बनाने के लिये किया जाता है।
- एयरोस्पेस अनुप्रयोगों में, जैसे अंतरिक्ष यान घटकों और उपग्रहों को कोटिंग करना, इसके परावर्तक गुणों तथा कठोर वातावरण में संक्षारण प्रतिरोध के कारण।
- चिकित्सा उपकरणों में, जैसे कि प्रत्यारोपण और नैदानिक उपकरण, मानव शरीर के भीतर इसकी जैव-अनुकूलता एवं जड़ता के कारण।
- इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे:
भारत में स्वर्ण उद्योग की क्या स्थिति है?
- भारत में स्वर्ण भंडार: राष्ट्रीय खनिज सूची के अनुसार, वर्ष 2015 तक भारत में स्वर्ण के अयस्क का कुल भंडार/संसाधन 501.83 मिलियन टन होने का अनुमान था।
- स्वर्ण अयस्क के सबसे बड़े संसाधन बिहार (44%) में स्थित हैं, इसके बाद राजस्थान में (25%), कर्नाटक में (21%), पश्चिम बंगाल में (3%), आंध्र प्रदेश में (3%) तथा झारखंड में (2%) हैं।
- देश के कुल स्वर्ण उत्पादन में कर्नाटक का लगभग 80% योगदान है। कोलार ज़िले में कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) विश्व की सबसे प्राचीन और गहराई पर मौजूद स्वर्ण की खदानों में से एक है।
- भारत में स्वर्ण आयात: भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता है। वर्ष 2023-24 में भारत का स्वर्ण आयात 30% बढ़कर 45.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- हालाँकि, मार्च, 2024 में स्वर्ण आयात में 53.56% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज़ की गई।
- सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना: इसे सरकार द्वारा नवंबर, 2015 में स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के भाग के रूप में पेश किया गया था।
- इसका उद्देश्य भौतिक स्वर्ण की मांग को कम करना और घरेलू बचत के एक भाग को, जो आमतौर पर स्वर्ण खरीदने के लिये उपयोग किया जाता है, वित्तीय बचत में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करना था।
स्वर्ण मान (Gold Standard) क्या है?
- गोल्ड स्टैंडर्ड (Gold Standard-GS) एक स्वैच्छिक कार्बन ऑफसेट कार्यक्रम है जो संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) को आगे बढ़ाने और उस परियोजना से उनके पड़ोसी समुदायों को लाभ सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
- इसे विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund- WWF), HELIO इंटरनेशनल और साउथसाउथनॉर्थ (SouthSouthNorth) के नेतृत्व में विकसित किया गया था, जिसमें ऑफसेट परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था जो स्थायी सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं।
और पढ़ें: स्वर्ण की कीमतों में वृद्धि
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. सरकार की 'सम्प्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme)' एवं 'स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme)' का/के उद्देश्य क्या है/ हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 उत्तर:(c) प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मद समूह सम्मिलित है? (2013) (a) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एस० डी० आर०) तथा विदेशों से ऋण उत्तर: (b) प्रश्न. भारतीय सरकारी बॉण्ड प्रतिफल निम्नलिखित में से किससे/किनसे प्रभावित होता है/होते हैं? (2021)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
प्रारंभिक परीक्षा
जीपीटी-4o
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में OpenAI ने जीपीटी-4o नाम से अपना नवीनतम लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) लॉन्च किया, इसे अब तक का सबसे तेज़ और सबसे शक्तिशाली AI मॉडल बताया गया है।
जीपीटी-4o के बारे में मुख्य बातें क्या हैं?
- परिचय: जीपीटी-4o ("o" का अर्थ यहाँ "ओमनी" है) मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन को बढ़ाने के लिये OpenAI द्वारा विकसित एक परिवर्तनकारी AI मॉडल है।
- यह उपयोगकर्त्ताओं को टेक्स्ट, ऑडियो और छवि के किसी भी संयोजन को इनपुट करने तथा समान प्रारूपों में प्रतिक्रियाएँ प्राप्त करने की अनुमति देता है, जिससे यह एक मल्टीमॉडल AI प्रारूप बन जाता है।
- प्रयुक्त प्रौद्योगिकी: LLM जीपीटी-4o के मुख्य घटक हैं। इन मॉडलों को स्वयं सीखने में सक्षम बनाने के लिये, उनमें अत्यधिक मात्रा में डेटा को प्रविष्ट कराया जाता है।
- जीपीटी-4o टेक्स्ट, विज़न और ऑडियो कार्यों को संभालने के लिये एकल मॉडल का उपयोग करके अपने पूर्ववर्तियों से भिन्नता रखता है, जिससे कई मॉडलों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
- उदाहरण के लिये, पूर्ववर्ती मॉडल में वॉयस मोड में ट्रांसक्रिप्शन, इंटेलिजेंस और टेक्स्ट-टू-स्पीच के लिये पृथक प्रारूपों की आवश्यकता होती थी, लेकिन जीपीटी-4o इन सभी क्षमताओं को एक ही मॉडल में एकीकृत करता है।
- यह ऑडियो इनपुट में स्वर, बैकग्राउंड नॉइस तथा भावनात्मक संदर्भ सहित इनपुट को अधिक समग्र रूप से संसाधित कर और समझ सकता है।
- जीपीटी-4o गति और दक्षता जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करता है तथा लगभग 232 से 320 मिली सेकंड की वार्तालाप में मनुष्य की तरह तेज़ी से प्रश्नों का उत्तर देता है।
- जीपीटी-4o टेक्स्ट, विज़न और ऑडियो कार्यों को संभालने के लिये एकल मॉडल का उपयोग करके अपने पूर्ववर्तियों से भिन्नता रखता है, जिससे कई मॉडलों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
- प्रमुख विशेषताएँ और क्षमताएँ:
- उन्नत ऑडियो और दृष्टि समझ जीपीटी-4o को टोन, बैकग्राउंड नॉइस एवं भावनात्मक संदर्भ को संसाधित करने तथा वस्तुओं की पहचान करने की अनुमति देती है।
- जीपीटी-4o गैर-अंग्रेज़ी के मूलपाठ में उल्लेखनीय सुधार प्रदर्शित करके वैश्विक दर्शकों की ज़रूरतों को पूरा करता है।
- सुरक्षा चिंताएँ:
- अपनी उच्च प्रगति के बावज़ूद, GPT-4o अभी भी एकीकृत मल्टीमॉडल इंटरैक्शन की खोज के प्रारंभिक चरण में है, जिसके लिये निरंतर विकास की आवश्यकता है।
- ओपन AI अंतर्निहित सुरक्षा उपायों और निरंतर प्रयासों से साइबर सुरक्षा, फेक न्यूज़ तथा पूर्वाग्रह जैसे जोखिमों को दूर करने के लिये ज़ोर देता है।
लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM):
- LLM एक AI प्रोग्राम है जो भाषा को पहचानने और तैयार करने में सक्षम है। LLM को मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग का उपयोग करके विशाल डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाता है, विशेष रूप से ट्रांसफॉर्मर मॉडल पर, जो मानव मस्तिष्क की तंत्रिका संरचना की नकल करते हैं।
- LLM आमतौर पर ट्रांसफार्मर मॉडल पर निर्भर करते हैं, जिसमें एक एनकोडर और एक डिकोडर होता है। LLM को वास्तुकला, प्रशिक्षण डेटा, आकार और उपलब्धता के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
- LLM का उपयोग जेनेरिक AI कार्यों जैसे टेक्स्ट तैयार करना, कोडिंग में प्रोग्रामर की सहायता करना और भावना विश्लेषण तथा चैटबॉट जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये किया जाता है।
- वे प्राकृतिक भाषा को समझने तथा जटिल डेटा को संसाधित करने में उत्कृष्ट हैं, परंतु गलत इनपुट डेटा दिये जाने पर अविश्वसनीय जानकारी या "मतिभ्रम" प्रतिक्रियाएँ भी दे सकते हैं तथा दुरुपयोग होने पर सुरक्षा जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स;प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) |
रैपिड फायर
ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड
स्रोत: द हिंदू
एक हालिया शोध आहार में ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) और ग्लाइसेमिक लोड (GL) के महत्त्व को रेखांकित करता है, विशेषकर टाइप-2 डायबिटीज़ के बढ़ते जोखिम के संदर्भ में।
- ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) भोजन में कार्बोहाइड्रेट की 'गुणवत्ता' को मापता है।
- यह रक्त शर्करा स्तर को बढ़ाने के लिये भोजन के गुणों को संदर्भित करता है।
- तुलना के लिये, ग्लूकोज़ का GI 100 निर्धारित किया गया है तथा अन्य खाद्य पदार्थों का GI इसके प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- ग्लाइसेमिक लोड (GL), इसमें उपभोग किये गए कार्बोहाइड्रेट की मात्रा से गुणा करके प्राप्त किया जाता है।
- GL एक मापक उपकरण के रूप में कार्य करता है, जो मनुष्य द्वारा उपभोग किये गए कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पर आधारित है।
- यह अध्ययन भारत और दक्षिण एशिया के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ उच्च GI वाले सफेद चावल या गेहूँ के रूप में कार्बोहाइड्रेट की खपत अधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक मात्रा में GL वाले आहार का सेवन किया जाता है।
और पढ़ें: एरीथ्रिटोल
रैपिड फायर
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन-ID
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में केंद्र सरकार ने भारत में अंग प्रत्यारोपण से संबंधित कानूनों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की है।
- केंद्र ने राज्यों से राज्य में विदेशी नागरिकों के संबंध में प्रत्यारोपण की जाँच के लिये मानव अंग और ऊतक प्रतिरोपण अधिनियम (THOTA), 1994 के तहत उचित प्राधिकारी को निर्देश देने का आग्रह किया है।
- इसने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि जीवित-दाता और मृत-दाता दोनों के अंगों के प्रत्यारोपण हेतु दाता व प्राप्तकर्त्ता के लिये एक NOTTO (राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन- National Organ & Tissue Transplant Organisation) ID बनाया जाए।
- मृतक-दाता प्रत्यारोपण के मामले में अंगदान पर विचार करने के लिये NOTTO-ID अनिवार्य है।
- केंद्र ने निर्देश दिया है कि जीवित-दाता प्रत्यारोपण के मामले में भी यह ID प्रत्यारोपण सर्जरी होने के बाद जल्द-से-जल्द, अधिकतम 48 घंटों के भीतर तैयार की जाएगी।
- भारतीय कानून के अनुसार, देश में अंग के वाणिज्यिक व्यापार की अनुमति नहीं है।
- किसी जीवित व्यक्ति द्वारा अंगदान तभी किया जा सकता है जब वे (दाता तथा प्राप्तकर्त्ता) आपस में निकट संबंधी हों या नज़दीकी रिश्ते में हों और निस्वार्थ भाव से अंगदान करना चाहते हों।
और पढ़ें: अंग प्रत्यारोपण में सुधार
रैपिड फायर
अनिवार्य परिवर्तनीय डिबेंचर
स्रोत: पी.आई.बी.
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) ने अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (Internationa Finance Corporation- IFC) द्वारा नेपिनो ऑटो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के अनिवार्य परिवर्तनीय डिबेंचर (Compulsory Convertible Debentures-CCD) को खरीदने की मंज़ूरी दे दी है।
- एक बॉण्ड जिसे परिपक्वता पर अथवा विशिष्ट शर्तों के तहत इक्विटी में परिवर्तित किया जाना है, एक अनिवार्य परिवर्तनीय डिबेंचर (Compulsory Convertible Debenture- CCS) के रूप में जाना जाता है। यह ऋण और इक्विटी वाली सुविधाओं से लैस होता है।
- वैकल्पिक परिवर्तनीय डिबेंचरों के मामले में जहाँ निवेशक के पास परिवर्तित करने का विकल्प होता है, उसके विपरीत यहाँ रूपांतरण अनिवार्य है।
- स्टार्टअप और विकास-चरण (जब व्यवसाय लाभ कमाना शुरू कर दे) वाले व्यवसाय, जिन्हें विस्तार के लिये पूँजी की आवश्यकता होती है, लेकिन ये इक्विटी छोड़ने के लिये तैयार नहीं होते हैं, वे अक्सर CCD का उपयोग करते हैं।
- IFC एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1956 में निजी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देकर अपने विकासशील सदस्य देशों में आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिये की गई थी।
- यह विश्व बैंक समूह का सदस्य है।
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है जो प्रतिस्पर्द्धाअधिनियम, 2002 को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है, जिसका विधिवत गठन मार्च 2009 में किया गया था।
और पढ़े: भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI)
रैपिड फायर
विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन, 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
नीदरलैंड के रॉटरडैम में आयोजित प्रतिष्ठित विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन, 2024 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का भारतीय पवेलियन, विश्व के सबसे बड़े पवेलियनों में से एक है। यह हरित हाइड्रोजन में देश की उल्लेखनीय प्रगति का प्रदर्शन करने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- भारत की हरित हाइड्रोजन पहल: भारत ने जनवरी 2023 में 19,744 करोड़ रूपए के बजट के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) प्रारंभ किया।
- इस मिशन का लक्ष्य 2030 तक 5 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता प्राप्त करना है। अभी तक, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 412,000 टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता तथा 1,500 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण क्षमता की स्थापना हेतु निविदाएँ प्रदान की हैं।
- NGHM के अंतर्गत भारत में हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लक्ष्य एवं चरणों के विषय में सूचना प्रदान करने के लिये एक समर्पित पोर्टल प्रारंभ किया गया था।
- भारत ने इस्पात, परिवहन और शिपिंग क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग के लिये योजना के दिशानिर्देश भी जारी किये हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने भारत में नवाचार को बढ़ावा देने तथा हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिये हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर की शुरुआत की है।
रैपिड फायर
वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट, 2024
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) द्वारा वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट, 2024 लॉन्च की गई, जिसमें वैश्विक प्रवासन पैटर्न में महत्त्वपूर्ण बदलावों का खुलासा किया गया। विश्व प्रवासन रिपोर्ट, IOM की द्विवार्षिक जारी की जाने वाली प्रमुख रिपोर्ट है।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि मेक्सिको, चीन, फिलीपींस और फ्राँस शीर्ष पाँच प्रेषण प्राप्तकर्त्ता देशों में भारत के अतिरिक्त अन्य चार देश थे तथा भारत वर्ष 2010, 2015, 2020 व 2022 में प्रेषण प्राप्त करने वाला शीर्ष देश था।
- वर्ष 2000 और 2022 के बीच अंतर्राष्ट्रीय प्रेषण 650% बढ़कर 128 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 831 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया, जिसमें भारत को वर्ष 2022 में सबसे अधिक 111 बिलियन अमरीकी डॉलर का प्रेषण प्राप्त हुआ, इसके बाद मेक्सिको का स्थान रहा।
- कुल प्रेषण में से 647 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रवासियों द्वारा निम्न और मध्यम आय वाले देशों में भेजे गए थे।
- कई दक्षिण एशियाई लोगों के लिये आय के एक महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में काम करने वाले प्रेषण के बावज़ूद, क्षेत्र के प्रवासी श्रमिक विभिन्न चुनौतियों के प्रति संवेदनशील बने हुए हैं।
- इन चुनौतियों में वित्तीय शोषण, प्रवासन लागत के कारण अत्यधिक ऋण, ज़ेनोफोबिया (विदेशियों के प्रति शत्रुता) और कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार शामिल हैं।
- वर्ष 2022 के अंत तक विस्थापित लोगों की संख्या 117 मिलियन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गई।
- संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों में बड़े प्रवासी के साथ, भारत विश्व में सबसे बड़ी संख्या में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों (लगभग 18 मिलियन) का मूल स्थान है।
- रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पुरुषों की तुलना में महिला अप्रवासियों की हिस्सेदारी थोड़ी अधिक है। पुरुष प्रवासियों के उल्लेखनीय उच्च अनुपात वाले देशों में भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान शामिल हैं।
- खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देश निर्माण, आतिथ्य, सुरक्षा, घरेलू कार्य और खुदरा क्षेत्रों में कार्यरत प्रवासी श्रमिकों, विशेष रूप से भारत, मिस्र, बांग्लादेश, इथियोपिया व केन्या से आने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिये महत्त्वपूर्ण गंतव्य बने हुए हैं।
और पढ़ें: प्रेषण अंतर्वाह, अंतर्राष्ट्रीय माइग्रेशन आउटलुक 2023