शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देश
- 17 Feb 2023
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देश, राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन, मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 मेन्स के लिये:अंग दान को बढ़ावा देने की आवश्यकता |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है, अब 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग प्रत्यारोपण के लिये मृत दाताओं से अंग प्राप्त कर सकते हैं।
- मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 मानव अंगों को अलग करने तथा इनके भंडारण के लिये विभिन्न नियम निर्धारित करता है। मानव अंगों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगाने के लिये यह चिकित्सीय उपयोग हेतु मानव अंगों के प्रत्यारोपण को विनियमित करता है।
नए दिशा-निर्देशों की प्रमुख बातें:
- उम्र सीमा हटाई गई:
- अधिक अवधि तक के जीवन के उद्देश्य से ऊपरी आयु सीमा को हटा दिया गया है।
- इससे पहले NOTTO (नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइज़ेशन) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, 65 वर्ष से अधिक आयु के अंतिम चरण के अंग विफलता रोगी अंग प्राप्त करने के लिये पंजीकरण करने हेतु प्रतिबंधित थे।
- अधिक अवधि तक के जीवन के उद्देश्य से ऊपरी आयु सीमा को हटा दिया गया है।
- डोमिसाइल/अधिवास की कोई आवश्यकता नहीं:
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 'वन नेशन, वन पॉलिसी' के तहत किसी विशेष राज्य में अंग प्राप्तकर्त्ता के रूप में पंजीकरण के लिये डोमिसाइल/अधिवास की अनिवार्यता को हटा दिया है।
- अब कोई ज़रूरतमंद मरीज़ अपनी पसंद के किसी भी राज्य में अंग प्राप्त करने के लिये पंजीकरण करा सकता है और वहाँ सर्जरी भी करवा सकेगा।
- पंजीकरण हेतु कोई शुल्क नहीं:
- केंद्र ने ऐसे पंजीकरण हेतु शुल्क लेने वाले राज्यों से कहा है कि वे ऐसा न करें।
- पंजीकरण के लिये शुल्क लेने वाले राज्यों में गुजरात, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल शामिल हैं।
- कुछ राज्यों में अंग प्राप्तकर्त्ता प्रतीक्षा सूची वाले मरीज़ से पंजीकृत करने के लिये 5,000 रुपए से 10,000 रुपए तक मांग की जाती है।
नोट:
- NOTTO की स्थापना नई दिल्ली में स्थित स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत की गई है।
- NOTTO का राष्ट्रीय नेटवर्क प्रभाग देश में अंगों एवं ऊतकों के दान और प्रत्यारोपण के लिये खरीद, वितरण और पंजीकरण हेतु अखिल भारतीय गतिविधियों के शीर्ष केंद्र के रूप में कार्य करता है।
नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य:
- केंद्र प्रत्यारोपण के लिये एक राष्ट्रीय नीति बनाने की दिशा में मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 के नियमों में बदलाव करने की योजना बना रहा है।
- वर्तमान में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नियम हैं; केंद्र सरकार नियमों में बदलाव पर विचार कर रही है ताकि देश भर के सभी राज्यों में एक मानक मानदंड का पालन किया जा सके।
- हालाँकि स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है, इस कारण केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियम राज्यों पर बाध्यकारी नहीं होंगे।
- इन कदमों का उद्देश्य मानव अंगों की प्राप्ति हेतु सुधार और अधिक न्यायसंगत पहुँच के साथ-साथ शव दान को बढ़ावा देना है, जो वर्तमान में भारत में किये गए सभी अंग प्रत्यारोपणों के नगण्य हिस्से के बराबर है।
भारत में अंग प्रत्यारोपण का परिदृश्य:
- अंगों के प्रत्यारोपण के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर है।
- वर्ष 2022 में सभी प्रत्यारोपणों में मृतक दाताओं के अंग लगभग 17.8% थे।
- मृतक अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या वर्ष 2013 में 837 से बढ़कर वर्ष 2022 में 2,765 हो गई।
- अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या- मृतक और जीवित दाताओं दोनों के अंगों के साथ वर्ष 2013 के 4,990 से बढ़कर वर्ष 2022 में 15,561 हो गई।
- हर साल अनुमानतः 1.5-2 लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है।
- वर्ष 2022 में लगभग 10,000 पर केवल एक व्यक्ति को मानव अंग की प्राप्ति हुई। जिन 80,000 लोगों को लीवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी, उनमें से 3,000 से भी कम लोगों को वर्ष 2022 में एक मानव अंग प्राप्त हो सका।
- वर्ष 2022 में 10,000 लोगों में से केवल 250 का ही हृदय प्रत्यारोपण हो पाया।
आगे की राह
- अंगदान को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण पहल है क्योंकि यह जीवन को बचा सकता है और पूरे समाज को लाभान्वित कर सकता है।
- साथ ही जागरूकता बढ़ाकर, जनता को शिक्षित करके और दान प्रक्रिया में सुधार करके, हम अंग एवं ऊतक दान को अधिक सुलभ बना सकते हैं तथा संभावित दाताओं की संख्या बढ़ा सकते हैं।
- दान किये गए अंगों को गरीबों हेतु अधिक सुलभ बनाने के लिये सार्वजनिक अस्पतालों को प्रत्यारोपण करने हेतु अपनी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार के साथ गरीबों को उचित उपचार प्रदान करना चाहिये।
- यह सुझाव दिया जाता है कि क्रॉस-सब्सिडी से कमज़ोर वर्ग तक पहुँच बढ़ेगी। प्रत्येक 3 या 4 प्रत्यारोपण के लिये निजी अस्पतालों को आबादी के उस हिस्से का नि:शुल्क प्रत्यारोपण करना चाहिये जो अधिकांश अंग दान करते हैं।