भारतीय अर्थव्यवस्था
प्रेषण अंतर्वाह
- 20 Jun 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व बैंक, प्रेषण, विदेशी मुद्रा, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, खाड़ी सहयोग परिषद, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, ई-कॉमर्स मेन्स के लिये:विश्व भर में प्रेषण पैटर्न, भारत में प्रेषण प्रवाह को प्रभावित करने वाले कारक |
चर्चा में क्यों?
विश्व बैंक के नवीनतम माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ के अनुसार, भारत में वर्ष 2022 में कुल प्रेषण 111 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रूप में रिकॉर्ड-उच्च स्तर पर था, परंतु वर्ष 2023 में प्रेषण प्रवाह में केवल 0.2% की न्यूनतम वृद्धि होने का अनुमान है।
- इसका मुख्य कारण OECD की अर्थव्यवस्था में विशेष रूप से उच्च तकनीक क्षेत्र की धीमी वृद्धि है और साथ ही GCC देशों में प्रवासियों की कम मांग का भी इसमें योगदान है।
- कुल मिलाकर देखें तो प्रेषण वृद्धि में विश्व स्तर पर धीमापन आने का अनुमान है, जिसमें विकास के मामले में दक्षिण एशिया का स्थान लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों के बाद आएगा।
प्रेषण:
- प्रेषण एक प्रकार का धन अंतरण हैं जो प्रवासियों द्वारा अपने देश में परिवारों और दोस्तों को भेजा जाता है।
- यह कई विकासशील देशों, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में आय और विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख स्रोत है।
- गरीबी कम करने, जीवन स्तर में सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तथा आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में प्रेषण काफी मदद कर सकता है।
विश्व भर में प्रेषण पैटर्न:
- वर्ष 2022 में शीर्ष पाँच प्रेषण प्राप्तकर्त्ता देश “भारत, मैक्सिको, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान” थे।
- वर्ष 2023 में निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में प्रेषण प्रवाह 1.4% तक सीमित रहने का अनुमान है जिसमें कुल प्रवाह 656 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
- पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में तंग मौद्रिक रुख, सीमित राजकोषीय पूंजी तथा भू-राजनीतिक घटनाओं के चलते उत्पन्न वैश्विक अनिश्चितता के कारण प्रेषण वृद्धि में गिरावट देखी जा सकती है।
- यूक्रेन और रूस में कमज़ोर प्रवाह, रूसी रूबल का मूल्यह्रास तथा उच्च आधार प्रभाव से प्रभावित होने के कारण यूरोप तथा मध्य एशिया में प्रेषण 1% बढ़ने की उम्मीद है।
- मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में प्रेषण की स्थिति में तेल की कीमतों में गिरावट के साथ सुधार हो सकता है, विशेष रूप से मिस्र जैसे देशों में।
- वर्ष 2023 में पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ उप-सहारा अफ्रीका के लिये प्रेषण वृद्धि दर लगभग 1% होने का अनुमान है।
- प्रेषण प्रवाह ने ताजिकिस्तान, टोंगा, लेबनान, समोआ और किर्गिज़ गणराज्य जैसे देशों में चालू खाते एवं राजकोषीय कमी के वित्तपोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में प्रेषण प्रवाह को प्रभावित करने वाले कारक:
- भारत के लिये प्रेषण के शीर्ष स्रोत:
- भारत के प्रेषण का लगभग 36% तीन उच्च आय वाले देशों क्रमशः अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर में उच्च कुशल भारतीय प्रवासियों से प्राप्त होता है।
- महामारी के बाद की रिकवरी ने इन क्षेत्रों में एक तंग श्रम बाज़ार का नेतृत्व किया है जिसके परिणामस्वरूप वेतन वृद्धि हुई जिसने प्रेषण को बढ़ावा दिया।
- अन्य उच्च आय वाले देशों में ऊर्जा की उच्च कीमतें और खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाया गया जैसे कि खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) में, जिस कारण भारतीय प्रवासियों को अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों का लाभ हुआ तथा प्रेषण प्रवाह में वृद्धि हुई।
- भारत में प्रेषण प्रवाह को प्रभावित करने वाले कारक:
- OECD अर्थव्यवस्थाओं में धीमी वृद्धि: आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) 38 उच्च आय वाले लोकतांत्रिक देशों का समूह है। ये देश उच्च-कुशल एवं उच्च तकनीक वाले भारतीय प्रवासियों के लिये प्रमुख गंतव्य हैं, जहाँ से भारत अपने प्रेषण का लगभग 36% हिस्सा प्राप्त करता है ।
- विश्व बैंक को उम्मीद है कि इन अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि वर्ष 2022 के 3.1% से घटकर वर्ष 2023 में 2.1% और वर्ष 2024 में 2.4% हो जाएगी।
- यह IT कर्मचारियों की मांग को प्रभावित कर सकता है और अनौपचारिक मनी ट्रांसफर चैनलों की ओर औपचारिक विप्रेषण का मार्ग बदल सकता है।
- विश्व बैंक को उम्मीद है कि इन अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि वर्ष 2022 के 3.1% से घटकर वर्ष 2023 में 2.1% और वर्ष 2024 में 2.4% हो जाएगी।
- GCC देशों में प्रवासियों की कम मांग: GCC छह मध्य पूर्वी देशों- सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान का एक राजनीतिक एवं आर्थिक गठबंधन है।
- ये देश कम कुशल दक्षिण एशियाई प्रवासियों के लिये सबसे बड़े गंतव्य हैं, यहाँ से भारत के प्रेषण का लगभग 28% हिस्सा प्राप्त होता है।
- विश्व बैंक को उम्मीद है कि इन देशों की वृद्धि वर्ष 2022 के 5.3% से धीमी होकर वर्ष 2023 में 3% और वर्ष 2024 में 2.9% हो जाएगी।
- यह मुख्य रूप से तेल की कीमतों में गिरावट के कारण है, जिसने उनके राजकोषीय राजस्व और सार्वजनिक व्यय को प्रभावित किया है।
- OECD अर्थव्यवस्थाओं में धीमी वृद्धि: आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) 38 उच्च आय वाले लोकतांत्रिक देशों का समूह है। ये देश उच्च-कुशल एवं उच्च तकनीक वाले भारतीय प्रवासियों के लिये प्रमुख गंतव्य हैं, जहाँ से भारत अपने प्रेषण का लगभग 36% हिस्सा प्राप्त करता है ।
भारत में प्रेषण प्रवाह को बढ़ाने के तरीके:
- एकीकृत भुगतान इंटरफेस: UPI रीयल-टाइम फंड ट्रांसफर को सक्षम कर सकता है, जिससे रेमिटेंस को तुरंत भेजा और प्राप्त किया जा सकता है। यह पारंपरिक प्रेषण विधियों से जुड़े लंबे प्रसंस्करण समय की आवश्यकता को समाप्त करता है, जिसमें धन को प्राप्तकर्त्ताओं तक त्वरित रूप से पहुँचाया जाता है।
- जनवरी 2023 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI) ने 10 देशों में रहने वाले NRI को अपने अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करके UPI का उपयोग करने की अनुमति दी।
- इन 10 देशों में सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हॉन्गकॉन्ग, ओमान, कतर, संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) संचालित जोखिम मूल्यांकन: भारत लेन-देन स्वरूप का विश्लेषण करने, संभावित धोखाधड़ी का पता लगाने और प्रेषण हस्तांतरण संबंधी जोखिम कारकों का आकलन करने हेतु AI एल्गोरिदम का उपयोग कर सकता है।
- यह दृष्टिकोण सुरक्षा को बढ़ा सकता है, अवैध गतिविधियों को रोकने में मदद कर सकता है और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कर सकता है।
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ एकीकरण: भारत प्रेषण सेवाओं को सीधे अपने प्लेटफॉर्म में एकीकृत करने हेतु ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ सहयोग कर सकता है।
- यह प्राप्तकर्त्ताओं को ऑनलाइन खरीद या बिल भुगतान हेतु प्रेषण निधियों का उपयोग करने, वित्तीय समावेशन को बढ़ाने और प्रेषण उपयोग के दायरे का विस्तार करने में सक्षम बनाता है।