अंतर्राष्ट्रीय संबंध
मध्य एशिया में चीन की पहुँच
- 24 Apr 2023
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:C+C5, बौद्ध धर्म, सिल्क रूट, SCO, रूस-यूक्रेन, CSTO मेन्स के लिये:मध्य एशिया में चीन की पहुँच और भारत का रुख |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चीन ने C+C5 समूह की बैठक आयोजित की जिसमें चीन और पाँच मध्य एशियाई गणराज्यों अर्थात् उज़्बेकिस्तान, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिज़स्तान ने भाग लिया।
- यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से राजनयिक संबंधों की शृंखला में इन देशों के साथ चीन का यह नवीनतम आयोजन था।
चीन-मध्य एशिया संबंध:
- C+C5:
- जनवरी 2022 में आयोजित पहले C+C5 शिखर सम्मेलन में चीन और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 30वीं वर्षगाँठ मनाई गई।
- इस क्षेत्र के साथ चीन के ऐतिहासिक व्यापार और सांस्कृतिक संबंध प्राचीन सिल्क रूट से जुड़े हैं।
- चीन के लिये महत्त्व:
- यह क्षेत्र चीन को सस्ते निर्यात हेतु एक बाज़ार तथा यूरोप एवं पश्चिम एशिया के बाज़ारों तक ज़मीनी पहुँच प्रदान करता है।
- मध्य एशिया संसाधन संपन्न है, जिसमें गैस, तेल तथा यूरेनियम, ताँबा तथा सोने जैसे सामरिक खनिजों के बड़े पैमाने पर भंडार हैं।
- चीन ने झिंजियांग स्वायत्त क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिये इन देशों के साथ अपने संबंधों को भी प्राथमिकता दी है, जो मध्य एशिया के साथ अपनी सीमा बनाता है।
- BRI और निवेश:
- चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से मध्य एशिया में भारी निवेश कर रहा है, जिसमें तेल तथा गैस, परिवहन, डिजिटल प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा परियोजनाएँ शामिल हैं।
- चीनी निवेश ने इस क्षेत्र में आर्थिक विकास के अवसर प्रदान किये हैं, झिंजियांग में मुसलमानों के साथ उसके व्यवहार और उसकी बढ़ती उपस्थिति एवं भूमि अधिग्रहण संबंधी चिंताओं की वजह से भी चीन के प्रति असंतोष देखा गया है।
- इसके बावजूद मध्य एशियाई देशों की सरकारें अपने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ चीन के व्यवहार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अभियानों में शामिल नहीं हुई हैं।
- चीन अब इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, इस क्षेत्र के सभी देशों को परिवहन और रसद परियोजनाओं हेतु चीन के बंदरगाहों से जोड़ने के लिये बातचीत चल रही है।
रूस, चीन और पश्चिम के साथ C5 के संतुलित संबंध:
- रूस पर अत्यधिक निर्भरता:
- यह क्षेत्र रूस पर बहुत अधिक निर्भर है, जो CSTO (सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन) के माध्यम से मुख्य सुरक्षा प्रदाता भी है।
- हालाँकि CSTO की एकता कमज़ोर हो रही है और यूक्रेन संघर्ष ने मध्य एशिया के साथ रूस के सुरक्षा संबंधों के परिणामों के विषय में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- वर्ष 2022 में किर्गिज़स्तान ने एक CSTO सैन्य अभ्यास रद्द कर दिया जो पिछले वर्ष उसके क्षेत्र में आयोजित किया जाना था और पाँच मध्य एशियाई देशों में से किसी ने भी खुले तौर पर संघर्ष में रूस का पक्ष नहीं लिया।
- फिर भी रूस ने इस क्षेत्र के साथ अपना व्यापार बढ़ाया है क्योंकि वह यूरोपीय आयातों पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है।
- चीन का बढ़ता प्रभुत्त्व:
- चीन मध्य एशिया में अपना प्रभुत्त्व बढ़ा रहा है, जिससे कुछ देश अनुमान लगा रहे हैं कि बीजिंग इस क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिये यूक्रेन पर रूस के बढ़ते प्रभुत्त्व का लाभ उठा रहा है।
- जबकि रूस चीनी विस्तार को लेकर चिंतित हो सकता है, लेकिन इसका कोई स्पष्ट संकेत नहीं देखा गया।
- पश्चिम की ओर देखना:
- मध्य एशियाई देश यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित पश्चिम के साथ व्यापारिक संबंध विकसित करने की मांग कर रहे हैं।
- हालाँकि इस क्षेत्र के लैंडलॉक्ड भूगोल और सीमित परिवहन बुनियादी ढाँचे ने इस प्रयास में बाधा उत्पन्न की है।
मध्य एशिया में भारत की हिस्सेदारी:
- सांस्कृतिक और प्राचीन संबंध:
- सिल्क रूट तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 15वीं शताब्दी ईस्वी तक भारत को मध्य एशिया से जोड़ता था। बौद्ध धर्म के प्रसार-प्रचार से लेकर बॉलीवुड के स्थायी प्रभाव तक भारत ने इस क्षेत्र के साथ पुराने और गहरे सांस्कृतिक संबंध साझा किये हैं।
- सुरक्षा:
- भारत-मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पहली बैठक के लिये दिसंबर 2022 में कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के अधिकारी भारत आए।
- इस बैठक में कुछ महत्त्वपूर्ण पक्षों पर बल दिया गया, जिनमें भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच संबंध, अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति को स्थिर करना और क्षेत्रीय अखंडता को मज़बूत करना जैसे साझा हित शामिल थे।
- भारत ने ताजिकिस्तान में सैन्य ठिकानों का नवीनीकरण करके इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने का भी प्रयास किया है।
- विमानपत्तन मार्ग के परिचालित होने के बाद भारत को अपने दो प्रतिद्वंद्वियों- चीन और पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक लाभ भी प्राप्त होगा।
- ताजिकिस्तान वाखन कॉरिडोर के करीब स्थित है, जो अफगानिस्तान और चीन के साथ-साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को जोड़ता है।
- भारत-मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पहली बैठक के लिये दिसंबर 2022 में कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के अधिकारी भारत आए।
- विस्तारित नेबरहुड नीति:
- वर्ष 2022 में भारत ने अपनी "विस्तारित नेबरहुड नीति" के प्रति प्रतिबद्धता जताई जिसमें उसने भू-राजनीतिक भागीदारी और राजनयिक लक्ष्यों में विविधता लाने तथा अपने मध्य एशियाई भागीदारों को कई मोर्चों पर शामिल करने का आह्वान है।
- इसकी शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ साझेदारी और आर्थिक सहयोग हेतु नेटवर्क स्थापित करना है।
- यह नीति पड़ोसी देशों के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के भारत की प्रतिबद्धता पर केंद्रित है।
- वर्ष 2022 में भारत ने अपनी "विस्तारित नेबरहुड नीति" के प्रति प्रतिबद्धता जताई जिसमें उसने भू-राजनीतिक भागीदारी और राजनयिक लक्ष्यों में विविधता लाने तथा अपने मध्य एशियाई भागीदारों को कई मोर्चों पर शामिल करने का आह्वान है।
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO):
- एक पूर्ण सदस्य के रूप में भारत वर्ष 2017 में शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हुआ।
- शंघाई सहयोग संगठन में कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान भी शामिल हैं।
- यह समूह भारत को ताजिकिस्तान के साथ संबंधों को मज़बूत बनाते हुए अस्ताना, बिश्केक और ताशकंद के साथ सुरक्षा संबंध स्थापित करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- एक पूर्ण सदस्य के रूप में भारत वर्ष 2017 में शंघाई सहयोग संगठन में शामिल हुआ।
- कनेक्टिविटी, एक चुनौती:
- चूँकि भारत और C5 के बीच व्यापारिक संबंध हैं और ये देश मध्य एशिया के लिये एक भूमि मार्ग न होने से परेशान हैं, क्योंकि तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान एक अनिश्चित क्षेत्र है और पाकिस्तान द्वारा यहाँ से प्रवेश प्रतिबंधित है।
- ईरान का चाबहार बंदरगाह एक वैकल्पिक मार्ग हो सकता है परंतु यह अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है।
- ऐसा सुझाव है कि भारत को "हवाई मार्ग" के माध्यम से मध्य एशिया में लोगों और व्यापार के लिये कनेक्टिविटी प्रदान करनी चाहिये, जैसा कि भारत ने अफगानिस्तान के लिये किया था।
- चूँकि भारत और C5 के बीच व्यापारिक संबंध हैं और ये देश मध्य एशिया के लिये एक भूमि मार्ग न होने से परेशान हैं, क्योंकि तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान एक अनिश्चित क्षेत्र है और पाकिस्तान द्वारा यहाँ से प्रवेश प्रतिबंधित है।
आगे की राह
- भारत को विशेष रूप से भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करते हुए मध्य एशियाई राज्यों के साथ दीर्घकालिक और विश्वसनीय साझेदारी को प्राथमिकता देनी चाहिये। द्विपक्षीय संबंधों हेतु सुरक्षा को केंद्र बिंदु में रखना होगा, लेकिन भारत के लिये पारगमन, व्यापार, निवेश और लोगों के बीच मज़बूत संबंध सुनिश्चित करना आवश्यक है।
- भारत को उन कमज़ोरियों का लाभ उठाना चाहिये जो यूक्रेन पर रूस के युद्ध और अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण जैसे संकटों के कारण क्षेत्र में उजागर हुई हैं।
- आतंकवाद विरोधी संयुक्त प्रयास नई दिल्ली को एक सतत् भागीदार के रूप में स्थापित करने और विरोधियों पर करीब से नज़र रखने में मदद कर सकता है।
- हालाँकि भारत को सुरक्षा पहलू के पूरक के लिये अन्य मुद्दों पर भी काम करना चाहिये और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि भू-राजनीतिक, आर्थिक या घरेलू दबाव के चलते मध्य एशिया के साथ संबंध अतिसंवेदनशील न हों।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह विकसित करने का क्या महत्त्व है? (2017) (a) अफ्रीकी देशों से भारत के व्यापार में अपार वृद्धि होगी। उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. अनेक बाहरी शक्तियों ने अपने आपको मध्य एशिया में स्थापित कर लिया है, जो कि भारत के हित का क्षेत्र है। इस संदर्भ में भारत के अश्गाबात समझौते में शामिल होने के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018) |