भारतीय अर्थव्यवस्था
सोने की कीमतों में वृद्धि और महामारी
- 24 Jul 2020
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प्रीलिम्स के लियेब्रेटन वुड्स प्रणाली, विश्व स्वर्ण परिषद मेन्स के लियेसोने की कीमतों पर महामारी का प्रभाव, सोने में निवेश से संबंधित विभिन्न पक्ष |
चर्चा में क्यों?
सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है, हाल ही में भारत में सोने की कीमतें 50000 हज़ार रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर को भी पार कर गईं, ऐसे में यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है कि जब संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था संकुचित हो रही है तब सोने की कीमतों में बढ़ोतरी क्यों देखने को मिल रही है?
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है।
- कीमतों में बढ़ोतरी के कारण
- वर्ष 2020 की पहली छमाही में सोने (Gold) का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है और मार्च माह में इसके निचले स्तर से लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- हाल ही में लंदन में सोने का वायदा बाज़ार भाव 9 वर्ष के उच्च स्तर 1,856.60 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस (Troy Ounce) हो गया था, जो कि वर्ष 2011 के सितंबर माह में सोने के रिकॉर्ड स्तर 1,920 प्रति डॉलर औंस के करीब था।
- ध्यातव्य है कि एक ट्रॉय औंस 31.1034768 ग्राम के बराबर होता है।
- जानकारों का मानना है कि सोने की कीमत और मांग में बढ़ोतरी के मुख्य कारणों में COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई वैश्विक अनिश्चितता, डॉलर का कमज़ोर होना, ब्याज़ दर में कमी और दुनिया भर की विभिन्न सरकारों द्वारा शुरू किये गए आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज को शामिल किया जा सकता है।
- इसके अलावा कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण लगातार बढ़ती अनिश्चितता और अमेरिका तथा चीन के मध्य उत्पन्न हुए तनाव ने भी इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
- सोने के कई विश्लेषकों का मानना है कि आगामी 18-24 महीनों में सोने की कीमतें लगभग 65,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक जा सकती हैं।
- सोना: निवेश का एक सुरक्षित मार्ग
- भारत में शादी जैसे सामाजिक समारोहों का एक अभिन्न अंग माना जाने वाला सोना पारंपरिक रूप से मुद्रास्फीति के विरुद्ध बचाव के रूप में उपयोग किया जाता रहा है और अनिश्चितता (Uncertainty) के दौरान इसे निवेशकों के लिये एक सुरक्षित मार्ग माना जाता है।
- जब भी दुनिया भर के शेयर बाज़ार, रियल एस्टेट और बॉण्ड आदि के मूल्य में गिरावट देखने को मिलता है, तो निवेशक निवेश के लिये सोने का रुख करते हैं।
- इसका मुख्य कारण है कि सोना अत्यधिक तरल (Highly Liquid) होता है और उसमें नुकसान का जोखिम काफी कम होता है। अत्यधिक तरल होने का अर्थ है कि सोने को इसकी कीमत में परिवर्तन किये बिना काफी जल्दी बेचा और खरीदा जा सकता है।
- सोने के इस मज़बूत प्रदर्शन के पीछे एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि सोने की आपूर्ति में बीते कुछ वर्षों में समय के साथ थोड़ा बदलाव आया है - पिछले कुछ वर्षों में सोने की आपूर्ति में प्रति वर्ष लगभग 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- सोने पर निवेश में प्रतिफल (Return)
- ऐतिहासिक तौर पर सोने पर किये जाने वाले निवेश पर निवेशकों को काफी अच्छा प्रतिफल प्राप्त हुए हैं।
- वर्ष 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली की समाप्ति के बाद वर्ष 1973 से अब तक सोने की कीमत में औसतन 14.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- पिछले एक वर्ष में सोने की कीमतों में तकरीबन 40 प्रतिशत का उछाल आया है, जबकि इस अवधि में सेंसेक्स (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क इंडेक्स) ने 0.41 प्रतिशत का नुकसान दर्ज किया है।
- भारत का सोना (Gold) बाज़ार
- विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council-WGC) के अनुमान के अनुसार, भारतीय घरों में लगभग 24,000-25,000 टन सोना जमा हो सकता है। इसके अलावा देश भर के विभिन्न मंदिरों में भी सोने की काफी भारी मात्रा मौजूद है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में तकरीबन 40.45 टन सोना खरीदा था, जिसके बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पास मौजूदा सोने की कुल मात्रा 653.01 टन हो गई थी।
- वर्ष 2019 में भारत में सोने की मांग 690.4 टन थी, जबकि वर्ष 2018 में यह 760.4 टन थी। गौरतलब है कि भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण वर्ष 2020 में सोने की मांग में काफी कमी आई है।
- एक अनुमान के अनुसार, भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 120-200 टन सोने की तस्करी की जाती है। सरकार ने बीते वर्ष सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था।