साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में दांडी मार्च की 94वीं वर्षगाँठ पर भारत के प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना का शिलान्यास किया।
- साबरमती आश्रम पुनर्विकास परियोजना महात्मा गांधी द्वारा स्थापित मूल साबरमती आश्रम को पुनर्स्थापित, संरक्षित और पुनर्निर्माण करने के लिये 1,200 करोड़ रुपए के परिव्यय की पहल है।
साबरमती आश्रम का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है?
- स्थापना:
- वर्ष 1917 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित, साबरमती आश्रम अहमदाबाद में जूना वडज गाँव के समीप साबरमती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है।
- गांधी ने अपने जीवनकाल में पाँच बस्तियों की स्थापना की जिनमें से दो दक्षिण अफ्रीका में (नेटाल में फीनिक्स सेटलमेंट और जोहान्सबर्ग के समीप टॉल्स्टॉय फार्म) तथा तीन भारत में स्थित हैं।
- भारत में गांधी का पहला आश्रम वर्ष 1915 में अहमदाबाद के कोचरब क्षेत्र में स्थापित किया गया था तथा अन्य साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) और सेवाग्राम आश्रम (वर्धा में स्थित) हैं।
- वर्तमान में इसका प्रबंधन साबरमती आश्रम संरक्षण और स्मारक ट्रस्ट (SAPMT) द्वारा किया जाता है।
- वर्ष 1917 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित, साबरमती आश्रम अहमदाबाद में जूना वडज गाँव के समीप साबरमती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है।
- भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका:
- आश्रम ने गांधी की सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों और सत्य के साथ मेरे प्रयोग किताब के लेखन के लिये आधार के रूप में कार्य किया।
- यह दांडी मार्च 1930 सहित कई मौलिक आंदोलनों की शुरुआत का साक्षी बना।
- दांडी मार्च के अलावा गांधीजी ने चंपारण सत्याग्रह (1917), अहमदाबाद मिलों की हड़ताल और खेड़ा सत्याग्रह (1918), खादी आंदोलन (1918), रोलेट एक्ट तथा खिलाफत आंदोलन (1919), एवं असहयोग आंदोलन (1920) साबरमती में रहते हुए चलाया।
- विनोबा भावे साबरमती आश्रम में "विनोबा कुटीर" नामक कुटिया में रहते थे।
- आश्रम ने गांधी की सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों और सत्य के साथ मेरे प्रयोग किताब के लेखन के लिये आधार के रूप में कार्य किया।
- वास्तुकला और दार्शनिक महत्त्व:
- गांधीजी ने सादगी, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक जीवन को मूर्त रूप देते हुए आश्रम को स्वयं डिज़ाइन किया था।
- विरासत और प्रतीकवाद:
- साबरमती आश्रम गांधी की स्थायी विरासत और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
दांडी मार्च क्या है?
- उत्पत्ति:
- यह गांधीवादी दर्शन के प्रशंसकों के लिये एक तीर्थ स्थल बना हुआ है, जो उनके जीवन, शिक्षाओं और सिद्धांतों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- भारत में नमक बनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जो मुख्य रूप से किसानों द्वारा की जाती थी, जिन्हें अक्सर नमक किसान कहा जाता था।
- समय के साथ, नमक एक व्यावसायिक वस्तु बन गया और अंग्रेज़ों ने नमक पर कर लगा दिया, जिससे यह औपनिवेशिक शोषण का प्रतीक बन गया।
- महात्मा गांधी ने नमक कर को एक विशेष रूप से दमनकारी उपाय के रूप में पहचाना और इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक विरोध में जनता को संगठित करने के अवसर के रूप में देखा।
- 2 मार्च 1930 को, महात्मा गांधी ने भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्हें सविनय अवज्ञा के रूप में नमक कानून तोड़ने के अपने इरादे की जानकारी दी।
- दांडी मार्च, जिसे नमक सत्याग्रह या नमक मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आज़ादी के लिये देश की लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण क्षण था।
- दांडी मार्च:
- दांडी मार्च 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू हुआ, जिसका नेतृत्त्व महात्मा गांधी ने किया था।
- 24 दिवसीय यात्रा चार ज़िलों तक फैली और 48 गाँवों से होकर गुज़री।
- 6 अप्रैल, 1930 को गांधीजी ने दांडी के तट से एक मुट्ठी नमक उठाकर प्रतीकात्मक रूप से नमक कानून तोड़ा और ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया।
- गांधीजी ने नमक कानूनों को सामूहिक रूप से तोड़ने की शुरुआत करने के लिये 6 अप्रैल को एक प्रतीकात्मक कारण से चुना,यह राष्ट्रीय सप्ताह का पहला दिन था जो वर्ष 1919 में शुरू हुआ था,जब गांधीजी ने रोलेट एक्ट के खिलाफ राष्ट्रीय हड़ताल की योजना बनाई थी।
- दांडी मार्च 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू हुआ, जिसका नेतृत्त्व महात्मा गांधी ने किया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन अंग्रेज़ी में प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतों के अनुवाद 'सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न' से संबंधित है? (2021) (a) बाल गंगाधर तिलक उत्तर: (c) प्रश्न. भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
कटक रूपा ताराकासी को GI टैग
स्रोत: द हिंदू
प्रसिद्ध कटक रूपा तारकासी (सिल्वर फिलिग्री) को इसकी विशिष्ट विरासत और शिल्प कौशल को चिह्नित करते हुए भौगोलिक संकेत (Geographical Indication (GI) टैग प्रदान किया गया है।
- इसका इतिहास प्राचीन मेसोपोटामिया से है, जहाँ 3500 ईसा पूर्व में फिलाग्री से आभूषण सजाए जाते थे, फारस और इंडोनेशिया के रास्ते कटक तक की इसकी यात्रा समुद्री व्यापार मार्गों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
- फिलाग्री विशेष रूप से सोने, चाँदी या ताँबे के महीन तार का सजावटी काम है जिसका उपयोग मुख्य रूप से सोने और चाँदी की सतहों पर किया जाता है।
- कटक रूपा तारकासी के साथ-साथ बांग्लार मलमल (पश्चिम बंगाल), नरसापुर क्रोकेट लेस (आंध्र प्रदेश) और कच्छ रोगन शिल्प (गुजरात) जैसे अन्य शिल्पों ने भी भारत के पारंपरिक शिल्प की विविधता एवं उत्कृष्टता पर बल देते हुए GI दर्जा हासिल किया है।
- GI टैग एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक लेबल है जो यह सुनिश्चित करता है कि केवल उस क्षेत्र के अधिकृत उपयोगकर्त्ता ही उत्पाद के नाम का उपयोग कर सकते हैं।
- यह नकल से बचाता है और एक बार पंजीकृत होने के बाद 10 साल तक वैध होता है।
- उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ट्रिप्स समझौते के अनुरूप वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीयन एवं संरक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत भारत में GI पंजीकरण का प्रबंधन करता है।
और पढ़ें: भौगोलिक संकेतक
सिख समुदाय का सशक्तीकरण
स्रोत: पी.आई.बी.
सिख समुदाय के सशक्तीकरण हेतु, सिख नव वर्ष के अवसर पर, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने एक व्यापक कौशल विकास, नेतृत्व और उद्यमिता प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किया।
- यह कार्यक्रम सिख समुदाय के कल्याण के लिये स्थापित एक वैधानिक निकाय, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) के माध्यम से प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (PM विकास) योजना के अंतर्गत "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" पहल का हिस्सा है।
- यह कार्यक्रम 10,000 युवाओं और महिलाओं को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य रोज़गार प्रदान करने वाली भूमिकाओं में आधुनिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना, सिख कारीगरों को प्रोत्साहन देना, महिला नेतृत्व और उद्यमिता को बढ़ावा देना तथा स्कूल छोड़ने वाली छात्राओं के लिये शिक्षा को प्रोत्साहन प्रदान करना है।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिख समुदाय के भीतर सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों की सहायता करना और सांप्रदायिक एवं सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना है।
- इस कार्यक्रम के तहत सिख समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को संरक्षित तथा प्रोत्साहन प्रदा करने के लिये दिल्ली विश्वविद्यालय के खालसा महाविद्यालयों में अत्याधुनिक गुरुमुखी लिपि शिक्षण केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
- गुरुमुखी लिपि का विकास शारदा (Śāradā) लिपि से हुआ था जिसका उपयोग और मानकीकरण दूसरे सिख गुरु, गुरु अंगद द्वारा किया गया था।
- शारदा लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों से संबंधित है।
- मंत्रालय प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत स्टूडियो/स्मार्ट क्लासरूम विकसित करने सहित बुनियादी ढाँचा और सहायक सेवाएँ प्रदान करने में सहायता करेगा।
और पढ़ें…अल्पसंख्यक समुदायों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ, सिख धर्म
सेबी द्व्रारा धोखाधड़ी वाले ट्रेडिंग प्लेटफॉर्मों को चेतावनी
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अपने पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के साथ संबंधों का गलत दावा करने वाले भ्रामक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्मों के संबंध में एक चेतावनी बयान जारी किया है।
- वे सेबी-पंजीकृत FPI के रूप में प्रस्तुत करके स्टॉक खरीद, IPO सदस्यता के साथ-साथ अन्य "संस्थागत खाता लाभ" तक पहुँच सुनिश्चित करने के वादे के साथ लोगों को प्रोग्राम डाउनलोड करने के लिये विवश करते हैं।
- ये प्लेटफॉर्म ऑनलाइन ट्रेडिंग पाठ्यक्रम, सेमिनार एवं मेंटरशिप कार्यक्रमों के माध्यम से व्यक्तियों को लुभाते हैं, व्हाट्सएप अथवा टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लाभ उठाते हैं।
- सेबी ने स्पष्ट किया कि सेबी (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियम, 2019 में उल्लिखित सीमित अपवादों के साथ FPI मार्ग निवासी भारतीयों के लिये सुलभ नहीं है।
- इसके अतिरिक्त संस्थागत खाते के लिये कोई प्रावधान नहीं है।
- FPI में स्टॉक, बॉन्ड एवं म्यूचुअल फंड जैसी भारतीय वित्तीय संपत्तियों में विदेशी व्यक्तियों, निगमों तथा संस्थानों द्वारा किये गए वित्तीय निवेश शामिल हैं।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विपरीत, जिसमें परिसंपत्तियों का दीर्घकालिक स्वामित्व शामिल होता है, FPI मुख्य रूप से अल्पकालिक लाभ तथा पोर्टफोलियो विविधीकरण प्राप्त करने के उद्देश्य से संचालित होता है।
और पढ़ें…भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक
लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट्स
स्रोत: पी. आई. बी.
भारत रत्न प्रोफेसर सी. एन. आर. राव और उनकी टीम के एक अध्ययन ने ऐसी सटीक परमाणु पुनर्व्यवस्था (प्रेसाइज एटॉमिक रिअरेंजमेंट्स) का पता लगाया है जो परिवर्तित तापमान तथा दबाव के कारण लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट के प्रत्येक चरण के संक्रमण में होती है।
- पेरोव्स्काइट संरचना: पेरोव्स्काइट किसी भी सामग्री को संदर्भित करता है जिसमें खनिज पेरोव्स्काइट जैसी क्रिस्टल संरचना होती है। उदाहरण: लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट्स और कैल्शियम टाइटेनियम पेरोव्स्काइट्स।
- लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट उत्कृष्ट ऑप्टोइलेक्ट्रिकल गुणों का प्रदर्शन करते हैं, जिससे वे सौर कोशिकाओं के लिये आशाजनक सामग्री बन जाते हैं। हालाँकि अलग-अलग परिस्थितियों में संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण उनकी अस्थिरता (आर्द्र हवा में अपघटन) चिंता का विषय है।
- अस्थिरता के मुद्दों के बावजूद, उनकी अद्वितीय क्रिस्टलीय संरचनाओं और ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक गुणों के कारण इसमें व्यावसायिक क्षमता है।
- लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट्स की ऊर्जा रूपांतरण दक्षता वाणिज्यिक सिलिकॉन-आधारित सौर कोशिकाओं से भी अधिक हो सकती है।
- अस्थिरता को संबोधित करने से सौर कोशिकाओं, LED, एक्स-रे परिरक्षण और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में लेड आयोडाइड पेरोव्स्काइट्स का उपयोग करके अधिक कुशल नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन हो सकता है।
और पढ़ें: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों हेतु व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना
सुदूर जनजातीय गाँवों में इंटरनेट (VSAT)
हाल ही में जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र के लगभग 80 आदिवासी गाँवों के लिये पायलट आधार पर V-SAT (वेरी स्माल एपर्चर टर्मिनल) स्टेशन तैनात करने के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ सहयोग करने की योजना बनाई है।
- इस पहल का उद्देश्य भौगोलिक रूप से दूरदराज़ के आदिवासी गाँवों को इंटरनेट सेवाएँ प्रदान करना है, जो चुनौतीपूर्ण इलाके के कारण ऐतिहासिक रूप से मुश्किल रहे हैं। यह ई-गवर्नेंस की सुविधा प्रदान करेगा और दूरदराज़ के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार करेगा।
- इसके अलावा मंत्रालय ने एम्स दिल्ली, आईआईटी दिल्ली, आईआईएम कलकत्ता और आईआईएससी बेंगलुरु जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी के प्रस्तावों पर भी चर्चा की।
- एम्स दिल्ली के साथ साझेदारी में जनजातीय स्वास्थ्य मुद्दों, विशेष रूप से सिकल सेल एनीमिया पर उन्नत शोध करना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, जनजातीय छात्रों को अर्धचालक पर पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिये बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान के साथ एक प्रशिक्षण सुविधा स्थापित करने की भी योजना है।
और पढ़ें: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन