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भारतीय अर्थव्यवस्था

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अंतर्वाह

  • 26 May 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI), उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग' (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT), विश्व निवेश रिपोर्ट, बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual property rights- IPR)

मेन्स के लिये:

भारत में FDI अंतर्वाह के रुझान और प्रारूप, भारत में FDI अंतर्वाह से संबंधित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?  

मार्च 2023 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) अंतर्वाह में उल्लेखनीय गिरावट आई है।  

  • सकल FDI अंतर्वाह वित्त वर्ष 2023 में 71 अरब डॉलर रहा, जो विगत वित्त वर्ष की तुलना में 16% की गिरावट को दर्शाता है, यह विगत दशक में देश के FDI अंतर्वाह में पहली बार गिरावट को दर्शाता है।   

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): 

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किसी देश की एक फर्म या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया निवेश है।  
  •  FDI विभिन्न रूपों में हो सकता है, जैसे शेयर प्राप्त करना, सहायक या संयुक्त उद्यम स्थापित करना अथवा ऋण या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण।
    • FDI को आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक माना जाता है, क्योंकि यह मेज़बान देश के लिये पूंजी, प्रौद्योगिकी, कौशल, बाज़ार पहुँच एवं रोज़गार के अवसर प्रदान कर सकता है।

भारत में FDI अंतर्वाह के रुझान एवं प्रारूप:

  • परिचय:  
    • भारत अपने विशाल एवं बढ़ते घरेलू बाज़ार, अनुकूल जनसांख्यिकी, राजनीतिक स्थिरता, उदार नीतिगत ढाँचे तथा उन्नत  ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस के कारण हाल के वर्षों में FDI अंतर्वाह के सबसे आकर्षक स्थलों में से एक रहा है
    • उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के अनुसार, भारत का सकल FDI अंतर्वाह अप्रैल 2000- जून 2022 के बीच 871.01 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
    • विश्व निवेश रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत वर्ष 2021 हेतु शीर्ष 20 मेज़बान अर्थव्यवस्थाओं में 7वें स्थान पर है।
      • वित्त वर्ष 2022 में भारत को सेवा क्षेत्र में 7.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर FDI इक्विटी अंतर्वाह सहित कुल 84.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का उच्चतम FDI अंतर्वाह प्राप्त हुआ।

  • वित्त वर्ष 2021-22 में देशवार FDI इक्विटी अंतर्वाह: 
    • सिंगापुर (27.01%), संयुक्त राज्य अमेरिका (17.94%), मॉरीशस (15.98%), नीदरलैंड (7.86%) और स्विट्ज़रलैंड (7.31%) FDI इक्विटी अंतर्वाह हेतु शीर्ष 5 देशों के रूप में उभरे हैं।

भारत में FDI प्रवाह से संबंधित चुनौतियाँ:

  • कराधान और विनियामक अनुपालन: हाल के वर्षों में भारत की कर व्यवस्था में कई सुधार हुए हैं, लेकिन जटिलताएँ और अनिश्चितताएँ अभी भी मौजूद हैं।
    • कर कानूनों में बार-बार बदलाव, कराधान के विभिन्न स्तर और कर आकलन पर विवाद, अनुपालन और कर योजना के संदर्भ में विदेशी निवेशकों के लिये चुनौतियाँ पैदा करते हैं।
  • अन्य उभरते बाज़ारों से प्रतिस्पर्द्धा: FDI आकर्षित करने में भारत को अन्य उभरते बाज़ारों जैसे चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया से प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है।
    • ये देश प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ प्रदान करते हैं, जिसमें उत्पादन की कम लागत, बेहतर बुनियादी ढाँचा और अधिक निवेशक-अनुकूल नीतियाँ शामिल हैं।
  • अवसंरचना घाटा: बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये चल रहे प्रयासों के बावजूद भारत अभी भी परिवहन, रसद, बिजली और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण अंतराल का सामना कर रहा है।
    • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा व्यापार सुगमता को बाधित करता है और विदेशी निवेशकों के लिये परिचालन लागत बढ़ाता है।

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के अंतर्वाह को बढ़ाने के उपाय:

  • नियामक प्रक्रियाओं को सरल और कारगर बनाना: भारत लाइसेंसिग, परमिट और अनुमोदन सहित अपनी नियामक प्रक्रियाओं को अधिक सरल और कारगर बना सकता है। सिंगल-विंडो क्लीयरेंस सिस्टम या नियामक अनुपालन हेतु एक डिजिटल प्लेटफॉर्म को कार्यान्वित करने से लालफीताशाही कम हो सकती है जिससे व्यापार करने में आसानी होगी।
  • अवसंरचना विकास में सुधार: परिवहन, रसद, विद्युत और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों के विकास पर पर्याप्त ध्यान देने की आवश्यकता है। 
    • विश्व स्तरीय अवसंरचना सुविधाओं और औद्योगिक समूहों का विकास कुशल और सुव्यवस्थित व्यापारिक वातावरण की तलाश करने वाले विदेशी निवेशकों को आकर्षित करेगा। 
  • निवेशक सुरक्षा तंत्र में वृद्धि: बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) का सख्त प्रवर्तन, अनुबंध प्रवर्तन और विवाद समाधान तंत्र सहित निवेशक सुरक्षा तंत्र को मज़बूत करने से विदेशी निवेशकों में विश्वास पैदा होगा।
    • इसे न्यायिक सुधारों, विशेष वाणिज्यिक न्यायालयों और वैकल्पिक विवाद समाधान विधियों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
  • क्षेत्र-विशिष्ट निवेश नीतियों को बढ़ावा देना: विनिर्माण, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल, प्रौद्योगिकी और ई-कॉमर्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में FDI को आकर्षित करने के लिये क्षेत्र-विशिष्ट निवेश नीतियाँ और प्रोत्साहन को सुविन्यासित करने की आवश्यकता है। 
    • प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अनुकूल नीतियाँ विदेशी निवेशकों को उन क्षेत्रों में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित कर सकती हैं। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी उसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है? (2020) 

(a) यह मूलत: किसी सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों द्वारा किया जाने वाला निवेश है।
(b) यह मुख्यत: ऋण सृजित न करने वाला पूंजी प्रवाह है।
(c) यह ऐसा निवेश है जिससे ऋण-समाशोधन अपेक्षित होता है।
(d) यह विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में किया जाने वाला निवेश है।

उत्तर: (b) 


प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2021)  

  1. विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्ड
  2. कुछ शर्तों के साथ विदेशी संस्थागत निवेश 
  3. वैश्विक डिपॉज़िटरी रसीदें 
  4. अनिवासी बाहरी जमा

उपर्युक्त में से किसको प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में शामिल किया जा सकता है?

(a) केवल 1, 2 और 3  
(b) केवल 3 
(c) केवल 2 और 4  
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (a) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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