भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में परिवर्तन
- 17 Jan 2024
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:विदेशी पोर्टफोलियो निवेश, दोहरा कराधान परिहार समझौता, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, अभिरक्षाधीन आस्तियाँ, पूंजी बाज़ार मेन्स के लिये:FDI और FPI में अंतर, FPI से संबंधित जोखिम |
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
भारत में किये जाने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign portfolio investments- FPI) में विभिन्न क्षेत्रों के बीच वरीयता क्रम में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन देखा गया है।
- इस परिवर्तन का श्रेय विभिन्न कारकों को दिया जाता है, जिनमें नियामक परिवर्तन, भू-राजनीतिक घटनाएँ और रणनीतिक गठबंधन शामिल हैं।
भारत के FPI परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन कौन-से हैं?
- लक्ज़मबर्ग का प्रभुत्व:
- मॉरीशस को पीछे छोड़ लक्ज़मबर्ग अब भारत में FPI के मामले में तीसरे स्थान पर है। जिसकी अभिराक्षधीन आस्तियाँ (Assets Under Custody- AUC) 30% बढ़कर ₹4.85 लाख करोड़ हो गई।
- विश्व स्तर पर इसकी इक्विटी आस्तियाँ अब संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।
- इस वृद्धि का श्रेय भारत-यूरोप के बीच बेहतर संबंधों को दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप तीन वित्तीय समझौते संपन्न हुए।
- लक्ज़मबर्ग यूरोप (UK के अतिरिक्त) में 3,000 में से 1,400 से अधिक FPI खातों की मेज़बानी करता है।
- विशेष रूप से GIFT सिटी के साथ सहयोग ने भारत तथा लक्ज़मबर्ग के बीच वित्तीय संबंधों को और सुदृढ़ किया है।
- मॉरीशस को पीछे छोड़ लक्ज़मबर्ग अब भारत में FPI के मामले में तीसरे स्थान पर है। जिसकी अभिराक्षधीन आस्तियाँ (Assets Under Custody- AUC) 30% बढ़कर ₹4.85 लाख करोड़ हो गई।
- फ्राँस की उल्लेखनीय उपलब्धि:
- AUC में 74% की उल्लेखनीय वृद्धि (₹1.88 लाख करोड़) के साथ फ्राँस शीर्ष दस FPI में पहुँच गया है।
- यह वृद्धि भारत और फ्राँस के बीच दोहरे कराधान परिहार समझौता (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) के तहत अनुकूल कर प्रावधानों से प्रेरित है।
- परिवर्तित परिदृश्य में अन्य देश:
- आयरलैंड की कर दक्षता तथा वैश्विक पहुँच जो विनियमित निधियों को आय एवं लाभ पर आयरिश कर से छूट प्रदान करता है, इसे आकर्षक बनाती है।
- आयरलैंड तथा नॉर्वे अपने स्थान में एक-एक स्तर की पदोन्नति के साथ अब FPI देशों में 5वें एवं 7वें स्थान पर हैं।
- इसके अलावा AUC में साल-दर-साल 19% की वृद्धि के बावजूद, कनाडा रैंकिंग में एक स्थान नीचे गिर गया। भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव का निवेश पर प्रभाव अनिश्चित बना हुआ है।
- आयरलैंड की कर दक्षता तथा वैश्विक पहुँच जो विनियमित निधियों को आय एवं लाभ पर आयरिश कर से छूट प्रदान करता है, इसे आकर्षक बनाती है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश क्या है?
- परिचय:
- FPI का तात्पर्य भारत की वित्तीय परिसंपत्तियों, जैसे- स्टॉक, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड में विदेशी व्यक्तियों, निगमों तथा संस्थानों द्वारा किये गए निवेश से है।
- ये निवेश मुख्य रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के विपरीत अल्पकालिक लाभ और पोर्टफोलियो विविधीकरण के उद्देश्य से होते हैं, जिसमें परिसंपत्तियों का दीर्घकालिक स्वामित्व शामिल होता है।
- FPI का तात्पर्य भारत की वित्तीय परिसंपत्तियों, जैसे- स्टॉक, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड में विदेशी व्यक्तियों, निगमों तथा संस्थानों द्वारा किये गए निवेश से है।
- लाभ:
- पूंजी प्रवाह: FPI के परिणामस्वरूप भारतीय वित्तीय बाज़ारों में विदेशी पूंजी का प्रवाह होता है, जो तरलता और पूंजी उपलब्धता में वृद्धि में योगदान देता है।
- शेयर बाज़ार में वृद्धि: बढ़ी हुई FPI शेयर बाज़ार पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे उच्च मूल्यांकन और निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: FPI में अक्सर प्रौद्योगिकी-उन्मुख क्षेत्रों में निवेश शामिल होता है, जिससे प्रेरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विभिन्न उद्योगों में प्रगति होती है।
- वैश्विक एकीकरण: FPI वित्तीय बाज़ारों के वैश्विक एकीकरण को बढ़ावा देता है, जिससे भारतीय बाज़ार वैश्विक रुझानों के साथ जुड़ सकते हैं और विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकते हैं।
- जोखिम:
- बाज़ार की अस्थिरता और पूंजी उड़ान: FPI प्रवाह अस्थिर हो सकता है, जो वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक कारकों से प्रेरित है।
- अचानक प्रवाह या बहिर्वाह से बाज़ार में अस्थिरता और मुद्रा में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे घरेलू निवेशकों तथा अर्थव्यवस्था दोनों को नुकसान हो सकता है।
- लाभकारी स्वामियों की पारदर्शिता और पहचान: जटिल FPI संरचनाओं के अंतिम लाभार्थियों की पहचान करना नियामकों के लिये चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे धन के संभावित दुरुपयोग और कर चोरी के बारे में चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
- बाज़ार की अस्थिरता और पूंजी उड़ान: FPI प्रवाह अस्थिर हो सकता है, जो वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक कारकों से प्रेरित है।
- अभिरक्षा में संपत्ति: AUC वित्तीय परिसंपत्तियों के कुल मूल्य को संदर्भित करता है जो एक संरक्षक अपने ग्राहकों के लिये प्रबंधित करता है। यह FPI द्वारा रखी गई सभी इक्विटी के समापन बाज़ार मूल्य को भी संदर्भित कर सकता है।
- पेकिंग ऑर्डर (Pecking Order): FPI के संदर्भ में पेकिंग ऑर्डर उन क्षेत्रों या देशों की रैंकिंग या पदानुक्रम को संदर्भित करता है जहाँ से विदेशी निवेशक एक लक्षित देश विशेष रूप से इस मामले में, भारत में निवेश करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मदसमूह सम्मिलित है? (2013) (a) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विशेष आहरण अधिकार (SDR) तथा विदेशों से ऋण उत्तर: (b) Q. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी उसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है? (2020) (a) यह मूलतः किसी सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों द्वारा किया जाने वाला निवेश है। उत्तर: (b) मेन्स:Q. भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में FDI की आवश्यकता की पुष्टि कीजिये। हस्ताक्षरित समझौता-ज्ञापनों तथा वास्तविक FDI के बीच अंतर क्यों है? भारत में वास्तविक FDI को बढ़ाने के लिये सुधारात्मक कदम सुझाइये। (2016) Q. रक्षा क्षेत्रक में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को अब उदारीकृत करने की तैयारी है। भारत की रक्षा और अर्थव्यवस्था पर अल्पकाल तथा दीर्घकाल में इसके क्या प्रभाव अपेक्षित हैं? (2014) |