बॉम्बे ब्लड ग्रुप
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
भारत में दुर्लभ 'बॉम्बे' (hh) ब्लड ग्रुप वाली एक महिला का सफल किडनी प्रत्यारोपण किया गया।
बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या है?
- बॉम्बे ब्लड ग्रुप या रक्त समूह: इसकी पहचान वर्ष 1952 में मुंबई में की गई थी, जिसे एच एंटीजन की अनुपस्थिति के कारण hh रक्त समूह भी कहा जाता है।
- एंटीजन रक्त कोशिकाओं (RBC, WBC और प्लेटलेट्स) पर मौजूद प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो रक्त के प्रकार को निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिये AB रक्त समूह में A और B दोनों एंटीजन होते हैं, A में A एंटीजन होते हैं, B में B एंटीजन होते हैं तथा O में कोई भी नहीं होता है।
- बॉम्बे ब्लड ग्रुप में, उत्परिवर्तित या अनुपस्थित h एंटीजन जीन A, B, या O एंटीजन गठन को रोकता है।
- दुर्लभता: यह अत्यंत दुर्लभ है, जो लगभग 10,000 भारतीयों में से 1 तथा विश्वभर में दस लाख लोगों में से 1 में पाया जाता है।
- रक्त आधान में समस्याएँ: hh रक्त समूह वाले व्यक्तियों को A, B, या O रक्त (O-नेगेटिव सहित) नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उनमें h एंटीजन होता है।
- प्राप्तकर्त्ता की प्रतिरक्षा प्रणाली दाता प्रतिजनों को विदेशी (एंटीबॉडी) के रूप में पहचानती है, और एक गंभीर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करती है।
- ब्लड ग्रुप या रक्त समूह: ABO रक्त समूह प्रणाली के तहत, रक्त समूहों को चार सामान्य रक्त समूहों यानी A, B, AB और O में वर्गीकृत किया जाता है।
- इसकी पहचान सर्वप्रथम ऑस्ट्रियाई प्रतिरक्षा विज्ञानी कार्ल लैंडस्टीनर ने वर्ष 1901 में की थी।
- क्रॉस-ब्लड ट्रांसप्लांट्स: क्रॉस-ब्लड ट्रांसप्लांट्स (दाता और प्राप्तकर्त्ता के रक्त समूह अलग-अलग होते हैं) में रक्त आधान के लिये डबल फिल्ट्रेशन प्लास्मफेरेसिस (DFPP) प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।
- DFPP में, सुरक्षित आधान (प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबाने) के लिये विशेष फिल्टर का उपयोग करके, प्राप्तकर्त्ता (रोगी) के रक्त से एंटीबॉडी को हटा दिया जाता है।
- यदि प्राप्तकर्त्ता के एंटीबॉडी को हटाया नहीं जाता है, तो वे रक्ताधान के बाद हेमोलिसिस (दाता RBC का विनाश) का कारण बन सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:Q. एक विवाहित दंपति ने एक बालक को गोद लिया। इसके कुछ वर्ष उपरांत उन्हें जुड़वाँ पुत्र हुए। दंपति में एक का रक्त वर्ग AB पॉजीटिव है और दूसरे का O नेगीटिव है। तीनों पुत्रों में से एक का रक्त वर्ग A पॉजीटिव, दूसरे का B पॉजीटिव, और तीसरे का O पॉजीटिव है। गोद लिये गए पुत्र का रक्त वर्ग कौन-सा है ? (2011) (a) O पॉजीटिव उत्तर: (A) |
पृथ्वी के आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी के आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- कार्यप्रणाली: शोधकर्त्ताओं ने वर्ष 1991 से वर्ष 2024 तक अंटार्कटिका के दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के पास भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया। बार-बार आने वाले भूकंपों से भूकंपीय तरंगों में सूक्ष्म परिवर्तन सामने आए, जिससे पृथ्वी की आंतरिक संरचनाओं के बारे में जानकारी मिली।
- आंतरिक कोर में संरचनात्मक परिवर्तन: पृथ्वी के आंतरिक कोर की सतह पर संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं, जो पहले की धारणा को चुनौती दे रहा है कि यह कठोर और स्थिर है।
- ऐसा प्रतीत होता है कि आंतरिक कोर का घूर्णन धीमा हो रहा है, जिससे पृथ्वी पर दिन की लंबाई में सूक्ष्म परिवर्तन हो सकता है।
- शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि, जिस प्रकार तनाव के तहत मैग्मा प्रवाहित होता है, उसी प्रकार ठोस आंतरिक कोर और अस्थिर, पिघले हुए बाहरी कोर के बीच गतिशील अंतःक्रियाएँ आंतरिक कोर में चिपचिपा विरूपण (Viscous Deformation) उत्पन्न करती हैं।
पृथ्वी के आंतरिक कोर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- संरचना: आंतरिक कोर गर्म, सघन है जो मुख्य रूप से लोहे और निकल से बनी है। तरल बाह्य कोर के विपरीत, आंतरिक कोर पृथ्वी की ऊपरी परतों से पड़ने वाले अत्यधिक दबाव के कारण ठोस रहती है।
- गहराई और आकार: यह पृथ्वी की सतह से 5,150 किमी नीचे, पृथ्वी के केंद्र में स्थित है। इसकी त्रिज्या लगभग 1,220 किमी है।
- आंतरिक और बाह्य कोर के बीच की सीमा को लेहमैन असंबद्धता कहते है।
- चुंबकत्व: आंतरिक कोर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित करती है, जबकि बाह्य कोर का घूर्णन करता तरल लौह पदार्थ इसे जियोडायनेमो प्रभाव (चुंबकीय क्षेत्र निर्माण) के माध्यम से उत्पन्न करता है।
- आंतरिक कोर में उच्च तापीय और विद्युत चालकता होती है।
- घूर्णन: आंतरिक कोर पृथ्वी की सतह की तुलना में पूर्व की ओर थोड़ा तेज़ी से घूमती है, प्रति 1,000 वर्ष में एक अतिरिक्त घूर्णन पूरा करती है।
- वृद्धि: तरल बाह्य कोर के ठोस होने के कारण आंतरिक कोर प्रति वर्ष लगभग 1 मिमी बढ़ती है।
- वृद्धि असमान है, यह प्रविष्ठन क्षेत्र के आसपास अधिक तथा सुपरप्लूम्स के पास कम होती है।
- धीमी गति से क्रिस्टलीकरण और निरंतर रेडियोधर्मी क्षय के कारण कोर कभी भी पूरी तरह से ठोस नहीं हो पाएगा।
पृथ्वी का आंतरिक भाग
- पृथ्वी का आंतरिक भाग प्याज के समान संकेंद्रित परतों में संरचित है। ये परतें हैं:
- भूपर्पटी (सबसे बाह्य परत): सबसे पतली परत, मोटाई में भिन्न:
- महाद्वीपीय क्रस्ट: ~35 किमी मोटी, मुख्य रूप से सिलिका (Si) और एल्यूमिना (Al) की प्रधानता, जिसे महाद्वीपीय क्रस्ट के लिये "सियाल" कहा जाता है।
- महासागरीय क्रस्ट: ~5 किमी मोटी, महासागरीय क्रस्ट में सिलिका (Si) और मैग्नीशियम (Mg) होती है, जिसे "सीमा" कहा जाता है।
- मेंटल (सबसे मोटी परत): यह परत भूपर्पटी के नीचे 2900 किमी तक फैली हुई है। यह लौह और मैग्नीशियम से भरपूर सिलिकेट खनिजों से बनी है।
- ऊपरी भाग में एस्थेनोस्फीयर है जो प्लेटों की गति के लिये ज़िम्मेदार एक अर्द्ध-पिघली परत है।
- कोर (अंतरतम परत): 3500 किमी की त्रिज्या तक फैली हुई है। निकेल (Ni) और लोहे (Fe) से बनी है, जिसे "नीफे" कहा जाता है।
- बाह्य कोर (तरल अवस्था, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करता है) और आंतरिक कोर में विभाजित है।
- भूपर्पटी (सबसे बाह्य परत): सबसे पतली परत, मोटाई में भिन्न:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. पृथ्वी ग्रह की संरचना में मैंटल के नीचे कोर मुख्य रूप से निम्नलिखित में से किससे बना है? (2009) (a) अल्युमीनियम उत्तर: (c) |
उच्च शिक्षा पर व्यय
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग ने 'राज्यों और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।
- यह उच्च शिक्षा क्षेत्र में अपनी तरह का पहला नीतिगत दस्तावेज़ है जो विशेष रूप से राज्यों और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPUs) पर केंद्रित है।
उच्च शिक्षा पर नीति आयोग की रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- शिक्षा व्यय:
- समग्र व्यय: शिक्षा पर व्यय में जम्मू और कश्मीर (8.11%) सबसे आगे हैं। इसके बाद मणिपुर (7.25%) का स्थान है, जबकि दिल्ली इसमें काफी कम (1.67%) आबंटित करता है।
- उच्च शिक्षा पर व्यय: इसमें बिहार 1.56% के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद जम्मू और कश्मीर (1.53%) तथा मणिपुर (1.45%) का स्थान है जबकि तेलंगाना (0.18%) का प्रतिशत सबसे कम है।
- प्रति युवा शिक्षा पर व्यय: केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उच्च शिक्षा पर सबसे अधिक खर्च करने वाले राज्यों में शामिल हैं जबकि राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ इसमें पीछे हैं।
- विश्वविद्यालय घनत्व: राष्ट्रीय स्तर पर औसत विश्वविद्यालय घनत्व (किसी राज्य में प्रति 1 लाख पात्र जनसंख्या (18-23 वर्ष आयु) पर विश्वविद्यालय) 0.8 है।
- सिक्किम में विश्वविद्यालय घनत्व सबसे अधिक (10.3) है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश का स्थान है, जबकि बिहार में यह सबसे कम (0.2) है।
- लैंगिक समानता: केरल, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में महिला नामांकन अधिक है जबकि चंडीगढ़, मिज़ोरम और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में नामांकन संतुलित है।
नोट:
- आर्थिक समीक्षा 2024-25 के अनुसार, वार्षिक शिक्षा व्यय 12% बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 9.2 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया।
- ड्रॉपआउट दरें 1.9% (प्राथमिक) और 14.1% (माध्यमिक) तक कम हुईं, जबकि उच्च शिक्षा नामांकन में 26.5% (वर्ष 2014-2022) की वृद्धि होने से सकल नामांकन अनुपात (GER) 28.4% हो गया।
- उच्च शिक्षा में वर्ष 2035 तक GER 50% तक पहुँचना चाहिये।
- डिजिटल विभाजन बना हुआ है और शहरी क्षेत्रों (69%) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (55%) में इंटरनेट की पहुँच सीमित है।
- ड्रॉपआउट दरें 1.9% (प्राथमिक) और 14.1% (माध्यमिक) तक कम हुईं, जबकि उच्च शिक्षा नामांकन में 26.5% (वर्ष 2014-2022) की वृद्धि होने से सकल नामांकन अनुपात (GER) 28.4% हो गया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रश्न. संविधान के निम्नलिखित प्रावधानों में से कौन से प्रावधान भारत की शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव डालते हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
GI-टैग चावल के निर्यात के लिये HS कोड
स्रोत: बीएल
भारत ने सीमा शुल्क अधिनियम, 1975 में संशोधन किया है, तथा भौगोलिक संकेत (GI) टैग वाली चावल किस्मों के लिये (Harmonised System-HS) कोड शुरू करने वाला पहला देश बन गया है।
- वर्ष 2025-26 के बजट में घोषित इस संशोधन में निर्यात के लिये HS कोड 1006-30-11 (उबला हुआ चावल) और 1006-30-91 (सफेद चावल) शामिल हैं।
- HS कोड सामान्य चावल निर्यात प्रतिबंधों के दौरान भी, विशेष सरकारी अधिसूचना की आवश्यकता के बिना, GI-टैग वाले चावल के निर्बाध निर्यात की अनुमति प्रदान करता है।
- HS कोड: विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO) HS कोड को प्रबंधित करता है, जिसे प्रत्येक पाँच वर्ष में संशोधित किया जाता है तथा यह छह अंकों के कोड का उपयोग करके व्यापार की जाने वाली वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिये एक वैश्विक मानक के रूप में कार्य करता है। देश वस्तुओं को और अधिक वर्गीकृत करने के लिये HS कोड में विस्तार कर सकते हैं।
- यह पहचान, शुल्क और व्यापार सांख्यिकी में मदद करता है।
- मान्यता प्राप्त GI चावल की किस्में: भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा नवारा, पलक्कडन मट्टा, पोक्कली, वायनाड जीरकासला और अन्य सहित चावल की 20 किस्मों को GI टैग दिया गया है।
- लंबित GI आवेदन: सीरागा सांबा, जम्मू और कश्मीर लाल चावल, और वाडा कोलम धान सहित 20 चावल की किस्में को GI टैग के लिये आवेदन किया गया है।
- WCO: वर्ष 1952 में स्थापित, यह एक अंतर-सरकारी निकाय है जो दुनिया भर में सीमा शुल्क दक्षता में सुधार तथा 183 सीमा शुल्क प्रशासनों (भारत सहित) का प्रतिनिधित्व करता है, जिनका वैश्विक व्यापार में 98% का हिस्सा है। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है।
और पढ़ें: चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य
नारी अदालत कार्यक्रम
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत सरकार नारी अदालत कार्यक्रम का विस्तार करने के लिये अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव आमंत्रित कर रही है।
- परिचय: मिशन शक्ति की 'संबल' उप-योजना के अंतर्गत नारी अदालत, ग्राम पंचायत स्तर पर महिलाओं के लिये एक वैकल्पिक शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करती है, जो बातचीत, मध्यस्थता और सुलह के माध्यम से छोटे विवादों (जैसे, घरेलू हिंसा, दहेज, बाल हिरासत) को हल करती है।
- संरचना और कार्यप्रणाली:
- सदस्य: इसमें 7 से 11 सदस्य होते हैं जिन्हें 'न्याय सखी' कहा जाता है, जिन्हें ग्राम पंचायत द्वारा नामित किया जाता है।
- कार्यान्वयन: वर्ष 2023 में असम और जम्मू-कश्मीर में 50-50 ग्राम पंचायतों में पायलट आधार पर इसकी शुरुआत की जाएगी, तथा अन्य राज्यों में भी इसका विस्तार करने की योजना है।
- मिशन शक्ति: इसकी दो उप-योजनाएँ हैं।
- संबल: वन स्टॉप सेंटर (OSC), महिला हेल्पलाइन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) और नारी अदालत सहित महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है।
- सामर्थ्य: प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), पालना, शक्ति सदन, सखी निवास और महिला सशक्तिकरण केंद्र सहित महिला सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
और पढ़ें: मिशन शक्ति
एशियाई हाथी
स्रोत: द हिंदू
एशियाई हाथियों (एलिफस मैक्सिमस) पर किये गए एक अध्ययन से उनकी ध्वनि के बारे में नई जानकारी सामने आई है।
- मुख्य निष्कर्ष: एशियाई हाथी ध्यान आकर्षित करने और भावनाओं को व्यक्त करने के लिये तुरही, दहाड़, गड़गड़ाहट और चहचहाने का उपयोग करते हुए संवाद करते हैं।
- पहले यह माना जाता था कि तुरही मुख्य रूप से मानवीय व्यवधानों की प्रतिक्रिया है, लेकिन नए निष्कर्षों से पता चलता है कि इसका उपयोग सामाजिक अंतःक्रियाओं और भावनाओं को व्यक्त करने में किया जाता है।
- एशियाई हाथी:
- उप-प्रजातियाँ: एशियाई हाथियों की तीन उप-प्रजातियाँ हैं- भारतीय, सुमात्रा और श्रीलंकाई।
- जनसंख्या: 13 देशों में विखंडित आबादी 50,000 से भी कम रह गई है।
- निवास स्थान: घास के मैदानों, झाड़ियों, सदाबहार और पर्णपाती वनों में पाया जाता है।
- आकार और स्वरूप: अफ्रीकी हाथियों से छोटे तथा तुलनात्मक रूप से छोटे कान।
- महत्त्व: जंगलों की भलाई के लिये एक आवश्यक प्रजाति, हाथी भारत के प्राकृतिक विरासत पशु हैं। वे पानी की तलाश तथा वन पुनर्जनन के लिये साफ-सफाई करके अन्य प्राणियों की मदद करते हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- वन्य जीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट I
- भारत की पहल: प्रोजेक्ट टाइगर एवं एलीफेंट को पूर्ववर्ती प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट योजनाओं को मिलाकर शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य हाथियों और उनके आवासों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना है।
- 14 प्रमुख हाथी राज्यों में 33 हाथी रिज़र्व स्थापित किये गए हैं (सबसे अधिक जनसंख्या कर्नाटक में है, उसके बाद असम और केरल का स्थान है)।
और पढ़ें: विश्व हाथी दिवस 2023
विश्व मिर्गी दिवस
स्रोत: पी.आई.बी
विश्व मिर्गी दिवस ( फरवरी के दूसरे सोमवार) के अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (DEPwD) केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश भर में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये।
- राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (भारत) 17 नवंबर को मनाया जाता है।
मिर्गी (एपिलेप्सी)
- मिर्गी: मिर्गी एक दीर्घकालिक मस्तिष्क से जुड़ी एक बीमारी है, जो मस्तिष्क में असामान्य विद्युतीय गतिविधियों के कारण होती है। जिसके परिणामस्वरूप दौरे आते हैं, जो अनैच्छिक गति और बेहोशी के छोटे झटके होते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक तंत्रिका संबंधी विकार के रूप में मान्यता दी है।
- कारण: लगभग 50% मामलों में इस बीमारी का कोई पहचान योग्य कारण नहीं होता है। हालाँकि, यह आनुवंशिकी, मस्तिष्क की चोट, संक्रमण, स्ट्रोक, ट्यूमर से जुडी हुई है।
- लक्षण: यह अलग-अलग प्रकार का होता है, कुछ लोग चेतना खो देते हैं, कुछ लोग शून्य भाव से देखते रहते हैं, जबकि कुछ को ऐंठन (झटकों की गति) का अनुभव होता है।
- उपचार के विकल्प:
- मिर्गी के लिये प्रथम-पंक्ति उपचार में एंटी-सीजर्स मेडिसिन शामिल हैं, जबकि कीटोजेनिक आहार (उच्च वसा, कम कार्बोहाइड्रेट) एंटी-सीजर्स के लिये प्रभावी है।
- दौरे संबंधी बीमारी को रोकने के लिये शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में कॉरपस कॉलोसोटॉमी या दौरे से प्रभावित मस्तिष्क क्षेत्र को हटाना शामिल है।
- DBS ब्रेन इम्प्लांट: दौरे से जुड़े विशिष्ट मस्तिष्क क्षेत्रों में इलेक्ट्रोड युक्त एक चिकित्सा उपकरण का प्रत्यारोपण किया जाता है।
- वैश्विक संदर्भ: विश्व में 50 मिलियन लोग मिर्गी से पीड़ित हैं, जिनमें से 80% निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हैं।
- उचित निदान और समय पर उपचार से 70% मामलों का प्रबंधन किया जा सकता है, जिससे दौरे से मुक्त जीवन संभव हो सकता है।
और पढ़ें: एपिलेप्सी (मिर्गी) के उपचार के लिये DBS ब्रेन इम्प्लांट सर्जरी