इन्फोग्राफिक्स
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
बेस एडिटिंग
प्रिलिम्स के लिये:बेस एडिटिंग, CRISPR-Cas9 तकनीक, कैंसर, टी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (T-ALL), जेनेटिक कोड, जेनेटिक इंजीनियरिंग, जीन एडिटिंग। मेन्स के लिये:बेस एडिटिंग तकनीक और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूनाइटेड किंगडम के वैज्ञानिकों ने टी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (T-cell Acute Lymphoblastic Leukemia: T-ALL) से पीड़ित मरीज़ में कैंसर थेरेपी के एक नए रूप 'बेस एडिटिंग' का सफल परीक्षण किया है।
बेस एडिटिंग:
- बेस/क्षार एक प्रकार से जीवन की भाषा है। जिस तरह वर्णमाला के अक्षर शब्दों के उच्चारण से अर्थ प्रदान करते हैं, उसी तरह हमारे डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) में अरबों आधार मानव शरीर के लिये निर्देश पुस्तिका का वर्णन करते हैं।
- बेस के क्रम में असंतुलन से कैंसर हो सकता है।
- बेस एडिटिंग की तकनीक का उपयोग करके जेनेटिक कोड में केवल एक बेस की आण्विक संरचना को बदला जा सकता है, यह इसके आनुवंशिक निर्देशों को प्रभावी ढंग से बदल सकता है।
- जेनेटिक कोड जीन में निहित निर्देशों को संदर्भित करता है जो सेल/कोशिका को निर्देशित करता है कि विशिष्ट प्रोटीन कैसे बनाया जाए।
- चार DNA बेस- एडेनिन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G) और थाइमिन (T) प्रत्येक आनुवंशिक कोड द्वारा तीन-अक्षर "कोडन" बनाने के लिये अलग-अलग तरीकों से उपयोग किया जाता है जो इंगित करता है कि प्रोटीन के भीतर प्रत्येक स्थान पर कौन से अमीनो एसिड की आवश्यकता होती है।
- क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पालिंड्रोमिक रिपीट (CRISPR) तकनीक सबसे लोकप्रिय तकनीकों में से एक है जो जीन में बदलाव करने में सक्षम है, जिससे त्रुटियों को ठीक किया जा सकता है।
- कुछ बेस को सीधे बदलने में सक्षम होने के लिये इस पद्धति में और सुधार किया गया है जैसे कि C को G और T को A में बदला जा सकता है।
CRISPR तकनीक:
- यह एक जीन एडिटिंग तकनीक है, जिसकी सहायता से शोधकर्त्ता Cas9 नामक एक विशेष प्रोटीन का उपयोग करके वायरस के हमलों से लड़ने के लिये बैक्टीरिया में प्राकृतिक रक्षा तंत्र की प्रतिकृति का निर्माण करते हैं।
- CRISPR/Cas9 DNA को सटीक रूप से काटकर जीन को संपादित करता है और फिर प्राकृतिक DNA मरम्मत प्रक्रियाओं को अपना काम करने देता है। इस प्रणाली के दो भाग होते हैं: Cas9 एंज़ाइम और एक गाइड राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA)।
- Cas9: CRISPR- संबद्ध (CRISPR-associated- Cas) एंडोन्यूक्लिज़ या एंज़ाइम, जो एक गाइड RNA के माध्यम से निर्दिष्ट स्थान पर DNA को काटने के लिये "आण्विक कैंची (जेनेटिक सीज़र्स)" के रूप में कार्य करता है।
- गाइड RNA (gRNA): RNA अणु का एक रूप जो Cas9 से जुड़ता है और उस स्थान को परिभाषित करता है जिस पर Cas9 gRNA के अनुक्रम के आधार पर डीएनए को काटेगा।
- CRISPR-Cas9 तकनीक को अक्सर 'जेनेटिक सीज़र्स ' के रूप में वर्णित किया जाता है।
- इस तकनीक की तुलना अक्सर सामान्य कंप्यूटर प्रोग्रामों के 'कट-कॉपी-पेस्ट' या ढूँढे-बदलें' कार्यात्मकताओं से की जाती है।
- DNA अनुक्रम में गड़बड़ी, जो बीमारी या विकार का कारण होती है, को काटकर हटा दिया जाता है और फिर एक 'सही' अनुक्रम से बदल दिया जाता है।
- यह तकनीक एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र जैसी है जिसका उपयोग कुछ बैक्टीरिया खुद को वायरस के हमलों से बचाने के लिये करते हैं।
टी-सेल एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (T-cell Acute Lymphoblastic Leukemia (T-ALL)
- यह अस्थि मज्ज़ा में स्टेम कोशिकाओं को प्रभावित करता है जो एक विशेष प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells- WBC) का उत्पादन करते हैं जिन्हें टी लिम्फोसाइट्स (टी-सेल) कहा जाता है।
- टी-सेल संक्रमित कोशिकाओं को मारकर, अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को सक्रिय करके और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को विनियमित करके व्यक्ति को प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं।
- T-ALL एक तीव्र और प्रगतिशील प्रकार का रक्त कैंसर है जिसमें टी-सेल प्रतिरक्षा में मदद करने के बजाय स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देती हैं (यह टी-कोशिकाओं का सामान्य कार्य है)।
- इसका आमतौर पर कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा और स्टेम सेल/अस्थि मज्ज़ा प्रत्यारोपण द्वारा इलाज किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019) (a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची उत्तर: (a) व्याख्या:
प्रश्न : अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021) |
स्रोत: द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत के निर्यात में कमी
प्रिलिम्स के लिये:भारत के निर्यात की स्थिति, निर्यात प्रोत्साहन से संबंधित पहल। मेन्स के लिये:भारत के निर्यात में कमी संबंधी चिंताएँ। |
चर्चा में क्यों?
अक्तूबर 2022 में वर्ष 2021 की इसी अवधि की तुलना में भारत के निर्यात में लगभग 16.7% की गिरावट आई है जिससे निर्यात में धीमापन चिंता का विषय बन गया है।
- अक्तूबर में स्टील और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है।
- इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्यात में लगभग 38% की वृद्धि हुई जो 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की रही।
धीमी निर्यात मांग के कारक:
- कम वैश्विक मांग:
- विकसित देशों में लगातार उच्च मुद्रास्फीति के मद्देनज़र वैश्विक आर्थिक विकास में तेज़ी से गिरावट देखी जा रही है और इसके परिणामस्वरूप मौद्रिक नीति को कड़ा किया जा रहा है।
- निर्यात में कमी के कुछ कारक: विकास में वैश्विक मंदी के परिणामस्वरूप भारतीय वस्तुओं की मांग में गिरावट आई है, ऐसे में ब्रिटेन और अमेरिका के मंदी की ओर बढ़ने की आशंका है, चीन द्वारा विकास हेतु संघर्ष जारी रखने के बावजूद यूरोपीय क्षेत्र के स्थिर होने की सबसे अधिक संभावना है।
- मुद्रास्फीति:
- बाह्य कारकों की तुलना में स्थानीय कारकों ने मुद्रास्फीति में अधिक योगदान दिया है, विशेष रूप से बढ़ती खाद्य लागत और वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट तथा खरीफ फसल की शुरुआत के परिणामस्वरूप इन दबावों में कमी आने की उम्मीद है।
- विगत कुछ महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति लगातार 7% से ऊपर रही है, लेकिन अक्तूबर 2022 में यह 6.8% रही।
- तेल और अन्य निर्यात में गिरावट:
- तेल निर्यात सितंबर 2022 के 43.0% से घटकर -11.4% पर पहुँच गया है जिसका आंशिक कारण वैश्विक कच्चे तेल की कम कीमतें हैं, जबकि गैर-तेल निर्यात वर्ष-दर-वर्ष गिरावट के साथ -16.9% तक पहुँच गया है जिसमें लौह अयस्क, हस्तशिल्प, वस्त्र में व्यापक गिरावट के साथ कृषि सामान, प्लास्टिक, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स तथा चमड़े के सामान आदि आते हैं।
- इंजीनियरिंग सामान, जिसमें हाल के वर्षों में भारत की अच्छी स्थिति थी, में भी 21% की गिरावट आई है।
- विश्व-व्यापार संबंधी तनाव:
- अमेरिका और चीन के बीच हालिया व्यापार युद्ध और अन्य वैश्विक व्यापार युद्धों से पूरे विश्व का विकास प्रभावित हुआ है।
- इसने भारतीय अर्थव्यवस्था सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विनिर्माण और निर्यात को प्रभावित किया है।
अर्थव्यवस्था के लिये सकारात्मक संकेत:
- निर्यात परिदृश्य के धीमे होने के बावजूद घरेलू मांग बनी रहने की संभावना है।
- निवेश चक्र फिर से मज़बूत होगा जो आने वाले समय में विकास और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देगा।
- वित्त वर्ष 2022-23 में निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय छह लाख करोड़ को छूने को है, जो विगत छह वर्षों में सबसे अधिक होगा।
- निजी कैपेक्स आमतौर पर बैंकिंग प्रणाली से क्रेडिट या ऋण पर निर्भर करता है।
- इसमें सितंबर 2022 में 18% की उच्च स्तर की वृद्धि देखी गई है।
अन्य निर्यातक देशों के संदर्भ में:
- निर्यात प्रधान देश वियतनाम ने सतत् विदेशी मांग' के बीच निर्यात में एक वर्ष पहले की तुलना में 4.5% की वृद्धि दर्ज की और यह 29.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।
- इसी तरह फिलीपींस द्वारा किया जाने वाला निर्यात अक्तूबर, 2022 में 20% बढ़ा।
- वहाँ की सरकार का कहना था कि सितंबर में तीन महीने में पहली बार निर्यात बढ़ा, जिसे वह 'विदेशी मांग को पुनर्जीवित करने का संकेत' मानती है।
- सख्त लॉकडाउन के कारण 2022 में चीन एक मात्र देश है, जो विनिर्माण उत्पादन को प्रभावित कर रहा है, हालाँकि वर्तमान में प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध के बाद लॉकडाउन में ढील दी जा रही है।
भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार:
- 2 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 561 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- अक्तूबर का आयात, बेंचमार्क के रूप में 56.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (आठ महीने का निचला स्तर) का था।
- हालाँकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह वर्ष 2013 जितना खराब नहीं था, जब विदेशी निवेशकों ने भारत के वित्तीय बाज़ारों से हाथ खींचना शुरू कर दिया था।
- उस समय भारत के पास सात महीने से कम का आयात कवर था।
- हाल के हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में कुछ वृद्धि हुई है, यह भविष्य के लिये आशा का संकेत है।
नोट:
- आयात कवर इस बात का माप है कि किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखे गए विदेशी मुद्रा भंडार द्वारा कितने महीनों के आयात को कवर किया जा सकता है।
- यह मुद्रा की स्थिरता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
भारत की निर्यात प्रोत्साहन योजनाएंँ (India’s Export Promotion Schemes):
- भारत से पण्य वस्तु निर्यात योजना:
- MEIS को विदेश व्यापार नीति (FTP) 2015-20 में पेश किया गया था। इसके तहत सरकार उत्पाद और देश के आधार पर शुल्क लाभ प्रदान करती है।
- इस योजना में पुरस्कार के तहत देय फ्री-ऑन-बोर्ड वेल्यू (2%, 3% और 5%) के प्रतिशत के रूप में दी जाती है तथा MEIS ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप को स्थानांतरित किया जा सकता है या मूल सीमा शुल्क सहित कई कार्यों के भुगतान हेतु उपयोग किया जा सकता है।
- भारत योजना से सेवा निर्यात:
- इससे पहले वित्तीय वर्ष 2009-2014 के लिये इस योजना को भारत योजना (SFIS योजना) से सेवा के रूप में नामित किया गया था।
- इसे भारत की विदेश व्यापार नीति 2015-2020 के तहत अप्रैल 2015 में 5 वर्षों के लिये लॉन्च किया गया था।
- इसके तहत वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा भारत में स्थित सेवा निर्यातकों को भारत से सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- इससे पहले वित्तीय वर्ष 2009-2014 के लिये इस योजना को भारत योजना (SFIS योजना) से सेवा के रूप में नामित किया गया था।
- निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (RoDTEP):
- ITC कच्चे माल, उपभोग्य सामग्रियों, वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर दिये जाने वाले कर पर प्रदान किया जाता है जिसका उपयोग वस्तुओं या सेवाओं के निर्माण में किया जाता था। यह दोहरे कराधान एवं करों के व्यापक प्रभाव से बचने में मदद करता है।
- यह भारत में निर्यात बढ़ाने में मदद करने हेतु वस्तु और सेवा कर (Goods and Service Tax- GST) में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लिये पूरी तरह से स्वचालित मार्ग है।
- ITC कच्चे माल, उपभोग्य सामग्रियों, वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर दिये जाने वाले कर पर प्रदान किया जाता है जिसका उपयोग वस्तुओं या सेवाओं के निर्माण में किया जाता था। यह दोहरे कराधान एवं करों के व्यापक प्रभाव से बचने में मदद करता है।
- राज्य एवं केंद्रीय करों और लेवी की छूट:
- मार्च 2019 में घोषित RoSCTL को एम्बेडेड स्टेट (Embedded State) और केंद्रीय ज़िम्मेदारियों (Central Duties) तथा उन करों के लिये पेश किया गया था जो माल एवं सेवा कर (GST) के माध्यम से वापस प्राप्त नहीं होते हैं।
- यह केवल कपड़ों और निर्मित वस्तुओं के लिये उपलब्ध था। इसे कपड़ा मंत्रालय द्वारा पेश किया गया था।
- इससे पहले यह राज्य करारोपण से मुक्त (Rebate for State Levies- ROSL) था।
आगे की राह
- भारत के निर्यात में कमी बरकरार रहने की संभावना है क्योंकि वैश्विक विकास मंद रहने की संभावना है। भारत के निर्यात में कमी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के विकास पर प्रभाव डालेगी।
- सरकार को ऐतिहासिक व्यापार असंतुलन और निर्यात की धीमी गति दोनों को दूर करने के लिये एक संशोधित विदेश नीति लाने की तत्काल आवश्यकता है, बजाय इसके कि वह अगले अप्रैल तक नई नीति जारी करने का इंतज़ार करे।
- सरकार को निवेश और बचत के माध्यम से ऋण चक्र में सुधार के लिये उचित उपाय करने चाहिये एवं विदेशी निवेश को बढ़ावा देने से भविष्य में अर्थव्यवस्था को मंदी से निजात मिलेगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. भारतीय रुपए के अवमूल्यन को रोकने के लिये सरकार/RBI द्वारा निम्नलिखित में से कौन सा सबसे संभावित उपाय नहीं है? (2019) (a) गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात पर अंकुश लगाना और निर्यात को बढ़ावा देना। उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कभी-कभी समाचारों में आने वाला पद 'आयात आवरण' (इंपोर्ट कवर) का सर्वोत्तम वर्णन करता है? (2016) (a) यह किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद के आयात के मूल्य का अनुपात है। उत्तर: (d) प्रश्न. श्रम प्रधान निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने में विनिर्माण क्षेत्र की विफलता का कारण बताइये। पूंजी-गहन निर्यात के बजाय अधिक श्रम-प्रधान निर्यात के उपाय सुझाइये। (मुख्य परीक्षा, 2017) |
स्रोत: द हिंदू
सामाजिक न्याय
नशीली दवाओं का खतरा
प्रिलिम्स के लिये:ड्रग मेनस, नशा मुक्त भारत अभियान/ड्रग मुक्त भारत अभियान, वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 मेन्स के लिये:ड्रग एब्यूज़ की समस्या और संबंधित पहल, वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 |
चर्चा में क्यों?
केरल नशीली दवाओं के खतरे से निपटने के लिये खेलों का उपयोग कर रहा है, जिसके लिये इसके आबकारी विभाग (Excise Department) ने केरल में कॉलेज परिसरों और छात्रावासों के पास क्लब बनाए हैं।
- छात्रों को खेलों में भाग लेने के लिये प्रेरित करने के अलावा जागरूकता हेतु कक्षाएँ आयोजित की जाती हैं और मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी साझा की जाती है।
भारत में नशीली दवाओं के खतरे की स्थिति:
- मादक पदार्थों की लत भारत के युवाओं में तेज़ी से फैल रही है।
- भारत विश्व के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों के मध्य में स्थित है जिसके एक तरफ स्वर्णिम त्रिकोण/गोल्डन ट्रायंगल (Golden Triangle) क्षेत्र और दूसरी तरफ स्वर्णिम अर्द्धचंद्र/गोल्डन क्रिसेंट (Golden Crescent) क्षेत्र स्थित है।
- स्वर्णिम त्रिकोण क्षेत्र में थाईलैंड, म्यांँमार, वियतनाम और लाओस शामिल हैं।
- स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं।
- भारत विश्व के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों के मध्य में स्थित है जिसके एक तरफ स्वर्णिम त्रिकोण/गोल्डन ट्रायंगल (Golden Triangle) क्षेत्र और दूसरी तरफ स्वर्णिम अर्द्धचंद्र/गोल्डन क्रिसेंट (Golden Crescent) क्षेत्र स्थित है।
- भारत उपयोगकर्त्ताओं के मामले में दुनिया के सबसे बड़े अफीम बाज़ारों में से एक है और संभवत: बढ़ी हुई आपूर्ति के प्रति संवेदनशील होगा।
- इसका कारण यह है कि अफगानिस्तान में उत्पन्न होने वाले अफीम की तस्करी की तीव्रता पारंपरिक बाल्कन मार्ग के साथ दक्षिण और पश्चिम के अलावा पूर्व की ओर हो सकती है।
- वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भारत में वर्ष 2020 में 5.2 टन अफीम की चौथी सबसे बड़ी मात्रा ज़ब्त की गई और तीसरी सबसे बड़ी मात्रा में मॉर्फिन (0.7 टन) भी उसी वर्ष ज़ब्त की गई ।
- भारत वर्ष 2011-2020 में विश्लेषण किये गए 19 प्रमुख डार्कनेट बाज़ारों में बेची जाने वाली ड्रग के शिपमेंट से भी संबंधित है।
नशीली दवाओं के खतरे से निपटने हेतु पहल:
- भारत:
- नार्को-समन्वय केंद्र: नवंबर 2016 में नार्को-समन्वय केंद्र (Narco-Coordination Centre- NCORD) का गठन किया गया और राज्य में ‘नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो’ की मदद के लिये ‘वित्तीय सहायता योजना’ को पुनर्जीवित किया गया।
- ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एक नया सॉफ्टवेयर विकसित करने हेतु धनराशि उपलब्ध कराई गई है, अर्थात् ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली (Seizure Information Management System- SIMS) ड्रग अपराधों और अपराधियों का ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करेगी।
- राष्ट्रीय ड्रग दुरुपयोग सर्वेक्षण: सरकार एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (National Drug Dependence Treatment Centre) की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में मादक पदार्थों के दुरुपयोग के आकलन हेतु एक राष्ट्रीय ड्रग सर्वेक्षण (National Drug Abuse Survey ) भी कर रही है।
- 'प्रोजेक्ट सनराइज़: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़ते HIV के प्रसार से निपटने हेतु विशेष रूप से ड्रग्स इंजेक्शन का प्रयोग करने वाले लोगों में इसके प्रयोग को रोकने हेतु 'प्रोजेक्ट सनराइज़' (Project Sunrise) को शुरू किया गया था।
- द नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, (NDPS) 1985: यह किसी भी व्यक्ति द्वारा मादक पदार्थ या साइकोट्रॉपिक पदार्थ के उत्पादन, बिक्री, क्रय, परिवहन, भंडारण और / या उपभोग को प्रतिबंधित करता है।
- NDPS अधिनियम में वर्ष 1985 से तीन बार (1988, 2001 और 2014 में ) संशोधन किया गया है।
- यह अधिनियम संपूर्ण भारत में लागू है तथा भारत के बाहर सभी भारतीय नागरिकों और भारत में पंजीकृत जहाज़ों एवं विमानों पर भी समान रूप से लागू होता है।
- सरकार द्वारा ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ (Nasha Mukt Bharat Abhiyan) को शुरू करने की घोषणा की गई है जो सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों पर केंद्रित है।
- नशीली दवाओं के खतरे का मुकाबला करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और अभिसमय:
- भारत नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे से निपटने के लिये निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों का हस्ताक्षरकर्त्ता है:
- नारकोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र (UN) कन्वेंशन (1961)
- मनोदैहिक पदार्थों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (1971)
- नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थों की अवैध तस्करी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (1988)
- अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention against Transnational Organized Crime- UNTOC) 2000
- भारत नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे से निपटने के लिये निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों का हस्ताक्षरकर्त्ता है:
आगे की राह
- सीमा पार तस्करी पर अंकुश लगाकर NDPS अधिनियम के तहत कठोर दंड या नशीली दवाओं के प्रवर्तन में सुधार कर आपूर्ति को रोकने के लिये कदम उठाए जाने चाहिये तथा भारत को मांग पक्ष को ध्यान में रखकर समस्या का समाधान करना चाहिये।
- व्यसन को चरित्र दोष के रूप में नहीं बल्कि एक बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिये। साथ ही नशीली दवाओं के सेवन से जुड़े कलंक (Stigma) को समाप्त करने की ज़रूरत है। समाज को यह समझने की भी ज़रूरत है कि नशा करने वाले अपराधी नहीं बल्कि पीड़ित होते हैं।
- कुछ दवाएँ जिनमें 50% से अधिक अल्कोहल और ओपिओइड होता है, को शामिल करने की आवश्यकता है। देश में नशीली दवाओं की समस्या पर अंकुश लगाने के लिये पुलिस अधिकारियों व आबकारी एवं नारकोटिक्स विभाग (Excise and Narcotics Department) की ओर से सख्त कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है।
- शिक्षा पाठ्यक्रम में मादक पदार्थों की लत, इसके प्रभाव और नशामुक्ति पर भी अध्याय शामिल होने चाहिये। उचित परामर्श एक अन्य विकल्प हो सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्प्रश्न. संसार के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादक राज्यों से भारत की निकटता ने उसकी आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसे अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या उपाय किये जाने चाहिये? (2018) |
स्रोत: द हिंदू
जैव विविधता और पर्यावरण
मीथेन उत्सर्जन
प्रिलिम्स के लिये:मीथेन गैस, संबंधित पहलें मेन्स के लिये:आर्द्रभूमि उत्सर्जन और वायुमंडलीय सिंक परिवर्तन 2020 में मीथेन वृद्धि की व्याख्या करते हैं। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया है जिसका शीर्षक है "वेटलैंड एमिशन एंड एटमॉस्फेरिक सिंक चेंजेस एक्सप्लेन मीथेन ग्रोथ इन 2020', जिसमें कहा गया है कि कम नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषण और वार्मिंग वेटलैंड्स ने वैश्विक मीथेन उत्सर्जन को 2020 में उच्च स्तर पर वृद्धि हेतु प्रेरित किया है।
प्रमुख बिंदु
- अवलोकन:
- वैश्विक मीथेन उत्सर्जन वर्ष 2019 के 9.9 ppb से वर्ष 2020 में मुख्यतः 15 पार्ट पर बिलियन (ppb) तक पहुँच गया।
- वर्ष 2020 में मानवीय गतिविधियों से होने वाले मीथेन उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 1.2 टेराग्राम (Tg) की कमी आई है।
- योगदानकर्त्ता:
- वर्ष 2019 की तुलना में तेल और प्राकृतिक गैस से मीथेन उत्सर्जन में 3.1 Tg प्रतिवर्ष की कमी आई है। कोयला खनन से योगदान में 1.3 Tg प्रतिवर्ष की कमी आई है। अग्नि द्वारा उत्सर्जन में भी प्रतिवर्ष 6.5 Tg की कमी आई है।
- शोध योगदानकर्त्ताओं ने अध्ययन में लिखा है कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में अग्नि द्वारा उत्सर्जन में कमी आई है।
- कृषि क्षेत्र से योगदान प्रतिवर्ष 1.6 Tg तक बढ़ गया।
- आर्द्रभूमि से उत्सर्जन में प्रतिवर्ष 6.0 Tg की वृद्धि हुई।
- वर्ष 2019 की तुलना में तेल और प्राकृतिक गैस से मीथेन उत्सर्जन में 3.1 Tg प्रतिवर्ष की कमी आई है। कोयला खनन से योगदान में 1.3 Tg प्रतिवर्ष की कमी आई है। अग्नि द्वारा उत्सर्जन में भी प्रतिवर्ष 6.5 Tg की कमी आई है।
- कारण:
- जल-जमाव वाली मृदा सूक्ष्मजीवों के लिये अनुकूल स्थिति उपलब्ध करती है, जिससे वे अधिक मीथेन का उत्पादन कर सकते हैं।
- वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में 6% कमी आई है। कम नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषण का मतलब है कम हाइड्रॉक्सिल और अधिक मीथेन।
- नाइट्रोजन ऑक्साइड, कारों और ट्रकों के साथ-साथ विद्युत ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों द्वारा निष्काषित होकर वायुमंडल में प्रवेश करती है।
- नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOX) मीथेन के स्तर को प्रभावित कर सकता है। यह क्षोभमंडल में (वायुमंडल का ऊपरी भाग) NOx ओज़ोन के साथ मिलकर हाइड्रॉक्सिल रेडिकल बनाता है।
- बदले में ये रेडिकल वायुमंडल से वार्षिक 85% मीथेन को हटा देते हैं।
- मीथेन को हटाने में हाइड्रॉक्सिल रेडिकल्स का योगदान लगभग 7.5 Tg प्रतिवर्ष कम हो गया।
- मोटे तौर हाइड्रॉक्सिल का 53% और शेष 47% प्राकृतिक स्रोतों में मुख्य रूप से आर्द्रभूमि में कम सिंक होना भी मीथेन वृद्धि की मुख्य वजह हो सकती है।
अध्ययन का महत्त्व:
- यह अध्ययन इस रहस्य को सुलझाने में मदद कर सकता है कि वर्ष 2020 के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड जैसी कई अन्य ग्रीनहाउस गैसों में कमी होने पर भी विश्व स्तर पर मीथेन में वृद्धि क्यों हुई।
- हम भविष्य में नाइट्रोजन ऑक्साइड और मीथेन जैसे प्रदूषकों के मानवजनित उत्सर्जन को कम करके मीथेन संबंधी परिवर्तनों के माध्यम से हमारे आर्द्र विश्व को सुरक्षित रखने का अनुमान लगा सकते हैं।
मीथेन:
- परिचय:
- मीथेन सबसे सरल हाइड्रोकार्बन है, जिसमें एक कार्बन परमाणु और चार हाइड्रोजन परमाणु (CH4) होते हैं।
- यह ज्वलनशील है और इसका उपयोग दुनिया भर में ईंधन के रूप में किया जाता है।
- मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है।
- वैश्विक तापमान की वृद्धि में पिछले 20 साल के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक शक्तिशाली रही है।
- मीथेन के सामान्य स्रोत तेल और प्राकृतिक गैस प्रणालियाँ, कृषि गतिविधियाँ, कोयला खनन और अपशिष्ट हैं।
- मीथेन सबसे सरल हाइड्रोकार्बन है, जिसमें एक कार्बन परमाणु और चार हाइड्रोजन परमाणु (CH4) होते हैं।
- प्रभाव:
- अधिक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता: यह अपनी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80-85 गुना अधिक शक्तिशाली है।
- यह अन्य ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग में और अधिक तेज़ी से कमी लाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य स्थापित करता है।
- ट्रोपोस्फेरिक ओज़ोन के उत्पादन को बढ़ावा देता है: बढ़ते उत्सर्जन से क्षोभमंडलीय ओज़ोन वायु प्रदूषण में वृद्धि हो रही है, जिससे वार्षिक रूप से दस लाख से अधिक मौतें समय से पहले होती हैं।
- अधिक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता: यह अपनी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80-85 गुना अधिक शक्तिशाली है।
मीथेन उत्सर्जन में कटौती के लिये पहल:
- भारतीय:
- ‘'हरित धारा': भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने एंटी-मिथेनोजज़ेनिक फीड सप्लीमेंट 'हरित धारा' विकसित की है, जो मवेशी मीथेन उत्सर्जन को 17-20% तक कम कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप उच्च दूध उत्पादन भी हो सकता है।
- भारत ग्रीनहाउस गैस कार्यक्रम: विश्व संसाधन संस्थान (WRI) भारत (गैर-लाभकारी संगठन), भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) तथा ऊर्जा और संसाधन संस्थान (TERI) के नेतृत्व में भारत GHG कार्यक्रम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने व प्रबंधित करने के लिये उद्योग के नेतृत्व वाला स्वैच्छिक ढाँचा है।
- यह कार्यक्रम उत्सर्जन को कम करने और भारत में अधिक लाभदायक, प्रतिस्पर्द्धी व टिकाऊ व्यवसायों एवं संगठनों को चलाने के लिये व्यापक माप तथा प्रबंधन रणनीतियों का निर्माण करता है।
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC): NAPCC को वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया था जिसका उद्देश्य जनता के प्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों के बीच जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे एवं इसका मुकाबला करने के लिये जागरूकता पैदा करना है।
- भारत स्टेज-VI मानदंड: भारत स्टेज-IV (BS-IV) के बाद भारत स्टेज-VI (BS-VI) नवीनतम उत्सर्जन संबंधी मानदंड है।
- वैश्विक:
- मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (MARS):
- MARS बड़ी मात्रा में मौजूदा और भविष्य के उपग्रहों से डेटा को एकीकृत करेगा, जो दुनिया में कहीं भी मीथेन उत्सर्जन की घटनाओं का पता लगाने की क्षमता रखता है तथा संबंधित हितधारकों को इस पर कार्रवाई करने के लिये सूचनाएँ भेजता है।
- वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा:
- वर्ष 2021 में ग्लासगो जलवायु सम्मेलन, CoP26 में लगभग 100 देश स्वैच्छिक प्रतिज्ञा में एक साथ आए थे, जिसे वैश्विक मीथेन प्रतिज्ञा के रूप में संदर्भित किया गया था, इसका उद्देश्य वर्ष 2020 के स्तर से वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को कम-से-कम 30% कम करना है।
- ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव:
- GMI एक अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक-निजी भागीदारी है जो स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में मीथेन के उपयोग के समक्ष उत्पन्न बाधाओं को कम करने पर बल देता है।
- मीथेन अलर्ट एंड रिस्पांस सिस्टम (MARS):
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. ‘मीथेन हाइड्रेट’ के निक्षेपों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (D) सही उत्तर है। Q. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-से फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वातावरण में छोड़े जाते हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
विजय दिवस और भारत-बांग्लादेश संबंध
प्रिलिम्स के लिये:भारत-पाक युद्ध 1971, विजय दिवस, ऑपरेशन जैकपॉट, भारत-बांग्लादेश संबंध मेन्स के लिये:बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भारत की भूमिका, भारत-बांग्लादेश संबंध और इसमें प्रमुख चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत व एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश के जन्म को चिह्नित करने के लिये हर साल 16 दिसंबर को भारतीय सशस्त्र बलों और बांग्लादेश द्वारा विजय दिवस (बिजॉय डिबोस) के रूप में मनाया जाता है।
बांग्लादेश की मुक्ति के लिये भारत-पाक युद्ध:
- पृष्ठभूमि:
- भारत की स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे जहाँ एक बड़ी समस्या दोनों क्षेत्रों के बीच भौगोलिक संपर्क न हो पाना थी।
- सांस्कृतिक संघर्ष और पूर्वी पाक के प्रशासन की लापरवाही भी एक प्रमुख चुनौती थी।
- 1960 के दशक के मध्य में शेख मुजीबुर रहमान (बांग्लादेश के राष्ट्रपिता) जैसे नेताओं ने पश्चिमी पाक की नीतियों का सक्रिय रूप से विरोध करना शुरू कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तानी सेना द्वारा क्रूरतापूर्ण कार्रवाई की गई।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे जहाँ एक बड़ी समस्या दोनों क्षेत्रों के बीच भौगोलिक संपर्क न हो पाना थी।
- भारत की भूमिका:
- 15 मई, 1971 को, भारत ने पाकिस्तान की सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध में लगे मुक्ति बाहिनी सेनानियों की भर्ती करने, प्रशिक्षण देने, हथियारबंद करने, आपूर्ति और सलाह संबंधी कारणों से ऑपरेशन जैकपॉट लॉन्च किया।
- 3 दिसंबर 1971 को भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमानों और हिंदुओं को बचाने के लिये पाकिस्तान के साथ युद्ध करने का फैसला किया। यह युद्ध 13 दिनों तक चला था।
- उसके बाद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की अनंतिम सरकारों के बीच एक लिखित समझौता हुआ, जिससे बांग्लादेश मुक्ति युद्ध समाप्त हो गया।
- महत्त्व:
- 51 वर्ष पूर्व 16 दिसंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद यह सबसे बड़ा सैन्यकर्मियों का आत्मसमर्पण था।
- पाकिस्तानी सेना के प्रमुख ने ढाका में भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी के सामने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया।
- विजय दिवस समारोह न केवल बांग्लादेश के लिये महत्त्वपूर्ण है बल्कि पूरे भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष अवसर भी है जो भारतीय सेना की महत्त्वपूर्ण भूमिका और युद्ध में इसके योगदान के महत्त्व को दर्शाता है।
- 51 वर्ष पूर्व 16 दिसंबर को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद यह सबसे बड़ा सैन्यकर्मियों का आत्मसमर्पण था।
स्वतंत्रता के बाद भारत-बांग्लादेश संबंध:
- भारत द्वारा तत्काल मान्यता:
- भारत बांग्लादेश को मान्यता देने और दिसंबर 1971 में इसकी स्वतंत्रता के तुरंत बाद राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले शुरुआती देशों में से एक था।
- संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों ने भी बांग्लादेश की स्वतंत्र पहचान को तुरंत मान्यता दे दी।
- रक्षा सहयोग:
- भारत और बांग्लादेश 4096.7 किमी. लंबी सीमा साझा करते हैं; जो कि भारत द्वारा अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ साझा की जाने वाली सबसे लंबी भूमि सीमा है।
- असम, पश्चिम बंगाल, मिज़ोरम, मेघालय और त्रिपुरा बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करते हैं।
- दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करते हैं - थल सेना (सम्प्रति सैन्याभ्यास) और नौसेना (मिलन सैन्य अभ्यास)।
- भारत और बांग्लादेश 4096.7 किमी. लंबी सीमा साझा करते हैं; जो कि भारत द्वारा अपने किसी भी पड़ोसी देश के साथ साझा की जाने वाली सबसे लंबी भूमि सीमा है।
- आर्थिक संबंध:
- वर्ष 2021-22 में बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और विश्व भर में भारतीय निर्यात के लिये चौथा सबसे बड़ा गंतव्य बनकर उभरा है।
- वित्त वर्ष 2020-21 में बांग्लादेश को किया जाने वाला निर्यात 9.69 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 66% से अधिक बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 16.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- हाल ही में बांग्लादेश के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया तथा भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत की जहाँ भारत और बांग्लादेश ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग हेतु 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- दोनों देशों के बीच संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ:
- उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद तीस्ता जल बँटवारे का अनसुलझा मुद्दा अभी भी व्यापक स्तर पर बना हुआ है।
- बांग्लादेशी लोगों द्वारा भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने की कोशिश की प्रतिक्रिया में भारतीय सैनिकों द्वारा गोलीबारी के दौरान कुछ बांग्लादेशी नागरिकों की मौत हो जाना भी भारत-बांग्लादेश के संबंधों के लिये चुनौतीपूर्ण रहा है।
- अपनी 'पड़ोसी पहले नीति' (Neighbourhood First Policy) के बावजूद भारत इस क्षेत्र में चीन के सामने अपना प्रभाव खोता जा रहा है; बांग्लादेश बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक सक्रिय भागीदार है।
आगे की राह
- बांग्लादेश सामाजिक संकेतकों के साथ क्षेत्र की सबसे तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है, जिससे भारत सहित अन्य देश सीख ले रहे हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है जिसके साथ भारत अपनी 'पड़ोसी पहले नीति’ में निहित आर्थिक या रणनीतिक आधारों की पूर्ण क्षमता का एहसास कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रश्न, तीस्ता नदी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: B प्रश्न: उन परिस्थितियों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये जिनके कारण भारत को बांग्लादेश के उदय में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करना पड़ा। (मुख्य परीक्षा, 2013) |