सूडान में गृह युद्ध
स्रोत: TH
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सूडानी सशस्त्र बलों (SAF) द्वारा खार्तूम और बहरी में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के खिलाफ हमला शुरू करने से कई महीनों से शांत रहा संघर्ष फिर से शुरू हो गया।
- यह हमला 18 महीने से अधिक समय से चल रहे गृहयुद्ध के बीच हुआ है, जिसमें अक्टूबर 2024 तक 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 11 मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं।
सूडान में गृह युद्ध का क्या कारण है?
- यह युद्ध SAF नेता अब्देल फतह अल-बुरहान और RSF नेता हमदान दगालो (हेमेदती) के बीच सत्ता संघर्ष में निहित है।
- इसकी शुरुआत खार्तूम में हुई थी लेकिन यह ओमदुरमान, बहरी, पोर्ट सूडान और दारफुर तथा कोर्डोफन राज्यों जैसे अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित हो गया।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- एंग्लो-मिस्र कॉन्डोमिनियम के दौरान सूडान, मिस्र और ब्रिटेन के अधीन एक संयुक्त संरक्षित राज्य था।
- सूडान को वर्ष 1956 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई तथा उसे उत्तर में धनी अरब मुस्लिमों और दक्षिण में ईसाई/एनिमिस्ट से आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- दो प्रमुख गृह युद्धों, प्रथम (वर्ष 1955-1972) और द्वितीय (वर्ष 1983-2005) के कारण लाखों लोगों की मृत्यु हुई, अत्याचार हुए और अंततः वर्ष 2011 में दक्षिण सूडान अलग हो गया।
- वर्ष 2005 में दूसरा गृह युद्ध शांति समझौते के साथ समाप्त हो गया लेकिन तनाव और आंतरिक संघर्ष (विशेष रूप से दारफुर में) बना रहा।
- उमर अल-बशीर का शासन:
- बशीर ने वर्ष 1989 में तख्तापलट के जरिये सत्ता हासिल की और 30 वर्षों तक सूडान पर शासन किया।
- इसके शासन में शरिया कानून को लागू किया गया, विद्रोहियों से लड़ने के लिये निजी मिलिशिया (जंजावीद) का इस्तेमाल किया गया तथा अल्पसंख्यक धर्मों पर अत्याचार किया गया।
- दारफुर में नरसंहार के लिये इसके शासन की निंदा की गई, इसमें विशेष रूप से फुर, ज़गहवा और मसलित जैसे गैर-अरब समूहों को निशाना बनाया गया।
- बशीर का तख्तापलट:
- वर्ष 2019 तक बशीर के दमनकारी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तीव्र हो गए, जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल में SAF और RSF दोनों द्वारा समर्थित तख्तापलट द्वारा उसे हटा दिया गया।
- इसके तख्तापलट के बाद सूडान सैन्य और नागरिक नेतृत्व के तहत एक संक्रमणकालीन चरण में शामिल हो गया।
- RSF की उत्पत्ति और शक्ति:
- RSF का उदय जन-जावेद मिलिशिया से हुआ, जो दारफुर संघर्ष में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा, जो व्यापक अत्याचारों के लिये ज़िम्मेदार माना जाता है।
- औपचारिक रूप से 2013 में संगठित RSF ने विशेष रूप से सोने की खदानों पर नियंत्रण के माध्यम से धन प्राप्त किया।
- संक्रमणकालीन सरकार:
- बशीर के पतन के बाद, एक संक्रमणकालीन संप्रभुता परिषद का गठन किया गया।
- प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक, एक नागरिक नेता, आर्थिक स्थिरता चाहते थे, लेकिन वर्ष 2021 में SAF और RSF के नेतृत्व में हुए तख्तापलट ने उन्हें हटा दिया। बाद में उनके इस्तीफे के पश्चात् सूडान में प्रभावी नागरिक नेतृत्व नहीं रह गया।
- दिसंबर 2022 के समझौते:
- दिसंबर 2022 के समझौते में नागरिक शासन के लिये दो वर्ष के संक्रमण की रूपरेखा तैयार की गई थी।
- हालाँकि सशस्त्र बलों में RSF के एकीकरण को लेकर तनाव उत्पन्न हो गया तथा बुरहान और हेमेदती के बीच समयसीमा पर असहमति उत्पन्न हुई।
- वैगनर ग्रुप जैसे विदेशी तत्वों की संलिप्तता और संयुक्त अरब अमीरात से प्राप्त सैन्य सहायता ने संघर्ष को और जटिल बना दिया है, जिससे इसका समाधान कठिन हो गया है।
सूडान में निरंतर संघर्ष के क्या कारण हैं?
- सत्ता संघर्ष: SAF और RSF दोनों ही सत्ता को सुदृढ़ करने के लिये दृढ़ संकल्प हैं, प्रत्येक गुट दूसरे पर प्रभुत्व चाहता है।
- SAF का दावा है, कि वह वैध सरकार है, जबकि RSF इसे चुनौती दे रहा है।
- शस्त्र आपूर्ति: वर्ष 2004 के डारफूर संकट के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा शस्त्र प्रतिबंध के बावज़ूद, देश में शस्त्रों का प्रवाह जारी है।
- उन्नत सैन्य उपकरण, प्रायः रूस, चीन और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आपूर्ति किये जाते हैं।
- जातीय तनाव: संघर्ष ने जातीय आयाम ले लिया है।
- उदाहरण के लिये दारफुर में अरब मिलिशिया RSF का समर्थन करते हैं, जबकि मसलित जैसे गैर-अरब समुदाय SAF का समर्थन करते हैं।
- विदेशी हस्तक्षेप: प्रत्येक पक्ष को बाह्य समर्थन प्राप्त हो रहा है, जिससे समझौता करने या शांति स्थापित करने की उनकी प्रेरणा कम हो रही है।
- असफल शांति वार्ता: कई युद्ध विराम के प्रयासों के बावजूद, विशेष रूप से सऊदी अरब और अमेरिका द्वारा जेद्दा घोषणा (वर्ष 2023) जैसे प्रयासों के बावजूद, कोई भी सफल नहीं हुआ है।
कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन चार्टर
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) के सदस्यों (भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस) ने कोलंबो में CSC सचिवालय की स्थापना हेतु एक चार्टर एवं समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- इसमें बांग्लादेश अनुपस्थित रहा तथा सेशेल्स ने पर्यवेक्षक राज्य के रूप में भाग लिया।
कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- CSC की पृष्ठभूमि: इसे मूल रूप से समुद्री सुरक्षा पर NSA ट्राईलेटरल के रूप में जाना जाता था और इसे वर्ष 2011 में भारत, श्रीलंका एवं मालदीव के बीच स्थापित किया गया था।
- यह हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिये श्रीलंका की एक पहल थी।
- सदस्य: भारत, श्रीलंका और मालदीव इसके संस्थापक सदस्य थे।
- वर्ष 2022 में मॉरीशस जबकि बांग्लादेश वर्ष 2024 में इस सम्मेलन में शामिल हुआ। सेशेल्स इसमें एक पर्यवेक्षक राज्य है।
- CSC के लक्ष्य: CSC के तहत सहयोग पाँच लक्ष्यों पर केंद्रित है:
- समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा।
- आतंकवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना।
- तस्करी और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध का मुकाबला करना।
- साइबर सुरक्षा तथा रणनीतिक बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी की सुरक्षा।
- मानवीय सहायता एवं आपदा राहत।
- रक्षा अभ्यास: नवंबर 2021 में भारत, श्रीलंका और मालदीव ने मालदीव में अभ्यास दोस्ती XV का आयोजन किया।
- इसके बाद भारत, श्रीलंका और मालदीव ने CSC के तत्वावधान में अरब सागर में अपना पहला संयुक्त अभ्यास किया।
- संवाद और बैठकें: तीनों देशों के बीच प्रथम वार्ता वर्ष 2011 में मालदीव में हुई, इसके बाद श्रीलंका (2013) और भारत (2014) में बैठकें हुईं।
- भारत-मालदीव के बीच बढ़ते तनाव और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण वर्ष 2014 के बाद यह वार्ता स्थिर हो गई।
- इसे वर्ष 2020 में पुनर्जीवित किया गया और कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव के रूप में पुनः स्थापित किया गया।
- CSC का महत्त्व: CSC भारत की हिंद महासागर में पहुँच को मज़बूत करता है, चीन के प्रभाव का सामना करता है, समुद्री सुरक्षा को बढ़ाता है, यह सागर (SAGAR) दृष्टिकोण के साथ संरेखित है, और साझा सुरक्षा मंच पर छह हिंद महासागर देशों के बीच उप-क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है।
हिंद महासागर भारत के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- केंद्र स्थल: अफ्रीका से आस्ट्रेलिया तक फैला हिंद महासागर भारत को प्रमुख समुद्री मार्गों पर नियंत्रण रखने की स्थिति में रखता है, जिसमें मलक्का और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे महत्त्वपूर्ण बैरियर पॉइंट भी शामिल हैं, जो वैश्विक व्यापार और राष्ट्रीय हितों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- व्यापार मार्ग: भारत ऐतिहासिक रूप से हिंद महासागर में एक स्थायी शक्ति के रूप में कार्य करता रहा है, तथा उसके सामरिक जल के 40% भाग पर अधिग्रहण रखता है।
- मात्रा की दृष्टि से भारत का लगभग 95% तथा मूल्य की दृष्टि से 68% व्यापार हिंद महासागर से होकर गुजरता है।
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिये हिंद महासागर पर बहुत अधिक निर्भर है तथा अपनी लगभग 80% कच्चे तेल की आवश्यकता इसी मार्ग से आयात करता है।
- खनिजों से समृद्ध: हिंद महासागर विश्व के अपतटीय तेल उत्पादन का 40% तथा निकल, कोबाल्ट और ताँबे जैसे खनिजों का भंडार है।
- मत्स्य उद्योग: हिंद महासागर में महत्त्वपूर्ण मत्स्याग्रह क्षेत्र हैं, भारत का मत्स्य उद्योग लगभग 14 मिलियन लोगों को रोज़गार देता है।
जनजातीय कल्याण परियोजनाओं का शुभारंभ
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने झारखंड के हज़ारीबाग में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान सहित 80,000 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
- उन्होंने 40 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) का उद्घाटन किया और प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN) के तहत कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी।
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान क्या है?
- मूल रूप से PM जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (PM-JUGA) नाम से आरंभ हुई यह योजना 63,000 अनुसूचित जनजाति बहुल गाँवों में मौज़ूदा योजनाओं को लागू करने के लिये एक व्यापक योजना है।
- धरती आबा का तात्पर्य झारखंड के 19वीं सदी के आदिवासी नेता और उपनिवेशवाद विरोधी प्रतीक बिरसा मुंडा से है।
- इस पहल का उद्देश्य भारत सरकार के विभिन्न 17 मंत्रालयों और विभागों द्वारा कार्यान्वित 25 हस्तक्षेपों के माध्यम से सामाजिक बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका में महत्त्वपूर्ण अंतराल को दूर करना है।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) क्या हैं?
- EMRS संपूर्ण भारत में अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिये आदर्श आवासीय विद्यालय निर्माण की एक योजना है। इसकी शुरुआत वर्ष 1997-98 में हुई थी। इसका नोडल मंत्रालय जनजातीय मामलों का मंत्रालय है।
- इन विद्यालयों का विकास आदिवासी विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये किया जा रहा है, जिसमें शैक्षणिक के साथ-साथ समग्र विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- EMR विद्यालय CBSE पाठ्यक्रम का पालन करते हैं।
- इस योजना का उद्देश्य जवाहर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों के समान विद्यालयों का निर्माण करना है, जिसमें स्थानीय कला और संस्कृति के संरक्षण के लिये अत्याधुनिक सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, साथ ही खेल और कौशल विकास में प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN) क्या है?
- PVTG के सामाजिक-आर्थिक कल्याण में सुधार के लिये जनजातीय गौरव दिवस पर 15 नवंबर 2023 को PM-JANMAN का शुभारंभ किया गया।
- इसका क्रियान्वयन जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों और PVTG समुदायों के सहयोग से किया जाता है।
- इसमें PM-आवास योजना के तहत सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल तक पहुँच, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पोषण, सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी के साथ-साथ स्थायी आजीविका के अवसर सहित विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
- इस योजना में वन उपज के व्यापार के लिये वन धन विकास केंद्रों की स्थापना, 1 लाख घरों के लिये ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा प्रणाली और सौर स्ट्रीट लाइटें भी शामिल हैं।
- इस योजना से PVTG के जीवन की गुणवत्ता और कल्याण में, इनके साथ होने वाले भेदभाव और बहिष्कार के विभिन्न रूपों को संबोधित करके तथा राष्ट्रीय और वैश्विक विकास में उनके अद्वितीय और मूल्यवान योगदान को महत्त्व देकर, वृद्धि होने की उम्मीद है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह [पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल गुप्स (PVTGs)] के बारे में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: C |
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) के विकास को मंजूरी दी है।
- इसे भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के लिये पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा विकसित किया जाएगा।
- इस मंत्रालय के अधीन दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय (DGLL) दीपस्तंभ संग्रहालय के निर्माण के लिये धन उपलब्ध कराएगा, जो विश्व का सबसे ऊँचा संग्रहालय होगा।
- लोथल: यह गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित हड़प्पा सभ्यता के सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक है।
- ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 2,200 ई.पू. में हुआ था। लोथल में विश्व का सबसे पुराना ज्ञात डॉक था, जो शहर को साबरमती नदी के प्राचीन मार्ग से जोड़ता था।
- लोथल को अप्रैल 2014 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
- लोथल की खोज वर्ष 1954 में एस.आर. राव ने की थी।
- सुरकोटदा और धोलावीरा गुजरात के अन्य महत्वपूर्ण हड़प्पा स्थल हैं।
और पढ़ें: लोथल: विश्व का सबसे पुराना ज्ञात बंदरगाह
यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की 150 वीं वर्षगाँठ
स्रोत: पी.आई.बी.
विश्व डाक दिवस (9 अक्तूबर) के अवसर पर केंद्र सरकार के डाक विभाग ने यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की 150वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में स्मारक डाक टिकटों का एक विशेष सेट जारी किया।
- UPU एक संयुक्त राष्ट्र विशेष अभिकरण है, जो डाक क्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये प्राथमिक मंच है।
- UPU की स्थापना 9 अक्तूबर 1874 को बर्न, स्विटज़रलैंड में हुई थी, जो भारत में वर्ष 1876 में UPU में शामिल हुआ।
- UPU ने अंतर्राष्ट्रीय डाक विनियमों को मानकीकृत करने तथा निर्बाध मेल विनिमय को सुगम बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- UPU का मुख्यालय बर्न में स्थित है, यह अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ यूनियन (1865) के पश्चात् विश्व भर में दूसरा सबसे पुराना अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
- वर्ष 2024 में भारतीय डाक की स्थापना के 170 वर्ष पूरे होंगे, जिसकी स्थापना वर्ष 1854 में लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल के दौरान हुई थी।
भारत में डाक सेवा:
- वर्ष 1852: भारत का पहला डाक टिकट "सिंडे डॉक" जारी किया गया।
- वर्ष 1854: बम्बई में भारत के पहले डाकघर की स्थापना।
और पढ़ें: यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन
AI कंप्यूटिंग के लिये संशोधित खरीद मानदंड
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) ने स्टार्ट-अप सहित विभिन्न कंपनियों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये इंडियाAI मिशन के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंप्यूटिंग क्षमता के लिये अपने खरीद मानदंडों को संशोधित किया है।
संशोधित खरीद मानदंड:
- वार्षिक टर्नओवर संबंधी आवश्यकताएँ: प्राथमिक रूप से बोली लगाने वालों के लिये इसे 100 करोड़ रुपए से घटाकर 50 करोड़ रुपए कर दिया गया है, जबकि गैर-प्राथमिक कंसोर्टियम सदस्यों को अब 50 करोड़ रुपए से घटाकर 25 करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
- प्राथमिक रूप से बोली लगाने वाले वह हैं, जो किसी बोली के जवाब में पेश किये गए सभी सब्कान्ट्रैक्टर के सफल प्रदर्शन के लिये पूर्ण रूप से ज़िम्मेदार होते हैं।
- ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) संबंधी आवश्यकताएँ: 1,000 GPU की आवश्यकता को AFP 16 (हाफ प्रिसिजन) के लिये 300 TFLOPS (टेरा फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन प्रति सेकंड) की प्रदर्शन सीमा से बदलकर 150 TFLOPS कर दिया गया।
- AI कंप्यूट मेमोरी की आवश्यकता 40 GB से घटाकर 24 GB कर दी गई।
- TFLOPS किसी सिस्टम की कंप्यूटिंग क्षमता को मापता है; उदाहरण के लिये, 10 TFLOPS का अर्थ है कि यह प्रति सेकंड 10 ट्रिलियन FP16 गणनाएँ कर सकता है।
- लोकल सोर्सिंग: 'मेक इन इंडिया' पहल का अनुपालन करने के लिये AI क्लाउड सेवाओं के लिये घटकों को श्रेणी I (50% स्थानीय सामग्री) या श्रेणी II (20-50% स्थानीय सामग्री) आपूर्तिकर्त्ताओं से खरीदा जाना चाहिये।
अधिक पढ़ें: इंडियाAI मिशन
USCIRF अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट
स्रोत: लाइव मिनट
हाल ही में भारत ने अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को खारिज कर दिया और इसे राजनीतिक एजेंडे वाला पक्षपाती संगठन करार दिया।
USCIRF रिपोर्ट (2024) की मुख्य विशेषताएँ:
- रिपोर्ट में भारत को "विशेष चिंता वाला देश" (Country of Particular Concern- CPC) के रूप में घोषित करने की मांग की गई।
- जो देश धार्मिक स्वतंत्रता का योजनानुसार, निरंतर और गंभीर रूप से उल्लंघन करते हैं, उन्हें अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा CPC के रूप में नामित किया जाता है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि निगरानी समूहों ने व्यक्तियों की हत्या की, उन पर हमला किया और उन्हें पीट-पीटकर मार डाला, जबकि धार्मिक नेताओं को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया तथा घरों एवं पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया गया।
- इसने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019, समान नागरिक संहिता और राज्य स्तरीय धर्मांतरण और गोहत्या विरोधी कानूनों की भी आलोचना की।
USCIRF: USCIRF एक अमेरिकी संघीय आयोग है जिसकी स्थापना वर्ष 1998 में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत की गई थी, जिसके आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति और दोनों दलों के कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा की जाती है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों पर आधारित है, विशेष रूप से मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 18 पर, जो धर्म की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
- यह अमेरिका के अलावा अन्य देशों में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के सार्वभौमिक अधिकार (FORB) की निगरानी करता है।
और पढ़ें: मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा