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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सूडान में नई संप्रभु परिषद

  • 22 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सूडान में प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक (Abdalla Hamdok) की नई सरकार सत्ता में आई है।

प्रमुख बिंदु

  • ऐसा पहली बार है कि सूडान के राष्ट्रपति उमर अल-बशीर जो कि वर्ष 1989 से सत्तासीन है, का तख्तापलट करते हुए सूडान पूर्ण सैन्य शासन के अधीन नहीं है।
  • नए संप्रभु परिषद ने ट्रांज़िशनल मिलिट्री काउंसिल (Transitional Military Council-TMC) का स्थान लिया है जो कि उमर अल-बशीर को हटाए जाने के बाद बनाई गई थी।
  • 11 सदस्यों वाला यह नई संप्रभु परिषद (New sovereign council) नागरिकों के प्रभुत्त्व वाली एक शाषी परिषद है, लेकिन इसका नेतृत्व जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान (Omar al-Bashir) करेंगे, जो पहले TMC (Transitional Military Council) का नेतृत्व कर रहे थे।
  • 39 महीने की संक्रमण अवधि के दौरान पहले 21 महीनों के लिये जनरल बुरहान सूडान का नेतृत्व करेंगे, जब तक कि सूडान में एक पूर्ण नागरिक सरकार का गठन नहीं होता।

Sudan

उमर अल-बशीर

  • पिछले कुछ माह से बशीर के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे थे।
  • पूर्व में सेना अधिकारी रहे ओमर अल बशीर वर्ष 1989 में सेना के तख़्तापलट के बाद सत्ता पर काबिज हुए थे।
  • उनके शासन काल में सूडान को भयंकर गृहयुद्ध का सामना करना पड़ा। वर्ष 2005 में साउथ सूडान में गृहयुद्ध समाप्त हुआ और वर्ष 2011 में यह एक नया देश बना।
  • लेकिन देश के पश्चिमी हिस्से दारफ़ुर में एक और गृहयुद्ध छिड़ गया और बशीर पर युद्ध अपराध कराने के आरोप लगे।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की ओर से जारी गिरफ़्तारी वारंट के बावजूद बशीर ने वर्ष 2010 और 2015 का चुनाव जीता। हालाँकि उनके पिछले चुनाव के दौरान विपक्ष ने चुनाव का बहिष्कार करने का आह्वान किया था।
  • गिरफ्तारी वारंट के कारण बशीर की अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बावजूद उन्होंने मिस्र, सउदी अरब और दक्षिण अफ़्रीका की यात्राएँ कीं।
  • वर्ष 2015 में दक्षिण अफ्रीका के एक न्यायालय में उनकी गिरफ्तारी पर सुनवाई शुरू हुई तो वह अपना दौरा ख़त्म कर सूडान वापस लौट गए।

कौन हैं अब्दुल्ला हमदोक?

  • इनका जन्म वर्ष 1956 में सूडान के मध्य कोर्डोफन (Kordofan) प्रांत में हुआ।
  • मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से इन्होंने आर्थिक अध्ययन में PhD की उपाधि प्राप्त की।
  • 1990 के दशक में जिम्बाब्वे में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) के मुख्य तकनीकी सलाहकार और बाद में आइवरी कोस्ट में अफ्रीकी विकास बैंक (African Development Bank) में प्रमुख नीति अर्थशास्त्री के रूप में कार्य किया।
  • नवंबर 2011 से अफ्रीका के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग (Economic Commission for Africa-ECA) के उप-कार्यकारी सचिव के रूप में सेवा की।

स्रोत: द हिंदू

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