भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति
प्रिलिम्स के लिये:पंद्रहवाँ वित्त आयोग, समवर्ती सूची, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग मेन्स के लिये:भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के 19वें स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन, 2022 को संबोधित किया और इस क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला।
- CII सलाहकार एवं परामर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से उद्योग, सरकार और नागरिक समाज की भागीदारी के साथ भारत के विकास हेतु अनुकूल वातावरण बनाने और बनाए रखने के लिये काम करता है।
मुख्य सिफारिशें/मुद्दे:
- स्वास्थ्य को समवर्ती सूची में शामिल करना:
- संविधान के अंतर्गत 'स्वास्थ्य' शब्द को समवर्ती सूची में शामिल किया जाना चाहिये।
- 'द मिसिंग मिडिल' के लिये स्वास्थ्य बीमा को सार्वभौमिक बनाने की भी वकालत की।
- द मिसिंग मिडिल (The Missing Middle): वे लोग जो न तो इतने अमीर हैं कि निजी स्वास्थ्य कवर खरीद सकें और न ही इतने गरीब कि सरकारी योजनाओं के लिये अर्हता प्राप्त कर सकें।
- सार्वजनिक परिव्यय में वृद्धि:
- वर्ष 2025 तक सार्वजनिक परिव्यय (स्वास्थ्य पर व्यय) को जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाने की आवश्यकता है।
- यह इस वर्ष के बजट आँकड़ों की तुलना में एक बड़ी छलाँग होगी और राज्यों को स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये अपने बजट का 8% लक्षित करने की आवश्यकता होगी, जो 'एक कठिन चुनौती' है।
- वर्ष 2025 तक सार्वजनिक परिव्यय (स्वास्थ्य पर व्यय) को जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाने की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च में राज्यों में भिन्नताएँ:
- आवश्यकता इस बात की है कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च और उसके परिणाम संबंधी अंतर-राज्यीय भिन्नताओं की पहचान की जाए।
- उदाहरण के लिये मेघालय को छोड़कर, कई राज्य अपने बजट का 8% से कम स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च कर रहे हैं। वर्ष 2018-19 में औसत 5.18% रहा है।
- बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड का प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च केरल और तमिलनाडु की तुलना में लगभग आधा है।
- आवश्यकता इस बात की है कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च और उसके परिणाम संबंधी अंतर-राज्यीय भिन्नताओं की पहचान की जाए।
- विकास वित्तीय संस्थान:
- वित्त आयोग प्रमुख ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये एक विकास वित्तीय संस्थान स्थापित करने का भी सुझाव दिया।
- विकास वित्तीय संस्थान विशेष रूप से विकासशील देशों में विकास/परियोजना वित्त प्रदान करने के लिये स्थापित विशेष संस्थान हैं। ये आमतौर पर राष्ट्रीय सरकारों के स्वामित्त्व वाले होते हैं।
- वित्त आयोग प्रमुख ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये एक विकास वित्तीय संस्थान स्थापित करने का भी सुझाव दिया।
- CSS का पुनर्गठन:
- इसके अतिरिक्त, यह सुझाव दिया गया था कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं (Centrally Sponsored Schemes-CSS) को पुनर्गठित किया जाना चाहिये ताकि राज्यों द्वारा अपनाए जाने और नवाचार के लिये उन्हें और अधिक लचीला बनाया जा सके।
भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का परिदृश्य:
- परिचय:
- स्वास्थ्य सेवाओं में अस्पताल, चिकित्सा उपकरण, नैदानिक परीक्षण, आउटसोर्सिंग, टेलीमेडिसिन, चिकित्सा पर्यटन, स्वास्थ्य बीमा और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं।
- भारत की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली को दो प्रमुख घटकों में वर्गीकृत किया गया है - सार्वजनिक और निजी।
- सरकार (सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली) प्रमुख शहरों में सीमित माध्यमिक और तृतीयक देखभाल संस्थानों को शामिल करती है और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों (Primary Healthcare Centres-PHC) के रूप में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
- निजी क्षेत्र, महानगरों या टियर-I और टियर-II शहरों में अधिकांश माध्यमिक, तृतीयक और चतुर्थक देखभाल संस्थान केंद्रित है।T
- भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र की क्षमता:
- भारत का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ अच्छी तरह से प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों के अपने बड़े पूल में निहित है। भारत एशिया और पश्चिमी देशों में अपने साथियों की तुलना में लागत प्रतिस्पर्धी भी है। भारत में सर्जरी की लागत अमेरिका या पश्चिमी यूरोप की तुलना में लगभग दसवाँ हिस्सा है।
- इस क्षेत्र में तेज़ी से वृद्धि के लिये भारत के पास सभी आवश्यक सामग्री है, जिसमें एक बड़ी आबादी, एक मज़बूत फार्मा और चिकित्सा आपूर्ति शृंखला, 750 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्त्ता तक आसान पहुँच के साथ विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप पूल और वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिये नवीन तकनीकी उद्यमी शामिल हैं।
- देश में विकास और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु चिकित्सा उपकरणों का तेज़ी से नैदानिक परीक्षण करने के लिये लगभग 50 क्लस्टर होंगे।
- जीवन प्रत्याशा, स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव में बदलाव, वरीयताओं में बदलाव, बढ़ते मध्यम वर्ग, स्वास्थ्य बीमा में वृद्धि, चिकित्सा सहायता, बुनियादी ढाँचे के विकास और नीति समर्थन तथा प्रोत्साहन इस क्षेत्र को आगे बढ़ाएंँगे।
- वर्ष 2021 तक भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भारत के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है क्योंकि इसमें कुल 4.7 मिलियन लोग कार्यरत हैं। इस क्षेत्र ने वर्ष 2017-22 के बीच भारत में 2.7 मिलियन अतिरिक्त नौकरियाँ उत्पन्न की हैं (प्रति वर्ष 500,000 से अधिक नई नौकरियाँ)।
स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र से संबंधित पहल:
आगे की राह
- भारत की बड़ी आबादी के कारण बोझ से दबे सरकारी अस्पतालों के बुनियादी ढाँचे में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
- सरकार को निजी अस्पतालों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, क्योंकि इनका स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- चूँकि कठिनाइयाँ गंभीर हैं और केवल सरकार द्वारा ही इसका समाधान नहीं किया जा सकता है, निजी क्षेत्र को भी इसमें शामिल होना चाहिये।