सामाजिक न्याय
राज्यों की स्वास्थ्य प्रणाली पर रिपोर्ट
- 17 Oct 2019
- 13 min read
प्रीलिम्स के लिये:
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष और इसके मापदंड; राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं इससे संबंधित अन्य पहलें
मेन्स के लिये:
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष, महत्त्व और भूमिका; राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उपलब्धियाँ, भारत में स्वास्थ्य से संबंधित और उनके के सरकार के द्वारा किये गये प्रयास
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों की हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग- कंडीशनेलिटी रिपोर्ट ऑफ स्टेट्स (Health System Strengthening-Conditionality Report of States) 2018-19 जारी की।
- रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM) के विभिन्न मानकों पर 14 राज्यों के खराब प्रदर्शन के कारण उनकी प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई है।
कंडीशनेलिटी आधारित वित्तीयन का महत्त्व:
- निष्पादन आधारित प्रोत्साहन (Performance Based Incentives) किसी भी प्रणाली की उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने का कुशल तरीका है।
- इसी उद्देश्य से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कुछ कंडीशनेलिटिज़ (शर्तों) को जोड़ा गया है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के तहत 80% वित्त का आवंटन सामान्य प्रक्रिया से किया जाता है, जबकि 20% वित्त का आवंटन राज्य के निष्पादन पर निर्भर करता है।
- यह सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद के माध्यम से देशभर में बेहतर स्वास्थ्य परिणामों को प्रोत्साहित करता है।
कंडीशनेलिटी फ्रेमवर्क
- वर्ष 2018-19 के लिये कंडीशनेलिटी फ्रेमवर्क में सात प्रमुख संकेतक शामिल हैं, जिनके आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के निष्पादन का आकलन किया गया है।
- प्रोत्साहनों (Incentives) का दावा करने के लिये पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज (Full Immunization Coverage) को क्वालीफाइंग मानक के रूप में स्थापित किया गया था।
संकेतक | भारांश |
नीति आयोग की रिपोर्ट आधारित स्वास्थ्य परिणामों पर वृद्धिशील सुधार | 40 |
स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का परिचालन | 20 |
मानव संसाधन सूचना प्रणाली (Human Resource Information System- HRIS) का क्रियान्वयन | 15 |
ज़िला अस्पतालों की ग्रेडिंग | 10 |
ज़िलों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता | 5 |
30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग | 5 |
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (ग्रामीण और शहरी) की कार्यात्मकता आधारित रेटिंग | 5 |
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- वर्ष 2018-19 के लिये 20 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश प्रोत्साहन अर्जित करने में सफल रहे।
- दो राज्यों ने न तो प्रोत्साहन राशि प्राप्त की और न ही उन्हें दंडित किया गया, जबकि शेष राज्यों को खराब प्रदर्शन के लिये दंडित किया गया।
- अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और सिक्किम पूर्ण टीकाकरण के न्यूनतम मानदंड (पूर्वोतर एवं EAG राज्यों के लिये 75%) को पूरा नहीं कर सके, इसलिये इन राज्यों के निष्पादन का मूल्यांकन नहीं किया गया तथा चारों राज्यों को दंडित किया गया।
- पूर्वोत्तर राज्यों में असम, त्रिपुरा तथा मणिपुर ने ही प्रगति दर्ज कराई है और ये प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने में सफल रहे।
- बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश तथा मिज़ोरम का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। अत: दंडस्वरूप राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इन राज्यों के निष्पादन आधारित प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई है।
- दादरा और नगर हवेली, हरियाणा, असम, केरल एवं पंजाब सबसे अच्छा निष्पादन करने वाले शीर्ष पाँच राज्य हैं।
- जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को निर्धारित संकेतकों पर खराब निष्पादन के कारण दंडित करते हुए इनके प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई।
- सशक्त कार्यवाही समूह राज्यों में ओडिशा ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया।
सशक्त कार्यवाही समूह
(Empowered Action Group- EAG)
- आठ राज्यों के समूह जिसमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं, को सशक्त कार्यवाही समूह कहा जाता है।
- ये राज्य सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं, साथ ही जनसांख्यिकीय संक्रमण में पिछड़ गए हैं और देश में सबसे अधिक शिशु मृत्यु दर इन्हीं राज्यों में है।
- देश की कुल शिशु मृत्यु दर में 60% हिस्सा इन्हीं राज्यों का है।
- नीति आयोग के स्वास्थ्य परिणामों पर प्रदर्शन संकेतक में 36 में से 20 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने प्रगति दिखाई है, जबकि 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है।
- पंजाब और दमन एवं दीव क्रमशः राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों के परिचालन के मामले में शीर्ष पर रहे।
- मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के निर्धारित मानदंड क्रियान्वित न करने के कारण पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, बिहार एवं नगालैंड की प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई है।
- 31 में से 27 राज्यों में कम-से-कम 75% ज़िले मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। EAG राज्यों में केवल उत्तर प्रदेश और झारखंड ऐसे राज्य हैं जिनमे 75% से भी कम ज़िले मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करा रहे हैं।
- 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग के मानक पर 23 राज्यों ने आवश्यक मापदंड पूरा किया। इस मानक पर तमिलनाडु, गोवा, दमन और दीव क्रमशः शीर्ष तीन राज्य रहे।
- असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, पंजाब और त्रिपुरा ने मानव संसाधन सूचना प्रणाली के कार्यान्वयन के लिये पूर्ण प्रोत्साहन अर्जित किया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन: एक सिंहावलोकन
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की वर्ष 2013 में शुरुआत की गई थी।
- वर्ष 2018 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को मार्च, 2020 तक जारी रखने का निर्णय लिया गया।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में चार घटक शामिल हैं-
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
- राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन
- तृतीयक देखभाल कार्यक्रम
- स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा के लिये मानव संसाधन।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रजनन-मातृ-नवजात शिशु-बाल एवं किशोरावस्था स्वास्थ्य (Reproductive-Maternal-Neonatal-Child and Adolescent Health- RMNCH+A) तथा संक्रामक व गैर-संक्रामक रोगों के दोहरे बोझ से निपटने के लिये ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणाली के सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य न्यायसंगत, वहनीय और गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौम पहुँच सुनिश्चित करना है जो कि लोगों की आवश्यकताओं के प्रति ज़वाबदेह एवं उत्तरदायी हो।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य निम्नलिखित संकेतकों की प्राप्ति सुनिश्चित करना है-
- मातृ मृत्यु दर (MMR) को 1/1000 के स्तर पर लाना।
- शिशु मृत्यु दर (IMR) को 25/1000 के स्तर पर लाना।
- कुल प्रजनन दर (TFR) को कम करके 2.1 पर लाना।
- 15-49 वर्ष की महिलाओं में एनीमिया रोकथाम एवं नियंत्रण।
- संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों, चोटों तथा उभरते रोगों से होने वाली मौतों को नियंत्रित करना।
- कुल स्वास्थ्य देखभाल खर्च में व्यक्तिगत आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय में कमी लाना।
- क्षय रोग के वार्षिक मामलों एवं मृत्यु दर को घटाकर आधा करना।
- कुष्ठ रोग की व्यापकता को <1/10000 के स्तर पर लाना और सभी ज़िलों में नए मामलों को भी शून्य तक लाना।
- मलेरिया के वार्षिक मामलों को <1/1000 के स्तर पर लाना।
- सभी ज़िलों में माइक्रोफाइलेरिया की व्यापकता को एक प्रतिशत तक कम करना।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उपलब्धियाँ और नवीन पहलें
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत के बाद से MMR, पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर अर्थात् अंडर फाइव मॉर्टेलिटी रेट (U5MR) और IMR में गिरावट आई है।
- भारत में मलेरिया से होने वाली मौतों में वर्ष 2013 और वर्ष 2017 में क्रमश: 49.09% एवं 50.52% तक की कमी दर्ज की गई है।
- संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम को और सघन किया गया है। पूरे देश में सभी टीबी रोगियों को बेडाक्विलीन और डेलमिनायड की नई दवा की खुराक एवं उपचारावधि के दौरान पोषण सहायता दी जा रही है।
- वर्ष 2018-19 में 52744 आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (AB-HWC) को मंज़ूरी दी गई, जिसके तहत 15000 के लक्ष्य के प्रति 17149 HWC का संचालन किया गया।
- टेटनस टॉक्साइड वैक्सीन को टेटनस डिप्थीरिया वैक्सीन से प्रतिस्थापित कर दिया गया है जिससे सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत वयस्कों में डिप्थीरिया प्रतिरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
- वर्ष 2018 में 17 अतिरिक्त राज्यों में मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान चलाया गया, जिसमें मार्च 2019 तक 30.50 करोड़ बच्चों को शामिल किया गया।
- वर्ष 2018-19 के दौरान रोटावायरस वैक्सीन अतिरिक्त दो राज्यों में शुरू किया गया जिससे वर्तमान में सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को इसके अंतर्गत लाभ पहुँचाया जा रहा है।
- वर्ष 2018-19 के दौरान न्यूमोकोकल कंजुगेटेड वैक्सीन (Pneumococcal Conjugated Vaccine- PCV) का विस्तार मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के शेष ज़िलों में किया गया।
- पोषण अभियान के तहत अप्रैल 2018 में एनीमिया-मुक्त भारत अभियान शुरू किया गया था।
- राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम को हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई की रोकथाम, प्रबंधन एवं उपचार के लिये अनुमोदित किया गया है जिससे हेपेटाइटिस के अनुमानित 5 करोड़ रोगी लाभान्वित होंगे।