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सूडान संकट और ऑपरेशन कावेरी

  • 25 Apr 2023
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लाल सागर, नील नदी, सूडान संकट, ऑपरेशन कावेरी, रैपिड सपोर्ट फोर्सेज़

मेन्स के लिये:

सूडान संकट के कारक और इस क्षेत्र में भारत की विदेश नीति के संभावित निहितार्थ।

चर्चा में क्यों?

सूडान में मौजूदा संकट के कारण भारत ने अपने नागरिकों को वहाँ से निकालने के लिये 'ऑपरेशन कावेरी' शुरू किया है।

  • लगभग 3,000 भारतीय सूडान के विभिन्न हिस्सों में फँसे हुए हैं, जिनमें राजधानी खार्तूम और दारफुर जैसे दूरस्थ प्रांत भी शामिल हैं।

ऑपरेशन कावेरी:

  • ‘ऑपरेशन कावेरी’ सूडान में सेना और एक प्रतिद्वंद्वी अर्द्धसैनिक बल के बीच तीव्र लड़ाई के चलते वहाँ फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने हेतु भारत के निकासी प्रयास का एक कोडनेम है।
  • इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना के INS सुमेधा, एक गुप्त अपतटीय गश्ती पोत और जेद्दा में स्टैंडबाय पर दो भारतीय वायु सेना C-130J के विशेष संचालन विमानों की तैनाती शामिल है।
  • सूडान में लगभग 2,800 भारतीय नागरिक हैं जिनमें से लगभग 1,200 भारतीयों का समुदाय वहाँ पर बसा हुआ है।

सूडान में वर्तमान संकट:

  • पृष्ठभूमि:
    • व्यापक विरोध के बाद अप्रैल 2019 में सैन्य जनरलों द्वारा लंबे समय से राष्ट्रपति पद पर काबिज उमर अल-बशीर को उखाड़ फेंकना सूडान में संघर्ष का कारण है।
    • इसके कारण सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत वर्ष 2023 के अंत में सूडान में चुनावों का नेतृत्त्व करने के लिये संप्रभुता परिषद नामक एक शक्ति-साझाकरण निकाय की स्थापना की गई।
    • हालाँकि सेना ने अक्तूबर 2021 में अब्दुल्ला हमदोक के नेतृत्त्व वाली संक्रमणकालीन सरकार को उखाड़ फेंका, बुरहान देश के वास्तविक नेता बन गए और दगालो उनके सेकंड-इन-कमांड बन गए।
  • सेना और RSF के बीच तनाव:
    • वर्ष 2021 के तख्तापलट के तुरंत बाद दो सैन्य (SAF) और अर्द्धसैनिक (RSF) जनरलों के बीच सत्ता संघर्ष छिड़ गया, जिससे चुनावों में संक्रमण की योजना बाधित हो गई।
      • इस राजनीतिक परिवर्तन के लिये दिसंबर 2021 में एक प्रारंभिक सौदा किया गया था लेकिन समय सारिणी और सुरक्षा क्षेत्र के सुधारों पर असहमति के कारण सूडानी सशस्त्र बलों (SAF) के साथ अर्द्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के एकीकरण पर बातचीत में बाधा उत्पन्न हुई।
    • संसाधनों के नियंत्रण और RSF के एकीकरण को लेकर तनाव बढ़ गया, जिसके कारण झड़पें हुईं।
      • इस बात पर असहमति थी कि 10,000 सैनिकों की मज़बूत RSF को सेना में कैसे एकीकृत किया जाए और किस प्राधिकरण को उस प्रक्रिया की देख-रेख की ज़िम्मेदारी दी जानी चाहिये।
    • इसके अलावा दगालो (RSF जनरल) एकीकरण में 10 वर्ष की देरी करना चाहते थे, लेकिन सेना का दावा था कि यह अगले दो वर्षों में होना चाहिये।

रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF):

  • RSF एक समूह है, यह जंजावीड रक्षक योद्धाओं से विकसित हुआ है, जिसने 2000 के दशक में चाड की सीमा के समीप पश्चिम सूडान के दारफुर क्षेत्र के संघर्ष में भागीदारी की।
    • समय के साथ रक्षक योद्धाओं की संख्या बढ़ी और वर्ष 2013 में इसमें RSF में शामिल हो गई, जिनका विशेष रूप से सीमा रक्षकों के रूप में इस्तेमाल किया गया।
  • RSF और सूडानी सेना ने सऊदी एवं अमीराती बलों के साथ लड़ने हेतु वर्ष 2015 में यमन में सैनिकों को तैनात करना शुरू कर दिया था।
  • RSF को दारफुर क्षेत्र के अलावा दक्षिण कोर्डोफन और ब्लू नाइल जैसी जगहों पर भेजा गया था, जहाँ उस पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।
  • वर्ष 2015 की एक रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपने बलों को "दयाहीन पुरुष (Men with no Mercy)" के रूप में वर्णित किया।

वर्तमान संकट का परिणाम:

  • लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिये चुनौती: सेना और RSF के बीच लड़ाई ने सूडान के लोकतंत्र में संक्रमण को और अधिक कठिन बना दिया है।
    • यह अनुमान लगाया गया है कि झगड़ा व्यापक संघर्ष में बदल सकता है और देश के पतन का कारण बन सकता है।
  • आर्थिक संकट: अति मुद्रास्फीति और भारी मात्रा में विदेशी ऋण के कारण सूडान की अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है।
    • हमदोक सरकार को हटाने के बाद अन्य देशों से अरबों डॉलर की सहायता और ऋण राहत पर रोक लगा दी गई।
  • पड़ोसी देशों में अशांति: सूडान की सात अन्य देशों से निकटता के कारण यह संघर्ष वहाँ फैल सकता है और क्षेत्र में अस्थिरता उत्पन्न कर सकता है। चाड एवं दक्षिण सूडान विशेष रूप से संवेदनशील हैं।
    • यदि लड़ाई जारी रहती है, तो स्थिति बड़े बाहरी हस्तक्षेप का कारण बन सकती है। सूडान के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों से शरणार्थी पहले ही चाड आ चुके हैं।

भारत-सूडान संबंध:

  • सूडान का सामरिक महत्त्व:
    • सूडान पूर्वोत्तर अफ्रीका में स्थित है और तीसरा सबसे बड़ा अफ्रीकी राष्ट्र है।
    • लाल सागर पर अपनी रणनीतिक अवस्थिति, नील नदी तक पहुँच, सोने के विशाल भंडार और कृषि क्षमता के कारण अपने पड़ोसी देशों, खाड़ी देशों, रूस तथा पश्चिमी देशों सहित बाहरी शक्तियों के लिये आकर्षण का केंद्र रहा है।
  • द्विपक्षीय परियोजनाएँ:
    • इसने वर्ष 2021 में सूडान में ऊर्जा, परिवहन और कृषि व्यवसाय उद्योग जैसे क्षेत्रों में 612 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रियायती ऋण के माध्यम से 49 द्विपक्षीय परियोजनाओं को पहले ही लागू कर दिया था।
  • ज़ुबा शांति समझौते का समर्थन:
    • भारत ने एक संक्रमणकालीन सरकार बनाने के सूडान के प्रयासों का समर्थन किया और अक्तूबर 2020 में सरकार द्वारा हस्ताक्षरित जुबा शांति समझौते का भी समर्थन किया।
    • चाड, संयुक्त अरब अमीरात और विकास पर अंतर-सरकारी प्राधिकरण (IGAD) इसके समर्थक थे, जबकि मिस्र तथा कतर शांति समझौते के साक्षी थे।
    • इस समझौते में शासन, सुरक्षा और न्याय जैसे विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया था तथा यह भविष्य की संवैधानिक वार्ताओं के लिये महत्त्वपूर्ण था।
    • भारत ने वार्ता प्रक्रिया के तहत बाह्य रूप से सशस्त्र सहायता प्रदान कर और 1,200 कर्मियों के साथ नागरिक सुरक्षा के लिये एक राष्ट्रीय योजना का भी समर्थन किया।
  • भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग:
    • भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) के तहत भारत ने क्षमता निर्माण के लिये सूडान को 290 छात्रवृत्ति/अनुदान प्रदान किया। इसके अतिरिक्त भारत ने वर्ष 2020 में सूडान को खाद्य आपूर्ति सहित मानवीय सहायता भी प्रदान की थी।
  • द्विपक्षीय व्यापार:
    • इन वर्षों में भारत और सूडान के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2005-06 के 327.27 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 1663.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
    • सूडान और दक्षिण सूडान में भारत का निवेश मोटे तौर पर 3 अरब अमेरिकी डॉलर का था जिसमें से 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर पेट्रोलियम क्षेत्र (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ONGC विदेश) में निवेश किया गया था।

भारत द्वारा चलाए गए निकासी अभियान:

ऑपरेशन गंगा (2022):
  • यह वर्तमान में यूक्रेन में फँसे सभी भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिये एक निकासी मिशन है।
  • रूसी सेना द्वारा हमलों की शृंखला शुरू करने के बाद यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के साथ ही वर्तमान में रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ गया है।
ऑपरेशन देवी शक्ति (2021):
  • ऑपरेशन देवी शक्ति तालिबान द्वारा तेज़ी से कब्ज़े के बाद काबुल से अपने नागरिकों और अफगान भागीदारों को निकालने के लिये भारत का जटिल मिशन था।
वंदे भारत (2020):
  • कोरोनावायरस के कारण वैश्विक यात्रा पर प्रतिबंध होने के कारण विदेश में फँसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने हेतु ‘वंदे भारत मिशन’ चलाया गया।
  • इस मिशन के तहत कई चरणों में 30 अप्रैल, 2021 तक लगभग 60 लाख भारतीयों को वापस लाया गया।
ऑपरेशन समुद्र सेतु (2020):
  • यह कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय नागरिकों को विदेशों से घर वापस लाने के राष्ट्रीय प्रयास के हिस्से के रूप में एक नौसैनिक अभियान था।
  • इसके तहत 3,992 भारतीय नागरिकों को समुद्र के रास्ते मातृभूमि में सफलतापूर्वक वापस लाया गया।
  • भारतीय नौसेना के जहाज़ जलाश्व (लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक), ऐरावत, शार्दुल तथा मगर (लैंडिंग शिप टैंक) ने इस ऑपरेशन में भाग लिया, जो 55 दिनों तक चला और इसमें समुद्र द्वारा 23,000 किमी. से अधिक की यात्रा शामिल थी।
ब्रुसेल्स से निकासी (2016):
  • मार्च 2016 में बेल्जियम ज़ेवेंटेम में ब्रुसेल्स हवाई अड्डे पर तथा मध्य ब्रुसेल्स में मालबीक मेट्रो स्टेशन पर एक आतंकवादी हमले की चपेट में आ गया था।
  • इसके तहत जेट एयरवेज़ की फ्लाइट से 28 क्रू मेंबर्स समेत कुल 242 भारतीयों को भारत लाया गया।
ऑपरेशन राहत (2015):
  • वर्ष 2015 में यमन सरकार और हौथी विद्रोहियों के बीच संघर्ष छिड़ गया।
  • सऊदी अरब द्वारा घोषित नो-फ्लाई ज़ोन के कारण हज़ारों भारतीय फँसे हुए थे और यमन हवाई मार्ग सुलभ नहीं था।
  • ऑपरेशन राहत के तहत भारत ने यमन से लगभग 5,600 लोगों को निकाला।

ऑपरेशन मैत्री (2015):

  • वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप में बचाव और राहत अभियान के रूप में ऑपरेशन मैत्री का संचालन भारत सरकार और भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया गया था।
  • सेना-वायु सेना के संयुक्त ऑपरेशन में नेपाल से वायु सेना और नागरिक विमानों द्वारा 5,000 से अधिक भारतीयों को वापस लाया गया। भारतीय सेना ने अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी से 170 विदेशी नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला।
ऑपरेशन सुरक्षित घर वापसी (2011):
  • संघर्षग्रस्त लीबिया में फँसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिये भारत ने 'ऑपरेशन घर वापसी' शुरू की।
  • ऑपरेशन के तहत भारत ने 15,400 भारतीय नागरिकों को निकाला।
  • इस ऑपरेशन में लगभग 15,000 नागरिकों को बचाया गया था।
  • एयर-सी ऑपरेशन भारतीय नौसेना और एयर इंडिया द्वारा आयोजित किया गया था।
ऑपरेशन सुकून (2006):
  • जुलाई 2006 में जैसे ही इज़रायल और लेबनान में सैन्य संघर्ष शुरू हुआ, भारत ने ऑपरेशन सुकून शुरू कर वहाँ फँसे अपने नागरिकों को बचाया, जिसे अब 'बेरूत सीलिफ्ट' के नाम से जाना जाता है।
  • यह 'डनकर्क' निकासी के बाद से सबसे बड़ा नौसैनिक बचाव अभियान था।
  • टास्क फोर्स ने 19 जुलाई और 1 अगस्त, 2006 के बीच कुछ नेपाली और श्रीलंकाई नागरिकों सहित लगभग 2,280 लोगों को निकाला था।
कुवैत एयरलिफ्ट (1990):
  • वर्ष 1990 में जब 700 टैंकों से लैस 1,00,000 इराकी सैनिकों ने कुवैत पर हमला किया, तब शाही और अति विशिष्ट व्यक्ति सऊदी अरब भाग गए थे।
  • वहीं आम जनता के जीवन को जोखिम में डाला दिया गया।
  • कुवैत में फँसे लोगों में 1,70,000 से अधिक भारतीय थे।
  • भारत ने निकासी अभियान शुरू किया, जिसमें 1,70,000 से अधिक भारतीयों को एयरलिफ्ट किया गया और भारत वापस लाया गया।

आगे की राह

  • चूँकि भारत केवल ईरान, इराक और सऊदी अरब जैसे पश्चिम एशियाई देशों पर निर्भर नहीं रह सकता है जो वैश्विक ऊर्जा केंद्र का गठन करते हैं, इसने अपनी बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिये सूडान, नाइजीरिया तथा अंगोला जैसे तेल-समृद्ध अफ्रीकी राज्यों के साथ संबंध स्थापित किये हैं।
    • हॉर्न ऑफ अफ्रीका में अपने निवेश, व्यापार और अन्य हितों की रक्षा करना भारत के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।
    • लाल सागर क्षेत्र भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति के लिये अत्याधिक महत्त्वपूर्ण है
  • भारत-सूडान संबंधों की मौजूदा संरचना और अफ्रीका के हॉर्न में सूडान के स्थान को देखते हुए नए शासन को मान्यता देने के लिये भारत को जल्दबाज़ी में कोई भी कदम उठाने से पहले क्षेत्र में अपने व्यापार, निवेश एवं हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. हाल ही में निम्नलिखित में से किन देशों में लाखों लोग या तो भयंकर अकाल या कुपोषण से प्रभावित हुए हैं या उनकी युद्ध या संजातीय संघर्ष के चलते भुखमरी के कारण मृत्यु हुई है? (2018)

(a) अंगोला और ज़ाम्बिया
(b) मोरक्को और ट्यूनीशिया
(c) वेनेज़ुएला और कोलंबिया
(d) यमन और दक्षिण सूडान

उत्तर: (d)

स्रोत: द हिंदू

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