प्रारंभिक परीक्षा
रातापानी टाइगर रिज़र्व
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में, रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को आधिकारिक तौर पर बाघ अभयारण्य घोषित किया गया है, जो मध्य प्रदेश का 8वाँ और भारत का 57वाँ बाघ अभयारण्य होगा।
- इसे राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के माध्यम से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा अनुमोदित किया गया था।
रातापानी टाइगर रिज़र्व से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य क्या हैं?
- विंध्यांचल पर्वत के निकट स्थित इस अभयारण्य में भीमबेटका के शैलाश्रय भी शामिल हैं, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
- रातापानी टाइगर रिज़र्व का कुल क्षेत्रफल 1,271.4 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 763.8 वर्ग किलोमीटर का क्रोड क्षेत्र और 507.6 वर्ग किलोमीटर का बफर क्षेत्र शामिल है।
वनस्पतिजात और प्राणिजात:
- यह शुष्क और आद्र पर्णपाती वन पाए जाते हैं, जिसके 55% क्षेत्र में सागौन (टेक्टोना ग्रैंडिस) पाया जाता है।
- यहाँ पाए जाने वाले बाँस और सदापर्णी साजा वन, पर्यटकों के लिये आकर्षण केंद्र हैं।
- अभयारण्य में 35 से अधिक स्तनधारी प्रजातियाँ, 33 सरीसृप प्रजातियाँ, 14 मत्स्य प्रजातियाँ, 10 उभयचर प्रजातियाँ और 40 से अधिक बाघ हैं।
भारत में टाइगर रिज़र्व के रूप में नामित किये जाने की प्रक्रिया क्या है?
- प्रारंभिक प्रस्ताव: राज्य सरकार पारिस्थितिकी महत्त्व और बाघों की उपस्थिति का आकलन करते हुए किसी वन्यजीव अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान को बाघ रिज़र्व के रूप में नामित करने का प्रस्ताव करती है।
- तत्त्पश्चात् एक व्यापक योजना तैयार की जाती है, जिसमें बाघों की व्यवहार्य संख्या सुनिश्चित करने हेतु प्रबंधन रणनीतियों और आवास आवश्यकताओं की रूपरेखा तैयार की जाती है।
- NTCA का अनुमोदन: प्रस्ताव और संरक्षण योजना को समीक्षा और मूल्यांकन हेतु राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) को प्रस्तुत किया जाता है।
- सिद्धान्तः अनुमोदन: NTCA संबद्ध क्षेत्र को बाघ संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण तथा वित्तपोषण के लिये पात्र होने की मान्यता देते हुए सिद्धान्तः अनुमोदन प्रदान करता है।
- आधिकारिक अधिसूचना: राज्य सरकार वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के तहत संबद्ध क्षेत्र को बाघ रिज़र्व घोषित करने के लिये एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करती है, जिसमें क्रोड और बफर ज़ोन का निर्द्धारण किया जाता है।
- बाघ रिज़र्व का प्रभावी प्रबंधन करते हुए स्थानीय समुदायों को लाभान्वित और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के लिये अनेक पहल की जाती हैं।
- अनुवीक्षण और मूल्यांकन: NTCA और राज्य प्राधिकरणों की निरंतर अनुवीक्षण से संरक्षण प्रभावशीलता का आकलन किया जाता है और आवश्यकतानुसार प्रबंधन रणनीतियों को अपनाया जाता है।
संरक्षण विधियों के प्रकार -
वन्यजीव अभयारण्य, टाइगर रिज़र्व और बायोस्फीयर रिज़र्व के बीच अंतर
विशेषता |
वन्यजीव अभयारण्य |
टाइगर रिज़र्व |
बायोस्फीयर रिज़र्व |
परिभाषा |
वनस्पतियों और जीवों की विशिष्ट प्रजातियों तथा उनके आवासों के संरक्षण हेतु समर्पित एक क्षेत्र, जिसका स्वामित्व सरकार या निज़ी संस्थाओं के पास होता है। |
बाघों और उनके आवासों के संरक्षण के लिये विशेष रूप से नामित संरक्षित क्षेत्र। |
वनस्पति, जीव-जंतु और सांस्कृतिक विरासत सहित जैवविविधता के संरक्षण और सतत् विकास के लिये निर्दिष्ट क्षेत्र। |
प्रबंधन प्राधिकरण |
राज्य सरकारों या निज़ी संगठनों द्वारा प्रबंधित। |
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा प्रबंधित। |
स्थानीय समुदायों के सहयोग से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रबंधित। |
सार्वजनिक पहुँच |
सामान्यतः यह कुछ गतिविधियों पर प्रतिबंधों के साथ आगंतुकों के लिये खुला है। |
मानवीय व्यवधान को न्यूनतम करने के लिये प्रवेश को विनियमित किया जाता है; पर्यटन को निर्दिष्ट क्षेत्रों में ही अनुमति दी जाती है। |
सीमित सार्वजनिक पहुँच; मुख्यतः अनुसंधान और शिक्षा संबंधी प्रयोजनों हेतु। |
विधिक ढाँचा |
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 द्वारा शासित। |
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत बाघ संरक्षण के लिये विशिष्ट प्रावधानों के साथ स्थापित। |
यूनेस्को के मानव एवं जैवमंडल कार्यक्रम के अंतर्गत मान्यता प्राप्त ; संरक्षण के लिये राष्ट्रीय कानूनों द्वारा शासित। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |
प्रारंभिक परीक्षा
पूर्वोत्तर क्षेत्र हेतु प्रधानमंत्री की विकास पहल (पीएम-डिवाइन)
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया गया कि पीएम-डिवीजन योजना के तहत वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में घोषित सात परियोजनाओं सहित 4857.11 करोड़ रुपए की कुल 35 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
पीएम-डिवाइन (PM-DevINE) योजना क्या है?
- पीएम-डिवाइन: पीएम-डिवाइन एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे केंद्रीय बजट 2022-23 में पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में त्वरित और समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पेश किया गया है।
- इस योजना को 12 अक्तूबर, 2022 को मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसका कुल वित्तीय परिव्यय 2022-23 से 2025-26 तक की अवधि के लिये 6600 करोड़ रुपये है ।
- कार्यान्वयन: इस योजना का कार्यान्वयन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (MDoNER) द्वारा क्षेत्र-विशिष्ट विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने, संसाधनों के कुशल उपयोग एवं समन्वित परियोजना निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिये किया गया है।
- बुनियादी ढाँचा विकास: योजना के उद्देश्यों के अनुरूप, पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये 2806.65 करोड़ रुपए की लागत की कुल 17 परियोजनाएँ स्वीकृत की गई हैं।
- यह पीएम गतिशक्ति के साथ संरेखित है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में निर्बाध संचार और पहुँच सुनिश्चित करने के लिये बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के समेकित वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित करता है।
- महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों से निपटने वाली तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने वाली परियोजनाओं हेतु वित्तपोषण को प्राथमिकता दी जाती है।
- विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं के लिये स्थायी आजीविका के अवसर सृजित करने तथा क्षेत्र के विकास में अधिक भागीदारी को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।
- अन्य योजनाओं के अंतर्गत शामिल न किये गए क्षेत्रों में विकासात्मक असमानताओं को कम करने तथा क्षेत्रीय संतुलन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- पीएम-डिवाइन के अंतर्गत उपलब्धियाँ:
- 4857.11 करोड़ रुपए की लागत वाली 35 परियोजनाओं में कैंसर देखभाल सुविधाएँ, विश्वविद्यालय के बुनियादी ढाँचे का उन्नयन तथा विकिरण ऑन्कोलॉजी केंद्र जैसी पहल शामिल हैं।
- सड़क संपर्क परियोजनाओं के फलस्वरूप नई सड़कों का निर्माण हुआ हैं, जिनके द्वारा दूरदराज के गाँवों को आपस में जोड़ा गया हैं, जिससे यात्रा के समय में कमी आई है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा हैं।
- एकीकृत पेयजल प्रणाली प्रदान करने वाली स्मार्ट जल आपूर्ति परियोजनाओं से 1 लाख से अधिक निवासियों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिला है।
- अनुचित परियोजनाएँ: इसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) या दीर्घकालिक व्यक्तिगत लाभ प्रदान करने वाली परियोजनाएँ शामिल नहीं हैं।
- प्रशासनिक भवनों, सरकारी कार्यालयों या मौजूदा MDoNER योजनाओं के अंतर्गत पहले से ही शामिल क्षेत्रों या नकारात्मक सूची में सूचीबद्ध परियोजनाओं को पात्रता से बाहर रखा गया है।
पूर्वोत्तर में विभिन्न विकास पहल और उनकी उपलब्धियाँ क्या हैं?
- आधारभूत संरचना संबंधी पहल:
- भारतमाला परियोजना, कलादान मल्टी-मोडल ट्रांज़िट प्रोजेक्ट और भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये व्यापार एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
- उड़ान के अंतर्गत क्षेत्रीय संपर्क योजना हवाई यात्रा को अधिक किफायती और सुलभ बनाने तथा दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ने की दिशा में कार्य करती है।
- औद्योगिक विकास:
- पूर्वोत्तर औद्योगिक विकास योजना (North East Industrial Development Scheme-NEIDS) (2017-2022) द्वारा क्षेत्रीय रोज़गार और औद्योगिक विकास को बढ़ाने हेतु MSME को प्रोत्साहन प्रदान किया गया है।
- औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिये उन्नति योजना (2024) लागू की गई, जिसके तहत ब्याज अनुदान, पूंजी निवेश सहायता और सेवा-संबंधी लाभ जैसे प्रोत्साहन प्रदान किये गए।
- कृषि एवं पर्यावरण पर ध्यान:
- राष्ट्रीय बाँस मिशन सतत् बाँस विकास को बढ़ावा देता है, जबकि पूर्वोत्तर क्षेत्र एग्री कमोडिटी ई-कनेक्ट (NE-RACE)’ किसानों को वैश्विक बाज़ारों से जोड़ता है, जिससे कृषि आय में वृद्धि होती है।
- डिजिटल और वैज्ञानिक नवाचार:
- डिजिटल नॉर्थ ईस्ट विजन 2022 का उद्देश्य डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जीवन में बदलाव लाना है, जबकि नॉर्थ ईस्ट साइंस एंड टेक्नोलॉजी क्लस्टर (NEST) ज़मीनी स्तर पर नवाचारों और पर्यावरण अनुकूल तकनीकी विकास को बढ़ावा देता है।
- पर्यटन, सांस्कृतिक, उद्यमशीलता विकास:
- स्वदेश दर्शन योजना क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने तथा पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पर्यटन सर्किट विकसित करती है।
- अष्टलक्ष्मी महोत्सव के साथ-साथ हॉर्नबिल महोत्सव और पंग ल्हबसोल जैसे प्रमुख त्योहार क्षेत्रीय परंपराओं, हस्तशिल्प एवं पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: 'राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. अधिक तीव्र और समावेशी आर्थिक विकास के लिये बुनियादी अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के आलोक में चर्चा कीजिये। (2021) |
रैपिड फायर
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत के राष्ट्रपति ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती (3 दिसंबर) पर पुष्पांजलि अर्पित की।
- जन्म एवं प्रारंभिक जीवन: राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को जीरादेई, सिवान, बिहार में हुआ था।
- वह गांधीजी के जाति और अस्पृश्यता के विचारों से प्रभावित थे और उन्होंने सरल जीवन व्यतीत किया।
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: डॉ. प्रसाद ने 1920 में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिये अपना विधिक कॅरियर छोड़ दिया और 1931 में नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के कारण कारावास का दंड दिया गया।
- 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के बंबई अधिवेशन की अध्यक्षता की और 1939 में सुभाष चन्द्र बोस के इस्तीफे के बाद कॉन्ग्रेस में अध्यक्ष पद ग्रहण किया।
- संविधान निर्माण में भूमिका: उन्हें 1946 में संविधान सभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज, प्रक्रिया नियम, वित्त एवं स्टाफ संबंधी समितियों की अध्यक्षता की।
- साहित्यिक कृतियाँ: चंपारण में सत्याग्रह (1922), इंडिया डिवाइडेड (1946), आत्मकथा (1946), और बापू के कदमों में (1954)।
- राष्ट्रपति पद और विरासत: 1950 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में पद ग्रहण किया और 12 वर्ष से अधिक समय तक कार्यभार संभाला। वह 1952 और 1957 में सर्वसम्मति से दोबारा राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने वाले एकमात्र व्यक्ति थे। राजेंद्र प्रसाद को 1962 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
और पढ़ें: डॉ. राजेंद्र प्रसाद
रैपिड फायर
तेलंगाना में 5.3 तीव्रता का भूकंप
स्रोत: TH
तेलंगाना के एतुरनगरम वन क्षेत्र में 5.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र बिंदु ज़मीन से 40 किलोमीटर गहराई में था। यह भूकंप ऐतिहासिक रूप से भूकंपीय गोदावरी फॉल्ट सिस्टम से जुड़ा हुआ था।
- वारंगल, भद्राचलम, खम्मम और विजयवाड़ा सहित कई क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस किये गए।
- भारत की भूकंपीय गतिविधि को चार क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, अर्थात् जोन II, जोन III, जोन IV और जोन V।
- जोन V सबसे अधिक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, जबकि जोन II सबसे कम है। तेलंगाना जोन II में आता है, जो कम भूकंपीय गतिविधि को दर्शाता है।
- भारत का कुल 59% भू-भाग अलग-अलग तीव्रता के भूकंपों के लिये संवेदनशील है।
और पढ़ें: भूकंप के प्रकार और कारण
रैपिड फायर
गूगल सेफ्टी इंजीनियरिंग सेंटर
स्रोत: द हिंदू
हैदराबाद में भारत का भारत का पहला गूगल सेफ्टी इंजीनियरिंग सेंटर (GSEC) स्थापित किया जाएगा, जो देश के साइबर सुरक्षा परिदृश्य में भूमिका निभाएगा।
- GSEC, हैदराबाद, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी तरह का पहला और विश्व स्तर पर पाँचवाँ केंद्र होगा, इसी प्रकार का केंद्र डबलिन, म्यूनिख और मलागा में स्थित है।
- GSEC भारत की अद्वितीय साइबर सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करते हुए उन्नत अनुसंधान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)- संचालित सुरक्षा समाधान और कौशल विकास में विशेषज्ञता हासिल करेगा।
- इस परियोजना से हैदराबाद और तेलंगाना में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों रोज़गार के अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है।
- गूगल और तेलंगाना राज्य सरकार शिक्षा, स्टार्टअप और स्मार्ट सिटी पहल में सहयोग की संभावनाएँ तलाश रही हैं।
- हैदराबाद पहले से ही पाँच प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों अल्फाबेट (गूगल), माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, अमेज़न और मेटा का केंद्र है।
- तेलंगाना ने वर्ष 2022-23 के दौरान 1,800 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत और इनक्यूबेशन के माध्यम से 550 से अधिक स्टार्टअप को समर्थन प्रदान किया है।
- टी-हब (T-Hub) ने टी वर्क्स (T Works) (हैदराबाद में भारत का सबसे बड़ा प्रोटोटाइपिंग केंद्र) जैसी पहलों के साथ मिलकर डीप टेक (Deep Tech) और विनिर्माण स्टार्टअप्स में वृद्धि को उत्प्रेरित किया है, जिससे हैदराबाद भारत के स्टार्टअप परिदृश्य में एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है।
रैपिड फायर
विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में, सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना की प्रगति पर प्रकाश डाला, जिसमें पूरे भारत में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) में गोदामों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इस योजना का उद्देश्य विकेंद्रीकृत भंडारण सुविधाएँ, प्रसंस्करण इकाइयाँ और कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करके PACS को सशक्त बनाना है।
- 24 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में PACS में गोदामों और अन्य बुनियादी ढाँचे का विकास किया जाएगा, जिससे भंडारण में सुधार होगा तथा खाद्यान्न की बर्बादी कम होगी।
- अनाज भंडारण योजना की पायलट परियोजना के अंतर्गत महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, असम, तेलंगाना, त्रिपुरा और राजस्थान में 11 PACS में अनाज भंडारण गोदामों का निर्माण किया गया है।
- पायलट परियोजना को आगे बढ़ा दिया गया है तथा गोदामों के निर्माण के लिये 500 से अधिक अतिरिक्त पैक्स की पहचान की गई है।
- कृषि अवसंरचना कोष (AIF) और कृषि विपणन अवसंरचना योजना (AMI) के माध्यम से पैक्स को सब्सिडी और ब्याज सहायता प्रदान की जाती है।
- PACS ग्राम स्तरीय सहकारी ऋण समितियाँ हैं जो राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंकों (SCB) की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय सहकारी ऋण संरचना में अंतिम कड़ी के रूप में कार्य करती हैं।
और पढ़ें: सहकारी क्षेत्र में अनाज भंडारण योजना