शासन व्यवस्था
सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना
- 03 Jun 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:सहकारी क्षेत्र, खाद्य सुरक्षा, प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS), अंतर-मंत्रालयी समिति, भारतीय खाद्य निगम, ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक, केंद्रीय बजट 2023-24 मेन्स के लिये: |
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लगभग 1 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ "सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना" की स्थापना के लिये अपनी मंज़ूरी दे दी है।
- इस पहल का उद्देश्य फसल के नुकसान पर अंकुश लगाना, किसानों द्वारा मजबूरन बिक्री को रोकना और देश की खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करना है।
अनाज भंडारण योजना से संबंधित प्रमुख विशेषताएँ:
- परिचय:
- यह योजना खाद्य सुरक्षा को सशक्त करने, अपव्यय को कम करने और किसानों को सशक्त बनाने के लिये प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (Primary Agricultural Credit Societies- PACS) के स्तर पर गोदामों एवं अन्य कृषि संबंधी अवसंरचनाओं के निर्माण पर केंद्रित है।
- इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य भारत में कृषि भंडारण सुविधाओं से संबंधित बुनियादी ढाँचे की कमी को दूर करने के लिये तीन मंत्रालयों द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही आठ योजनाओं को अभिसारित करना है।
- सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Cooperation) कम-से-कम 10 चयनित ज़िलों में एक पायलट परियोजना लागू करेगा।
- यह योजना खाद्य सुरक्षा को सशक्त करने, अपव्यय को कम करने और किसानों को सशक्त बनाने के लिये प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (Primary Agricultural Credit Societies- PACS) के स्तर पर गोदामों एवं अन्य कृषि संबंधी अवसंरचनाओं के निर्माण पर केंद्रित है।
- अंतर-मंत्रालयी समिति:
- सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC) का गठन किया जाएगा, जिसमें कृषि और किसान कल्याण, उपभोक्ता मामले, खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री तथा संबंधित सचिव शामिल होंगे।
- औचित्य:
- सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी समितियों की क्षमता का लाभ उठाने और उन्हें "सहकार-से-समृद्धि" (समृद्धि के लिये सहयोग) की दृष्टि के साथ संरेखित करते हुए सफल व्यावसायिक उद्यमों में बदलने के लिये अन्न भंडारण योजना विकसित की है।
- यह योजना PACS स्तर पर गोदामों, कस्टम हायरिंग सेंटर और प्रसंस्करण इकाइयों सहित कृषि-बुनियादी ढाँचे की स्थापना पर केंद्रित है।
- भारत में 13 करोड़ से अधिक किसानों की सदस्यता वाली 1,00,000 से अधिक PACS हैं।
- कृषि और ग्रामीण परिदृश्य में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह योजना विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता और अन्य आवश्यक बुनियादी ढाँचे का निर्माण करके PACS को सशक्त बनाने का प्रयास करती है।
- यह परिवर्तन PACS की आर्थिक व्यवहार्यता को बढ़ाएगा और भारतीय कृषि क्षेत्र के विकास में योगदान देगा।
- लाभ:
- अवसंरचना की कमी को दूर करना: इस योजना का उद्देश्य देश में कृषि भंडारण अवसंरचना की कमी को दूर करने हेतु PACS के स्तर पर गोदामों की स्थापना करना है।
- PACS गतिविधियों का विविधीकरण: PACS को राज्य एजेंसियों या भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India- FCI) हेतु खरीद केंद्रों, उचित मूल्य की दुकानों के रूप में कार्य करने एवं कस्टम हायरिंग केंद्रों तथा सामान्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना सहित विभिन्न गतिविधियों को करने का अधिकार होगा।
- यह विविधीकरण किसान सदस्यों की आय में वृद्धि करेगा।
- खाद्यान्न की बर्बादी में कमी: स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता का निर्माण करके (योजना का उद्देश्य अनाज की बर्बादी को कम करना है) बेहतर खाद्य सुरक्षा में योगदान देना है।
- डिस्ट्रेस सेल को रोकना: यह योजना किसानों को विभिन्न विकल्प प्रदान करती है, फसलों की संकटपूर्ण बिक्री को रोकती है और उन्हें अपनी उपज के लिये बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
- लागत में कमी: PACS स्तर पर भंडारण सुविधाओं की स्थापना से खरीद केंद्रों और उचित मूल्य की दुकानों तक खाद्यान्न की परिवहन लागत में काफी कमी आएगी।
प्राथमिक कृषि साख समितियाँ क्या हैं?
|
UPSC सिविल सेवा, परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर:(b) प्रश्न. भारत में 'शहरी सहकारी बैंकों' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न . "गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर ऋण संगठन का कोई भी ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।" - अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में इस कथन पर चर्चा कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्त संस्थाओं को किन बाधाओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है?” (2014) |