शासन व्यवस्था
2 लाख PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की योजना
- 16 Feb 2023
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का डिजिटलीकरण, PMMSY, आत्मनिर्भर भारत, सहकारी समितियाँ। मेन्स के लिये:PACS का महत्त्व और मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
केंद्र ने सहकारी आंदोलन को मज़बूत करने के लिये अगले पाँच वर्षों में देश में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को मंज़ूरी प्रदान की है।
- इससे पहले अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट 2023 में अगले पाँच वर्षों में 63,000 PACS के कम्प्यूटरीकरण हेतु 2,516 करोड़ रुपए की घोषणा की गई है।
योजना के मुख्य बिंदु:
- उद्देश्य: सहकारिता मंत्रालय द्वारा पेश की गई योजना का उद्देश्य "देश में सहकारी आंदोलन को मज़बूत करना और ज़मीनी स्तर तक इसकी पहुँच सुनिश्चित करना" है।
- विभिन्न योजनाओं का अभिसरण: योजना का उद्देश्य गाँवों में व्यवहार्य PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना करना है और 'संपूर्ण सरकारी' दृष्टिकोण का लाभ उठाते हुए मत्स्य पालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से मौजूदा सहकारी समितियों को सशक्त करना है।
- कार्ययोजना: परियोजना के कार्यान्वयन हेतु कार्ययोजना को नाबार्ड (NABARD), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) द्वारा तैयार किया जाएगा।
- घटक:
- पशुपालन और डेयरी विभाग:
- डेयरी विकास के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPDD)
- डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (DIDF)
- मत्स्य विभाग:
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY),
- मात्स्यिकी और एक्वाकल्चर अवसंरचना विकास (FIDF)
- उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC): इसे योजना के सुचारु कार्यान्वयन के लिये सहकारिता मंत्रालय के तहत स्थापित किया जाना है।
योजना का महत्त्व:
- वर्तमान में 1.6 लाख पंचायतों में PACS नहीं हैं और लगभग 2 लाख पंचायतें बिना किसी डेयरी सहकारी समिति के हैं।
- देश में सभी संस्थाओं द्वारा दिये गए किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card- KCC) ऋणों का 41% (3.01 करोड़ किसान) प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ द्वारा प्रदान किया गया है।
- नाबार्ड की वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 से पता चलता है कि कुल ऋण का 59.6 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसानों को दिया गया था।
- ये समितियाँ किसानों को उनके खाद्यान्न को संरक्षित और संग्रहीत करने हेतु भंडारण सेवाएँ भी प्रदान करती हैं।
प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS):
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आगे की राह
- बेहतर कवरेज के साथ PACS को उच्च वित्तपोषक एजेंसियों से अधिक जमा और ऋण आकर्षित करने हेतु अपनी संसाधन संग्रहण क्षमता को पुनर्गठित एवं बढ़ाना चाहिये।
- PACS को लंबी अवधि में सुसंगत नीतिगत समर्थन प्रदान किया जाना चाहिये और आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के निर्माण में उनकी क्षमता का एहसास कराने के लिये आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल पहल के भारत सरकार के दृष्टिकोण को प्रमुखता देनी चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न: भारत में 'शहरी सहकारी बैंकों' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या: सहकारी बैंक वित्तीय संस्थाएँ हैं जो इसके सदस्यों से संबंधित हैं और एक ही समय में अपने बैंक के मालिक और ग्राहक हैं। वे राज्य के कानूनों द्वारा स्थापित हैं।
प्रश्न. ”गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर ऋण संगठन का कोई भी अन्य ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।”-अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में इस कथन की चर्चा कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं को किन बाध्यताओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है? (मुख्य परीक्षा- 2014) |