प्रिलिम्स फैक्ट्स (01 Oct, 2024)



सशस्त्र बलों में औपनिवेशिक प्रथाओं का समापन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा मंत्री ने 'औपनिवेशिक प्रथाएँ और सशस्त्र बल-एक समीक्षा' पर एक प्रकाशन जारी किया, जिसमें औपनिवेशिक प्रथाओं को त्यागने का प्रस्ताव किया गया है और साथ ही सशस्त्र बलों में प्रचलित सिद्धांतों, प्रक्रियाओं एवं रीति-रिवाज़ों के स्वदेशीकरण की वकालत की गई है।

  • इससे पहले, समकालीन सैन्य प्रथाओं के साथ प्राचीन ज्ञान के संश्लेषण के लिये प्रोजेक्ट उद्भव शुरू किया गया था।

औपनिवेशिक अवशेषों को समाप्त करने के लिये क्या प्रमुख संशोधन सुझाए गए हैं?

  • स्वदेशी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना: प्राचीन भारतीय रणनीतिकारों के कार्यों को सैन्य नेतृत्व पाठ्यक्रमों में शामिल करना, युवा सैन्य अधिकारियों को भारत को केंद्र में रखते हुए रणनीतिक रूप से सोचने के लिये प्रोत्साहित करने की एक रणनीति है।
  • स्वदेशी ग्रंथों को शामिल करना: सेना प्रशिक्षण कमान ने सैन्य कर्मियों के लिये प्राचीन भारतीय अवधारणाओं और सिद्धांतों पर पठन सामग्री निर्मित की है।
  • इन्फेंट्री रेजीमेंटों का अखिल भारतीय चरित्र: सेना अपनी इन्फेंट्री रेजीमेंटों को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान करने के तरीकों पर विचार कर रही है, जिससे विभिन्न इकाइयों में विविधता एवं प्रतिनिधित्व को बढ़ाया जा सके।
  • भारतीय सांस्कृतिक तत्त्वों का उन्नत उपयोग: सैन्य प्रशिक्षण सुविधाओं में औपनिवेशिक युग की साहित्यिक कृतियों, जैसे रुडयार्ड किपलिंग की "IF" एवं NDA में मौजूदा अंग्रेजी प्रार्थना को अधिक भारतीय कविताओं, प्रार्थनाओं और धुनों से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
  • त्रि-सेवा अधिनियम का प्रारूप तैयार करना: सेना, नौसेना और वायु सेना में प्रशासन को सरल बनाने हेतु, तीन अलग-अलग सेवा अधिनियमों के लिये एक महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक प्रतिस्थापन के रूप में एक एकीकृत त्रि-सेवा अधिनियम पर विचार किया जा रहा है।

प्रोजेक्ट उद्भव क्या है?

  • परिचय: इसका उद्देश्य भारत के समृद्ध ऐतिहासिक सैन्य ज्ञान को आधुनिक सैन्य प्रथाओं के साथ एकीकृत करना है। 
    • यह भारतीय सेना एवं यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (एक थिंक टैंक) के बीच एक संयुक्त पहल है।

प्राचीन ग्रंथों एवं दर्शनशास्त्र को शामिल करना: 

  • चाणक्य का अर्थशास्त्र : यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सॉफ्ट पावर जैसी आधुनिक सैन्य प्रथाओं के साथ रणनीतिक साझेदारी, गठबंधन और कूटनीति के महत्त्व पर ज़ोर देता है।
  • तिरुवल्लुवर द्वारा तिरुक्कुरल : यह न्यायपूर्ण युद्ध सिद्धांतों तथा जिनेवा कन्वेंशन जैसे आधुनिक सैन्य नैतिकता के साथ संरेखित करते हुए, युद्ध सहित सभी स्थितियों में नैतिक आचरण को बढ़ावा देता है।
  • पूर्व नेतृत्वकर्त्ताओं के सैन्य अभियान : चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक एवं चोल जैसे भारतीय नेतृत्वकर्त्ताओं के शासन और उनकी सैन्य सफलताएँ बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं। 
  • प्रमुख सैन्य अभियान:
    • सरायघाट का नौसैनिक युद्ध (1671): लचित बोड़फुकन ,सरायघाट की नौसैनिक युद्ध कूटनीति, मनोवैज्ञानिक युद्ध, सैन्य खुफिया जानकारी के साथ-साथ मुगल कमज़ोरियों का लाभ उठाने का एक प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत करता है।
    • छत्रपति शिवाजी एवं महाराजा रणजीत सिंह : असममित युद्ध एवं नौसैनिक रक्षा के सबक उन रणनीतियों से सीखे जा सकते हैं जिनका प्रयोग दोनों नेतृत्वकर्त्ताओं ने संख्यात्मक रूप से श्रेष्ठ मुगल और अफगान सेनाओं पर विजय पाने के लिये किया था।
  • रक्षा संस्थानों में इंडिक अध्ययन : भारतीय संस्कृति एवं रणनीतिक सोच को जोड़ने वाला अनुसंधान रक्षा प्रबंधन महाविद्यालय (CDM) जैसे शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किया गया है, जिसने प्रोजेक्ट उद्भव को महत्त्वपूर्ण सामग्री प्रदान की है।

औपनिवेशिक विरासत को समाप्त करने के लिये अतीत में कौन-से प्रयास किये गए थे?

  • ध्वज: भारतीय नौसेना ने 'जैक' का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय ध्वज' और 'जैकस्टाफ' का नाम बदलकर 'राष्ट्रीय ध्वज स्टाफ' कर दिया है।
  • प्रतीक चिन्ह: सितंबर 2022 में सेंट जॉर्ज के औपनिवेशिक क्रॉस को शिवाजी के अष्टकोणीय टिकट से बदल दिया गया।
  • रैंक: पारंपरिक रूप से नेल्सन की अंगूठी से सुसज्जित एपोलेट्स (पद का प्रतीक चिन्ह) पर अब छत्रपति शिवाजी की छाप है।
  • पारंपरिक पोशाक: नौसेना के मेस में कुर्ता-पायजामा को अपनाना।
  • औपचारिक प्रथाएँ: भारतीय सेना ने घोड़ा-बग्गी जैसी पारंपरिक प्रथाओं को समाप्त करना शुरू कर दिया है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: भारत की ध्वज-संहिता, 2002 के अनुसार, भारत के राष्ट्रीय ध्वज के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. कथन-I: भारत के राष्ट्रीय ध्वज का एक मानक आमाप 600 मि०मी० x 400 मि०मी० है।
  2. कथन-II: ध्वज की लंबाई से ऊँचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3 : 2 होगा।

उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?

(a)  कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है।
(b)  कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है।
(c)  कथन-I सही है किंतु कथन-II गलत है।
(d)  कथन-I गलत है किंतु कथन-II सही है।

उत्तर: (d)


महात्मा गांधी और शास्त्री जी की जयंती

2 अक्तूबर को प्रतिवर्ष महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इन दोनों ने हमारे राष्ट्र को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

महात्मा गांधी के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • जन्म: 2 अक्तूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में।
  • संक्षिप्त परिचय: वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक (जो भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने)।
  • लिखी गई पुस्तकें: हिंद स्वराज, सत्य के साथ मेरे प्रयोग (आत्मकथा)
  • मृत्यु: 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।

  • भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका
    • भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC) का नेतृत्व: महात्मा गांधी 20वीं सदी के प्रारंभ में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के एक प्रमुख नेता बन गए और इन्होंने ब्रिटिश शासन को चुनौती देने के लिये अहिंसक प्रतिरोध तथा जन-आंदोलन की वकालत की।
      • वर्ष 1924 का बेलगाम अधिवेशन कॉन्ग्रेस का एकमात्र ऐसा अधिवेशन था जिसकी अध्यक्षता गांधी जी ने की थी।
    • असहयोग आंदोलन (NCM) (1920-1922): गांधीजी ने जलियाँवाला बाग हत्याकांड और दमनकारी रॉलेट एक्ट की प्रतिक्रया में NCM की शुरुआत की। 
      • उन्होंने भारतीयों से ब्रिटिश संस्थाओं, वस्तुओं और सम्मानों का बहिष्कार करने का आग्रह किया
      • गांधीजी को बोअर युद्ध में उनकी भूमिका के लिये वर्ष 1915 में कैसर-ए-हिंद उपाधि से सम्मानित किया गया था लेकिन उन्होंने जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में वर्ष 1920 में इसे वापस कर दिया था।
    • नमक मार्च (1930): गांधीजी ने ब्रिटिश नमक कर के विरोध में गुजरात के तटीय शहर दांडी तक नमक मार्च का नेतृत्व किया। इस क्रम में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।
    • भारत छोड़ो आंदोलन (QIM), 1942: गांधीजी ने भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने की मांग करते हुए QIM का आह्वान किया। 
      • उनके नारे "करो या मरो" ने लाखों लोगों को विरोध प्रदर्शनों, हड़तालों और सविनय अवज्ञा के कार्यों में भाग लेने के लिये प्रेरित किया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम में लोगों की भागीदारी में काफी वृद्धि हुई।
    • अहिंसा का दर्शन: अपने पूरे सक्रियता अभियान के दौरान गांधीजी ने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों पर बल दिया तथा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की वकालत की। 
      • उनके दृष्टिकोण ने न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रभावित किया बल्कि नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर के नेतृत्व वाले विश्वव्यापी नागरिक अधिकार आंदोलनों को भी प्रेरित किया।
      • 2 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिसकी स्थापना 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।

लाल बहादुर शास्त्री के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • जन्म: उनका जन्म 2 अक्तूबर 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
  • संक्षिप्त परिचय: वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे इन्हें प्रभावशाली नेतृत्व तथा इनके नारे "जय जवान जय किसान" (जिसमें राष्ट्र निर्माण में सैनिकों और किसानों दोनों के महत्त्व पर बल दिया गया था) के लिये जाना जाता है।
  • मृत्यु: 11 जनवरी 1966 को ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में उनकी मृत्यु हो गई।
    • वह मरणोपरांत भारत रत्न (1966) से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थे।

  • राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका:
    • वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध में नेतृत्व : लाल बहादुर शास्त्री ने वर्ष 1965 के युद्ध के दौरान भारत का प्रभावी नेतृत्व किया
    • हरित क्रांति: शास्त्री जी ने हरित क्रांति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भारत को कृषि उत्पादन बढ़ाने और देश की खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करते हुए खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने में मदद मिली।
    • राष्ट्रीय एकता: उन्होंने विविध क्षेत्रों, भाषाओं और संस्कृतियों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता और एकीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य किया।
      • साथ ही उन्होंने भारत की आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देने तथा विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने के लिये औद्योगीकरण और आत्मनिर्भरता की नीतियों को प्रोत्साहित किया।
    • सिविल सेवाएँ: शास्त्री ने सिविल सेवकों के लिये उच्च नैतिक मानकों, पारदर्शिता तथा समर्पण को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रशासन, भ्रष्टाचार से मुक्त रहने के साथ लोक सेवा के लिये प्रतिबद्ध रहे।
      • उदाहरण के लिये वर्ष 1952 में एक रेल दुर्घटना (जिसमें कई लोग हताहत हुए थे) की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न: भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

1. महात्मा गांधी ‘गिरमिटिया (इंडेंचर्ड लेबर)’ प्रणाली के उन्मूलन में सहायक थे।
2. लॉर्ड चेम्सफोर्ड की ‘वॉर कॉन्फरेन्स’ में महात्मा गांधी ने विश्व युद्ध के लिये भारतीयों की भरती से संबंधित प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया था।
3. भारत के लोगों द्वारा नमक कानून तोड़े जाने के परिणामस्वरूप, औपनिवेशिक शासकों द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस को अवैध घोषित कर दिया गया था।

उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न: निम्नलिखित में से किसने मैडम क्यूरी की आत्मकथा का हिंदी में अनुवाद किया? (2008)

(a) अटल बिहारी वाजपेयी
(b) लाल बहादुर शास्त्री
(c) चौधरी चरण सिंह
(d) गोबिंद वल्लभ पंत

उत्तर: (b)


भारतीय कला महोत्सव

स्रोत: पीआईबी

28 सितंबर 2024 को राष्ट्रपति ने सिकंदराबाद ( हैदराबाद) में राष्ट्रपति निलयम में भारतीय कला महोत्सव के पहले संस्करण का उद्घाटन किया।

  • यह आठ दिवसीय महोत्सव का आयोजन राष्ट्रपति निलयम द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया गया है।
  • इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों की जीवंत सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करना तथा कला, शिल्प और पाक-कला की विविधता को प्रदर्शित करना है।
  • यह महोत्सव सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का भी एक अवसर है और यह महोत्सव हमारे देश के पूर्वोत्तर और दक्षिणी हिस्सों के बीच एक सेतु का कार्य करेगा। 
  • राष्ट्रपति निलयम: यह भारत के तीन राष्ट्रपति निवासों में से एक है (एक दिल्ली में और दूसरा शिमला में) और दक्षिण भारत में एकमात्र है। 
    • इसका निर्माण वर्ष 1860 में 90 एकड़ के कुल भू-क्षेत्र में किया गया था। स्वतंत्रता के बाद  इसे हैदराबाद के निज़ाम ने अपने अधीन कर लिया था।

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डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल, पीएम-डिवाइन और एनईएसआईडीएस योजनाएँ


त्सांगयांग ग्यात्सो पीक

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में एक चोटी का नाम छठे दलाई लामा (त्सांगयांग ग्यात्सो) के नाम पर 'त्सांगयांग ग्यात्सो पीक' रखा गया है जिस पर चीन ने आपत्ति जताई है।

  • चीन ने इस चोटी के नामकरण की निंदा करते हुए इसे "चीन के क्षेत्र" में एक अवैध कार्य बताया है।
    • चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत” मानता है। इस क्षेत्र को चीनी भाषा में “ज़ंगनान” कहा जाता है।
  • त्सांगयांग ग्यात्सो का जन्म तवांग में हुआ था और वे 17 वी-18 वीं शताब्दी के दौरान वहाँ रहे थे।
  • भारत ने इस नामकरण को त्सांगयांग ग्यात्सो की "शाश्वत बुद्धिमत्ता" तथा मोनपा समुदाय (तवांग क्षेत्र का एक मूल जातीय समूह) के प्रति उनके योगदान के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में संदर्भित किया।
  • राष्ट्रीय पर्वतारोहण एवं साहसिक खेल संस्थान (NIMAS) की एक टीम द्वारा 6,383 मीटर ऊँची इस चोटी पर चढ़ाई करने के क्रम में खड़ी बर्फ की ढलानों, हिम दरारों एवं दो किलोमीटर लंबे ग्लेशियर का सामना करना पड़ा।
    • यह चोटी अरुणाचल प्रदेश के हिमालय की गोरीचेन श्रेणी में स्थित है।
    • हिम दरारें आमतौर पर ग्लेशियर के शीर्ष 50 मीटर में देखने को मिलती हैं।
    • NIMAS, रक्षा मंत्रालय के अधीन है।

और पढ़ें: अरुणाचल प्रदेश पर चीनी दावे को भारत ने किया खारिज़


ऑक्सीजन बर्ड पार्क (अमृत महोत्सव पार्क)

स्रोत: पीआईबी

हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा महाराष्ट्र के नागपुर में ऑक्सीजन बर्ड पार्क (अमृत महोत्सव पार्क) का उद्घाटन किया गया।

  • यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा नागपुर-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर की गई एक पर्यावरण पहल का हिस्सा है।
  • इसमें तीव्र वृद्धि वाले एवं ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाले पेड़ हैं जिनका उद्देश्य वायु प्रदूषण  रोकन के साथ स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देना है। 
  • इसे स्थानीय और प्रवासी पक्षी प्रजातियों के  संरक्षण के क्रम में प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित किया गया है।
  • इसका उद्देश्य मध्य भारत की दुर्लभ एवं लुप्तप्राय वृक्ष प्रजातियों (जैसे कि सुभेद्य भारतीय बेल (Vulnerable Indian Bael), गम कराया (Gum Karaya) और जंगल की संकटग्रस्त यलो फ्लेम (Endangered Yellow Flame) को संरक्षित करना है।
  • इसमें कमल/लिली पैड तालाब, रीड बेड (प्राकृतिक जल निस्पंदन), बांस और ताड़ के बागान भी हैं।
  • इस पार्क का एक भाग सामाजिक वानिकी को समर्पित है। सामाजिक वानिकी के तहत व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से अप्रयुक्त भूमि पर पेड़ लगाए जाते हैं

और पढ़ें: वन संरक्षण प्रयासों पर पुनर्विचार


भारत में स्ट्रोक या आघात दर में वृद्धि

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

'द लैंसेट न्यूरोलॉजी' में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि भारत में पिछले तीन दशकों में स्ट्रोक या आघात के मामलों में वृद्धि देखी गई है।

  • स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है जो मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह की कमी के कारण होती है। यह संकुचित रक्त वाहिका, रक्तस्राव या रक्त प्रवाह को अवरुद्ध करने वाले रक्त के थक्के के कारण हो सकता है।
  • भारत में वर्ष 2021 में 1.25 मिलियन से अधिक नए स्ट्रोक के मामले सामने आए, जो वर्ष 1990 के 650,000 मामलों की तुलना में 51% की उल्लेखनीय वृद्धि है।
  • भारत में स्ट्रोक की व्यापकता वर्ष 1990 में 4.4 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2021 में 9.4 मिलियन हो गई है।
  • वैश्विक स्तर पर भारत का स्ट्रोक के मामले में 10% का योगदान है।

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एशिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश भारत

स्रोत: पीआईबी

एशिया पावर इंडेक्स, 2024 के अनुसार, भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बन गया है, जो इसकी बढ़ती भू-राजनीतिक हैसियत को दर्शाता है। यह उपलब्धि भारत के सक्रिय विकास, युवा आबादी और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के तहत हासिल हुई है, जिसने इस क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति के रूप में इसकी स्थिति को मज़बूत किया है।

भारत के उदय के पीछे के मुख्य कारक:

  • आर्थिक विकास: भारत ने महामारी के बाद बड़े स्तर पर आर्थिक सुधार प्रदर्शित किए हैं, जिससे इसकी आर्थिक क्षमता में 4.2 अंकों की वृद्धि हुई है।
  • भविष्य की संभावना: भारत के भविष्य के संसाधनों के स्कोर में 8.2 अंकों की वृद्धि हुई है, जो संभावित जनसांख्यिकीय लाभांश का संकेत है। 
  • कूटनीतिक प्रभाव:  भारत की गुटनिरपेक्ष रणनीतिक स्थिति से जटिल अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्रों में प्रभावी रूप से नौवहन करना संभव हुआ है। वर्ष 2023 में कूटनीतिक संवादों के मामले में भारत छठे स्थान पर रहा, जिससे बहुपक्षीय मंचों में इसकी सक्रिय भागीदारी का पता चलता है।

एशिया में भारत की भूमिका:

  • एशिया में भारत का बढ़ता प्रभाव उसके संसाधन आधार और रणनीतिक स्वायत्तता से प्रेरित है। निरंतर आर्थिक विकास और बढ़ते कार्यबल के साथ, भारत आने वाले वर्षों में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिये (विशेष रूप से, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में) अच्छी स्थिति में है।

एशिया पावर इंडेक्स:

  • लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया एशिया पावर इंडेक्स, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पावर की स्थिति का एक वार्षिक माप है। यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 27 देशों का मूल्यांकन करता है, 
  •  वर्ष 2024 का संस्करण इस क्षेत्र में पावर डिस्ट्रीब्यूशन का अब तक का सबसे व्यापक मूल्यांकन प्रस्तुत करता है।

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भारत का आर्थिक विकास परिदृश्य