तिरुवल्लुवर
प्रीलिम्स के लिये:
संगम साहित्य, तिरुवल्लुवर
मेन्स के लिये:
संगम साहित्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्राचीन संत तिरुवल्लुवर (Thiruvalluvar) राजनीतिक मुद्दों के कारण तमिलनाडु में चर्चा में रहे।
प्रमुख बिंदु
- तिरुवल्लुवर एक तमिल कवि और संत थे जिन्हें वल्लुवर (Valluvar) के नाम से भी जाना जाता था।
- धार्मिक पहचान के कारण उनकी कालावधि में विरोधाभास है सामान्यतः उन्हें तीसरी-चौथी या आठवीं-नौवीं शताब्दी का माना जाता है।
- सामान्यतः उन्हें जैन धर्म से संबंधित माना जाता है। हालाँकि, हिंदुओं का दावा किया है कि तिरुवल्लुवर हिंदू धर्म से संबंधित थे।
- द्रविड़ समूहों (Dravidian Groups) ने उन्हें एक संत माना क्योंकि वे जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते थे।
- उनके द्वारा संगम साहित्य में तिरुक्कुरल या 'कुराल' (Tirukkural or ‘Kural') की रचना की गई थी।
- इस रचना को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
- अराम- Aram (सदगुण- Virtue)।
- पोरुल- Porul (सरकार और समाज)।
- कामम- Kamam (प्रेम)।
संगम साहित्य
Sangam Literature
- संगम ’शब्द संस्कृत शब्द संघ का तमिल रूप है जिसका अर्थ व्यक्तियों का समूह या संघ होता है।
- तमिल संगम कवियों की एक अकादमी थी जो तीन अलग-अलग कालखंडों और विभिन्न स्थानों पर पांड्य राजाओं के संरक्षण में विकसित हुई।
- तीसरे संगम के समय के साहित्य, ईसाई युग की शुरुआत की सामाजिक स्थितियों की जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
- ये साहित्य मुख्यतः सार्वजनिक और सामाजिक गतिविधियों जैसे सरकार, युद्ध दान, व्यापार, पूजा, कृषि जैसे धर्मनिरपेक्ष मामले से संबंधित थे।
- संगम साहित्य में तोलक्कापियम, 10 कविताओं का समूह- पट्टुपट्टू (Pattupattu), एत्तुतोगई (Ettutogai) और पडिनेनकिलकानाक्कू (Padinenkilkanakku) जैसे तमिल रचनाएँ शामिल हैं।