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डेली न्यूज़

  • 25 Jun, 2022
  • 65 min read
भूगोल

गहन अनुकूलन के तहत अवशिष्ट बाढ़ क्षति

प्रिलिम्स के लिये:

बाढ़ प्रबंधन, एनडीएमए। 

मेन्स के लिये:

गहन अनुकूलन के तहत अवशिष्ट बाढ़ क्षति, जलवायु परिवर्तन । 

चर्चा में क्यों? 

प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, गहन अनुकूलन के तहत अवशिष्ट बाढ़ क्षति, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक आर्थिक विकास के कारण नदी में बाढ़ का खतरा बढ़ने की उम्मीद है। 

  • गहन अनुकूलन के तहत अवशिष्ट बाढ़ क्षति स्थानीय आर्थिक परिदृश्यों और लागत अनुकूलन उपायों के आधार पर अवशिष्ट बाढ़ क्षति (RFD) की लागत को मापने का प्रयास करके अनुकूलतम बाढ़ उपायों को नियोजित करने की वैश्विक लागत का अनुमान लगाने का प्रयास करती है। 

अवशिष्ट बाढ़ क्षति (RFD): 

  • RFD का तात्पर्य संभावित अनुकूलन लागतों के आधार पर अनुकूलन रणनीति के तहत बाढ़ क्षति में अपरिहार्य वृद्धि से है। 
    • बाढ़ के संदर्भ में अनुकूलन रणनीति में बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिये नियोजित अवसंरचनात्मक उपाय शामिल हैं। 
  • RFD कुल अपेक्षित वार्षिक क्षति (EAD) का हिस्सा है। 
    • अपेक्षित वार्षिक क्षति विभिन्न घटनाओं पर गणना की गई बाढ़ क्षति का औसत है। 
  • इसकी गणना पिछले EAD (1970-2000) और भविष्य के EAD अनुमानों (1000 वर्ष के आधार पर) को घटाकर की जाती है। 

निष्कर्ष: 

  • असम को 943 वर्षों के बाढ़ सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होगी ताकि एक संकट को रोका जा सके जैसा कि वह सामना कर रहा है यदि इसकी तैयारी और जलवायु अनुकूलन की गति में वृद्धि नहीं होती है। 
    • वर्ष 2022 में बाढ़ की शुरुआत मई के आरंभ में हुई, जिसमें मार्च-मई में औसत से 62% अधिक वर्षा हुई, जो 10 साल के उच्चतम स्तर पर थी। 
    • वर्तमान में असम के 35 में से 33 ज़िले ब्रह्मपुत्र बेसिन में बाढ़ के कारण प्रभावित हुए हैं। इस वर्ष 4.2 मिलियन से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि 20 जून तक 100,000 हेक्टेयर से अधिक फसल भूमि को नुकसान पहुंँचा है। 
  • बिहार, उत्तर प्रदेश और मेघालय जैसे अन्य बाढ़ प्रवण राज्यों को क्रमशः 966, 935 और 996 वर्षों की आवश्यकता होगी। 
    • भारत में नदी की बाढ़- जिसे प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है- आर्थिक नुकसान का पर्याय बन गई है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, वर्ष 1953-2017 तक देश में बाढ़ से संबंधित कुल नुकसान 37 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। 
  • दक्षिण एशिया में RFD लगभग 4 मिलियन अमेरिकी डाॅलर और अनुकूलन लागत लगभग 3 मिलियन अमेरिकी डाॅलर होने का अनुमान है। 
  • RFD (सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में) पूर्वी चीन, भारत के उत्तरी भागों और अफ्रीकी महाद्वीप के मध्य क्षेत्रों में उच्च स्तर पर रहा। 
  • RFD को कम निर्माण अवधि या कम अनुकूलन लागत के साथ कम किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि तत्काल और उपयुक्त अनुकूलन कार्यों की आवश्यकता है, जिसमें उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के लिये वित्तीय सहायता में वृद्धि शामिल है। 

flood

बाढ़: 

  • बाढ़ के बारे में: 
    • यह  सामान्य रूप से शुष्क भूमि पर पानी का अति प्रवाह होता है। समुद्र की लहरों  के तट पर टकराने , बर्फ के जल्दी पिघलने या बाँध के टूटने या भारी बारिश के होने से  बाढ़ आ सकती है 
    • हानिकारक बाढ़ का स्तर केवल कुछ इंच तक हो सकता है, या यह एक घर की छत को ढहा सकता है। बाढ़ मिनटों के भीतर या लंबी अवधि में आ सकती है, और दिनों, हफ्तों या उससे अधिक समय तक रह सकती है। मौसम संबंधी सभी प्राकृतिक आपदाओं में बाढ़ सबसे आम और व्यापक है। 
    • फ्लैश फ्लड सबसे खतरनाक प्रकार की बाढ़ हैं, क्योंकि वे बाढ़ की विनाशकारी शक्ति को अविश्वसनीय गति से जोड़ती हैं। 
      • अचानक बाढ़ तब आती है जब वर्षा ज़मीन को अवशोषित करने की क्षमता से अधिक हो जाती है। 
      • जब पानी सामान्य रूप से सूखी खाड़ियों या नालों में भर जाता है या पर्याप्त पानी जमा हो जाता है तब फ्लैश फ्लड की स्थिति पैदा होती है, जिससे पानी की धाराएँ किनारों को पार कर जाती हैं, जिससे कम समय में ही पानी  से बढ़ जाता है। 
      • यह फ्लैश फ्लड वर्षा के कुछ मिनटों के भीतर ही हो जाता है। 
      • जिसके कारण जनता को चेतावनी देना या उनकी सुरक्षा के उपाय के लिये कम समय मिल पाता है। 
  • उपाय: 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 


भारतीय अर्थव्यवस्था

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स

प्रीलिम्स के लिये:

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, यूपीआई, ई-कॉमर्स से संबंधित पहल। 

मेन्स के लिये:

डिजिटल कॉमर्स के लिये ओपन नेटवर्क का महत्त्व। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में सरकार ने देश के तेज़ी से बढ़ते डिजिटल ई-कॉमर्स स्पेस को "लोकतांत्रिक" करने के उद्देश्य से ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स ( Open Network for Digital Commerce- ONDC) का पायलट चरण शुरू किया है, जिसमें वर्तमान में दो अमेरिकी मुख्यालय वाली फर्मों - अमेज़ॅन और वॉलमार्ट का वर्चस्व है। 

ONDC के बारे में: 

  • परिचय: 
    • ONDC वैश्विक स्तर पर अपनी तरह की पहली पहल है जिसका उद्देश्य डिजिटल कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना है और इसे एक प्लेटफॉर्म-केंद्रित मॉडल से एक खुले नेटवर्क की ओर ले जाना है। 
      • ONDC के तहत, यह परिकल्पना की गई है कि एक भाग लेने वाली ई-कॉमर्स साइट (उदाहरण के लिये-अमेज़ॅन) पर पंजीकृत खरीदार किसी अन्य प्रतिभागी ई-कॉमर्स साइट (उदाहरण के लिये, फ्लिपकार्ट) पर विक्रेता से सामान खरीद सकता है। 
      • वर्तमान में, खरीदारों और विक्रेताओं को एक ही प्लेटफॉर्म के माध्यम से होने वाले लेनदेन के लिये एक ही ऐप पर होना चाहिये। उदाहरण के लिये, किसी खरीदार को अमेज़ॅन पर किसी विक्रेता से उत्पाद खरीदने के लिये अमेज़ॅन पर जाना होगा। 
    • यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो उद्योगों में स्थानीय डिजिटल कॉमर्स स्टोर को किसी भी नेटवर्क-सक्षम एप्लीकेशन द्वारा खोजने और संलग्न करने में सक्षम बनाने के लिये एक नेटवर्क की पेशकश करेगा। 
      • खुले नेटवर्क की अवधारणा खुदरा क्षेत्र से परे, थोक, गतिशीलता, खाद्य वितरण, रसद, यात्रा, शहरी सेवाओं आदि सहित किसी भी डिजिटल वाणिज्य डोमेन तक फैली हुई है। 
    • यह न तो एक एग्रीगेटर एप्लीकेशन है और न ही एक होस्टिंग प्लेटफॉर्म है, और सभी मौजूदा डिजिटल कॉमर्स एप्लिकेशन और प्लेटफ़ॉर्म स्वेच्छा से अपनाने और ONDC नेटवर्क का हिस्सा बनने का विकल्प चुन सकते हैं। 
    • ONDC का उद्देश्य किसी भी विशिष्ट प्लेटफॉर्म पर स्वतंत्र, खुले विनिर्देशों और खुले नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करके, ओपन-सोर्स पद्धति पर विकसित नेटवर्क को बढ़ावा देना है। 
    • ONDC का कार्यान्वयन, जिसके एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) की तर्ज पर होने की उम्मीद है, ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों द्वारा रखे गए विभिन्न परिचालन पहलुओं को एक ही स्तर पर ला सकता है। 
    • ओपन-सोर्स तकनीक पर आधारित नेटवर्क के माध्यम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को एकीकृत करने की परियोजना को भारतीय गुणवत्ता परिषद को सौंपा गया है।  
      • ओपन सोर्स एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या प्लेटफॉर्म को संदर्भित करता है जिसमें सोर्स कोड होता है जो आसानी से सुलभ होता है और जिसे किसी के द्वारा संशोधित या बढ़ाया जा सकता है। ओपन सोर्स एक्सेस किसी एप्लीकेशन के उपयोगकर्त्ताओं को टूटे हुए लिंक को ठीक करने, डिज़ाइन को बढ़ाने या मूल कोड में सुधार करने की अनुमति देता है। 
  • लाभ: 
    • ONDC कैटलॉगिंग, इन्वेंट्री प्रबंधन, ऑर्डर प्रबंधन और ऑर्डर पूर्ति जैसे कार्यों का मानकीकरण करेगा, जिससे छोटे व्यवसायों के लिये नेटवर्क पर खोजे जाने योग्य और व्यवसाय का संचालन करना सरल और आसान हो जाएगा। 
  • संभावित मुद्दे: 
    • विशेषज्ञों ने ग्राहक सेवा और भुगतान एकीकरण से संबंधित मुद्दों के साथ-साथ साइन अप करने के लिये पर्याप्त संख्या में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प्राप्त करने जैसे संभावित संभावित मुद्दों की ओर इशारा किया है। 

UPI-Models

महत्त्व: 

  • ONDC पर खरीदार और विक्रेता इस तथ्य के बावजूद लेनदेन कर सकते हैं कि वे एक विशिष्ट ई-कॉमर्स पोर्टल से जुड़े हुए हैं। 
  • यह छोटे ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं और नए प्रवेशकों को प्रोत्साहित कर सकता है। 
    • हालांँकि यदि यह अनिवार्य किया जाता है तो यह बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिये समस्यायुक्त हो सकता है, क्योंकि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने संचालन के इन क्षेत्रों हेतु अपनी प्रक्रियाएंँ और प्रौद्योगिकी स्थापित कर रखे हैं। 
  • ONDC से संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को डिजिटाइज़ करने, संचालन का मानकीकरण करने, आपूर्तिकर्ताओं के समावेशन को बढ़ावा देने, लॉजिस्टिक्स में दक्षता प्राप्त करने और उपभोक्ताओं के लिये मूल्य बढ़ाने की अपेक्षा है। 
  • यह मंच समान अवसर भागीदारी की परिकल्पना करता है और उपभोक्ताओं के लिये ई-कॉमर्स को अधिक समावेशी और सुलभ बनाने की अपेक्षा रखता है क्योंकि वे संभावित रूप से किसी भी संगत एप्लीकेशन/प्लेटफॉर्म का उपयोग करके किसी भी विक्रेता, उत्पाद या सेवा की खोज कर सकते हैं, जिससे उनकी पसंद की स्वतंत्रता बढ़ जाती है। 
  • यह किसी भी मूल्यवर्ग के लेनदेन को सक्षम करेगा, इस प्रकार ONDC को वास्तव में 'लोकतांत्रिक वाणिज्य हेतु खुला नेटवर्क' बना देगा। 
  • अगले पांँच वर्षों में ONDC नेटवर्क पर 90 करोड़ उपयोगकर्त्ताओ और 12 लाख विक्रेताओं को जोड़ने की अपेक्षा करता है, जिससे 730 करोड़ अतिरिक्त खरीदारी हो सकेगी। 

ONDC

स्रोत: द हिंदू 


शासन व्यवस्था

मनोरंजन उद्योग में बाल भागीदारी का विनियमन

प्रिलिम्स के लिये:

मनोरंजन उद्योग में बाल संरक्षण को विनियमित करने हेतु दिशा-निर्देश,, बाल और किशोर श्रम अधिनियम, 1986, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015। 

मेन्स के लिये:

बच्चों से संबंधित मुद्दे। 

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने मनोरंजन उद्योग में बाल संरक्षण को विनियमित करने के लिये दिशा-निर्देशों का मसौदा तैयार किया है। 

  • आयोग द्वारा वर्ष 2011 में "मनोरंजन उद्योग में बाल भागीदारी को विनियमित करने के लिये दिशा-निर्देश" जारी किये गए थे। नया मसौदा पहली बार सोशल मीडिया और ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफार्मों को कवर करने वाले दिशा-निर्देशों के दायरे को बढ़ाता है। 

नए दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएंँ: 

ज़िला मजिस्ट्रेट की अनुमति : 

  • किसी भी ऑडियो-वीडियो मीडिया प्रोडक्शन या किसी बच्चे की भागीदारी वाले किसी भी व्यावसायिक कार्यक्रम के किसी भी निर्माता को अब उस ज़िला मजिस्ट्रेट की अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होगी जहांँ गतिविधि का प्रदर्शन किया जाना है। 
  • निर्माताओं को डिस्क्लेमर भी चलाना होगा जिसमें यह बताया जाएगा कि शूटिंग की पूरी प्रक्रिया के दौरान बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, उपेक्षा या शोषण न हो, यह सुनिश्चित करने हेतु उपाय किये गए थे। 

कठोर दंड प्रावधान: 

  • आयोग ने कारावास सहित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिये कड़े दंड प्रावधानों को भी शामिल किया है, और यह अनिवार्य किया है कि मनोरंजन में इस्तेमाल होने वाले बाल कलाकारों और बच्चों को ज़िला मजिस्ट्रेटों के साथ पंजीकृत करने की आवश्यकता है। 
  • विभिन्न अधिनियमों के प्रावधान: 
  • विस्तार: 
    • नए दिशा-निर्देशों के दायरे में टीवी कार्यक्रमों को शामिल किया जाएगा, जिसमें रियलिटी शो, धारावाहिक, समाचार और सूचनात्मक मीडिया, फिल्में, OTT प्लेटफार्मों पर सामग्री, सोशल मीडिया पर सामग्री, प्रदर्शन कला, विज्ञापन और वाणिज्यिक मनोरंजन गतिविधियों में बच्चों की किसी भी अन्य प्रकार की भागीदारी शामिल है। 
  • निषिद्ध भूमिकाएँ: 
    • दिशा-निर्देश बच्चों को अनुपयुक्त भूमिकाओं या स्थितियों में डाले जाने पर रोक लगाते हैं । 
    • बच्चे की उम्र, परिपक्वता, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक विकास और संवेदनशीलता को ध्यान में रखना होगा। एक बच्चे को उपहास, अपमान या हतोत्साह, कठोर टिप्पणियों या किसी भी  ऐसे व्यवहार में शामिल नहीं किया जा सकता है जो उसके भावनात्मक दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है। 
    • बच्चों को शराब पीते, धूम्रपान या किसी अन्य पदार्थ का उपयोग करते हुए या किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधि और अपराधी व्यवहार में लिप्त होते हुए नहीं दिखाया जा सकता है। 
    • किसी भी बच्चे को नग्नता से संबंधित किसी भी प्रकार की गतिविधियों में शामिल नहीं किया जा सकता है। 
  • अभिभावक की उपस्थिति: 
    • शूट के दौरान कम-से-कम एक माता या पिता या कानूनी अभिभावक या किसी ज्ञात व्यक्ति को उपस्थित होना होगा और शिशुओं के लिये माता-पिता या कानूनी अभिभावक के साथ एक पंजीकृत नर्स की उपस्थिति आवश्यक है।. 
  • हानिकारक प्रकाश, दूषित प्रसाधन सामग्री का निषेध: 
    • नाबालिग, विशेष रूप से छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हानिकारक प्रकाश व्यवस्था, या दूषित सौंदर्य प्रसाधनों के संपर्क में नहीं लाया जाएगा। 
  • चिकित्सा स्वास्थ्य प्रमाणपत्र: 
    • प्रोडक्शन में शामिल प्रत्येक व्यक्ति जो बच्चों के संपर्क में हो सकता है, को यह सुनिश्चित करने के लिये एक चिकित्सा फिटनेस प्रमाण पत्र जमा करना होगा कि उन्हें किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं है और कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन भी किया जाना होगा। 
  • बच्चे की शिक्षा को सुनिश्चित करना: 
    • निर्माता कशिक्षा का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2009 के तहत बच्चे की शिक्षा सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है ताकि उत्पादन और चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ  स्कूल या सीखने की अवधि के दौरान  पर्याप्त  पौष्टिक भोजन तथा बच्चों के लिये पीने के पानी की उपलब्धता में कोई रुकावट न हो। 
  • प्रति दिन एक शिफ्ट: 
    • एक बच्चा प्रति दिन केवल एक शिफ्ट में तीन घंटे के ब्रेक के साथ कार्य करेगा। 
  • सावधि जमा/फिक्स डिपोज़िट में बच्चे की आय को जमा करना: 
    • बच्चे द्वारा उत्पादन या आयोजन से अर्जित आय का कम-से-कम 20% बच्चे के नाम पर एक राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा खाते में सीधे जमा किया जाएगा जो कि वयस्क होने पर बच्चे द्वारा क्रेडिट किया जा सकता है। 
  • बच्चे या उसके परिवार/अभिभावक द्वारा बनाई गई सामग्री: 
    • बाल श्रम और किशोर श्रम अधिनियम, 1986 की धारा 3 (2) (a) के तहत बच्चे या उसके परिवार/अभिभावक द्वारा निर्मित विषय वस्तु/कंटेंट को पारिवारिक उद्यम में कार्य करने वाले बच्चों के रूप में माना जाएगा। 

बच्चों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान: 

  • संविधान प्रत्येक बच्चे को सम्मान के साथ जीने के अधिकार की गारंटी देता है- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21) निजता का अधिकार (अनुच्छेद 21) समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14) और/या भेदभाव के खिलाफ अधिकार (अनुच्छेद 15) शोषण के खिलाफ अधिकार (अनुच्छेद 23 और 24)। 
    • 6-14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21 A)। 
  • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत, विशेष रूप से अनुच्छेद 39(f) यह सुनिश्चित करने के लिये राज्य पर एक दायित्व डालता है कि बच्चों को स्वस्थ तरीके से और स्वतंत्रता तथा सम्मान की स्थिति में विकसित होने के अवसर एवं सुविधाएँ दी जाएँ तथा बचपन और युवाओं को शोषण, नैतिक और भौतिक परित्याग के खिलाफ संरक्षित किया जाए। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न 

भारत के संविधान में शोषण के खिलाफ अधिकार द्वारा निम्नलिखित में से किसकी परिकल्पना की गई है? (2017)

  1. मानव यातायात और ज़बरन श्रम का निषेध
  2. अस्पृश्यता का उन्मूलन
  3. अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा
  4. कारखानों और खदानों में बच्चों के रोज़गार पर रोक

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1, 2 और 4  
(b) केवल 2, 3 और 4  
(c) केवल 1 और 4  
(d) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (c) 

  • संविधान के भाग-III (मौलिक अधिकार) के तहत अनुच्छेद 23 और 24 शोषण के खिलाफ अधिकार से संबंधित हैं। 
  • अनुच्छेद 23 में मानव के अवैध व्यापार और बलात् श्रम पर रोक लगाने का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि मानव तस्करी और भिखारी और इसी तरह के अन्य प्रकार के जबरन श्रम निषिद्ध हैं और इस प्रावधान का कोई भी उल्लंघन कानून के अनुसार दंडनीय अपराध होगा। अत: 1 सही है। 
  • अनुच्छेद 24 में कारखानों आदि में बच्चों के नियोजन पर रोक लगाने का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि चौदह वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को किसी कारखाने या खदान में काम करने के लिये या किसी अन्य खतरनाक रोज़गार में नहीं लगाया जाएगा। अत: कथन 4 सही है। 

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


शासन व्यवस्था

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (PMAY-U), जियोटैगिंग 

मेन्स के लिये:

पीएमएवाई-यू, कल्याण योजनाएंँ, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (PMAY-U) ने अपने सफल कार्यान्वयन के सात वर्ष पूरे कर लिये हैं। 

  • कुल 8.31 लाख करोड़ रुपए के निवेश के साथ PMAY-U ने अब तक 122.69 लाख घरों को मंज़ूरी दी है, जिनमें से 1 करोड़ से अधिक घरों की नींव रखी जा चुकी है और 61 लाख से अधिक घरों को पूरा किया गया है तथा लाभार्थियों को वितरित किया गया है। 

PMAY

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी: 

  • परिचय: 
    • प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MOHUA) द्वारा कार्यान्वित शहरीआवास के लिये सरकार के मिशन - 2022 तक सभी के लिये आवास के अंतर्गत आती है। 
    • यह शहरी गरीबों के लिये समान मासिक किस्तों (EMI) के पुनर्भुगतान के दौरान गृह ऋण की ब्याज दर पर सब्सिडी प्रदान करके गृह ऋण को किफायती बनाता है। 
  • लाभार्थी: 
    • मिशन स्लमवासियों सहित EWS/LIG और MIG श्रेणियों के बीच शहरी आवास की कमी को संदर्भित करता है। 
      • आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) - 3,00,00 रुपए की अधिकतम वार्षिक पारिवारिक आय के साथ। 
      • निम्न आय समूह - 6,00,000 रुपए की अधिकतम वार्षिक पारिवारिक आय के साथ) और 
      • मध्यम आय समूह (MIG-I और II) जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 18,00,000 रुपए है)। 
      • लाभार्थी परिवार में पति, पत्नी, अविवाहित बेटे और/या अविवाहित बेटियांँ शामिल होंगी। 
  • PMAY-U के चार कार्यक्षेत्र: 
    • स्व-स्थान मलिन बस्ती पुनर्विकास (ISSR): 
      • पात्र मलिनवासियों को घर उपलब्ध कराने के लिये निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ इसको "संसाधन के रूप में भूमि" की अवधारणा के साथ ऊर्ध्वाधर रूप से लागू किया जाएगा। 
        • मलिन बस्ती: यह कम से कम 300 लोगों या लगभग 60-70 घरों का एक सघन क्षेत्र होता है जहांँ आमतौर पर खराब रूप से निर्मित भीड़भाड़ वाले मकान, अस्वच्छ वातावरण, अपर्याप्त बुनियादी ढांँचे, उचित स्वच्छता और पेयजल की सुविधाओं की कमी होती है। 
    • क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी (CLSS) के माध्यम से किफायती आवास: 
      • EWS, LIG, MIG (I & II) के लाभार्थी जो बैंकों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और ऐसे अन्य संस्थानों से आवास ऋण प्राप्त करने एवं नए घरों के निर्माण या इन्हें बढ़ाने के लिये आवास ऋण की मांग कर रहे हैं, वे ब्याज़ सब्सिडी के पात्र हैं: 
        • 6 लाख रुपए तक की ऋण राशि 6.5% ब्याज़ सब्सिडी पर 
        • 9 लाख रुपए तक की ऋण राशि 4% ब्याज़ सब्सिडी पर 
        • 12 लाख रुपए तक की ऋण राशि 3% ब्याज़ सब्सिडी पर 
    • साझेदारी के माध्यम से किफायती आवास (AHP): 
      • किफायती आवास परियोजना विभिन्न श्रेणियों के घरों का मिश्रण हो सकती है, यदि परियोजना में कम-से-कम 35% घर EWS श्रेणी में हैं तो यह केंद्रीय सहायता के लिये पात्र होगी। 
    • लाभार्थी के नेतृत्व में व्यक्तिगत घर निर्माण (BLC): 
      • EWS श्रेणियों से संबंधित पात्र परिवारों को व्यक्तिगत आवास निर्माण/वृद्धि के लिये प्रति EWS घर 1.5 लाख रुपये तक की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। 
  • मांग-संचालित दृष्टिकोण: 
    • PMAY-U सहकारी संघवाद के लोकाचार को मज़बूत करने के लिये एक मांग-संचालित दृष्टिकोण को अपनाता है, आवास की कमी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) द्वारा मांग मूल्यांकन के आधार पर तय की जाती है। 
    • PMAY-U के CLSS वर्टिकल को छोड़कर मिशन को केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में लागू किया गया है, जिसे केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू किया जा रहा है। 
      • केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्त पोषित हैं और केंद्र सरकार की मशीनरी द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं। 
      • केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के वित्तपोषण का एक निश्चित प्रतिशत राज्यों द्वारा वहन किया जाता है और कार्यान्वयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। 
  • जियोटैगिंग: 
    • जियोटैगिंग फोटोग्राफी जैसे विभिन्न माध्यमों में भौगोलिक पहचान को जोड़ने की एक प्रक्रिया है। 
      • PMAY-U दिशा-निर्देशों के तहत राज्य सरकार के लिये यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि योजना के तहत बनाए गए सभी घरों को भुवन HFA (सभी के लिये आवास) आवेदन पर जियोटैग किया गया है। 
  • महिला सशक्तीकरण: 
    • मिशन महिला सदस्य के नाम पर या संयुक्त नामों में घरों का स्वामित्व प्रदान करके महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है। 
    • महिलाओं (विधवाओं, एकल महिलाओं को अधिभावी वरीयता के साथ), अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति /अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, विकलांग व्यक्तियों और ट्रांसजेंडर से संबंधित व्यक्तियों को भी वरीयता दी जाती है। 
  • PMAY-U के तहत पहलें: 
    • एफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्पलेक्सेज़ (ARHCs) : 
      • यह PMAY-U के तहत एक उप-योजना है। 
      • यह औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ अनौपचारिक शहरी अर्थव्यवस्थाओं में शहरी प्रवासियों/गरीबों को उनके कार्यस्थल के करीब सम्मानजनक किफायती किराये के आवास तक आसान पहुंँच प्रदान करेगा। 
    • वैश्विक आवासीय प्रौद्योगिकी चुनौती: 
      • इसका उद्देश्य आवास निर्माण क्षेत्र के लिये वैश्विक स्तर से नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों की पहचान करना और उसे मुख्यधारा में लाना है जो सतत्, पर्यावरण के अनुकूल और आपदा-अनुकूल हो। 
    • CLSS आवास पोर्टल (CLAP): 
      • यह एक साझा मंच है जहांँ सभी हितधारक अर्थात् MoHUA, केंद्रीय नोडल एजेंसियांँ, प्राथमिक ऋण देने वाले संस्थान, लाभार्थी और नागरिक एक निर्धारित समय पर एकीकृत होते हैं। 
      • पोर्टल लाभार्थियों द्वारा सब्सिडी की स्थिति पर नज़र रखने के साथ-साथ आवेदनों को प्रसंस्करण की सुविधा प्रदान करता है। 

स्रोत: पी.आई.बी 


भारतीय अर्थव्यवस्था

कार्ड टोकनाइज़ेशन

प्रिलिम्स के लिये:

आरबीआई, कार्ड टोकनाइज़ेशन, कार्ड-ऑन-फाइल। 

मेन्स के लिये:

आरबीआई की रिपोर्ट, कार्ड टोकनाइज़ेशन, कार्ड-ऑन-फाइल। 

चर्चा में क्यों? 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कार्डधारकों को व्यवधान और असुविधा से बचने हेतु डेबिट और क्रेडिट कार्ड के टोकनाइज़ेशन के लिये समय सीमा 30 सितंबर, 2022 तक तीन महीने बढ़ा दी है। 

  • 30 सितंबर के बाद कार्ड जारीकर्ताओं और कार्ड नेटवर्क के अलावा कार्ड लेन-देन या भुगतान श्रृंखला में किसी भी इकाई को CoF (कार्ड-ऑन-फाइल डेटा या वास्तविक कार्ड डेटा का भंडारण) को संग्रहीत नहीं करना चाहिये इसके अलावा पहले संग्रहीत ऐसे किसी भी डेटा को समाप्त कर दिया जाएगा। 

टोकनाइज़ेशन और कार्ड-ऑन-फाइल: 

  • टोकनाइज़ेशन: यह वास्तविक क्रेडिट और डेबिट कार्ड के विवरण को "टोकन" नामक एक वैकल्पिक कोड के साथ बदलने को संदर्भित करता है, जो कार्ड, टोकन अनुरोधकर्ता और डिवाइस के संयोजन के लिये अद्वितीय होगा। 
    • एक टोकनयुक्त कार्ड लेन-देन को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि लेनदेन प्रक्रिया के दौरान वास्तविक कार्ड विवरण व्यापारी के साथ साझा नहीं किया जाता है। 
    • जिन ग्राहकों के पास टोकन की सुविधा नहीं है, उन्हें हर बार ऑनलाइन कुछ ऑर्डर करने पर अपना नाम, 16 अंकों का कार्ड नंबर, समाप्ति तिथि और CVV दर्ज करना होगा। 
    • अब तक करीब 19.5 करोड़ टोकन बनाए जा चुके हैं। कार्डधारकों के लिये CoFT (टोकन बनाना) का विकल्प स्वैच्छिक है। 
  • कार्ड-ऑन-फाइल: CoF लेनदेन एक ऐसा लेन-देन है जहांँ कार्डधारक ने कार्डधारक के मास्टरकार्ड या वीज़ा भुगतान विवरण को संग्रहीत करने हेतु एक व्यापारी को अधिकृत किया है। 
  • कार्डधारक तब उसी व्यापारी को अपने संग्रहीत मास्टरकार्ड या वीज़ा खाते से ही बिल करने के लिये अधिकृत करता है। 
    • ई-कॉमर्स कंपनियाँ और एयरलाइंस तथा सुपरमार्केट चेन सामान्य रूप से अपने सिस्टम में कार्ड विवरण को संग्रहीत करते हैं। 

Card-Tokenisation

  • कार्डों का टोकनीकरण क्यों आवश्यक है? 
    • एक ऑनलाइन कार्ड लेन-देन शृंखला में शामिल कई संस्थाएँ भविष्य में लेन-देन करने के लिये कार्ड डेटा जैसे कार्ड नंबर और समाप्ति तिथि कार्ड-ऑन-फाइल स्टोर करती हैं। हालाँकि यह अभ्यास सुविधाजनक प्रदान करता है, कई संस्थाओं के साथ कार्ड विवरण की उपलब्धता से कार्ड डेटा चोरी या दुरुपयोग होने का खतरा बढ़ जाता है। 
    • ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ व्यापारियों द्वारा संग्रहीत ऐसे ही डेटा से समझौता किया गया है। 
    • कई क्षेत्राधिकार कार्ड लेन-देन को प्रमाणित करने के लिये प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक (AFA) अनिवार्य नहीं है, धोखेबाजों के हाथों चोरी किये गए डेटा के परिणामस्वरूप अनधिकृत लेन-देन हो सकता है और कार्डधारकों को मौद्रिक नुकसान हो सकता है। भारत के भीतर भी ऐसे डेटा का उपयोग करके धोखाधड़ी करने के लिये सोशल इंजीनियरिंग तकनीकों को नियोजित किया जा सकता है।   

यू.पी.एस.सी. सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न 

प्र. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बैंकरों के बैंको (केंद्रीय बैंक) के रूप में कार्य करता है। इसका/इसके अर्थ निम्नलिखित में से कौन-सा/से है/हैं? (2012) 

  1. अन्य बैंक RBI के पास अपनी जमा संचित रखते हैं। 
  2. आवश्यकता के समय RBI वणिज्यिक बैंको को ऋण देता है। 
  3. RBI वणिज्यिक बैंको को मौद्रिक विषयों पर परामर्श देता है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 2 और 3 
(b) केवल 1 और 2 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2, और 3 

उत्तर: (d) 

  • भारतीय रिज़र्व बैंक का उद्भव वर्ष 1926 में देखा जा सकता है, जब भारतीय मुद्रा और वित्त पर रॉयल कमीशन (जिसे हिल्टन-यंग कमीशन के रूप में भी जाना जाता है) ने मुद्रा और क्रेडिट के नियंत्रण को अलग करने के लिये भारत हेतु एक केंद्रीय बैंक के निर्माण की सिफारिश की थी। सरकार से और पूरे देश में बैंकिंग सुविधाओं को बढ़ाने के लिये वर्ष 1934 के भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के तहत रिज़र्व बैंक की स्थापना की गई। 
  • बैंकर्स बैंक और पर्यवेक्षक के रूप में आरबीआई की भूमिका: 
    • RBI बैंकों की नगदी का  एक हिस्सा  अपने पास रखता है तथा उन्हें छोटी अवधि के लिये धन उधार देता है और उन्हें केंद्रीकृत समाशोधन एवं सस्ती और त्वरित प्रेषण सुविधाएंँ प्रदान करता है। अत: कथन 2 सही है। 
    • RBI को वैधानिक रूप से अधिकृत है कि वह अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को अपनी शुद्ध मांग समय देयताओं (NDTL) का एक निर्धारित अनुपात जमा करे। अत: कथन 1 सही है। 
    • बैंकों के बैंकर के रूप में, रिज़र्व बैंक 'अंतिम  ऋणदाता' के रूप में भी कार्य करता है। यह एक ऐसे बैंक के बचाव में आ सकता है जो सॉल्वेंट है, लेकिन अस्थायी तरलता की समस्याओं का सामना करता है, जब उसे बहुत आवश्यक तरलता की आपूर्ति होती है, जब कोई और उस बैंक को ऋण देने के लिये तैयार नहीं होता है। 
    • RBI को अंतिम ऋणदाता के रूप में कार्य करना चाहिये। 
    • RBI मौद्रिक मामलों में वाणिज्यिक बैंकों की निगरानी करता है तथा उन्हें सलाह भी देता है। अत: कथन 3 सही है 

अत: विकल्प (D) सही उत्तर है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  


भारतीय अर्थव्यवस्था

नीति आयोग

प्रीलिम्स के लिये:

नीति आयोग. 

मेन्स के लिये:

नीति आयोग, महत्त्व और चिंताएँ। 

चर्चा में क्यों? 

नीति (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) आयोग के CEO अमिताभ कांत अपने पद छोड़ने वाले हैं और उनकी जगह पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के पूर्व सचिव परमेश्वरन अय्यर लेंगे। 

नीति आयोग: 

  • पृष्ठभूमि: 
    • योजना आयोग को 1 जनवरी, 2015 को एक नए संस्थान नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था, जिसमें 'सहकारी संघवाद' की भावना को प्रतिध्वनित करते हुए अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार की परिकल्पना की परिकल्पना के लिये 'बॉटम-अप' दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया गया था। 
    • इसके दो हब हैं। 
      • टीम इंडिया हब- राज्यों और केंद्र के बीच इंटरफेस का काम करता है। 
      • ज्ञान और नवोन्मेष हब- नीति आयोग के थिंक-टैंक की भाँति कार्य करता है। 
  • संयोजन: 
    • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री 
    • उपाध्यक्ष: प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त 
    • संचालन परिषद: सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल। 
    • क्षेत्रीय परिषद: विशिष्ट क्षेत्रीय मुद्दों को संबोधित करने के लिये प्रधानमंत्री या उसके द्वारा नामित व्यक्ति मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों की बैठक की अध्यक्षता करता है। 
    •  तदर्थ सदस्यता: अग्रणी अनुसंधान संस्थानों से बारी-बारी से 2 पदेन सदस्य। 
    • पदेन सदस्यता: प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अधिकतम चार सदस्य। 
    • मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO): भारत सरकार का सचिव जिसे प्रधानमंत्री द्वारा एक निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता है। 
    • विशेष आमंत्रित: प्रधानमंत्री द्वारा नामित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ। 
  • उद्देश्य: 
    • राज्यों के साथ निरंतर आधार पर संरचित समर्थन पहल और तंत्र के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, यह मानते हुए कि मज़बूत राज्य एक मबूत राष्ट्र बनाते हैं। 
    • ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजनाएँ बनाने के लिये तंत्र विकसित करना और सरकार के उच्च स्तरों पर इन्हें उत्तरोत्तर एकत्रित करना। 
    • यह सुनिश्चित करने के लिये कि विशेष रूप से इसे संदर्भित क्षेत्रों, राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को आर्थिक रणनीति और नीति में शामिल किया गया है। 
    • समाज के उन वर्गों पर विशेष ध्यान देना जिन्हें आर्थिक प्रगति से पर्याप्त रूप से लाभ न मिलने का जोखिम हो सकता है। 
    • प्रमुख हितधारकों और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समान विचारधारा वाले थिंक टैंकों के साथ-साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच सलाह प्रदान करना एवं भागीदारी को प्रोत्साहित करना 
    • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, चिकित्सकों और अन्य भागीदारों के एक सहयोगी समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता सहायता प्रणाली की स्थापना करना। 
    • विकास एजेंडा के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने के लिये अंतर-क्षेत्रीय और अंतर-विभागीय मुद्दों के समाधान हेतु मंच प्रदान करना। 
    • अत्याधुनिक संसाधन केंद्र बनाए रखने, सतत् और न्यायसंगत विकास में सुशासन और सर्वोत्तम प्रथाओं पर अनुसंधान का संग्रह होने के साथ-साथ हितधारकों के प्रसार में मदद करना। 

नीति आयोग 

योजना आयोग 

यह एक सलाहकार थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है। 

यह गैर-संवैधानिक निकाय के रूप में कार्य करता था। 

इसमें व्यापक विशेषज्ञ सदस्य शामिल होते है। 

इसमें सीमित विशेषज्ञता थी। 

यह सहकारी संघवाद की भावना से कार्य करता है क्योंकि राज्य समान भागीदार हैं। 

राज्यों ने वार्षिक योजना बैठकों में दर्शकों के रूप में भाग लिया। 

प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त सचिवों को CEO के रूप में जाना जाता है। 

सचिवों को सामान्य प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त किया गया था। 

यह योजना के 'बॉटम-अप' दृष्टिकोण पर केंद्रित है। 

इसने 'टॉप-डाउन' दृष्टिकोण का अनुसरण किया। 

इसके पास नीतियांँ लागू करने का अधिकार नहीं है। 

राज्यों पर नीतियों को लागू किया और अनुमोदित परियोजनाओं के साथ धन का आवंटन किया। 

इसके पास निधि आवंटित करने का अधिकार नहीं है, जो वित्त मंत्री में निहित है। 

इसे मंत्रालयों और राज्य सरकारों को निधि आवंटित करने का अधिकार था। 

नीति आयोग की स्थापना का महत्त्व: 

  • 65 वर्ष पुराना योजना आयोग निरर्थक संगठन बन गया था। यह एक निर्देशित अर्थव्यवस्था संरचना में प्रासंगिक था लेकिन अब नहीं। 
  • भारत विविधताओं वाला देश है और इसके राज्य आर्थिक विकास के विभिन्न चरणों में हैं, जिनकी अपनी भिन्न-भिन्न ताकतें और कमज़ोरियाँ हैं। 
  • आर्थिक नियोजन के लिये सभी पर एक प्रारूप लागू हो, यह धारणा गलत है। यह आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत को प्रतिस्पर्द्धी के तौर पर स्थापित नहीं कर सकता। 

Niti-Aayog

संबंधित चिंताएंँ और चुनौतियांँ: 

  • नीति आयोग के पास राज्यों को विवेकाधीन धन देने का कोई अधिकार नहीं है, जो परिवर्तनकारी हस्तक्षेप करने के लिये इसे असमर्थ बना देता है। 
  • यह केवल एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है जो सरकार को अपने विचारों की प्रवर्तनीयता सुनिश्चित किये बिना विभिन्न मुद्दों पर सलाह देता है। 
  • निजी या सार्वजनिक निवेश को प्रभावित करने में नीति आयोग की कोई भूमिका नहीं है। 
  • हाल के दिनों में संगठन का राजनीतिकरण हुआ है। 
  • नीति आयोग को एक गौरवशाली सिफारिशी निकाय में बदल दिया गया है, जिसके पास सरकार के कार्यों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिये आवश्यक शक्ति का अभाव है। 

नीति आयोग की पहलें: 

आगे की राह: 

  • नियोजन निकाय को आवश्यक शक्तियों से लैस करना ताकि वह परिवर्तन को प्रभावित कर सके।  
  • पर्याप्त संसाधनों के आवंटन की ज़रूरत है। 
  • लक्ष्यों को पूरा करने में असमर्थता के लिये इसे विधायिका के प्रति कानूनी रूप से जवाबदेह बनाया जा सकता है।  
  • सुनिश्चित करें कि नियोजन निकाय एक गैर-पक्षपाती संस्था बना रहे। 
  • नौकरशाही की जड़ता को हिलाने की ज़रूरत है, इसमें विशेषज्ञता और प्रदर्शन के आधार पर जवाबदेही तय करने की ज़रूरत है। 

स्रोत: द हिंदू   


शासन व्यवस्था

शिक्षा सहायता की आवश्यकता वाले बच्चे और किशोर

प्रीलिम्स के लिये:

एजुकेशन कैन नॉट वेट (ईसीडब्ल्यू), यूनेस्को। 

मेन्स के लिये:

वैश्विक शैक्षिक प्रणाली की स्थिति। 

चर्चा में क्यों?  

आपात स्थिति और लंबे समय तक चलने वाले संकटों में शिक्षा के लिये संयुक्त राष्ट्र वैश्विक कोष, एजुकेशन कैन नॉट वेट (Education Cannot Wait- ECW) द्वारा  एक रिपोर्ट जारी की गई, जो बताती है कि संकट से प्रभावित स्कूली बच्चों की संख्या जिन्हें शैक्षिक सहायता की आवश्यकता है, वर्ष 2016 में अनुमानित 75 मिलियन से बढ़कर 222 मिलियन हो गई है।।. 

222million

रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएंँ: 

  • अध्ययन इंगित करता है कि कम-से-कम 78.2 मिलियन बच्चें स्कूल से दूर हैं और करीब 120 मिलियन बच्चे स्कूल जाते हैं, लेकिन वे गणित पढ़ने में न्यूनतम दक्षता हासिल करने में सक्षम नहीं हैं। वास्तव में, प्राथमिक या माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले दस बच्चों में से  केवल एक ही वास्तव में इन दक्षता मानकों को प्राप्त कर रहा है। 
  • विश्लेषण इंगित करता है कि स्कूल से बाहर संकट से प्रभावित बच्चों में से 84% व्यापक संकट वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश उन देशों में हैं, जिन्हें विशेष रूप से ECW के ग्राउंड-ब्रेकिंग बहु-वर्षीय निवेश के माध्यम से लक्षित किया गया है, जिसमें अफगानिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, माली, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सूडान और यमन शामिल हैं। 
  • यूक्रेन में युद्ध अधिक बच्चों को स्कूल की पहुँच से बाहर कर रहा है, हाल के अनुमानों से संकेत मिलता है कि संघर्ष ने 5.7 मिलियन स्कूली आयु वर्ग के बच्चों को प्रभावित किया है। 
  • संकटग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 119.6 मिलियन बच्चे स्कूल गए लेकिन गणित पढ़ने में न्यूनतम दक्षता हासिल नहीं की। 
  • #222 मिलियन ड्रीम्स: इस दबाव वाले वैश्विक शिक्षा संकट का जवाब देने के लिये, ECW और रणनीतिक साझेदारों ने जिनेवा में #222MillionDreams संसाधन जुटाने का अभियान शुरू किया। 
  • अभियान दानदाताओं, निजी क्षेत्र, परोपकारी फाउंडेशनों और उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों से ECW के निवेश को बढ़ाने के लिये तत्काल अधिक संसाधन जुटाने का आह्वान करता है, जो पहले से ही 40 से अधिक संकट-प्रभावित देशों में 5 मिलियन से अधिक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। 

एजुकेशन कैन नॉट वेट (ECW): 

  • परिचय: 
    • यह आपात स्थिति और दीर्घकालिक संकट की स्थिति में शिक्षा हेतु संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक और कई बिलियन डॉलर की राशि वाला कोष है। 
    • यह यूनिसेफ के वित्तीय, मानव संसाधन और प्रशासनिक नियमों और विनियमों के तहत प्रशासित है लेकिन इसके ऑपरेशनों का संचालन अपनी स्वतंत्र शासन संरचना द्वारा किया जाता है। 
  • मिशन: 
    • ECW संकट से प्रभावित लाखों बच्चों और युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अधिक-से-अधिक साझा राजनीतिक, परिचालन एवं वित्तीय प्रतिबद्धता के सृजन हेतु काम करता है, तथा अधिक तेज़, कनेक्टेड व त्वरित प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है जो संवहनीय शिक्षा प्रणाली हेतु मानवीय-विकास की निरंतरता को आधार बनाता है।  

स्रोत: डाउन टू अर्थ 


जैव विविधता और पर्यावरण

भारतीय राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता संसाधन कार्यक्रम

प्रिलिम्स के लिये:

NARFI, वायु प्रदूषण 

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य, संरक्षण।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार द्वारा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के सहयोग से राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान (NIAS), बंगलूरु द्वारा विकसित "भारत के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता संसाधन फ्रेमवर्क (National Air Quality Resource Framework of India- NARFI)" पर एक राष्ट्रीय मिशन शुरू करने के लिये एक विचार-मंथन कार्यशाला का आयोजन किया गया। 

NARFI: 

  • पृष्ठभूमि: 
    • NARFI भारत के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के मुद्दों को संबोधित करने के लिये सरकार, नगरपालिकाओं, स्टार्ट-अप और निजी क्षेत्रों में निर्णय लेने वालों की मदद करने हेतु एक सूचना तंत्र है। 
    • इसे अनुसंधान-आधारित परीक्षित सूचना और उद्योग-उन्मुख समाधानों को समझने हेतु आसान प्रारूप में साझा किया जाएगा। 
    • सरकारी प्रतिष्ठानों, कार्यान्वयनकर्त्ताओं, मीडिया और नीति निर्माताओं में सक्रिय ज़मीनी स्तर के कर्मचारियों जैसे विभिन्न समूहों के लिये तैयार किये गए अल्पकालिक बुनियादी प्रशिक्षण मॉड्यूल इस कार्यक्रम के अभिन्न अंग होंगे। 
  • उद्देश्य: 
    • संचार को समृद्ध करने और सामान्य जागरूकता बढ़ाने में मदद करना  
  • मॉड्यूल: NARFI निम्नलिखित पाँच मॉड्यूल के इर्द-गिर्द विकसित होगा: 
    • थीम-1: उत्सर्जन स्रोत, एयर शेड और शमन। 
    • थीम-2: मानव स्वास्थ्य और कृषि पर प्रभाव 
    • थीम -3: एकीकृत निगरानी, पूर्वानुमान और चेतावनी कार्यक्रम 
    • थीम-4: लोक-संपर्क, सामाजिक आयाम, संक्रमण रणनीति और नीति 
    • थीम-5: समाधान, सार्वजनिक-उद्योग साझेदारी, पराली जलाना और नई तकनीक 
  • महत्त्व:  
    • यह ज्ञान निर्माण, बुनियादी ढाँचे और औद्योगिक संरचनाओं के विकास तथा देश में मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों का अध्ययन करने में सक्षम होगा। 
    • यह वायु गुणवत्ता डेटा एकत्र करने, इसके प्रभाव का अध्ययन करने और विज्ञान आधारित समाधानों को लागू करने के लिये एक सर्व-समावेशी मार्गदर्शिका प्रदान करेगा। 

वायु प्रदूषण: 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न: 

प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2011) 

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2. नाइट्रोजन के ऑक्साइड
  3. सल्फर के ऑक्साइड

उपर्युक्त में से कौन-सा/से ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले के दहन से उत्सर्जित होते है/हैं? 

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और  3  
(c) केवल 1 ओर 3 
(d) 1, 2 और 3  

उत्तर: (d)  

व्याख्या: 

  • कोयला आधारित बिजली संयंत्र वायुमंडलीय वायु प्रदूषण में प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं और ग्लोबल वार्मिंग और प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं जो अंततः फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। 
  • कोयले के जलने से निकलने वाले ज़हरीले यौगिकों में शामिल हैं: 
    • कार्बन के ऑक्साइड (COx), कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड।  
    • नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx)  
    • सल्फर के ऑक्साइड (SOx)।  
    •  फ्लाई ऐश। 
  • मरकरी, कैडमियम और लेड जैसे  तत्त्व भी उत्सर्जित होते हैं जो स्वास्थ्य के लिये भी खतरनाक होते हैं। अतः विकल्प (D) सही उत्तर है। 

स्रोत: पी.आई.बी  


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