गोदावरी पेन्ना इंटरलिंकिंग परियोजना बाधित
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal-NGT) ने आंध्र प्रदेश सरकार की नदी जोड़ो परियोजना पर पर्यावरणीय मंज़ूरी के अभाव का हवाला देते हुए रोक लगा दी है।
प्रमुख बिंदु
- यह प्राधिकरण आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वट्टी वसंत कुमार द्वारा दायर याचिका की सुनवाई कर रहा था जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार ने केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests) की मंज़ूरी लिये बिना ही गोदावरी-कृष्णा-पेन्ना नदियों को जोड़ने की परियोजना प्रारंभ की है।
- NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि बोर्ड कानूनी तौर पर अपने कर्त्तव्यों के निर्वाह में असफल रहा है।
- प्राधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार की इस परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी नहीं प्राप्त है एवं वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 [Air (Prevention and Control of Pollution) Act 1981] और जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974 [Water (Prevention and Control of Pollution) Act, 1974] के तहत भी इस परियोजना को लागू करने की सहमति नहीं है, इसलिये इस परियोजना पर रोक लगाई गई है।
- चेन्नई स्थित पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests-MoEF) का क्षेत्रीय कार्यालय एवं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board-CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Board) साथ मिलकर इस परियोजना का निरीक्षण करेंगे और एक महीने के अंदर इस मामले में एक तथ्यात्मक रिपोर्ट ई-मेल के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक नोडल एजेंसी की भूमिका में कार्य करेगा।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal)
- पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन तथा व्यक्तियों एवं संपत्ति के नुकसान के लिये सहायता और क्षतिपूर्ति देने या उससे संबंधित या उससे जुड़े मामलों सहित, पर्यावरण संरक्षण एवं वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और शीघ्रगामी निपटारे हेतु राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के अंतर्गत 18 अक्तूबर, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना की गई।
- यह एक विशिष्ट निकाय है जो बहु-अनुशासनात्मक समस्याओं जैसे पर्यावरणीय विवादों के निपटान के लिये आवश्यक विशेषज्ञता द्वारा सुसज्जित है।
- यह अधिकरण सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अंतर्गत निर्धारित प्रक्रिया द्वारा बाध्य नहीं है, लेकिन इसे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाता है।
जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974
- जल प्रदूषण के नियंत्रण और रोकथाम तथा देश में पानी की उच्च गुणवत्ता बनाए रखने हेतु इसे वर्ष 1974 में अधिनियमित किया गया था। यह अधिनियम वर्ष 1988 में संशोधित किया गया था। जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) उपकर अधिनियम कुछ औद्योगिक गतिविधियों के व्यक्तियों द्वारा पानी की खपत पर उपकर लगाने के लिये 1977 में अधिनियमित किया गया था।
- यह उपकर जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत जल प्रदूषण के नियंत्रण और हस्तक्षेप के लिये गठित केंद्रीय बोर्ड के संसाधनों और राज्य सरकार के विकास की दृष्टि से इकट्ठा किया जाता है। इस अधिनियम में अंतिम बार वर्ष 2003 में संशोधन किया गया था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) एक सांविधिक संगठन है। इसका गठन जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अधीन सितंबर, 1974 में किया गया था।
- इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम,1981 के अधीन भी शक्तियाँ और कार्य सौंपे गए।
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक फील्ड संगठन का काम करता है तथा मंत्रालय को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के उपबंधों के बारे में तकनीकी सेवाएँ भी प्रदान करता है।
- जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण, निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम,1981 में निर्धारित दायित्वों के अनुसार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्य हैं-
- (i) जल प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण तथा न्यूनीकरण द्वारा राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में नदियों और कुओं की स्वच्छता को बढ़ावा देना।
- (ii) देश की वायु गुणवत्ता में सुधार करना तथा वायु प्रदूषण का निवारण, नियंत्रण और न्यूनीकरण करना।
वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 [Air (Prevention and Control of Pollution) Act)]
- वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन के उद्देश्य से वर्ष 1981 में संसद द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम लागू किया गया।
- अधिनियम में शीर्ष स्तर पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) की स्थापना और राज्य स्तर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Boards-SPCB) को वायु गुणवत्ता में सुधार, नियंत्रण एवं वायु प्रदूषण के उन्मूलन से संबंधित किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देने का प्रावधान किया गया है।
- CPCB वायु की गुणवत्ता के लिये मानक भी तय करता है तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करता है।