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डेली न्यूज़

  • 21 Dec, 2023
  • 36 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

अंतरिक्ष क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, गगनयान, NISAR, SPADEX प्रयोग, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

मेन्स के लिये:

विविध अंतरिक्ष अनुप्रयोगों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग की भूमिका, ISRO के भविष्य के प्रयास

स्रोत: पी.आई.बी 

हाल ही में भारत सरकार ने अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) तथा मशीन लर्निंग (ML) को एकीकृत करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा की गई महत्त्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला।

  • यह परिवर्तन विगत कुछ वर्षों में इन क्षेत्रों में तेज़ी से हुई तकनीकी प्रगति के लिये एक रणनीतिक प्रतिक्रिया रही है।
  • गगनयान कार्यक्रम सहित ISRO की चल रही परियोजनाओं में AI समाधान एकीकृत हैं।

AI और ML विविध अंतरिक्ष अनुप्रयोगों में कैसे सहायता करते हैं?

  • अंतरिक्ष अन्वेषण और रोबोटिक्स: AI-संचालित रोबोट तथा रोवर निरंतर मानवीय हस्तक्षेप के बिना मार्गनिर्देशन कर सकते हैं, निर्णय ले सकते हैं एवं दूरवर्ती ग्रहों अथवा क्षुद्रग्रहों का पता लगा सकते हैं।
    • ML, अंतरिक्ष जाँच अथवा उपग्रहों द्वारा ली गई छवियों में आकाशीय पिंडों, क्षेत्रों तथा खतरों की पहचान करने में मदद करती है।
  • उपग्रह संचालन: ML एल्गोरिदम द्वारा उपग्रह छवियों का विश्लेषण किया जाता है जिससे पृथ्वी की सतह में परिवर्तन, मौसम के पैटर्न तथा पर्यावरणीय परिवर्तनों की निगरानी करने में सहायता मिलती है।
    • AI, टेलीमेट्री डेटा का विश्लेषण करके रखरखाव शेड्यूलिंग को बेहतर करता है तथा डाउनटाइम को कम करता है जिससे उपग्रह घटक की विफलताओं का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।
  • अंतरिक्ष यान प्रणाली: AI सिस्टम अंतरिक्ष यान घटकों के संचालन की निगरानी करते हैं, संभावित विफलताओं पूर्वानुमान करते हैं तथा रखरखाव में सक्रिय रूप से सहायता करते हैं।
    • ML एल्गोरिदम मिशन के दौरान अंतरिक्ष यान संचालन के लिये बिजली, ईंधन तथा अन्य संसाधनों का अनुकूलन करते हैं।
  • डेटा विश्लेषण तथा पैटर्न पहचान: AI नए खगोलीय पिंडों की खोज करने, अंतरिक्ष परिघटनाओं को समझने तथा अंतरिक्ष में मलबे की पहचान करने के लिये व्यापक रूप से खगोलीय डेटा का विश्लेषण करता है।
    • ML, गहरे अंतरिक्ष (Deep Space) से संकेतों को संसाधित कर, शोर तथा संभावित संचार अथवा वैज्ञानिक डेटा के बीच अंतर करने में मदद करता है।
  • मिशन योजना तथा निर्णय: AI मॉडल विभिन्न कारकों तथा परिदृश्यों की मदद से निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सहायता करते हुए जोखिमपूर्ण मिशनों का आकलन करते हैं।
    • ML, अंतरिक्ष यान को वास्तविक समय में बदलते परिवेश अथवा अप्रत्याशित स्थितियों के अनुकूल बनाने में सक्षम बनाता है।
  • ऑप्टिकल संचार अनुकूलन: AI तथा ML डेटा ट्रांसमिशन गति को अधिकतम करते हैं तथा मॉडल ऑप्टिकल संचार प्रणालियों को परिष्कृत करते हैं, जिससे बदलती अंतरिक्ष स्थितियों के अनुकूलन में सहायता मिलती है जो अंतरग्रहीय मिशनों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • अंतरिक्ष चुनौतियों के लिये क्वांटम कंप्यूटिंग: AI में उच्च-स्तरीय एन्क्रिप्शन या जटिल सिमुलेशन की आवश्यकता वाले अंतरिक्ष मिशनों के लिये सुरक्षा और कंप्यूटेशनल क्षमताओं को बढ़ाने वाली जटिल गणनाओं तथा क्रिप्टोग्राफी से निपटने के लिये क्वांटम कंप्यूटिंग का उपयोग करने की क्षमता है।

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के क्षेत्र में चल रहीं परियोजनाएँ:

  • AI और ML परियोजनाएँ : 
    • अंतरिक्ष विभाग द्वारा AI और MLके क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाएँ एवं कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जो व्यवहार्यता अध्ययन व कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें प्रमुख हैं:
      • प्रक्षेपण यान व अंतरिक्ष यान मिशन प्रक्षेपवक्र डिज़ाइन और स्वायत्त संचालन;
      • प्रक्षेपण यान और उपग्रहों के स्वास्थ्य की निगरानी तथा टेलीमेट्री डेटा से भविष्यवाणी;
      • संसाधन मानचित्रण, मौसम पूर्वानुमान, आपदा पूर्वानुमान, भू-बुद्धिमत्ता (वस्तु और परिवर्तन का पता लगाना), सटीक कृषि, कृषि वानिकी आदि के लिये सैटेलाइट डेटा प्रोसेसिंग।
      • ह्यूमनॉइड रोबोट और चैटबॉट्स
      • अंतरिक्ष रोबोटिक्स तथा अंतरिक्ष में स्मार्ट विनिर्माण।
  • इसरो के भविष्य के प्रयास: 
    • चंद्रयान–4 मिशन: इसरो द्वारा चार साल के भीतर चंद्रमा से नमूने वापस लाने की योजना बनाई गई है।
    • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: रोबोट के साथ प्रयोग करने में सक्षम पहला मॉड्यूल वर्ष 2028 तक लॉन्च होगा।
    • SPADEX का प्रयोग: दो अंतरिक्षयानों के बीच स्वायत्त डॉकिंग क्षमता का प्रदर्शन करता है।
      • इसमें जुड़े हुए उपग्रहों को लॉन्च करना शामिल है जो अलग दूरी तय करते हैं और फिर से जुड़ जाते हैं।
    • निसार (NISAR): NASA-ISRO SAR (NISAR) एक निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) वेधशाला है जिसे नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है।
    • गगनयान: गगनयान मिशन का उद्देश्य मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। मिशन में दो मानवरहित उड़ानें और एक मानवयुक्त उड़ान शामिल होगी, जिसमें जीएसएलवी एमके–III लॉन्च वाहन तथा एक मानव-रेटेड कक्षीय मॉड्यूल का उपयोग किया जाएगा।

नोट: सरकार ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के पिछले 9 महीनों के दौरान देश के भीतर अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप्स ने 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का निजी निवेश हासिल किया है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में AI और ML से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • कंप्यूटेशनल सीमाएँ: अंतरिक्ष यान में सीमित कंप्यूटेशनल शक्ति और मेमोरी होती है, जिससे जटिल AI एल्गोरिदम को चलाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इन संसाधन-बाधित वातावरणों में कुशलतापूर्वक चलाने के लिए ML मॉडल को अनुकूलित करने की आवश्यकता है।
  • सुदृढ़ता एवं विश्वसनीयता: अंतरिक्ष का वातावरण कठोर है, जिसमें उच्च स्तर का विकिरण और अत्यधिक तापमान है, जो AI सिस्टम के हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर घटकों को प्रभावित कर सकता है। ऐसी स्थितियों में AI एल्गोरिदम की विश्वसनीयता और मज़बूती सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • प्रशिक्षण डेटा सीमाएँ: पिछले मिशनों या स्थितियों से सीखने की सीमित संख्या के कारण अंतरिक्ष मिशनों के लिये विशिष्ट AI मॉडल हेतु प्रशिक्षण डेटा एकत्र करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • नैतिक और कानूनी विचार: जैसे-जैसे अंतरिक्ष मिशनों में AI अधिक प्रचलित होता जा रहा है, वैसे ही नैतिक और कानूनी चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं, जैसे– AI निर्णयों की ज़िम्मेदारी, डेटा गोपनीयता तथा AI-संचालित निर्णयों तथा मानव निर्णय के बीच संभावित संघर्ष।

आगे की राह

  • एज कंप्यूटिंग और ऑनबोर्ड प्रोसेसिंग: डेटा ट्रांसमिशन देरी को कम करने और अर्थ-बेस्ड कम्प्यूटेशनल संसाधनों पर निर्भरता को कम करने के लिये ऑनबोर्ड प्रोसेसिंग तथा एज कंप्यूटिंग पर ध्यान केंद्रित करें।
    • यह अंतरिक्ष यान को डेटा संसाधित करने और स्वायत्त रूप से निर्णय लेने की अनुमति देता है, जिससे पृथ्वी के साथ निरंतर संचार पर निर्भरता कम हो जाती है।
  • अंतःविषय सहयोग: खगोल विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, सामग्री विज्ञान और रोबोटिक्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता को संयोजित करने के लिये अंतरिक्ष एजेंसियों, शोधकर्त्ताओं तथा उद्योगों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करें।
    • यह अंतःविषय दृष्टिकोण नवाचार और व्यापक समस्या-समाधान को बढ़ावा देता है।
  • नैतिक ढाँचे और शासन: अंतरिक्ष में AI और ML के लिये विशिष्ट वैश्विक नैतिक ढाँचे तथा शासन दिशा-निर्देश विकसित करना जो AI निर्णय लेने, जवाबदेही, डेटा गोपनीयता एवं अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानूनों के पालन जैसे मुद्दों को संबोधित करते हैं।

  सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. इसरो द्वारा लॉन्च किया गया मंगलयान-
  2. इसे मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।  
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला दूसरा देश बन गया है।   
  4. भारत अपने पहले ही प्रयास में स्वयं के अंतरिक्षयान द्वारा मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल एकमात्र देश बन गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: C


मेन्स:

प्रश्न1. भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा? (2019)


शासन व्यवस्था

भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना, संरक्षण, वन संसाधन, वनों की कटाई, क्रेडिट प्रोग्राम (GCP) और इकोमार्क योजना

मेन्स के लिये:

भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना, वन संसाधन, संरक्षण

स्रोत: पी. आई. बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारतीय वन एवं लकड़ी प्रमाणन योजना (Indian Forest & Wood Certification Scheme- IFWCS) शुरू की है। यह राष्ट्रीय वन प्रमाणन योजना देश में स्थायी वन प्रबंधन और कृषि वानिकी को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये स्वैच्छिक तृतीय-पक्ष प्रमाणीकरण प्रदान करती है।

भारतीय वन एवं लकड़ी प्रमाणन योजना (IFWCS) क्या है?

  • उद्देश्य:
    • IFWCS का लक्ष्य भारत में काम कर रही निजी विदेशी प्रमाणन एजेंसियों के लिये एक विकल्प प्रदान करना है। यह स्थायी वन प्रबंधन और लकड़ी-आधारित उत्पादों को प्रमाणित करने में अधिक अखंडता, पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता सुनिश्चित करना चाहता है।
  • प्रमाणन का दायरा:
    • इस योजना में प्रमाणन के लिये तीन मुख्य क्षेत्र शामिल हैं:
      • सतत् वन प्रबंधन.
      • वनों के बाहर पेड़ों का स्थायी प्रबंधन (जैसे वृक्षारोपण)।
      • हिरासत की शृंखला, जो उनकी आपूर्ति शृंखला में वन उत्पादों की ट्रेसबिलिटी की गारंटी देती है, नैतिक सोर्सिंग और हैंडलिंग सुनिश्चित करती है।
  • नोडल एजेंसियाँ:
    • इस योजना की देख-रेख भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन परिषद द्वारा की जाएगी, जो एक बहुहितधारक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करेगी।
    • भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल योजना संचालन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा और योजना के समग्र प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार होगा।
    • भारतीय गुणवत्ता परिषद के अधीन प्रमाणन निकायों के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड प्रमाणन निकायों को मान्यता देगा जो स्वतंत्र ऑडिट करेगा तथा योजना के तहत निर्धारित मानकों पर विभिन्न संस्थाओं के पालन का आकलन करेगा।
  • वनों के बाहर एक अन्य पेड़ मानक:
    • वनों के बाहर एक अलग पेड़ मानक, अब नई शुरू की गई भारतीय वन और लकड़ी प्रमाणन योजना के एक भाग के रूप में पेश किया गया है
      • 'वनों के बाहर के पेड़' का अर्थ रिकॉर्ड किये गए तथा अधिसूचित वनों के बाहर, व्यक्तिगत किसानों अथवा छोटे किसानों के समूह की कृषि भूमि अथवा संस्थानों एवं उद्योगों की निजी भूमि पर वृक्षारोपण क्षेत्र इत्यादि में उगने वाले वृक्षों से हैं जिसमें बाड़ (Hedge) व मेड़ों पर लगे सभी पेड़, कृषिवानिकी, सिल्वो-पशुपालन, शहरी एवं ग्रामीण वानिकी प्रणालियों तथा ब्लॉक वृक्षारोपण के विभिन्न मॉडलों में उगाए गए पेड़ भी शामिल हैं।
  • लाभ:
    • इस प्रमाणन से वन प्रबंधन तथा लकड़ी-आधारित उत्पादों से संबंधित प्रक्रियाओं में विश्वास तथा पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।
    • IFWCS, उत्तरदायी संचालन वाले वन प्रबंधन तथा कृषि वानिकी प्रथाओं का पालन करने वाली विभिन्न संस्थाओं को बाज़ार प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है।
    • इसमें राज्य वन विभाग, व्यक्तिगत किसान अथवा कृषि वानिकी एवं फार्म वानिकी में संलग्न किसान उत्पादक संगठन और साथ ही अन्य लकड़ी-आधारित उद्योग शामिल हैं।
  • वैश्विक संदर्भ:

वन प्रबंधन से संबंधित अन्य हालिया घोषणाएँ क्या हैं?

  • राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता, 2023:
    • MoEFCC ने जुलाई 2023 में वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन और नए दृष्टिकोण विकसित करने के लिये "राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता-2023" जारी की है।
      • राष्ट्रीय कार्य योजना संहिता, जिसे पहली बार 2004 में अपनाया गया था, बाद में 2014 में संशोधन के साथ एकरूपता लाई गई और हमारे देश के विभिन्न वन प्रभागों के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिये कार्य योजना की तैयारी के लिये मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य किया गया।
      • "भारतीय वन प्रबंधन मानक (IFMS)" जो इस कोड का एक हिस्सा है, प्रबंधन में एकरूपता लाने का प्रयास करते हुए हमारे देश में विविध वन पारिस्थितिकी तंत्र को ध्यान में रखता है।
  • ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP) और इकोमार्क योजना:
    • पर्यावरण के लिये ‘जीवन शैली’ (LiFE ) आंदोलन के तहत MoEFCC ने अक्तूबर 2023 में GCP और इकोमार्क योजना शुरू की है।
      • GCP एक अभिनव बाज़ार-आधारित तंत्र है जिसे व्यक्तियों, समुदायों, निजी क्षेत्र के उद्योगों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) कार्यक्रम कार्यान्वयन, प्रबंधन, निगरानी एवं संचालन के लिये ज़िम्मेदार GCP प्रशासक के रूप में कार्य करता है।
      • इकोमार्क योजना घरेलू और उपभोक्ता उत्पादों के लिये मान्यता तथा लेबलिंग प्रदान करती है जो भारतीय मानदंडों के अनुसार गुणवत्ता मानकों को बनाए रखते हुए विशिष्ट पर्यावरणीय मानदंडों को पूर्ण करते हैं।

भारतीय राजनीति

विधानसभा सदस्य की अयोग्यता

प्रिलिम्स के लिये:

प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR), विधान सभा सदस्य की अयोग्यता और निलंबन, संविधान का अनुच्छेद 191, लोक प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951

मेन्स के लिये:

लोक प्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 का महत्त्व, विधायक की अयोग्यता के लिये विभिन्न आधार

स्रोत: द हिंदू  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा तमिलनाडु के एक मंत्री को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराया गया।

  • उच्च न्यायालय का यह निर्णय वर्ष 2011 में संबद्ध मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज होने के 12 वर्ष उपरांत आया है। मंत्री को अब दोषसिद्धि से मुक्ति न मिलने तक अपनी सज़ा के कारण विधान सभा (MLA) के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया गया है। 

नोट:

  • आय से अधिक संपत्ति का उपयोग भारत में किसी व्यक्ति की शुद्ध आर्थिक परिसंपत्तियों का वर्णन करने के लिये किया जाता है जो उनके पास मौजूद परिसंपत्तियों से काफी अधिक है।
    • यह उनके पास पहले से मौजूद परिसंपत्तियों तथा आय के सभी विधिक स्रोतों का परिकलन करने के बाद की स्थिति को दर्शाता है।

विधानसभा के सदस्य की अयोग्यता के लिये क्या प्रावधान हैं?

  • अनुच्छेद 191:
    • भारत के संविधान का अनुच्छेद 191 राज्य विधानसभा अथवा विधानपरिषद की सदस्यता के लिये अयोग्यता से संबंधित है।
    • कोई व्यक्ति किसी राज्य की विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य चुने जाने के लिये और सदस्य होने के लिये अयोग्य होगा-
      • यदि वह भारत सरकार या पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी भी राज्य की सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, जब तक कि विधानमंडल से विधि द्वारा पद धारण करने की छूट नहीं मिल जाती है।
      • किसी व्यक्ति को सक्षम न्यायालय द्वारा विकृतचित्त घोषित कर दिया जाता है।
      • यदि वह अनुन्मोचित दिवालिया है।
      • यदि वह भारत का नागरिक नहीं है अथवा उसने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वीकार कर ली है अथवा वह किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा रखता है अथवा उसका पालन करता है।
      • यदि वह संसद द्वारा निर्मित किसी विधि द्वारा अथवा उसके अधीन अयोग्य घोषित किया जाता है।
      • संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत किसी व्यक्ति को दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराया जा सकता है। इसमें चुनाव से पहले अथवा बाद में दल की संबद्धता बदलना शामिल है।
  • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951:
    • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) के अनुसार, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA), 1988 के तहत अपराध हेतु दोषी ठहराए गए विधायक को दोषसिद्धि की तारीख से छह वर्ष के लिये अयोग्य घोषित किया जाना चाहिये, यदि सज़ा जुर्माने तक सीमित है।
      • हालाँकि यदि किसी विधायक को PCA, 1988 के तहत किसी भी अवधि के कारावास की सज़ा सुनाई जाती है, तो अधिनियम के अनुसार, उसे दोषसिद्धि की तिथि से कारावास की पूरी अवधि तक और रिहाई की तिथि से छह वर्ष की अतिरिक्त अवधि तक के लिये अयोग्य ठहराया जाना चाहिये।
      • लेकिन निवारक निरोध कानून के तहत किसी व्यक्ति की हिरासत अयोग्यता नहीं है।
      • अयोग्यता से केवल तभी बचा जा सकता है जब दोषसिद्धि, न कि केवल सज़ा, रोक दी जाए या रद्द कर दी जाए।
    • व्यक्ति को चुनाव में कुछ चुनावी अपराधों या भ्रष्ट आचरण का दोषी नहीं पाया जाना चाहिये।
      • व्यक्ति को भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति विश्वासघात के लिये सरकारी सेवा से बर्खास्त नहीं किया गया होना चाहिये।
    • व्यक्ति को विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने या रिश्वतखोरी के अपराध के लिये दोषी नहीं ठहराया गया हो।
    • व्यक्ति समय के भीतर अपने चुनाव खर्च का लेखा-जोखा दाखिल करने में विफल नहीं होना चाहिये।
    • व्यक्ति को सरकारी ठेकों, कार्यों या सेवाओं में कोई रुचि नहीं होनी चाहिये।
    • व्यक्ति को निदेशक या प्रबंध एजेंट नहीं होना चाहिये और न ही किसी ऐसे निगम में लाभ का पद धारण करना चाहिये जिसमें सरकार की कम-से-कम 25% हिस्सेदारी हो
    • उस व्यक्ति को अस्पृश्यता, दहेज और सती प्रथा जैसे सामाजिक अपराधों का प्रचार व आचरण करने के लिये दंडित नहीं किया गया होगा।
    • किसी सदस्य की अयोग्यता पर राज्यपाल का निर्णय अंतिम होता है, लेकिन उन्हें कार्रवाई करने से पहले चुनाव आयोग की राय लेनी होगी।
    • यदि कोई उच्च न्यायालय दोषसिद्धि पर रोक लगा देता है या दोषी सदस्य के पक्ष में अपील का फैसला करता है तो अयोग्यता के निर्णय को वापस लिया जा सकता है।

अयोग्यता निलंबन से किस प्रकार भिन्न है?

  • निलंबन का अर्थ है कि कोई व्यक्ति किसी कदाचार या नियमों के उल्लंघन के कारण अस्थायी रूप से अपनी सदस्यता खो देता है।
  • लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 373, 374, तथा 374A उस सदस्य को पद से हटाने का प्रावधान करते हैं जिसका आचरण "अमर्यादित" है और जो सदन के नियमों का दुरुपयोग करता है या जानबूझकर उसके कार्य में बाधा डालता है।
    • इन नियमों के अनुसार अधिकतम निलंबन "लगातार पाँच बैठकों या शेष सत्र के लिये, जो भी कम हो" है।
  • नियम 255 और 256 के तहत राज्यसभा के लिये अधिकतम निलंबन भी सत्र के शेष समय से अधिक नहीं है।
  • इसी तरह प्रत्येक राज्य में विधानसभा संचालन को नियंत्रित करने के अपने नियम हैं, जिनमें विधायकों के निलंबन के प्रावधान भी शामिल हैं, जो अधिकतम निलंबन निर्धारित करते हैं जो सत्र के शेष समय से अधिक नहीं होना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न.निम्नलिखित में से कौन-सी किसी राज्य के राज्यपाल को दी गई विवेकाधीन शक्तियाँ हैं? (2014)

1- भारत के राष्ट्रपति को, राष्ट्रपति शासन अधिरोपित करने के लिये रिपोर्ट भेजना
2- मंत्रियों की नियुक्ति करना
3- राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित कतिपय विधेयकों को, भारत के राष्ट्रपति के विचार के लिये आरक्षित करना।
4- राज्य सरकार के कार्य संचालन के लिये नियम बनाना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


सामाजिक न्याय

नोमा: एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग

प्रिलिम्स के लिये:

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग, कैंक्रम ऑरिस, गैंग्रीनस स्टामाटाइटिस, नोमा

मेन्स के लिये:

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग, NTD के प्रभाव, NTD के लिये पहल

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नोमा (Noma) संबंधी स्वास्थ्य चुनौती का समाधान करने तथा इसके रोकथाम एवं उपचार के लिये संसाधन आवंटित करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करते हुए इसे अपनी उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (NTD) की सूची में जोड़ा है।

  • नोमा, जिसे कैंक्रम ऑरिस अथवा गैंग्रीनस स्टामाटाइटिस के रूप में भी जाना जाता है, एक गंभीर गैंग्रीनस बीमारी है जो गरीब समुदायों में 3-10 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करती है।
    • गैंग्रीन एक खतरनाक तथा संभावित रूप से घातक स्थिति को दर्शाता है जो ऊतक के एक बड़े क्षेत्र में रक्त के प्रवाह बंद होने से होता है।

नोमा क्या है?

  • परिचय:
    • नोमा, ग्रीक शब्द "नोमे" (Nomē) से लिया गया है जिसका अर्थ "भक्षण करना" है तथा यह मुँह एवं मुख के गंभीर गैंग्रीन के रूप में प्रकट होता है।
    • साक्ष्यों के अनुसार नोमा मुँह में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है।
    • यह गैर-संक्रामक रोग, लगभग 90% की मृत्यु दर के साथ कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होती है तथा अत्यधिक गरीबी एवं कुपोषण में हाशिए पर रहने वाले बच्चों के लिये एक गंभीर खतरा पैदा करती है।
    • इसके जोखिम कारकों में अपर्याप्त मौखिक स्वच्छता, कुपोषण, कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली तथा गरीबी शामिल हैं।
  • भौगोलिक वितरण तथा ऐतिहासिक संदर्भ:
    • नोमा विकासशील देशों, विशेषकर उप-सहारा अफ्रीका में प्रचलित है, जो 3-10 वर्ष की आयु के गरीब बच्चों को प्रभावित करता है।
    • विगत डेटा से पता चलता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एकाग्रता शिविरों में नोमा रोग के मामलों की सूचना दी गई थी तथा आर्थिक प्रगति के साथ पश्चिमी विश्व में यह समाप्त हो गई, जो इसकी गरीबी के साथ इसके संबंध को दर्शाती है।
  • परिणाम और उपचार चुनौतियाँ:
    • जीवित बचे लोगों को मुख की विकृति, जबड़े की माँसपेशियों में ऐंठन, मौखिक असंयम तथा वाक् समस्याओं जैसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ता है।
    • रोग का शीघ्र पता लगाना आवश्यक है तथा इस रोग के प्रारंभिक चरण में उपचार सबसे प्रभावी होता है।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियाँ (NTDs) क्या हैं?

  • NTD उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में संक्रामक रोग हैं, जो गरीबी और खराब स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति में पनपते हैं।
  • वे विभिन्न प्रकार के रोगजनकों, जैसे– वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोज़ोआ और परजीवी कीड़े के कारण होते हैं।
  • "उपेक्षित" शब्द कमज़ोर समुदायों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव के बावजूद ध्यान और संसाधनों की कमी को दर्शाता है।
  • तपेदिक, एचआईवी-एड्स और मलेरिया जैसी बीमारियों की तुलना में इन बीमारियों पर आमतौर पर अनुसंधान तथा उपचार के लिये कम वित्तपोषण मिलता है।

एनटीडी का प्रभाव:

  • वैश्विक परिदृश्यः
    • एनटीडी वैश्विक स्तर पर एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। वे रोकथाम और उपचार योग्य हैं।
    • 20 एनटीडी हैं जो विश्व भर में 1.7 अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं।
  • भारतीय परिदृश्य
    • इनमें से कम-से-कम 11 बीमारियों का सबसे बड़ा बोझ भारत पर है, जिनमें काला अज़ार और लिम्फैटिक फाइलेरिया जैसी परजीवी बीमारियाँ शामिल हैं, जो पूरे देश में लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं, जो अक्सर सबसे गरीब और सबसे कमज़ोर लोग होते हैं।
    • भारत काला-अज़ार को ख़त्म करने के कगार पर है, 99% काला-अज़ार स्थानिक ब्लॉकों ने उन्मूलन लक्ष्य हासिल कर लिया है।

एनटीडी के लिये पहल क्या हैं?

  • वैश्विक पहल:
    • 2021-2030 के लिये WHO का नया रोडमैप:
      • यह संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के संदर्भ में एनटीडी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक प्रयासों को गति देने के लिये WHO का ब्लूप्रिंट है।
      • ब्लूप्रिंट प्रभाव को मापने और रोग-विशिष्ट योजना तथा प्रोग्रामिंग को बढ़ावा देने की सिफारिश करता है।
    • NTDs पर लंदन उद्घोषणा: इसे NTDs के वैश्विक भार को वहन करने के लिये 30 जनवरी, 2012 को अपनाया गया था।
  • भारतीय पहल:
    • NDTs के उन्मूलन की दिशा में गहन प्रयासों के हिस्से के रूप में वर्ष 2018 में ‘लिम्फेटिक फाइलेरिया रोग के तीव्र उन्मूलन की कार्य-योजना’ (APELF) शुरू की गई थी।
    • वर्ष 2005 में भारत, बांग्लादेश और नेपाल की सरकारों द्वारा सबसे संवेदनशील आबादी के शीघ्र निदान तथा उपचार में तेज़ी लाने एवं रोग निगरानी में सुधार व कालाज़ार को नियंत्रित करने के लिये WHO-समर्थित एक क्षेत्रीय गठबंधन का गठन किया गया है।
      • भारत पहले ही कई अन्य NDTs को समाप्त कर चुका है, जिसमें गिनी वर्म, ट्रेकोमा और यॉज़ शामिल हैं।
    • मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Mass Drug Administration- MDA) जैसे निवारक तरीकों का उपयोग समय-समय पर स्थानिक क्षेत्रों में किया जाता है, जिसमें जोखिम वाले समुदायों को फाइलेरिया रोधी (Anti-Filaria) दवाएँ मुफ्त प्रदान की जाती हैं।
    • सैंडफ्लाई प्रजनन को रोकने के लिये स्थानिक क्षेत्रों में घरेलू स्तर पर अवशिष्ट छिड़काव जैसे वेक्टर जनित रोकथाम उपाय किये जाते हैं।
    • केंद्र और राज्य सरकारों ने कालाज़ार (Kala-Azar) तथा इसकी अगली कड़ी (ऐसी स्थिति जो पिछली बीमारी या चोट का परिणाम है) से पीड़ित लोगों के लिये वेतन मुआवज़ा योजनाएँ (Wage Compensation Schemes) शुरू की हैं, जिन्हें पोस्ट-कालाज़ार डर्मल लीशमैनियासिस (Post-Kala Azar Dermal Leishmaniasis) के रूप में भी जाना जाता है।


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