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भारतीय राजनीति

भारतीय नागरिकता प्रावधान

  • 26 Nov 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये

नागरिकता अधिनियम, इससे संबंधित संवैधानिक पक्ष

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs- MHA) ने चेन्नामनेनी रमेश (Chennamaneni Ramesh) की नागरिकता रद्द कर दी, चेन्नामनेनी वेमुलावाड़ा (तेलंगाना) से विधानसभा के सदस्य (Member of the Legislative Assembly- MLA) हैं।

प्रमुख बिंदु

  • MHA के अनुसार, चेन्नामनेनी रमेश ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5 (1) (f) के तहत नागरिकता के संबंध में धोखाधड़ी, गलत प्रतिनिधित्व और फर्जी तरीके से तथ्यों को छुपाया है।
  • ध्यातव्य है कि कोई ऐसा व्यक्ति जो भारतीय नागरिक नहीं है, वह किसी भी चुनाव को लड़ने या मतदान करने का पात्र नहीं है।

धारा 5 (1) (f)

  • नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5 में पंजीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त करने का प्रावधान है।
  • धारा 5 (1) (f) भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण हेतु निम्नांकित श्रेणियों में से किसी से संबद्ध होना चाहिये;
    • कोई व्यक्ति, जो पूरी आयु एवं क्षमता का हो तथा उसके माता-पिता भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हो।
    • या वह पंजीकरण का इस प्रकार का आवेदन देने से एक वर्ष पूर्व से भारत में रह रहा हो।

धारा 10 (2)

  • धारा 10 किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता से वंचित करने के अधिकार से संबंधित है।
  • धारा 10 (2) में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार, किसी नागरिक (जो पंजीकरण द्वारा ऐसा है) को भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है, यदि:
    • नागरिकता धोखाधड़ी या फर्जी तरीके से प्राप्त की गई हो, या
    • नागरिक ने भारत के संविधान के प्रति अरुचि या अनादर जताया हो, या
    • नागरिक ने किसी युद्ध के दौरान, जिसमें भारत संलग्न हो, गैर-कानूनी रूप से शत्रु राष्ट्र के साथ व्यापार किया हो या कोई राष्ट्र विरोधी सूचना दी हो, या
    • पंजीकरण या प्राकृतिक नागरिकता के पाँच वर्ष के भीतर किसी देश में दो वर्ष का कारावास हुआ हो; या
    • नागरिक सामान्य रूप से सात वर्षों की निरंतर अवधि से भारत से बाहर निवास कर रहा हो।
  • हालाँकि भारत में यह सुनिश्चित करने के लिये भी आवश्यक प्रावधान है कि कहीं नागरिकता को मनमाने ढंग से तो रद्द नहीं किया गया है।
    • अधिनियम की धारा 10 (3) के अनुसार, इस धारा के तहत केंद्र सरकार किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता से वंचित नहीं करेगी जब तक कि यह संतुष्ट न हो कि यह जन हित के अनुकूल नहीं है कि उक्त व्यक्ति भारत का नागरिक बना रहे।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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