डेली न्यूज़ (17 Jan, 2023)



स्वीडन में खोजे गए दुर्लभ मृदा तत्त्व

प्रिलिम्स के लिये:

दुर्लभ मृदा तत्त्व, हरित संक्रमण, स्वच्छ ऊर्जा, नासा का अंतरिक्ष शटल कार्यक्रम, इलेक्ट्रिक वाहन, क्वाड, थोरियम।

मेन्स के लिये:

दुर्लभ मृदा तत्त्वों का महत्त्व, भारत में  दुर्लभ मृदा तत्त्व,  दुर्लभ मृदा तत्त्वों पर चीन का एकाधिकार।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्वीडन की सरकारी स्वामित्व वाली खनन कंपनी LKAB ने यूरोप में दुर्लभ मृदा तत्त्वों के सबसे बड़े भंडार की खोज की है।

खोज का महत्त्व: 

  • स्वीडन के उत्तरी क्षेत्र में स्थित किरुना के डिपो में लगभग 1 मिलियन मीट्रिक टन दुर्लभ मृदा ऑक्साइड का भंडार है।
  • यह खोज हरित संक्रमण के लिये आवश्यक आयातित कच्चे माल पर कम निर्भरता की यूरोप की महत्त्वाकांक्षा को बल देती है।
  • वर्तमान में यूरोप में दुर्लभ मृदा तत्त्वों का खनन नहीं किया जाता है और यह ज़्यादातर उन्हें अन्य क्षेत्रों से आयात करता है।
    • BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ (European Union- EU) द्वारा उपयोग किये जाने वाले दुर्लभ मृदा तत्त्व का 98% चीन द्वारा निर्यात किया गया था। 
  • यह खोज यूरोपीय संघ के साथ-साथ अन्य पश्चिमी देशों के लिये भी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि ये देश दुर्लभ मृदा तत्त्वों के आयात के लिये चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं।   

दुर्लभ मृदा तत्त्व: 

  • परिचय:  
    • यह 17 धातु तत्त्वों का एक समूह है। इनमें स्कैंडियम और यट्रियम के अलावा आवर्त सारणी में 15 लैंथेनाइड्स शामिल हैं जो लैंथेनाइड्स के समान भौतिक एवं रासायनिक गुणों से युक्त हैं। 
  • महत्त्व:  
    • वे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर और नेटवर्क, संचार, स्वच्छ ऊर्जा, उन्नत परिवहन, स्वास्थ्य देखभाल, पारिस्थितिक संरक्षण और राष्ट्रीय रक्षा प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 
      • स्कैंडियम का उपयोग टेलीविज़न और फ्लोरोसेंट लैंप में किया जाता है। 
      • गठिया (Rheumatoid Arthritis) और कैंसर के इलाज के लिये दवाओं में यट्रियम का उपयोग किया जाता है।  
    • इन तत्त्वों का उपयोग अंतरिक्ष शटल घटकों, जेट इंजन टर्बाइन और ड्रोन में भी किया जाता है।
    • इसके अलावा आंतरिक दहन प्रक्रिया वाली कारों से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर संक्रमण के कारण भी इस प्रकार के तत्त्वों की मांग में वृद्धि हुई है। 
  • चीन का एकाधिकार:
    • चीन ने समय के साथ दुर्लभ मृदा धातुओं पर वैश्विक प्रभुत्त्व हासिल कर लिया है, यहाँ तक कि एक बिंदु पर इसने दुनिया की 90% दुर्लभ मृदा धातुओं का उत्पादन किया था।
      • वर्तमान में हालाँकि यह 60% तक कम हो गया है और शेष मात्रा का उत्पादन अन्य देशों द्वारा किया जाता है, जिसमें क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका) देश शामिल हैं।
    • वर्ष 2010 के बाद जब चीन ने जापान, अमेरिका और यूरोप की रेयर अर्थ्स शिपमेंट पर रोक लगा दी तो एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमेरिका में छोटी इकाइयों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया एवं अमेरिका में उत्पादन इकाइयाँ शुरू की गईं।
  • भारत में दुर्लभ मृदा तत्त्व:
    • भारत के पास दुनिया के दुर्लभ मृदा भंडार का 6% है, यह वैश्विक उत्पादन के केवल 1% का उत्पादन करता है तथा चीन से ऐसे खनिजों की अपनी अधिकांश आवश्यकताओं को पूरा करता है।
    • इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) प्राथमिक खनिज के खनन एवं निष्कर्षण के लिये प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार है जिसमें दुर्लभ मृदा तत्त्व शामिल हैं जैसे- मोनाज़ाइट समुद्र तट रेत, जो कई तटीय राज्यों में पाए जाते हैं।
    • IREL का मुख्य फोकस परमाणु ऊर्जा विभाग को मोनाज़ाइट से निकाले गए थोरियम को उपलब्ध कराना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे ‘दुर्लभ मृदा धातु’ कहते हैं, की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012)

  1. चीन, जो इन तत्त्वों का सबसे बड़ा उत्पादक है, द्वारा इनके निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगा दिया गया है। 
  2. चीन, ऑस्ट्रेलिया कनाडा और चिली को छोड़कर अन्य किसी भी देश में ये तत्त्व नहीं पाए जाते हैं। 
  3. दुर्लभ मृदा धातु विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॅानिक सामानों के निर्माण में आवश्यक है, इन तत्त्वों की माँग बढती जा रही है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शुक्रयान-1

प्रिलिम्स के लिये:

शुक्र के लिये रोबोटिक मिशन (दा विंची प्लस और वेरिटास), शुक्र पर भेजे गए पिछले मिशन, शुक्र की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ। 

मेन्स के लिये:

शुक्र के लिये इसरो का अंतरिक्ष मिशन, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी।

चर्चा में क्यों? 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का शुक्र मिशन शुक्रयान-1 को वर्ष 2031 तक के लिये स्थगित किया जा सकता है। ISRO के शुक्र मिशन को दिसंबर 2024 में लॉन्च किये जाने की उम्मीद थी।

  • अमेरिकी और यूरोपीय दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों ने वर्ष 2031 में क्रमशः वेरिटास (VERITAS) एवं एनविज़न (EnVision) नामक शुक्र मिशन की योजना बनाई है, जबकि चीन वर्ष 2026 या 2027 में शुक्र मिशन लॉन्च कर सकता है।

स्थगन का कारण:

  • इसरो ने मूल रूप से वर्ष 2023 के मध्य में शुक्रयान-1 लॉन्च करने की योजना बनाई थी, लेकिन महामारी ने तारीख को दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया। 
    • आदित्य एल-1 और चंद्रयान-3 सहित इसरो के अन्य मिशन भी विनिर्माण में देरी एवं वाणिज्यिक प्रक्षेपण प्रतिबद्धताओं से प्रभावित हुए हैं। 
  • शुक्र ग्रह प्रत्येक 19 माह में एक बार पृथ्वी के सबसे निकट होता है जो मिशन के लॉन्च हेतु सबसे उपयुक्त समय होता है,  यही कारण है कि इसरो के पास वर्ष 2026 और 2028 में 'बैकअप' लॉन्च का समय है (यदि वह वर्ष 2024 का अवसर चूक जाता है)। 
  • लेकिन और भी उपयुक्त समय जो लिफ्ट ऑफ पर आवश्यक ईंधन की मात्रा को कम करता है, प्रत्येक आठ वर्ष में आता है।
  • वर्ष 2031 को विशेषज्ञों द्वारा बहुत उपयुक्त लॉन्च समय माना जा रहा है। 
  • मिशन "औपचारिक अनुमोदन और धन की प्रतीक्षा" भी कर रहा है, जो अंतरिक्षयान के संयोजन और परीक्षण से पहले आवश्यक है।

शुक्रयान-1 मिशन:

  • परिचय: 
    • शुक्रयान-1 एक ऑर्बिटर मिशन होगा। इसके वैज्ञानिक पेलोड में वर्तमान में एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) और एक ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार शामिल हैं।
      • SAR ग्रह के चारों ओर बादलों (जो दृश्यता को कम करट हैं) के बावजूद  शुक्र की सतह की जांँच करेगा।
      • यह उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्राप्त करने हेतु एक तकनीक को संदर्भित करता है। रडार सटीकता के कारण बादलों और अँधेरे में भी प्रवेश कर सकता है, जिसका अर्थ है कि यह किसी भी मौसम में दिन और रात डेटा एकत्र कर सकता है। 
    • मिशन में शुक्र ग्रह की भू-वैज्ञानिक और ज्वालामुखीय गतिविधि, ज़मीन पर उत्सर्जन, हवा की गति, बादल कवर और अंडाकार कक्षा से अन्य ग्रहों की विशेषताओं का अध्ययन करने की उम्मीद है।
  • उद्देश्य: 
    • सतह प्रक्रिया और उथले उपसतह स्ट्रैटिग्राफी की जाँच अभी तक शुक्र की उपसतह का कोई पूर्व अवलोकन नहीं किया गया है।
      • स्ट्रैटिग्राफी भूविज्ञान की एक शाखा है जिसमें चट्टान की परतों का अध्ययन किया जाता है। 
    • वायुमंडल की संरचना, और गतिशीलता का अध्ययन। 
    • शुक्र आयनमंडल के साथ सौर पवन संपर्क की जाँच। 
  • महत्त्व: 
    • इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि पृथ्वी जैसे ग्रह कैसे विकसित होते हैं और पृथ्वी के आकार के एक्सोप्लैनेट (ग्रह जो हमारे सूर्य के अलावा किसी अन्य तारे की परिक्रमा करते हैं) पर क्या परिस्थितियाँ मौजूद हैं। 
    • यह पृथ्वी की जलवायु के प्रतिरूपण में मदद करेगा तथा सावधानीपूर्वक इस प्रकार कार्य करता है कि कैसे एक ग्रह की जलवायु नाटकीय रूप से बदल सकती है। 

                                         शुक्र पर भेजे गए पूर्व मिशन 

      अमेरिका

      रूस 

      जापान 

      यूरोप 

  • मेरिनर शृंखला वर्ष 1962-1974 
  • वर्ष 1978 में पायनियर वीनस- 1 और पायनियर वीनस- 2,
  • वर्ष 1989 में मैगेलन।
  • वेनेरा की अंतरिक्षयान शृंखला वर्ष 1967-1983
  • वर्ष 1985 में वेगास- 1 और वेगास- 2
  • वर्ष 2015 में अकात्सुकी
  • वर्ष 2005 में वीनस एक्सप्रेस 

शुक्र ग्रह: 

  • इसका नाम प्रेम और सुंदरता की रोमन देवी के नाम पर रखा गया है। सूर्य से दूरी के हिसाब से यह दूसरा तथा द्रव्यमान और आकार में छठा बड़ा ग्रह है। 
  • यह चंद्रमा के बाद रात के समय आकाश में दूसरा सबसे चमकीला प्राकृतिक ग्रह है, शायद यही कारण है कि यह पहला ग्रह था जिसे दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व आकाश में अपनी गति के कारण जाना गया।
  • हमारे सौरमंडल के अन्य ग्रहों के विपरीत शुक्र और यूरेनस अपनी धुरी पर दक्षिणावर्त घूमते हैं।
  • कार्बन डाइऑक्साइड की उच्च सांद्रता के कारण यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है जो एक तीव्र ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करता है।
  • शुक्र ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष से ज़्यादा लंबा होता है। सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने की तुलना में शुक्र को अपनी धुरी पर घूर्णन में अधिक समय लगता है।
    • सौरमंडल में किसी भी ग्रह के एक बार घूर्णन में 243 पृथ्वी दिवस और सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने हेतु 224.7 पृथ्वी दिवस लगते हैं।
  • शुक्र को उसके द्रव्यमान, आकार और घनत्व तथा सौरमंडल में उसके समान सापेक्ष स्थानों में समानता के कारण पृथ्वी की जुडवाँ बहन कहा गया है।
  • पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह शुक्र है; साथ ही यह चंद्रमा के अलावा पृथ्वी का सबसे निकटतम बड़ा पिंड है।
    • शुक्र का वायुमंडलीय दाब पृथ्वी से 90 गुना अधिक है।

Solar-system

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (2014)

      अंतरिक्षयान                       उद्देश्य

  1. कैसिनी- ह्युजेन्स            शुक्र की परिक्रमा करना और डेटा को पृथ्वी पर प्रेषित करना
  2. मैसेंजर                       बुध का मानचित्रण और जाँच
  3. वॉयजर 1 और 2            बाहरी सौरमंडल की खोज

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • कैसिनी-ह्युजेन्स को शनि और उसके चंद्रमाओं का अध्ययन करने के लिये भेजा गया था। यह नासा एवं यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बीच एक संयुक्त सहयोग था। इसे वर्ष 1997 में लॉन्च किया गया था तथा वर्ष 2004 में इसने शनि की कक्षा में प्रवेश किया। मिशन वर्ष 2017 में समाप्त हुआ। अतः युग्म 1 सही सुमेलित नहीं है।
  • मैसेंजर, नासा का एक अंतरिक्षयान है जिसे बुध ग्रह के मानचित्रण तथा अन्वेषण हेतु भेजा गया था। इसे वर्ष 2004 में लॉन्च किया गया था और वर्ष 2011 में इसने बुध ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया। मिशन वर्ष 2015 में समाप्त हुआ। अतः युग्म 2 सही सुमेलित है।
  • वॉयजर-1 और-2 को नासा ने वर्ष 1977 में बाह्य सौरमंडल का पता लगाने के लिये लॉन्च किया था। दोनों अंतरिक्षयान अभी भी कार्यरत हैं। अत: युग्म 3 सही सुमेलित है।

अतः विकल्प (b) सही है।


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

इसरो द्वारा लॉन्च किया गया 'मंगलयान':

  1. इसे मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  2. इसने संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत को मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला दूसरा देश बना दिया। 
  3. इसने भारत को पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में अपना अंतरिक्षयान भेजने में सफल होने वाला एकमात्र देश बना दिया। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (c) 

स्रोत: द हिंदू


स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस, राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार 2022, SISFS, NIDHI, स्टार्टअप इकोसिस्टम (RSSSE) के समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग।

मेन्स के लिये:

भारत में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र विकास के चालक, स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी समस्याएँ, स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल।  

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस (16 जनवरी) के अवसर पर स्टार्टअप इंडिया इनोवेशन वीक का समापन नेशनल स्टार्टअप अवार्ड्स 2022 के साथ हुआ।

  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार 2022 उन स्टार्टअप और समर्थकों को प्रदान किये गए हैं जिन्होंने भारत के विकास में क्रांति लाने हेतु महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  
  • स्टार्टअप इंडिया ने "चैंपियनिंग द बिलियन डॉलर ड्रीम” विषय पर उद्योग केंद्रित वेबिनार का आयोजन किया।

भारत में स्टार्टअप्स की स्थिति:  

  • परिचय: 
    • भारत, स्टार्टअप पारितंत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। 
    • बैन एंड कंपनी द्वारा प्रकाशित इंडिया वेंचर कैपिटल रिपोर्ट 2021 के अनुसार, संचयी स्टार्टअप्स की संख्या वर्ष 2012 से 17% की चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (CAGR) से बढ़ी है। 
  • विकास का चालक:  
    • बड़ा घरेलू बाज़ार: भारत में प्रौद्योगिकी आधारित उत्पादों और सेवाओं के लिये एक बड़ा घरेलू बाज़ार है, जो स्टार्टअप को अपने उत्पादों एवं सेवाओं को बेचने के लिये एक तैयार बाज़ार प्रदान करता है। 
    • सरकारी सहायता: भारत सरकार सक्रिय रूप से ‘आत्मनिर्भर भारत’ और डिजिटल इंडिया’ जैसी पहलों के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा दे रही है, जो स्टार्टअप कंपनियों को सहायता प्रदान कर रही हैं।
    • प्रौद्योगिकी तक पहुँच: प्रौद्योगिकी और इंटरनेट में प्रगति ने स्टार्टअप्स को तेज़ी से आगे बढ़ने में सक्षम बनाया है, यही कारण है कि पारिस्थितिकी तंत्र में कई यूनिकॉर्न का उदय हुआ है।
    • राइज़िग स्टार्टअप हब: भारत में प्रमुख स्टार्टअप हब बंगलूरू, मुंबई और दिल्ली-NCR  हैं, जो स्टार्टअप्स के बढ़ने एवं विकास के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।
      • विशेष रूप से बंगलूरू शहर में स्थित बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी कंपनियों के कारण इसे ‘भारत की सिलिकॉन वैली’ घोषित किया गया है।
  • स्टार्टअप पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित समस्याएँ:  
    • सख्त नियामक वातावरण: बाज़ार के कानून और नियम हमेशा स्टार्टअप्स की ज़रूरतों के अनुरूप नहीं होते हैं, जिससे उनका पालन करना मुश्किल हो सकता है। यह स्टार्टअप्स कंपनियों पर गंभीर दबाव डाल सकता है।
    • सीमित बुनियादी ढाँचा और लॉजिस्टिक्स: उचित बुनियादी ढाँचे और लॉजिस्टिक्स की कमी स्टार्टअप्स खासकर ई-कॉमर्स क्षेत्र में काम करने वालों के लिये बड़ी चुनौती हो सकती है।
      • अपर्याप्त परिवहन, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर स्टार्टअप्स के लिये ग्राहकों तक पहुँचना और उनके उत्पादों को समय पर डिलीवर करना मुश्किल बना सकता है। 
    • मेंटरशिप और गाइडेंस की कमी: स्टार्टअप्स में अक्सर अनुभवी मेंटर्स और गाइडेंस की कमी होती है, जिससे उनके लिये बिज़नेस लैंडस्केप को नेविगेट करना तथा निर्णय लेना मुश्किल हो सकता है।
  • स्टार्टअप परितंत्र के प्रोत्साहन के लिये हालिया सरकारी पहल:  
    • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS): यह योजना स्टार्टअप्स को उनके वैचारिक धारणाओं को साबित करने, प्रोटोटाइप विकसित करने, उत्पादों का परीक्षण और बाज़ार तक पहुँच बनाने में मदद के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 
    • नवाचारों के विकास और दोहन के लिये राष्ट्रीय पहल (National Initiative for Developing and Harnessing Innovations- NIDHI): यह स्टार्टअप्स के लिये एक एंड-टू-एंड (End to End) योजना है जिसका लक्ष्य पाँच वर्ष की अवधि में इनक्यूबेटरों और स्टार्टअप्स की संख्या को दोगुना करना है। 
    • स्टार्टअप पारितंत्र के समर्थन स्तर पर राज्यों की रैंकिंग (Ranking of States on Support to Startup Ecosystems- RSSSE): वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) वर्ष 2018 से राज्यों द्वारा स्टार्टअप पारितंत्र को दिये जा रहे समर्थन के आधार पर उनको रैंकिंग प्रदान कर रहा है। 

आगे की राह

  • नवाचार को प्रोत्साहन: सरकार और निजी क्षेत्र को अनुसंधान एवं विकास के लिये धन तथा अन्य प्रकार का सहयोग प्रदान कर नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिये। 
    • इसके अंतर्गत शोध एवं विकास केंद्र स्थापित करना, इसमें निवेश करने वाली कंपनियों को कर संबंधी प्रोत्साहन प्रदान करना और स्टार्टअप को विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों से जोड़ना शामिल हो सकता है।

स्कूल-उद्यमिता गलियारा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 उद्योगों के साथ साझेदारी कर व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करके और स्कूल स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देकर छात्र उद्यमियों को प्रोत्साहित करती है।

यदि उद्यमशीलता कौशल को शिक्षा पाठ्यक्रम के साथ एकीकृत किया जाए यो यह भारत में स्टार्टअप परितंत्र पर अनुकूल प्रभाव डाल सकता है।

स्टार्टअप्स की सामाजिक स्वीकार्यता: भारत के विभिन्न यूनिकॉर्न्स के साथ मिलकर सरकार को उद्यमी कॅरियर के सामाजिक स्वीकृति की दिशा में काम करने और सुलभता से कॅरियर चुनने के लिये युवाओं को सही दिशा प्रदान करने की आवश्यकता है।

वोकल फॉर लोकल, लोकल टू ग्लोबल: भारतीय स्टार्टअप्स में न केवल भारतीय पारंपरिक समस्याओं के समाधान की क्षमता है, बल्कि विदेशी बाज़ारों के लिये ये अनुकूलित समाधान भी प्रदान करते हैं।

भारत को एक उद्यमशीलता और निर्यात केंद्र बनाने हेतु आत्मनिर्भर भारत पहल से जुड़े राज्यों में भी विशेष स्टार्टअप ज़ोन शुरू किये जा सकते हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न:  

प्रश्न. उद्यम पूंजी का क्या अर्थ है? (2014) 

(a) उद्योगों को प्रदान की गई एक अल्पकालिक पूंजी

(b) नए उद्यमियों को प्रदान की गई दीर्घकालिक स्टार्टअप पूंजी 

(c) घाटे के समय में उद्योगों को दिया जाने वाला धन

(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीकरण के लिये प्रदान किया गया धन

उत्तर : (b) 

स्रोत: पी.आई.बी.


एक्सोप्लैनेट

प्रिलिम्स के लिये:

एक्सोप्लैनेट, नासा, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप, LHS 475b , एक्सोप्लैनेट, रेड ड्वार्फ स्टार।

मेन्स के लिये:

एक्सोप्लैनेट, खोज और इसके अध्ययन का महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने LHS 475b नाम के नए एक्सोप्लैनेट की खोज की है। 

  • वेब टेलीस्कोप की बढ़ी हुई क्षमताओं को देखते हुए आशा है कि भविष्य में पृथ्वी के आकार के और भी ग्रहों की खोज हो सकती है। 

LHS 475b: 

  • निष्कर्ष: 
    • मोटे तौर पर यह पृथ्वी के आकार का है, इसका व्यास 99% पृथ्वी के समान है।
    • यह एक आकाशीय, चट्टानी ग्रह है जो पृथ्वी से लगभग 41 प्रकाश वर्ष (Light Year) दूर नक्षत्र ऑक्टान में है।
    • यह पृथ्वी से दो मामलों में भिन्न है, पहला कि यह केवल दो दिनों में एक परिक्रमा पूरी करता है तथा दूसरा, पृथ्वी से सैकड़ों डिग्री अधिक गर्म है।
    • हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह की तुलना में यह अपने तारे के अधिक निकट है
      • यह एक रेड ड्वार्फ स्टार के बहुत करीब से परिक्रमा करता है और केवल दो दिनों में एक पूर्ण परिक्रमा पूरी कर लेता है।
      • अब तक खोजे गए अधिकांश एक्सोप्लैनेट बृहस्पति के समान हैं क्योंकि पृथ्वी के आकार के ग्रह बहुत छोटे हैं और इन्हें पुराने टेलीस्कोप से इनका पता लगाना भी कठिन होता है।
  • महत्त्व: 
    • पृथ्वी के आकार के इस चट्टानी ग्रह के अवलोकन संबंधी परिणाम इस प्रकार के ग्रहों के वायुमंडल के अध्ययन में सहायक भविष्य की कई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
    • लाल बौने तारे का तापमान सूर्य के तापमान का आधा है, इसलिये शोधकर्त्ता उम्मीद कर रहे हैं कि इसमें भी वातावरण हो सकता है।

एक्सोप्लैनेट:

  • परिचय: 
    • एक्सोप्लैनेट ऐसे ग्रह हैं जो अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं और हमारे सौरमंडल से दूर हैं। एक्सोप्लैनेट का पता लगाने की पहली पुष्टि वर्ष 1992 में हुई थी।
      • नासा के अनुसार, अब तक 5,000 से अधिक एक्सोप्लैनेट की खोज की गई है।  
      • वैज्ञानिकों का मानना है कि तारों की तुलना में ग्रहों की संख्या अधिक है क्योंकि कम-से- कम एक ग्रह प्रत्येक तारे की परिक्रमा करता है। 
    • एक्सोप्लैनेट विभिन्न आकार के होते हैं। वे बृहस्पति जैसे बड़े व गैसीय तथा पृथ्वी जैसे छोटे एवं चट्टानी हो सकते हैं। इनके तापमान में भी भिन्नता पाई जाती है जो अत्यधिक गर्म (Boiling Hot) से अत्यधिक ठंडे (Freezing Cold)  तक हो सकते हैं।

Exoplanet-Types

  • खोज:
    • एक्सोप्लैनेट को दूरबीनों से सीधे देखना बहुत मुश्किल होता है। वे उन तारों की उज्ज्वल चमक में छिपे हुए हैं जिनकी वे परिक्रमा करते हैं।  
    • इसलिये खगोलविद् एक्सोप्लैनेट का पता लगाने और अध्ययन करने के लिये अन्य तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे कि इन ग्रहों के तारों के उन प्रभावों को देखना जिनकी वे परिक्रमा करते हैं। 
    • वैज्ञानिक अप्रत्यक्ष तरीकों पर भरोसा करते हैं जैसे कि पारगमन विधि जो एक तारे के मंद होने की माप करती है जिसके सामने से एक ग्रह गुज़रता है। 
    • अन्य अन्वेषण विधियों में गुरुत्त्वाकर्षण माइक्रोलेंसिंग शामिल है- एक दूर के तारे से प्रकाश गुरुत्त्वाकर्षण द्वारा अपवर्तित और केंद्रित होता है क्योंकि एक ग्रह तारे तथा पृथ्वी के बीच से गुज़रता है। यह विधि काल्पनिक रूप से एक्सोप्लैनेट अन्वेषण के लिये हमारे सूर्य का उपयोग कर सकती है। 
  • महत्त्व: 
    • एक्सोप्लैनेट का अध्ययन न केवल अन्य सौर प्रणालियों के प्रति हमारी समझ को व्यापक बनाता है, बल्कि हमें अपने ग्रह प्रणाली और उनकी उत्पत्ति के बारे में जानकारी देने में भी मदद करता है।  
    • हालाँकि उनके बारे में जानने का सबसे सशक्त कारण मानव जाति के सर्वाधिक गहन और विचारोत्तेजक प्रश्नों में से एक का उत्तर खोजना है कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं? 
    • अध्ययन का एक अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्व एक्सोप्लैनेट और उसके समूह तारों के मध्य की दूरी का पता लगाना है।  
      • यह वैज्ञानिकों को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि खोज की गई दुनिया रहने योग्य है या नहीं। यदि एक एक्सोप्लैनेट तारे के बहुत करीब है, तो यह पानी को तरल बनाए रखने हेतु अत्यधिक गर्म हो सकता है। यदि यह बहुत दूर है, तो इस पर केवल जमा हुआ पानी ही हो सकता है। 
      • जब कोई ग्रह इतनी दूरी पर होता है जो पानी को तरल बनाए रखने में सक्षम होता है, तो उसे "गोल्डीलॉक्स ज़ोन" या रहने योग्य क्षेत्र कहा जाता है।

लाल वामन (ड्वार्फ) तारे:  

  • लाल वामन तारे छोटे, कम द्रव्यमान वाले, मंद और शांत तारे हैं, वे ब्रह्मांड में सबसे सामान्य एवं सबसे छोटे हैं।  
  • चूँकि वे ज़्यादा प्रकाश नहीं फैलाते हैं, इसलिये पृथ्वी से नग्न आँखों द्वारा उनका पता लगाना बहुत कठिन है। 
  • हालाँकि चूँकि लाल वामन अन्य सितारों की तुलना में मंद होते हैं, इसलिये इसे घेरने वाले एक्सोप्लैनेट को ढूँढना आसान होता है। इसलिये शिकार हेतु लाल वामन ग्रह एक लोकप्रिय लक्ष्य है। 
  • लाल वामन तारे का वास योग्य क्षेत्र हमारे सूर्य अधिक निकट होता है, जिससे संभवतः वास योग्य ग्रहों का पता लगाना आसान हो जाता है।

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  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. 'गोल्डीलॉक्स ज़ोन (Goldilocks Zone)' शब्द निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में अक्सर समाचारों में देखा जाता है? (2015)

(a) भू-पृष्ठ के ऊपर वास योग्य मंडल की सीमाएँ
(b) पृथ्वी के अंदर का वह क्षेत्र जिसमें शैल गैस उपलब्ध है
(c) बाह्य अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे ग्रहों की खोज
(d) मूल्यवान धातुओं से युक्त उल्कापिंडों की खोज

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • गोल्डीलॉक्स ज़ोन (Goldilocks Zone) जिसे वास योग्य क्षेत्र (Habitable Zone) भी कहा जाता है, एक तारे के चारों ओर का वह क्षेत्र है जहाँ पृथ्वी जैसे किसी ग्रह की सतह न तो बहुत ठंडी और न ही बहुत गर्म हो अर्थात् उस ग्रह पर जीवन की संभावना हो।
  • जैसा कि हम जानते हैं, पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत जल की उपस्थिति के कारण हुई, अतः जल जीवन का अनिवार्य घटक है। 

अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट रिपोर्ट: द इंडिया स्टोरी

प्रिलिम्स के लिये:

ऑक्सफैम इंटरनेशनल, विश्व आर्थिक मंच, अनौपचारिक क्षेत्र, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, विंडफॉल टैक्स।

मेन्स के लिये:

उचित संसाधन आवंटन के संदर्भ में ऑक्सफैम इंटरनेशनल रिपोर्ट का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

ऑक्सफैम की रिपोर्ट "सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी" के अनुसार, भारत में सबसे अमीर 1% आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है, जबकि एक-साथ वर्ष 2012 और 2021 के दौरान नीचे की आधी आबादी की संपत्ति में हिस्सेदारी मात्र 3% रही। 

  • ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के पहले दिन भारत के संदर्भ में अपनी वार्षिक असमानता रिपोर्ट भी जारी की।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शीर्ष 10 सबसे धनी व्यक्तियों पर 5% कर लगाने से बच्चों को स्कूल में पुनः नामांकित करने के लिये पर्याप्त धन मिल सकता है।

Switzerland

प्रमुख बिंदु 

  • लैंगिक असमानता: 
    • रिपोर्ट में भारत में लैंगिक असमानता पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें कहा गया है कि पुरुष श्रमिकों द्वारा अर्जित प्रति 1 रुपए के मामले में महिला श्रमिकों को केवल 63 पैसे मिलते हैं। 
    • सामाजिक-आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति वाले लोगों की तुलना में वर्ष 2018 और 2019 में  अनुसूचित जाति और ग्रामीण मज़दूरों की हिस्सेदारी क्रमशः 55% और 50% ही रही।
  • सामाजिक असमानता: 
    • ऑक्सफैम इंडिया के अनुसार, सिर्फ सबसे अमीर लोगों को प्राथमिकता दिये जाने के कारण देश में हाशिये पर रहने वाले समुदाय जैसे- दलित, आदिवासी, मुस्लिम, महिलाएँ और अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक पीड़ित हैं।
    • भारत में अमीरों की तुलना में गरीब असमान रूप से उच्च करों का भुगतान कर रहे हैं और आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं।
  • असमानता कम करने के लिये सुझाए गए उपाय: 
    • असमानता को कम करने और सामाजिक कार्यक्रमों के लिये राजस्व की व्यवस्था करने के लिये विरासत, संपत्ति और भूमि करों के साथ-साथ शुद्ध संपत्ति पर करों का लागू किया जाना।
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में परिकल्पित वर्ष 2025 तक स्वास्थ्य क्षेत्र के बजटीय आवंटन को सकल घरेलू उत्पाद का 2.5% तक करना।
    • शिक्षा के लिये बजटीय आवंटन को सकल घरेलू उत्पाद के 6% के वैश्विक बेंचमार्क/मानदंड तक बढ़ाना।
    • ऑक्सफैम ने इन मुद्दों के हल के रूप में अमीरों पर करों में वृद्धि करने का तर्क दिया, एकमुश्त कर के कार्यान्वयन की व्यवस्था हो और एक न्यूनतम कर दर का निर्धारण भी हो।
    • ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने उन खाद्य कंपनियों का आह्वान किया है जो मुद्रास्फीति बढ़ने के कारण अधिक मुनाफा कमा रही हैं, उन्हें अप्रत्याशित करों (विंडफॉल टैक्स) का सामना करना पड़ेगा।  
      • इसके पीछे विचार यह है कि इन कंपनियों को खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से लाभ हुआ है तथा उन्हें गरीबी और असमानता को दूर करने में मदद के लिये उचित योगदान देना चाहिये।
      • यह उपाय गरीबी और असमानता को कम करने में मदद करने वाले सामाजिक कार्यक्रमों का समर्थन करने हेतु सरकारों के लिये राजस्व उत्पन्न कर सकता है।
      • पुर्तगाल ने सुपरमार्केट तथा हाइपरमार्केट शृंखला सहित ऊर्जा कंपनियों एवं प्रमुख खाद्य खुदरा विक्रेताओं दोनों पर अप्रत्याशित कर पेश किये।
  • आँकड़ों के स्रोत:
    • यह रिपोर्ट देश में संपत्ति की असमानता और अरबपतियों की संपत्ति के बारे में जानकारी के लिये फोर्ब्स एवं क्रेडिट सुइस सहित कई स्रोतों के आँकड़ों पर आधारित है।
    • इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS), केंद्रीय बजट दस्तावेज़ और संसदीय प्रश्नों जैसे सरकारी स्रोतों का उपयोग पूरी रिपोर्ट में दिये गए तर्कों की पुष्टि करने के लिये किया गया है।

विंडफॉल टैक्स:

  • विंडफॉल टैक्स/अप्रत्याशित कर अप्रत्याशित या असाधारण लाभ पर लगाए गए कर हैं, जो कि आर्थिक संकट, युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के समय प्राप्त किये गए हैं।
  • सरकारें आमतौर पर ऐसे लाभ पर कर की सामान्य दरों के अलावा पूर्वव्यापी रूप से एक बार कर लगाती हैं, जिसे विंडफॉल टैक्स कहा जाता है। 
  • एक क्षेत्र जहाँ इस तरह के करों पर नियमित रूप से चर्चा की गई है, वह तेल बाज़ार है, जहाँ मूल्यों में उतार-चढ़ाव उद्योग को अस्थिर या अनियमित मुनाफे की ओर ले जाता है। 

ऑक्सफैम इंटरनेशनल:

  • ऑक्सफैम इंटरनेशनल 21 स्वतंत्र धर्मार्थ संगठनों का एक संघ है जो 90 से अधिक देशों में भागीदारों और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम कर रहे है।  
  • इस मिशन का उद्देश्य गरीबी उत्पन्न करने वाले अन्याय को समाप्त करना है।  
  • ऑक्सफैम लोगों को गरीबी से बाहर निकालने और विकसित बनाने के लिये व्यावहारिक एवं अभिनव माध्यमों से कार्य करता है।  
  • संकट आने पर वे जीवन का बचाव और आजीविका के पुनर्निर्माण में मदद करते हैं।  
  • वे अभियान चलाते हैं ताकि गरीबों की आवाज़ उनस्थानीय और वैश्विक निर्णयों को प्रभावित करे जो उन्हें प्रभावित करते हैं।  

स्रोत: द हिंदू


रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी गोनोरिया

प्रिलिम्स के लिये:

गोनोरिया, रोगाणुरोधी प्रतिरोध

मेन्स के लिये:

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के कारण और प्रभाव

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में केन्या में रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी गोनोरिया का प्रकोप देखा गया।

  • शोधकर्त्ताओं ने चेतावनी दी है कि यह संक्रमण कुछ मामलों में स्पर्शोन्मुख है जो प्रजनन प्रणालियों को स्थायी क्षति सहित महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों का कारण बन सकता है।

गोनोरिया: 

  • गोनोरिया एक यौन संचारित संक्रमण (STI) है जो जीवाणु नीसेरिया गोनोरिया के कारण होता है।
    • यह पुरुषों और महिलाओं दोनों को संक्रमित कर सकता है और जननांगों, मलाशय और गले को प्रभावित कर सकता है।
    • यदि उपचार नहीं किया जाता है तो गोनोरिया गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकता है, जिसमें बाँझपन और मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह क्लैमाइडिया के बाद दुनिया भर में यौन संचरित दूसरी सबसे आम बीमारी है।
  • गोनोरिया का उपचार आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है, लेकिन जीवाणु कई उन दवाओं के प्रति तेज़ी से प्रतिरोधी हो गए हैं जो कभी प्रभावी थे।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR):

  • परिचय: 
    • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance-AMR) का तात्पर्य किसी भी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी आदि) द्वारा एंटीमाइक्रोबियल दवाओं (जैसे- एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइरियल और एंटीहेलमिंटिक्स) जिनका उपयोग संक्रमण के इलाज के लिये किया जाता है, के खिलाफ प्रतिरोध हासिल कर लेने से है। 
      • इसके अलावा, सूक्ष्मजीव जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित करते हैं, उन्हें कभी-कभी "सुपरबग" के रूप में जाना जाता है। 
  • कारण: 
    • खराब संक्रमण नियंत्रण और अपर्याप्त स्वच्छता। 
    • एंटीबायोटिक दवाओं का अति प्रयोग और खराब गुणवत्ता वाली दवाओं का बार-बार उपयोग। 
    • बैक्टीरिया के आनुवंशिक उत्परिवर्तन। 
    • नई रोगाणुरोधी दवाओं के अनुसंधान और विकास में निवेश की कमी
  • प्रभाव: 
    • AMR संक्रमण फैलाने और इलाज हेतु जोखिम दर में वृद्धि करता है, जिससे लंबी बीमारी, विकलांगता और मृत्यु तक हो जाती है। 
    • यह स्वास्थ्य देखभाल लागत को भी बढ़ाता है और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की स्थिरता को खतरे में डालता है
  • भारत में मान्यता: 
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 रोगाणुरोधी प्रतिरोध की समस्या पर प्रकाश डालती है और इसे संबोधित करने के लिये प्रभावी कार्रवाई का आह्वान करती है। 
    • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मंत्रालय के सहयोगी कार्य के लिये शीर्ष 10 प्राथमिकताओं में से एक के रूप में AMR की पहचान की है। 
    • भारत ने क्षय रोग, वेक्टर जनित रोग, एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) आदि कार्यक्रमों में रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं में दवा प्रतिरोध के उद्भव की निगरानी कार्य शुरू किया है। 
    • सरकारी पहल:
      • AMR रोकथाम पर राष्ट्रीय कार्यक्रम: यह कार्यक्रम वर्ष 2012 में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम के तहत राज्य मेडिकल कॉलेज में प्रयोगशालाओं की स्थापना करके AMR निगरानी नेटवर्क को मज़बूत किया गया है।
      • AMR पर राष्ट्रीय कार्ययोजना: यह स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर केंद्रित है और अप्रैल 2017 में विभिन्न हितधारक मंत्रालयों/विभागों को शामिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
      • AMR सर्विलांस एंड रिसर्च नेटवर्क (AMRSN): इसे वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था ताकि देश में दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के सबूत और प्रवृत्तियों तथा पैटर्न का अनुसरण किया जा सके। 
      • एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रम: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) ने अस्पताल वार्डों और ICU में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग तथा अति प्रयोग को नियंत्रित करने के लिये भारत में एक पायलट परियोजना पर एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप कार्यक्रम शुरू किया है।

निष्कर्ष:  

सार्वजनिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के प्रसार को रोकने के लिये रोगाणुरोधी प्रतिरोध को नियंत्रित करना महत्त्वपूर्ण है। इसके लिये रोगाणुरोधी दवाओं के उपयोग को केवल उचित मामलों तक सीमित करना, संक्रमण पर नियंत्रण स्थिति में सुधार करना, अनुसंधान और विकास में निवेश करना एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने जैसे उपायों को लागू करना महत्त्वपूर्ण है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से भारत में सूक्ष्मजीवी रोगजनकों में बहु-दवा प्रतिरोध की घटना के कारण हैं? (2019)

  1. कुछ लोगों की आनुवंशिक प्रवृत्ति 
  2. बीमारियों को ठीक करने के लिये एंटीबायोटिक दवाओं की गलत खुराक लेना
  3. पशुपालन में एंटीबायोटिक का प्रयोग 
  4. कुछ लोगों में कई पुरानी बीमारियाँ 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न: क्या डॉक्टर के निर्देश के बिना एंटीबायोटिक दवाओं का अति प्रयोग और मुफ्त उपलब्धता भारत में दवा प्रतिरोधी रोगों के उद्भव में योगदान कर सकते हैं? निगरानी एवं नियंत्रण के लिये उपलब्ध तंत्र क्या हैं? इसमें शामिल विभिन्न मुद्दों पर आलोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014, मुख्य परीक्षा)

स्रोत: डाउन टू अर्थ