विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम
- 24 Mar 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA), आर्टेमिस I, मून मिशन, चंद्रयान प्रोजेक्ट, हिस्ट्री ऑफ मून एक्सप्लोरेशन मेन्स के लिये:अंतरिक्ष अन्वेषण, मून मिशन, चंद्रमा और मंगल पर मानव को भेजने का मिशन |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने अपने आर्टेमिस I मून मिशन के परीक्षण के लिये फ्लोरिडा, संयुक्त राज्य अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्चपैड तैयार किया है।
आर्टेमिस मिशन
- नासा के आर्टेमिस मिशन को चंद्र अन्वेषण की अगली पीढ़ी के रूप में जाना जाता है तथा इसका नाम ग्रीक पौराणिक कथाओं से अपोलो की जुड़वां बहन के नाम पर रखा गया है।
- आर्टेमिस चंद्रमा की देवी भी हैं।
- यह जटिल मिशनों की शृंखला में पहला है जो चंद्रमा तथा मंगल पर मानव के अन्वेषण को सक्षम बनाएगा।
- आर्टेमिस चंद्रमा अन्वेषण कार्यक्रम (Artemis Lunar Exploration Program) के माध्यम से NASA वर्ष 2024 तक पहली महिला और पहले पुरुष को चंद्रमा पर भेजने की योजना बना रहा है।
- NASA रोबोट और अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अन्वेषण में सहायता के लिये सतह पर एक आर्टेमिस बेस कैंप और चंद्रमा की कक्षा में एक गेटवे (चंद्रमा के चारों ओर दूरवर्ती स्थान) स्थापित करेगा।
- यह गेटवे नासा के स्थायी चंद्र संचालन का एक महतत्त्वपूर्ण घटक है और यह चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले बहुउद्देश्यीय दूरवर्ती स्थान के रूप में कार्य करेगा।
- अन्य अंतरिक्ष एजेंसियाँ भी आर्टेमिस कार्यक्रम में शामिल हैं।
- कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी ने गेटवे के लिये उन्नत रोबोटिक्स प्रदान करने का वादा किया है,
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय आवास और ESPRIT मॉड्यूल प्रदान करेगी जो अन्य चीजों के अलावा अतिरिक्त संचार क्षमता प्रदान करेगा।
- जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी आवासीय घटकों (Habitation Components) और रसद की आपूर्ति करने के लिये योजना बना रही है।
आर्टेमिस- I मिशन के प्रमुख बिंदु:
- आर्टेमिस I, पूर्व में एक्सप्लोरेशन मिशन -1, नासा के डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन सिस्टम (Deep Space Exploration Systems) का पहला एकीकृत उड़ान परीक्षण होगा:
- ओरियन अंतरिक्षयान: ओरियन अंतरिक्षयान एक अंतरिक्ष स्टेशन को डॉक/संक्षिप्त किये बिना अंतरिक्ष में रहने वाला है, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिये किसी भी जहाज़ से पहले कभी नहीं किया गया है।
- स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट: यह विश्व का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है जो मिशन के दौरान चार से छह सप्ताह तक पृथ्वी से 2,80,000 मील की दूरी तय करता है।
- फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में कैनेडी स्पेस सेंटर में नव उन्नत एक्सप्लोरेशन ग्राउंड सिस्टम (Newly upgraded Exploration Ground Systems)।
- यह एक मानव रहित अंतरिक्ष मिशन है जहांँ अंतरिक्षयान को एक SLS रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
- मिशन का प्राथमिक परिचालन लक्ष्य एक सुरक्षित क्रू मॉड्यूल प्रविष्टि, स्प्लैशडाउन (Splashdown)और पुनर्प्राप्ति को सुनिश्चित करना है।
- आर्टेमिस I के तहत SLS और ओरियन को वर्ष 2022 की गर्मियों में अमेरिका के फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।
- मिशन की समाप्ति ओरियन अंतरिक्षयान की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी के साथ होगी।
आर्टेमिस कार्यक्रम के अंतर्गत भविष्य के मिशन:
- कार्यक्रम के तहत दूसरी उड़ान में एक चालक दल सवार होगा और यान पर मनुष्यों के साथ ओरियन की महत्त्वपूर्ण प्रणालियों (Orion’s critical systems) का परीक्षण करेगा।
- अंततः आर्टेमिस कार्यक्रम के अनुभवों का उपयोग मंगल पर पहले अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिये किया जाएगा।
- नासा द्वारा सौर मंडल में अंतरिक्ष की मानव खोज को आगे बढ़ाने हेतु आवश्यक अनुभव प्राप्त करने के लिये लूनर ऑर्बिट (Lunar Orbit) का उपयोग करने की योजना है।
चंद्रमा अन्वेषण का इतिहास
- वर्ष 1959 में, सोवियत संघ का मानव रहित लूना-1 और 2 चंद्रमा पर जाने वाला पहला रोवर बना।
- अमेरिका ने वर्ष 1961 की शुरुआत से ही लोगों को अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश शुरू कर दी थी।
- आठ साल बाद, 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग, एडविन ‘बज़’ एल्ड्रिन के साथ अपोलो 11 मिशन के हिस्से के रूप में चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले इंसान बने।
- अपोलो-11 मिशन को चंद्रमा पर भेजने से पूर्व अमेरिका ने वर्ष 1961 और वर्ष 1968 के बीच रोबोट मिशन के तीन वर्ग भेजे।
- जुलाई 1969 के बाद वर्ष 1972 तक 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर चले।
- वर्ष 1990 के दशक में, अमेरिका ने रोबोटिक मिशन ‘क्लेमेंटाइन’ और ‘लूनर प्रॉस्पेक्टर’ के साथ चंद्र अन्वेषण फिर से शुरू किया।
- वर्ष 2009 में, अमेरिका ने ‘लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर’ (LRO) और ‘लूनर क्रेटर ऑब्जर्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट’ (LCROSS) के प्रक्षेपण के साथ रोबोटिक चंद्र मिशन की एक नई शृंखला शुरू की।
- नासा ने वर्ष 2011 में आर्टेमिस मिशन की शुरुआत की थी।
- वर्ष 2012 में ‘ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी’ (GRAIL) अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान, चीन और भारत ने चंद्रमा का पता लगाने के लिये मिशन भेजे हैं।
- चीन ने सतह पर दो रोवर उतारे, जिसमें वर्ष 2019 में चंद्रमा की सतह पर सुदूर क्षेत्र पर पहली बार लैंडिंग करना शामिल है।
इसरो के चंद्रमा अन्वेषण संबंधी प्रयास
- चंद्रयान-1:
- चंद्रयान परियोजना वर्ष 2007 में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और रूस के राॅसकाॅसमाॅस के बीच आपसी सहयोग हेतु एक समझौते के साथ शुरू हुई थी।
- हालाँकि, इस मिशन को जनवरी 2013 में स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि रूस समय पर लैंडर को विकसित करने में असमर्थ था, इसे बाद वर्ष 2016 में इसे पुनः शुरू किया गया।
- निष्कर्ष: चंद्रमा पर जल की उपस्थिति की पुष्टि।
- एक पुराने ‘लूनर लावा’ प्रवाह द्वारा निर्मित ‘लूनर केव्स’ के साक्ष्य।
- चंद्र सतह पर विगत विवर्तनिक गतिविधि पाई गई थी।
- खोजे गए भ्रंश और फ्रैक्चर उल्कापिंड प्रभावों के साथ मिलकर पिछली आंतरिक टेक्टोनिक गतिविधि की विशेषताएँ हो सकते हैं।
- चंद्रयान-2 चंद्रमा के लिये भारत का दूसरा मिशन है और इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं।
- रोवर प्रज्ञान को विक्रम लैंडर के अंदर रखा गया है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की घोषणा की, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।
विगत वर्षों के प्रश्न: Q. निम्नलिखित में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं? (2014) अंतरिक्षयान उद्देश्य
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) Q.अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" क्या है? (a) भारत में दूरस्थ शिक्षा बढ़ावा को देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह Ans: (c) Q. हाल ही में चर्चा में रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के थेमिस मिशन का क्या उद्देश्य है? (2008) (a) मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का अध्ययन करना Ans: (c) |