शासन व्यवस्था
इलेक्ट्रिक वाहनों हेतु समान सुरक्षा मानक
- 10 Oct 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:इलेक्ट्रिक वाहन (EV), फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल स्कीम-II (फेम-II), PLI योजना ऑटोमोबाइल, ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स और एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC), लिथियम-आयन बैटरी। मेन्स के लिये:इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और अंगीकरण- चुनौतियाँ एवं अवसर, EVs तथा शुद्ध शून्य उत्सर्जन के वैश्विक लक्ष्य। |
चर्चा में क्यों?
इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के लिये समान सुरक्षा मानक स्थापित करने के लिये भारत 1 अप्रैल, 2023 से इलेक्ट्रिक वाहनों का अपना पहला परीक्षण शुरू करेगा।
- हाल के महीनों में इलेक्ट्रिक दोपहिया और चार पहिया वाहनों में आग लगने की कई घटनाओं पर चिंताओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की टेस्टिंग के प्रमुख बिंदु:
- वर्तमान परिदृश्य:
- अभी तक, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये कोई केंद्रीकृत परीक्षण सुविधा नहीं है और इस क्षेत्र में निर्माताओं के अपने मानक हैं।
- जून 2022 में, बैटरी प्रौद्योगिकी के मानकीकरण की दिशा में पहला बड़ा कदम उठाया गया था, जिसमे भारतीय मानक ब्यूरो ने व्यापक ISO मानदंडों के अनुरूप लिथियम-आयन बैटरी पैक और कर्षण(ट्रैक्शन) प्रणालियों के लिये प्रदर्शन मानदंड जारी किये थे।
- नवीनतम अपडेट:
- बैटरी चालित वाहनों के परीक्षण के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे की स्थापना का काम पुणे स्थित ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) को दे दिया गया है।
- भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के परीक्षण, प्रमाणन तथा विकास के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा स्थापित करने हेतु ARAI को 44 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
- महत्त्व:
- इलेक्ट्रिक वाहनों की टेस्टिंग को प्रोत्साहन इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ वैकल्पिक ईंधन के अन्य रूपों पर सरकार का ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है, जिसका उद्देश्य अपने कच्चे तेल के आयात बिल को कम करना है।
- केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री के अनुसार, सरकार वर्ष 2030 तक देश में नई कारों की बिक्री के मामले में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों का लक्ष्य लेकर चल रही है।
- समान मानकों का पालन करने से उत्पाद की विश्वसनीयता, प्रदर्शन और सुरक्षा में वृद्धि होगी।
- इस तरह के मानकों की उपस्थिति में गैर-ज़िम्मेदार अभिकर्त्ताओं को भी EV उद्योग में प्रवेश करना मुश्किल होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि केवल अभिकर्त्ता ही उत्पादन में शामिल हों।
- इलेक्ट्रिक वाहनों की टेस्टिंग को प्रोत्साहन इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ वैकल्पिक ईंधन के अन्य रूपों पर सरकार का ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है, जिसका उद्देश्य अपने कच्चे तेल के आयात बिल को कम करना है।
नोट:
- विश्व स्तर पर कोई एकल EV मानक नहीं है। जापान, चीन और यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के देशों में सुरक्षा मानक हैं जो चार प्रमुख क्षेत्रों में विभिन्न मानदंडों को बढ़ावा देते हैं: सुरक्षा, चार्जिंग कनेक्टर, चार्जिंग टोपोलॉजी और चार्जिंग-संबंधित संचार।
- भारत अपने परीक्षण मानकों के लिये मोटे तौर पर उसी मानक का पालन करने हेतु तैयार है जिसमें प्रौद्योगिकी विकसित होती है, उन्हें अद्यतन करना होता है।
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)
- परिचय:
- इलेक्ट्रिक वाहन आंतरिक दहन इंजन के बजाय इलेक्ट्रिक मोटर से संचालित होते हैं और इनमें ईंधन टैंक के बजाय बैटरी लगी होती है।
- सामान्य तौर पर,इलेक्ट्रिक वाहनों की परिचालन लागत कम होती है, क्योंकि इनकी संचालन प्रक्रिया सरल होती है और ये पर्यावरण के लिये भी अनुकूल होते हैं।
- भारत में EV के लिये ईंधन की लागत लगभग 80 पैसे प्रति किलोमीटर है।
- भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का वर्तमान परिदृश्य:
- ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिये कार्बन उत्सर्जन को कम करने हेतुे पेरिस समझौते के तहत स्थापित वैश्विक जलवायु एजेंडे द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया गया है।
- जून 2022 तक भारत में 1.3 मिलियन से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन थे, जिनमें से 50% तिपहिया वाहन हैं; शेष वाहनों का एक बड़ा हिस्सा दोपहिया वाहन हैं, अन्य में चार पहिया वाहन शामिल हैं।
- इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थन करने हेतु भारत की पहल:
- इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उनके तेज़ी से इस्तेमाल को बढ़ावा देने हेतु योजना (FAME-II) का स्थानीयकरण।
- महत्त्वपूर्ण EV घटकों के लिये स्वदेशी आपूर्ति शृंखला विकसित करने हेतु ऑटोमोबाइल, ऑटोमोटिव घटकों और उन्नत रसायन विज्ञान सेल (ACC) हेतु PLI योजनाएँ।
- सरकार ने सार्वजनिक भूमि के उपयोग के लिये राजस्व-साझाकरण मॉडल को शामिल करके बुनियादी ढाँचे को विकसित करने के लिये अपने दिशा-निर्देशों को भी संशोधित किया।
- बिक्री को बढ़ावा देने के लिये उपभोक्ता-केंद्रित प्रोत्साहन भी मौजूद हैं- कर छूट, सब्सिडी और ब्याज सबवेंशन योजनाएँ ईवी गतिशीलता विकल्पों के लिये बड़े पैमाने पर मांग को ट्रिगर करती हैं।
- अप्रैल 2022 में नीति आयोग ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles-EVs) के लिये बैटरी स्वैपिंग नीति का मसौदा जारी किया।
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में EV बैटरी परीक्षण मानकों- ऑटोमोटिव उद्योग मानक-156 (या AIS-156) तथा AIS-038 में संशोधन के रोलआउट को दो चरणों में लागू करने के लिये बढ़ाया है (पहला 1 दिसंबर, 2022 से एवं दूसरा 31 मार्च. 2023 से)।
- AIS-156 में L श्रेणी में चार पहियों से कम वाले मोटर वाहन और एक इलेक्ट्रिक पावरट्रेन शामिल है।
- दूसरा संशोधन, AIS-038- M श्रेणी (चार पहियों वाले और यात्रियों को ले जाने के लिये उपयोग किये जाने वाले) तथा N श्रेणी (माल और यात्रियों दोनों को ले जाने के लिये उपयोग किये जाने वाले इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहन) के लिये इलेक्ट्रिक पावर ट्रेनों जैसे वाहनों को नियंत्रित करता है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित हालिया मुद्दे:
- इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाएँ बढ़ी हैं। आग के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- उत्पादन प्रक्रिया में दोष
- बाहरी क्षति
- बैटरी प्रबंधन प्रणाली में दोष; तथा
- कुछ मामलों में दोषपूर्ण चार्जिंग
- कोविड-19 महामारी और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित कर दिया है एवं इस प्रकार EVs के महत्त्वपूर्ण घटकों को निषेधात्मक रूप से महँगा बना दिया है।
- भारतीय निर्माता भी लिथियम-आयन बैटरी के स्रोत के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
- 2021 के अंत में शुरू हुई सेमीकंडक्टर की कमी की समस्या अभी भी पूरी तरह से हल नहीं हुई है और इसने कई उद्योगों को प्रभावित किया है।
- इसी तरह की चुनौती मूल्य अस्थिरता और इन तत्त्वोंं की आपूर्ति में व्यवधान के संदर्भ में भारत के आगामी EV उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है ।
- इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाएँ बढ़ी हैं। आग के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
आगे की राह
- अवधारणा से लेकर प्रोटोटाइप, उत्पादन एवं बैटरी के जीवन काल तक पूरे EV तंत्र के लिये एक समान दिशा-निर्देश और निरीक्षण प्रणाली निर्धारित की जानी चाहिये।
- EV तंत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण घटकक बैटरी है, इसलिये EV सुरक्षा के संदर्भ में उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए समान उत्पादन मानकों (उद्योग में उत्पादन की अनुरूपता (CoP) ) को निर्धारित किया जाना चाहिये।
- CoP को यह सुनिश्चित करने के लिये लागू किया जाना चाहिये कि EV बैटरी के निर्माण के दौरान समान गुणवत्ता बनी रहे।
- इसके अलावा CoP लागू होने तक बैटरी निर्माताओं द्वारा स्व-नियमन बनाए रखा जाना चाहिये।
- प्रत्येक आयातित सेल की व्यक्तिगत रूप से जाँच की जानी चाहिये और केवल गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाले सेल का उपयोग बैटरी निर्माण में किया जाना चाहिये।
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