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इलेक्ट्रिक वाहन: 2030 के लक्ष्य हेतु बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ करने की ज़रूरत

  • 29 Jan 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?
2030 तक सभी वाहनों को विद्युत वाहनों में परिवर्तित करने के लक्ष्य को हासिल करने हेतु चार्जिंग बुनियादी ढाँचे की स्थापना के मामले में, सस्ते कच्चे माल की उपलब्धता को सक्षम करने और हाइब्रिड वाहनों जैसे मध्य-मार्ग के उपायों को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार तथा निजी क्षेत्र द्वारा और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

उद्देश्य क्या है?

  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक वाहनों के इलेक्ट्रिक बेड़े को हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसका उद्देश्य आंतरिक दहन इंजन के संबंध में चलाये जा रहे वैश्विक प्रयासों को बल प्रदान करना है।

इस संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं?

  • देश के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों द्वारा विद्युत वाहन उद्योग के संबंध में प्रयासों को बढ़ावा दिया गया है। एनर्जी एफिसियंसी सर्विसेज़ लिमिटेड (Energy Efficiency Services Limited - EESL), एक सरकारी फर्म द्वारा 10,000 ई-वाहनों की खरीद को गति प्रदान करते हुए टाटा मोटर्स और महिंद्रा एवं महिंद्रा को अपनी पसंद के वाहन निर्मित करने के लिये निविदाएँ दी जा चुकी हैं।
  • ईईएसएल का उद्देश्य इन वाहनों को सरकारी विभागों को पट्टे देना है।

फेम-इंडिया योजना

  • इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को फेम-इंडिया (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles-FAME-India) योजना के तहत मिलने वाला प्रोत्साहन और छह महीने या नीति आयोग द्वारा योजना का दूसरा चरण शुरू किये जाने तक मिलता रहेगा, क्योंकि इसकी अवधि 31 मार्च तक बढ़ा दी गई है। 
  • 1 अप्रैल, 2015 से लागू इस योजना के तहत वर्ष 2022 तक देशभर में 60-70 लाख हाइब्रिड और इलेक्ट्रिकल वाहन सडकों पर उतारने का लक्ष्य है। 
  • इससे लगभग 950 करोड़ लीटर पेट्रोल एवं डीजल की खपत में कमी आएगी, जिससे इस पर खर्च होने वाले 62 हज़ार करोड़ रुपए की भी बचत होगी। 
  • इस योजना का प्रमुख उद्देश्य प्रदूषण कम करना और ग्रीनहाउस गैस उत्‍सर्जन में कमी लाना है। इसके तहत डीजल और पेट्रोल की जगह हाइब्रिड और इलेकिट्रकल दोपहिया वाहन, कार, तिपहिया वाहन और हल्‍के व भारी कमर्शियल वाहनों के लिये देशभर में अवसंरचना तैयार की जानी है।
  • इस योजना के अंतर्गत चार क्षेत्रों पर सबसे अधिक फोकस किया गया है-
    ► प्रौद्योगिकी विका
    ►पायलट प्रोजेक्
    ►चार्जिंग बुनियादी ढाँचे
    ►मांग निर्माण 
  • हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा यह घोषणा की गई है कि ‘फेम इंडिया स्कीम’ के अंतर्गत दिये जा रहे प्रोत्साहनों का लाभ उठाने के लिये मूल उपकरण निर्माताओं [Original equipment manufacturers (OEMs)] को इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति करने के प्रस्ताव को स्वीकारने से पूर्व भारी उद्योग विभाग (Department of Heavy Industry -DHI) से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
  • अर्थात् डी.एच.आई. की मंज़ूरी के पश्चात् OEMs प्रोत्साहनों के लाभ उठाने के पात्र बन पाएंगे, जिसका उद्देश्य फेम इंडिया स्कीम के तहत ई-बसों के लिये सरल रोल-आउट और मांग प्रोत्साहन का प्रबंधन करना है।

क्या इसके लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा तैयार है?

  • इस योजना के अनुपालन हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचे के लिये सरकार और निजी क्षेत्रों द्वारा कई पहलें शुरू की गई हैं। 
  • इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा पायलट परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, बंगलूरु में 25 चार्जिंग स्टेशनों को पहले ही स्थापित किया जा चुका है। इस प्रकार के अन्य स्टेशनों को अन्य महानगरों में भी विस्तारित करने की योजना बनाई जा रही है।
  • रिलायंस एनर्जी द्वारा भी अगले तीन वर्षों में मुंबई में अपने वितरण लाइसेंस क्षेत्रों (distribution licence area) में 15 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई गई है। 
  • इसके अलावा टाटा पावर द्वारा भी मुंबई में दो चार्जिंग स्टेशन स्थापित किये गए हैं।

इसमें किस प्रकार की बाधाएँ सामने आ रही हैं?

  • इस योजना के अनुपालन में बहुत सी बाधाएँ सामने आ रही हैं। 
  • सर्वप्रथम, बहुत कम वैश्विक कार निर्माताओं द्वारा अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को भारत में लाया गया है। इसका एक कारण यह भी है कि सरकार द्वारा जीएसटी के तहत ई-वाहनों और हाइब्रिड वाहनों के बीच अंतर उत्पन्न कर दिया गया है, जो एक बड़ी समस्या है।
  • जहाँ एक ओर ई-वाहनों पर 12% कर लगाया जाता है, वहीं हाइब्रिड वाहनों पर 28% कर के साथ-साथ 15% सेस भी लगाया जाता है।
  • कार निर्माताओं के अनुसार, अभी भी लोग इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के संदर्भ में उलझन की स्थिति में हैं क्योंकि उनमें वाहनों की बैटरी की चार्जिंग अवधि को लेकर संशय बना हुआ है। 
  • उदाहरण के तौर पर, लोगों का रुझान इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की अपेक्षा हाइब्रिड वाहनों की ओर अधिक है लेकिन इस क्षेत्र को वर्तमान टैक्स ढाँचे के अंतर्गत बहुत अधिक प्रोत्साहन प्राप्त नहीं है। 
  • हालाँकि, विशेषज्ञों के अनुसार घरेलू एसी बिजली का उपयोग करते हुए ई-वाहनों को घर पर ही चार्ज किया जा सकता है, इस कार्य में लगभग 5-8 घंटे का समय लग सकता है। 
  • दूसरी ओर, डीसी चार्जर के माध्यम से इस कार्य को और अधिक कम समय में पूरा किया जा सकता है। देश भर में स्थापित किये जा रहे है अधिकांश चार्जर एसी चार्जर है।
  • बैटरी तकनीक एक अन्य पहलू है जिसके संदर्भ में विशेष रुप से ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। हालाँकि, यदि इन बैटरियों की लागत के विषय में बात की जाए तो पिछले कुछ वर्षों में इसमें बहुत अधिक गिरावट आई है।
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