डेली न्यूज़ (16 Aug, 2021)



वन धन उत्पादक कंपनियाँ

प्रिलिम्स के लिये:

वन धन कार्यक्रम, आकांक्षी ज़िले, प्रधानमंत्री वन धन योजना, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ

मेन्स के लिये: 

वन धन उत्पादक कंपनियाँ स्थापित करने का आदिवासी समुदाय पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने वन धन कार्यक्रम के तहत आकांक्षी ज़िलों को प्राथमिकता के साथ अगले पाँच वर्षों में सभी 27 राज्यों में 200 'वन धन' उत्पादक कंपनियाँ स्थापित करने की योजना बनाई है।

  • आकांक्षी ज़िले भारत के वे ज़िले हैं जो खराब सामाजिक-आर्थिक संकेतकों से प्रभावित हैं। ‘ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम’ (TADP) को केंद्रीय स्तर पर नीति आयोग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

वन धन कार्यक्रम:

  • परिचय: यह जनजातीय स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का गठन करने और उन्हें जनजातीय उत्पादक कंपनियों में मज़बूत करने हेतु बाज़ार से जुड़ा एक आदिवासी उद्यमिता विकास कार्यक्रम है।
    • यह पहल वन धन यानी वन धन का उपयोग करके आदिवासियों के लिये आजीविका सृजन को लक्षित करती है।
  • लॉन्च: इस योजना को 2018 में प्रधानमंत्री वन धन योजना (PMVDY) के रूप में लॉन्च किया गया था।
  • कार्यान्वयन: इसे ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (TRIFED) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • लक्ष्य:
    • प्रत्येक चरण में इसे उन्नत करने और जनजातीय ज्ञान को एक व्यवहार्य आर्थिक गतिविधि में परिवर्तित करने के लिये प्रौद्योगिकी और आईटी को जोड़कर आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान और कौशल की जानकारी देना।
    • उन क्षेत्रों में जहाँ ये अभी भी प्रचलित हैं, बाज़ार को मज़बूती प्रदान करने के लिये एक व्यवहार्य पैमाने के माध्यम से आदिवासियों की सामूहिक ताकत को बढ़ावा देना और उसका लाभ उठाना।
    • मुख्य रूप से आदिवासी ज़िलों में आदिवासी समुदाय के स्वामित्व वाले लघु वन उत्पाद (एमएफपी) केंद्रित बहुउद्देश्यीय वन धन विकास केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है।

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (TRIFED):

  • ट्राइफेड राष्ट्रीय स्तर का एक शीर्ष संगठन है जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
  • ट्राइफेड का उद्देश्य जनजातीय लोगों को ज्ञान, उपकरण और सूचना के साथ सशक्त बनाना है ताकि वे अपने संचालन को अधिक व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से कर सकें।
  • यह जनजातीय उत्पादकों के आधार के विस्तार हेतु राज्यों/ज़िलों/गांँवों में सोर्सिंग स्तर पर नए कारीगरों और उत्पादों की पहचान करने के लिये जनजातीय कारीगर मेलों (Tribal Artisan Melas- TAMs) का आयोजन करता है।
  • यह  न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के माध्यम से लघु वनोत्पाद  (MFP) के विपणन के लिये तंत्र और MFP हेतु मूल्य शृंखला के विकास हेतु जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र से भी जुड़ा  है।
  • ट्राइफेड जनजातीय आजीविका कार्यक्रम के साथ कौशल विकास और सूक्ष्म उद्यमिता कार्यक्रम का भी विस्तार कर रहा है।

जनजातीय आजीविका कार्यक्रम

  • वन अधिकार अधिनियम, 2006: इसने जनजातीय समुदायों को पर्याप्त स्वामित्व अधिकार दिये  हैं। यह इस मायने में एक पथप्रदर्शक अधिनियम है कि पहली बार इसने न केवल पारंपरिक वनवासियों को वन भूमि के वैध मालिकों के रूप में मान्यता दी, बल्कि उनके संरक्षण हेतु भी जवाबदेह बनाया।
  • पेसा ‘पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) विधेयक, 1996: यह ग्राम पंचायत को वन उपज और जनजातियों के मुद्दों के समाधान  हेतु स्वामित्व और अधिकार प्रदान करता है।
  • जनजातियों की शिक्षा: जनजातीय समुदायों के बच्चों की शिक्षा के लिये आदिवासी बहुल प्रखंडों में कई बालिका छात्रावास और आश्रम स्थापित किये गए हैं।              
  • वनबंधु कल्याण योजना: यह भारत की जनजातीय आबादी के समग्र विकास और कल्याण हेतु केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है।
    • इस योजना में देश की जनजातीय आबादी को अन्य सामाजिक समूहों के बराबर लाने और उन्हें राष्ट्र की समग्र प्रगति में शामिल करने का प्रस्ताव है।
    • सरकार का उद्देश्य मानव विकास सूचकांकों में अवसंरचनात्मक अंतरालों और कमियों को दूर करके आदिवासियों का समग्र विकास करना है। 
  • जनजातीय हस्तशिल्प: वनों के घटते क्षेत्रफल के कारण आदिवासियों के लिये रोज़गार के अवसर कम होते जा रहे हैं।
    • ट्राइफेड द्वारा ट्राइब्स इंडिया की स्थापना की गई है, जो शोरूम की एक शृंखला है, जहांँ जनजातीय वस्त्र, आदिवासी आभूषण जैसे हस्तशिल्प की कई श्रेणियों का विपणन किया जा रहा है।
    • ट्राइफेड जनजातियों के क्षमता निर्माण हेतु भी कार्य कर रहा है।

स्रोत: पी. आई.बी   


भारत के राष्ट्रीय ध्वज संबंधी नियम

प्रिलिम्स के लिये

भारतीय ध्वज संबंधी विभिन्न नियम, भारतीय मानक ब्यूरो

मेन्स के लिये

भारतीय ध्वज संहिता, 2002

चर्चा में क्यों?

15 अगस्त, 2021 को भारत ने अपना 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया और हर वर्ष की तरह इस बार भी भारतीय प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।

प्रमुख बिंदु

भारतीय झंडे को अपनाने का इतिहास

  • 1906:
    • ध्यातव्य है कि पहला राष्ट्रीय ध्वज, जिसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ शामिल थीं, 07 अगस्त, 1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में ‘लोअर सर्कुलर रोड’ के पास पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था।
  • 1921:
    • बाद में वर्ष 1921 में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकय्या ने महात्मा गांधी से मुलाकात की और ध्वज के एक मूल डिज़ाइन का प्रस्ताव रखा, जिसमें दो लाल और हरे रंग के बैंड शामिल थे।
  • 1931:
    • कई बदलावों से गुज़रने के बाद वर्ष 1931 में कराची में काॅन्ग्रेस कमेटी की बैठक में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था।
  • 1947:
    • 22 जुलाई, 1947 को हुई संविधान सभा की बैठक के दौरान भारतीय ध्वज को उसके वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था।

भारतीय तिरंगे से संबंधित नियम

  • प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग रोकथाम) अधिनियम, 1950:
  • यह राष्ट्रीय ध्वज, सरकारी विभाग द्वारा उपयोग किये जाने वाले चिह्न, राष्ट्रपति या राज्यपाल की आधिकारिक मुहर, महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री के चित्रमय निरूपण तथा अशोक चक्र के उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
  • राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971:
    • यह राष्ट्रीय ध्वज, संविधान, राष्ट्रगान और भारतीय मानचित्र सहित देश के सभी राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान को प्रतिबंधित करता है।
    • यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के तहत निम्नलिखित अपराधों में  दोषी ठहराया जाता है, तो वह 6 वर्ष की अवधि के लिये संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य हो जाता है।
      • राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना।
      • भारत के संविधान का अपमान करना।
      • राष्ट्रगान के गायन को रोकना।
  • भारतीय ध्वज संहिता, 2002:
    • इसने ध्वज के सम्मान और उसकी गरिमा को बनाए रखते हुए तिरंगे के अप्रतिबंधित प्रदर्शन की अनुमति दी।
    • ध्वज संहिता, ध्वज के सही प्रदर्शन को नियंत्रित करने वाले पूर्व मौजूदा नियमों को प्रतिस्थापित नहीं करता है।
      • हालाँकि यह पिछले सभी कानूनों, परंपराओं और प्रथाओं को एक साथ लाने का एक प्रयास था।
    • भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बाँटा गया है: 
      • पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण है। 
      • दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है।
      • संहिता का तीसरा भाग केंद्र और राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के विषय में जानकारी देता है।
    • इसमें उल्लेख है कि तिरंगे का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये नहीं किया जा सकता है।
    • इसके अलावा ध्वज का उपयोग उत्सव के रूप में या किसी भी प्रकार की सजावट के प्रयोजनों के लिये नहीं किया जाना चाहिये।
    • आधिकारिक प्रदर्शन के लिये केवल भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप और उनके चिह्न वाले झंडे का उपयोग किया जा सकता है।
  • संविधान का भाग IV-A:
    • संविधान का भाग IV-A (जिसमें केवल एक अनुच्छेद 51-A शामिल है) ग्यारह मौलिक कर्तव्यों को निर्दिष्ट करता है।
    • अनुच्छेद 51 A (a) के अनुसार, भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों एवं संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


संवाद (SAMVAD) कार्यक्रम

प्रिलिम्स के लिये

संवाद कार्यक्रम, पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रबंधन पर दिशा-निर्देश, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम (MHCA) 2017

मेन्स के लिये

मानसिक स्वास्थ्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संवाद कार्यक्रम का दूसरा चरण शुरू किया है। दूसरा चरण, कार्यक्रम के एक वर्ष पूरा होने पर शुरू किया गया था।

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन बच्चों के लिये मानसिक स्वास्थ्य तक पहुँच बनाना है जो बच्चे तस्करी के शिकार या अनाथ हैं।
  • इससे पहले सरकार ने कोविड-19 के कारण अनाथ हुए सभी बच्चों के लिये एक विशेष “पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन” योजना की घोषणा की थी।

प्रमुख बिंदु

  • संवाद  (SAMVAD)- कमज़ोर परिस्थितियों में बच्चों के लिये समर्थन, सहायता और मानसिक स्वास्थ्य उपायों और संकट (SAMVAD) कार्यक्रम है।
  • वित्तपोषण: इस पहल का वित्तपोषण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया गया है।
  • कार्यान्वयन निकाय: इसका नेतृत्व राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) द्वारा किया जाता है।
    • NIMHANS मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान शिक्षा का शीर्ष केंद्र है। यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्वायत्त रूप से संचालित है।
    • हाल ही में गृह मंत्रालय के अनुरोध पर NIMHANS ने कैदियों और जेल कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रबंधन पर दिशा-निर्देशों का एक सेट जारी किया।
  • उद्देश्य
    • यह एक राष्ट्रीय पहल और एकीकृत संसाधन है जो कठिन परिस्थितियों में बच्चों की सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक देखभाल का कार्य करता है।
    • इसमें बचपन के आघात, कानून के उल्लंघन में बच्चों के लिये हस्तक्षेप, बच्चे और किशोर मनोरोग में फोरेंसिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर एक विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शामिल है।
    • गोद लेने के संदर्भ में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सहायता, सुरक्षा तथा देखभाल।
    • यह पहल बाल संरक्षण कार्यकर्त्ताओं, टेली-परामर्शदाताओं, शिक्षकों, कानूनी पेशेवरों सहित करीब 1 लाख हितधारकों को प्रशिक्षित कर संकटग्रस्त बच्चों के लिये मुकाबला तंत्र प्रदान कर रही है।
  • स्थानीय निकायों के साथ एकीकरण: संवाद पंचायती राज प्रणाली के साथ बाल संरक्षण और मानसिक स्वास्थ्य को एकीकृत करने तथा जागरूकता पैदा करने व ज़मीनी स्तर पर सेवा वितरण में सुधार के लिये देश भर के आकांक्षी ज़िलों में काम शुरू करने हेतु तैयार है।

मानसिक स्वास्थ्य

परिचय

  • मानसिक स्वास्थ्य का आशय कल्याण की ऐसी स्थिति से है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी क्षमताओं का एहसास करता है, जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, उत्पादक रूप से काम कर सकता है और अपने समुदाय में योगदान करने में सक्षम है।
  • शारीरिक स्वास्थ्य की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य भी जीवन के प्रत्येक चरण में- बचपन और किशोरावस्था से लेकर वयस्कता तक महत्त्वपूर्ण है।

भारतीय परिदृश्य

  • द लैंसेट साइकियाट्री द्वारा फरवरी 2020 में प्रकशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष  2017 तक भारत में 197.3 मिलियन लोग मानसिक विकारों से ग्रस्त थे।
  • शीर्ष मानसिक रोगों में अवसादग्रस्तता विकार (45.7 मिलियन) और चिंता एवं तनाव संबंधी विकार (44.9 मिलियन) शामिल थे।
  • भारत में कुल बीमारियों में मानसिक विकारों की हिस्सेदारी ‘विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष’ (Disability Adjusted Life Years- DALY) के आधार पर वर्ष 1990 में 2.5 प्रतिशत थी तथा वर्ष 2017 में यह बढ़कर 4.7 प्रतिशत हो गई। 

सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP): मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानसिक विकारों के भारी बोझ और योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिये सरकार द्वारा वर्ष 1982 से ‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ (NMHP) को क्रियान्वित किया जा रहा है।
    • वर्ष 2003 में दो योजनाओं को शामिल करने के लिये इस कार्यक्रम की रणनीति को पुनः निर्धारित किया गया था। ये योजनाएँ थीं- राज्य मानसिक अस्पतालों का आधुनिकीकरण और मेडिकल कॉलेजों/सामान्य अस्पतालों के मनोरोग विंग का उन्नयन।
  • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017: यह मानसिक विकास से प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति को सरकार द्वारा संचालित या वित्तपोषित सेवाओं से मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और उपचार तक पहुँच की गारंटी देता है।
    • इस अधिनियम ने IPC की धारा 309 के उपयोग के दायरे को काफी कम कर दिया है और आत्महत्या करने के प्रयास को केवल एक अपवाद के रूप में दंडनीय बना दिया है।
    • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम (MHCA) 2017 ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ (जिसे भारत ने वर्ष 2007 में अनुमोदित किया) की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये वर्ष 2018 में लागू हुआ था।

अन्य पहलें

  • किरण: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या का विचार और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना कर रहे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिये 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन शुरू की है।
  • मनोदर्पण पहल: यह आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है। इसका उद्देश्य कोविड-19 के दौरान छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिये मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना है।

स्रोत: पी.आई.बी.


इब्‍सा फोरम

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र, इब्सा, बांडुंग सम्मेलन 1955, गुटनिरपेक्ष आंदोलन

मेन्स के लिये:

IBSA का गठन एवं इसके उद्देश्य, एक अवसर के रुप में IBSA 

चर्चा के क्यों?  

हाल ही में भारत द्वारा भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका (India-Brazil-South Africa- IBSA) के पर्यटन मंत्रियों की वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया।

  • भारत वर्तमान में IBSA का अध्यक्ष है।

IBSA-Forum

प्रमुख बिंदु 

IBSA के बारे में:

  • IBSA, दक्षिण-दक्षिण सहयोग और विनिमय (South-South Cooperation and Exchange) को बढ़ावा देने हेतु भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के मध्य एक त्रिपक्षीय विकासात्मक पहल है।
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग (SSC) का विचार कोई नया नहीं है बल्कि इस फोरम के उद्भव की पहल  बांडुंग सम्मेलन 1955, गुटनिरपेक्ष आंदोलन 1961, जी77 समूह, अंकटाड, ब्यूनस आयर्स प्लान ऑफ एक्शन-1978 और वर्ष 2009 की नैरोबी घोषणा में देखी जा सकती है। 

गठन: 

  • इस समूह को औपचारिक रूप और IBSA संवाद मंच/फोरम का नाम उस दौरान दिया गया जब तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने 6 जून, 2003 को ब्रासीलिया (ब्राज़ील) में मुलाकात की और ब्रासीलिया घोषणा जारी की गई।

मुख्यालय: 

  • IBSA का कोई मुख्यालय या स्थायी कार्यकारी सचिवालय नहीं है।
  • उच्चतम स्तर पर इसे राज्य और सरकार के प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में के रुप में देखा जाता है।
    • अब तक IBSA के पांँच शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है। 5वांँ IBSA शिखर सम्मेलन वर्ष 2011 में प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका) में आयोजित किया गया था। छठे IBSA शिखर सम्मेलन की मेज़बानी भारत द्वारा की जानी है।

संयुक्त नौसेना अभ्यास:

  • IBSAMAR (इब्सा समुद्री अभ्यास), IBSA त्रिपक्षीय रक्षा सहयोग का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
  • IBSAMAR के अब तक छह संस्करण आयोजित किये जा चुके हैं, नवीनतम अक्तूबर 2018 में दक्षिण अफ्रीका के तट पर आयोजित किया गया था।

IBSA फंड/कोष:

  • वर्ष 2004 में इस कोष की स्थापना की गई। IBSA कोष (भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका गरीबी एवं भूख उन्मूलन सुविधा) एक अनूठा कोष है जिसके माध्यम से सदस्य विकासशील देशों में इब्सा वित्तपोषण के साथ विकास परियोजनाओं को निष्पादित किया जाता है।
  • इस कोष का प्रबंधन संयुक्त राष्ट्र (UN) ऑफिस फॉर साउथ-साउथ कोऑपरेशन (UNOSSC) द्वारा किया जाता है। प्रत्येक IBSA सदस्य देश को इस कोष में प्रतिवर्ष 1 मिलियन डालर का योगदान करना आवश्यक है।
  • उद्देश्य:
    • दक्षिणी देशों में गरीबी एवं भूख का उन्मूलन करना
    • वैश्विक दक्षिण देशों में प्रतिकृति एवं स्केलेबल परियोजनाओं के निष्पादन की सुविधा के माध्यम से गरीबी एवं भूख के खिलाफ लड़ाई में सर्वोत्तम प्रथाओं का विकास करना
    • दक्षिण-दक्षिण सहयोग एजेंडा का नेतृत्व करना
    • विकास के लिये नई साझेदारियों का निर्माण करना।

IBSA फैलोशिप कार्यक्रम:

  • यह विश्व स्तर पर सतत् विकास के समन्वय और समर्थन के लिये एक बहुपक्षीय संस्थागत ढाँचे; मैक्रो-अर्थव्यवस्था, व्यापार व विकास के क्षेत्र में सहयोग एवं सूचना के आदान-प्रदान हेतु संयुक्त अनुसंधान तथा किसी अन्य क्षेत्र जो IBSA ढाँचे के भीतर महत्त्वपूर्ण हो सकता है, पर ध्यान केंद्रित  करता है।

अब तक का प्रदर्शन

  • ब्रिक्स के उदय के मद्देनज़र इसकी प्रासंगिकता:
    • ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) जैसे समान समूहों के उद्भव के मद्देनज़र समूह को अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिये एक मौलिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
    • IBSA अब तक अपना छठा शिखर सम्मेलन आयोजित करने हेतु भी असमर्थ था।
  • मानव विकास परियोजनाओं का निष्पादन:
    • बीते कुछ वर्षों में इसने 39 मिलियन डॉलर का योगदान दिया है और कुल 26 परियोजनाओं को लागू करने के लिये ‘वैश्विक दक्षिण’ (Global South) के 19 देशों के साथ साझेदारी की है।
    • इन परियोजनाओं को गिनी बिसाऊ, सिएरा लियोन, केप वर्डे, बुरुंडी, कंबोडिया, हैती, फिलिस्तीन, वियतनाम और अन्य देशों में वित्तपोषित किया गया है।
    • IBSA फंड को विभिन्न क्षेत्रों में इसके बेहतर कार्य के लिये मान्यता दी गई है और इसे ‘संयुक्त राष्ट्र साउथ-साउथ पार्टनरशिप अवार्ड 2006’, ‘यूएन मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स अवार्ड 2010 और वर्ष 2012 में ‘साउथ-साउथ एंड ट्राएंगुलर कोऑपरेशन चैंपियंस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है।

    अवसर:

    • ब्रिक्स के उदय में:
      • पहले (MERCOSUR -SACU-India) त्रिपक्षीय PTA (अधिमान्य व्यापार समझौता) और अंततः एक मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTA) सुनिश्चित करने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करना, समूह की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। (ब्राज़ील के लिये मर्कोसुर और दक्षिण अफ्रीका हेतु SACU)।
        • सदर्न कॉमन मार्केट (इसके स्पेनिश आद्याक्षर के लिये MERCOSUR) एक क्षेत्रीय एकीकरण प्रक्रिया है, जिसे शुरू में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, पराग्वे और उरुग्वे द्वारा स्थापित किया गया था तथा बाद में वेनेजुएला और बोलीविया इसमें शामिल हो गए।
        • दक्षिणी अफ्रीकी सीमा शुल्क संघ (SACU) में बोत्सवाना, लेसोथो, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और स्वाज़ीलैंड शामिल हैं। SACU सचिवालय नामीबिया में स्थित है। SACU की स्थापना 1910 में हुई थी, जिससे यह दुनिया का सबसे पुराना सीमा शुल्क संघ बन गया।
      • समूह को ब्रिक्स और जी-20 जैसे अन्य समूहों में एक संयुक्त लॉबी के रूप में एक साथ काम करना चाहिये, जिसके वे सदस्य हैं।
    • बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार:
      • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी), आईएमएफ आदि जैसे सुधार संस्थान विकासशील देशों के बीच आर्थिक विकास के सिद्धांत के संबंध में आम सहमति बनाने के लिये कुछ आवश्यक शर्त रखते हैं।
        • भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका की यूएनएससी के स्थायी सदस्य बनने की प्रबल आकांक्षाएँ हैं।

    आगे की राह:

    • फोरम भविष्य के वैश्विक संस्थागत सुधारों हेतु एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है, यह सामूहिक रूप से एक नियम-आधारित और पारदर्शी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं वित्त प्रणाली स्थापित करने का प्रयास करता है।
    • विकास में सहयोग हेतु एक नया साझेदारी आधारित मॉडल पेश करके इस मंच ने वैश्विक दक्षिण के विकास के एजेंडे को तेज़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
    • 'जन केंद्रित' दृष्टिकोण वह है जो दक्षिण-दक्षिण सहयोग को अन्य साझेदारी मॉडल से अलग करता है और इसके उन्नयन को निर्धारित करता है। विशेष रूप से जन-केंद्रित सामाजिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के पुनर्गठन और वैश्विक शासन सुधार संस्थानों के विकास  में तेज़ी लाने में मदद मिलेगी।

    स्रोत: पी.आई.बी.


    75वें स्वतंत्रता दिवस पर पहल

    प्रीलिम्स के लिये 

    गति शक्ति मास्टर प्लान, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, चावल फोर्टीफाइड योजना, हरित हाइड्रोजन

    चर्चा में क्यों?

    75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कई उपायों/पहलों की घोषणा की और अगले 25 वर्षों को भारत के लिये शानदार बनाने का आह्वान किया।

    • स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि 14 अगस्त को अब विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

    प्रमुख बिंदु

    गति शक्ति मास्टर प्लान:

    • यह 'समग्र बुनियादी ढाँचे' के विकास के लिये 100 लाख करोड़ रुपए की परियोजना है।
    • यह स्थानीय निर्माताओं की वैश्विक प्रोफाइल को बढ़ाने में मदद करेगा और उन्हें दुनिया भर में अपने समकक्षों के साथ प्रतिस्पर्द्धा में मदद करेगा। यह भविष्य के नए आर्थिक क्षेत्रों की संभावनाओं को भी जन्म देता है।
    • यह भविष्य में युवाओं के लिये रोज़गार के अवसरों का एक स्रोत होगा।

    राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन:

    • राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन और हरित हाइड्रोजन क्षेत्र भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होंगे।
      • पवन और सौर जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइज़र का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित कर ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है।
    • यह भारत को ऊर्जा स्वतंत्र बनने में भी मदद करेगा। वर्तमान में भारत ऊर्जा आयात पर 12 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करता है।

    चावल फोर्टीफाइड योजना:

    वंदे भारत ट्रेनें:

    • 75 वंदे भारत ट्रेनें 'आजादी का अमृत महोत्सव' को चिह्नित करने के लिये 75 सप्ताह में देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ेंगी।
    • वंदे भारत, स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन सेट को बढ़ावा दिया जा रहा है, रेलवे ने उनमें से कम-से-कम 10 को रोल आउट करने के लिये अगस्त 2022 तक लगभग 40 शहरों को जोड़कर स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के लिये तैयार किया है।

    लड़कियों के लिये सैनिक स्कूल:

    • देश के सभी सैनिक स्कूल अब लड़कियों के लिये भी खुलेंगे। देश में इस समय 33 सैनिक स्कूल चल रहे हैं।
    • सैनिक स्कूल सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा चलाए जाते हैं जो रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
    • सैनिक स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य छात्रों को कम उम्र से ही भारतीय सशस्त्र बलों में प्रवेश के लिये तैयार करना था।

    स्वयं सहायता समूहों के लिये ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म:

    • यह डिजिटल प्लेटफॉर्म महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को देश के साथ-साथ विदेशों में भी दूर-दराज़ के लोगों से जोड़ेगा और इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
    • सरकार अपने उत्पादों के लिये देश और विदेश में एक बड़ा बाज़ार सुनिश्चित करने के लिये एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाएगी।
    • गाँवों में आठ करोड़ से अधिक महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं और वे शीर्ष उत्पादों को डिज़ाइन करती हैं।

    विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस:

    • 14 अगस्त को अब विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
    • यह दिन भारतीयों को सामाजिक विभाजन, वैमनस्य को दूर करने तथा एकता, सामाजिक सद्भाव तथा मानव सशक्तीकरण की भावना को और मज़बूत करने की आवश्यकता की याद दिलाएगा।

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


    कॉन्ग्रेशनल गोल्ड मेडल

    प्रिलिम्स के लिये

    महात्मा गांधी, कांग्रेशनल गोल्ड मेडल, रॉलेट एक्ट, असहयोग आंदोलन 

    मेन्स के लिये 

    महात्मा गांधी के अहिंसात्मक सिद्धांत 

    चर्चा में क्यों?

    हाल ही में अहिंसा के मार्गों के माध्यम से महात्मा गांधी को उनके योगदान के लिये मरणोपरांत कांग्रेशनल गोल्ड मेडल से सम्मानित करने हेतु अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव फिर से पेश किया गया है।

    • यदि पुरस्कार दिया जाता है, तो महात्मा गांधी कांग्रेशनल गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन जाएंगे, कांग्रेशनल गोल्ड मेडल अमेरिका में सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।

    प्रमुख बिंदु

    पुरस्कार के बारे में :

    • अमेरिकी कॉन्ग्रेस (विधायिका) ने विशिष्ट उपलब्धियों और योगदान के लिये राष्ट्रीय प्रशंसा की अपनी सर्वोच्च अभिव्यक्ति के रूप में स्वर्ण पदकों को कमीशन किया है।
    • पदक के पहले प्राप्तकर्त्ता अमेरिकी क्रांति (1775-83), 1812 के युद्ध और मैक्सिकन युद्ध (1846-48) के प्रतिभागी थे।
    • कुछ अन्य क्षेत्रों में अग्रदूतों के बीच अभिनेताओं, लेखकों, मनोरंजनकर्त्ताओं, संगीतकारों, खोजकर्त्ताओं, एथलीटों, मानवतावादियों और विदेशी प्राप्तकर्त्ताओं को शामिल करने के लिये इसका दायरा बढ़ाया गया था।
    • यह 1980 की अमेरिकी ग्रीष्मकालीन ओलंपिक टीम, रॉबर्ट एफ कैनेडी, नेल्सन मंडेला और जॉर्ज वाशिंगटन सहित कई अन्य लोगों को प्रदान किया गया है।
    • हाल ही में यूएस कैपिटल पुलिस को 6 जनवरी, 2021 को हुए हमले एवं घेराबंदी  से  यूएस कैपिटल की रक्षा करने वालों को पदक प्रदान किया गया था।

    अहिंसा:

    • अहिंसा का सिद्धांत- इसे अहिंसक प्रतिरोध के रूप में भी जाना जाता है, यह सामाजिक या राजनीतिक परिवर्तन करने के लिये शारीरिक हिंसा के उपयोग को अस्वीकार करता है।
      • महात्मा गांधी के अहिंसक तकनीक का सार यह है कि यह विरोधों को समाप्त करने का प्रयास करती है, लेकिन विरोधियों को नहीं।
    • अहिंसक क्रिया एक ऐसी तकनीक है इसके द्वारा जो लोग निष्क्रियता और अधीनता को अस्वीकार करते हैं और संघर्ष को आवश्यक मानते हैं, वे बिना हिंसा के अपने संघर्ष छेड़ सकते हैं।
      • अहिंसा की तीन मुख्य श्रेणियाँ हैं:
        • विरोध और अनुनय, जिसमें मार्च और जागरण शामिल है।
        • असहयोग।
        • अहिंसक हस्तक्षेप, जैसे नाकाबंदी और व्यवसाय।
    • अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2 अक्तूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।

    अहिंसा की गांधीवादी रणनीति:

    • गांधीजी ने बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और जैन धर्म के ‘अहिंसा’ के धार्मिक सिद्धांत को अपनाया तथा इसे सामूहिक कार्रवाई के लिये एक अहिंसक उपकरण में बदल दिया।
    • गांधीजी ने इसे ‘सत्याग्रह’ कहा, जिसका अर्थ है 'सत्य का बल'।
      • इस सिद्धांत के मुताबिक, किसी भी अहिंसक संघर्ष का उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी को परिवर्तित करना और उसके मन तथा उसके दिल पर जीत हासिल करना होता है।
    • उन्होंने इस सिद्धांत का उपयोग न केवल औपनिवेशिक शासन बल्कि नस्लीय भेदभाव और अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिये भी किया।
    • दक्षिण अफ्रीका में (1893-1915) उन्होंने जन आंदोलन की इस नई पद्धति यानी ‘सत्याग्रह’ के साथ नस्लवादी शासन का सफलतापूर्वक मुकाबला किया।
    • भारत में महात्मा गांधी का पहला ‘सत्याग्रह आंदोलन’ वर्ष 1917 में बिहार के चंपारण में नील की खेती करने वाले किसानों के समर्थन में था।
    • वर्ष 1919 में उन्होंने प्रस्तावित ‘रॉलेट एक्ट’ (1919) के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह शुरू करने का फैसला किया।
    • असहयोग आंदोलन (1920-22) के दौरान गांधीजी और उनके अहिंसा के नए तरीकों को लेकर लोगों में काफी उत्साह था तथा इस दौरान सभी राजनीतिक दलों एवं धर्मों के भारतीय लोग आंदोलन में शामिल हुए थे।
    • इसके अन्य उदाहरणों में- नमक सत्याग्रह (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) शामिल हैं।
    • मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, दलाई लामा, आंग सान सू की जैसे विश्व के कई प्रसिद्ध लोगों ने बापू द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण किया है और अपने-अपने समाज में समृद्धि लाए हैं।

    स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस