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द बिग पिक्चर: हरित ऊर्जा के लिये बजट 2021

  • 12 Feb 2021
  • 17 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट वित्त वर्ष 2021-22 विशेष रूप से हरित ऊर्जा पहलों पर केंद्रित है।

वर्ष 2021 के बजट में हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।

सौर ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लिये अतिरिक्त पूंजी व्यय का भी प्रस्ताव किया गया है।

प्रमुख बिंदु

बजट सुधारों में विशेष रूप से हरित विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

  • इस पहल से भारत में स्वच्छ ईंधन की खपत में वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • बजट वर्ष 2021-22 में सौर विनिर्माण, वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी एवं हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (Production-Linked Incentive- PLI) योजना के बारे में बात की गई है।
    • PLI योजना को उन्नत रसायन सेल (Advance Chemistry Cell- ACC) में भी विस्तारित किया गया है।
  • बजट में ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर तकनीकी विकास एवं ऊर्जा भंडारण के रूप में खनिजों एवं दुर्लभ-तत्त्व-आधारित बैटरी पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ बल दिया गया था।
  • हाइड्रोजन भविष्य का एक महत्त्वपूर्ण स्वच्छ ईंधन है।
  • ऐसा पहली बार है कि 20,000 बसों के लिये 18,000 करोड़ का निजी वित्तपोषण एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ अभिनव वित्तपोषण प्रस्तावित किया जा रहा है। यह भारत में सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों तथा बसों की कार्यप्रणाली के क्षेत्र में क्रांति लाएगा।
  • इस पहल का उद्देश्य निजी वाहनों पर निर्भरता को कम करना एवं इस प्रकार अंततः कार्बन फुटप्रिंट को कम करना है।

हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन

  • राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन का उद्देश्य पेट्रोलियम उपयोग, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन एवं वायु प्रदूषण को कम करना तथा अधिक विविध और कुशल ऊर्जा अवसंरचना में योगदान करना है।
  • हरित ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिये वर्ष 2021-22 में हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की शुरुआत किया जाना प्रस्तावित है।
  • हरित हाइड्रोजन मिशन इस्पात एवं सीमेंट जैसे भारी उद्योगों से न केवल कार्बन उत्सर्जन करने के लिये आवश्यक है, बल्कि यह स्वच्छ ऊर्जा आधारित इलेक्ट्रिक वाहनों (जो दुर्लभ तत्त्वों के उपयोग पर आधारित नहीं हैं) के लिये मार्ग प्रशस्त करने हेतु भी महत्त्वपूर्ण है।

वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी

  • यह नीति पुराने एवं अनुपयुक्त वाहनों को चलन से बाहर करने के लिये शुरू की जाएगी।
  • योजना के तहत 20 वर्ष से अधिक पुराने निजी वाहन एवं 15 वर्ष से अधिक पुराने व्यावसायिक वाहन स्क्रैप किये जाने के योग्य होंगे।
  • इससे ईंधन कुशल, पर्यावरण अनुकूल वाहनों को प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी जिससे वाहनों के प्रदूषण एवं तेल आयात व्यय में कमी आएगी।
  • निर्धारित अवधि पूरी होने के पश्चात् वाहनों का स्वचालित फिटनेस केंद्रों में फिटनेस परीक्षण किया जाएगा।

हरित ऊर्जा एवं सरकार

  • अग्रणी देशों में भारत: ऊर्जा क्षेत्र अथवा अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के मामले में भारत अग्रणी देशों की सूची में शामिल है।
    • भारत अपनी ऊर्जा अर्थव्यवस्था के मामले में विश्व में पाँचवें स्थान पर है।
    • भारत विश्व में चौथा सबसे बड़ा स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता वाला देश है एवं विश्व में तीसरा सबसे बड़ा स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वाला देश है।
  • सौर ऊर्जा: जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (Jawaharlal Nehru National Solar Mission- JNNSM) का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 20 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है।
    • हालाँकि वर्ष 2015 के केंद्रीय बजट में वर्ष 2022 तक सौर ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य 20 गीगावाट से बढ़ाकर 100 गीगावाट कर दिया गया था।
    • भारत की कुल सौर ऊर्जा क्षमता वर्ष 2014 से जून 2020 के बीच 11 गुना से अधिक बढ़ गई है, यह 2.6 गीगावाट से 38 गीगावाट हो गई है।
    • घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये सौर इनवर्टर पर प्रशुल्क 5% से बढ़ाकर 20% और सौर लैम्प पर 5% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: भारत सरकार ने वर्ष 2022 के अंत तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
    • इसमें पवन ऊर्जा से 60 गीगावाट, सौर ऊर्जा से 100 गीगावाट, बायोमास ऊर्जा से 10 गीगावाट एवं लघु पनबिजली से 5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना शामिल है।
      • भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वर्तमान में 136 गीगावाट है, जो इसकी कुल ऊर्जा क्षमता का लगभग 36% है।
    • वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 450 गीगावाट करने के लक्ष्य की घोषणा की गई थी।
  • हरित ऊर्जा एवं अवसंरचना विकास: बजट मुख्य रूप से अवसंरचना विकास के क्षेत्र में व्यय करने पर केंद्रित है एवं ऊर्जा को शामिल किये बिना कोई बुनियादी अवसंरचना परियोजना पूर्ण नहीं की जा सकती है।
    • हालाँकि वर्तमान संदर्भ में इसमें शामिल ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा होनी चाहिये।
    • वर्तमान में सौर ऊर्जा 2 रुपए/यूनिट उपलब्ध है जो नए कोयला विद्युत संयंत्र से उत्पन्न ऊर्जा से भी सस्ती है।
    • सौर पैनलों के निर्माण के लिये PLI योजनाओं द्वारा घरेलू विनिर्माण क्षमता में वृद्धि की गई है।
      • वर्ष 2021-22 के बजट के माध्यम से PLI योजना ऑटोमोबाइल, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक/प्रौद्योगिकी उत्पादों एवं उन्नत रसायन सेल बैटरी (इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये) के विनिर्माण सहित 10 क्षेत्रों तक विस्तारित की गई है।

उन्नत रसायन सेल (Advance Chemistry Cell)

उन्नत रसायन सेल नई पीढ़ी की उन्नत भंडारण प्रौद्योगिकियाँ हैं जो विद्युत ऊर्जा को विद्युत अथवा रासायनिक ऊर्जा के रूप में संग्रहीत कर सकती हैं और आवश्यकता पड़ने पर इसे पुनः विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती हैं।

हरित हाइड्रोजन

  • हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन केंद्रीय बजट वर्ष 2021-22 की सबसे बड़ी घोषणाओं में से एक है, जो हाइड्रोजन को हरित हाइड्रोजन के रूप में निर्दिष्ट करती है।
  • जब नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग करके जल से हाइड्रोजन का निष्कर्षण किया जाता है, तो इसे हरित हाइड्रोजन कहा जाता है।
  • भारत के लिये राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) लक्ष्य को पूरा करने, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुँच एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हरित हाइड्रोजन ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है।
  • वर्तमान में देश में लगभग 6 टन हाइड्रोजन का उत्पादन होता है जो वर्ष 2050 तक 5 गुना बढ़ जाएगा।

हरित हाइड्रोजन क्यों?

  • हाइड्रोजन एक ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा के रिक्त स्थान को भरने के लिये आवश्यक होगा।
  • गतिशीलता के संदर्भ में माल ढुलाई अथवा यात्रियों की लंबी दूरी की आवाजाही के लिये यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण पहल है।
    • रेलवे, बड़े जहाज़ों, बसों अथवा ट्रकों में हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है जहाँ लंबी दूरी की यात्रा के लिये पर्याप्त क्षमता नह होने के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  • बुनियादी अवसंरचना के साथ-साथ हाइड्रोजन प्रमुख नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने की क्षमता रखता है।
  • हाइड्रोजन का उपयोग निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है:
    • एक वाहक के रूप में।
    • पेट्रोल एवं डीज़ल के लिये एक ईंधन सह ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में।
    • प्रत्यक्ष ईंधन के रूप में।
  • जापान जैसे विश्व के कई देश हाइड्रोजन को भविष्य के ऊर्जा माध्यम के रूप में अपनाने हेतु अग्रसर हो रहे हैं।
    • जर्मनी एवं कई अन्य यूरोपीय संघ के देशों ने पहले से ही एक महत्त्वाकांक्षी हरित हाइड्रोजन नीति निर्धारित की है।
    • यहाँ तक ​​कि UAE एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देश जिन्हें पारंपरिक रूप से जलवायु कार्रवाई के प्रति पिछड़ा (Laggards) माना जाता है, हरित हाइड्रोजन की ओर अग्रसर है।

संबंधित चुनौतियाँ

  • हाइड्रोजन से उत्पन्न नवीकरणीय विद्युत की लागत प्रमुख समस्या है। सार्वजनिक निवेश को रणनीतिक एवं सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
    • इसके अतिरिक्त वर्तमान में हाइड्रोजन लागत लगभग 6- 8 डॉलर/कि.ग्रा. है जो इसके सामान्य उपयोग के लिये बहुत अधिक है।
  • अन्य मुख्य रुकावट लंबी दूरी के लिये हाइड्रोजन का परिवहन है।
    • गैसीय अवस्था में हाइड्रोजन अत्यधिक ज्वलनशील होती है।
    • तरल हाइड्रोजन के परिवहन के लिये इसे -253°C तक ठंडा करने की आवश्यकता होती है।
  • अन्य गैसों (या ईंधन) की तुलना में हाइड्रोजन गंधहीन होती है, जिससे रिसाव का पता लगाना लगभग असंभव हो जाता है और संभावित खतरा बढ़ जाता है।
  • भारत एक नवीकरणीय ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में सफल होने के लिये सिर्फ विनिर्माण क्षेत्र में ही नहीं बल्कि संपूर्ण आपूर्ति शृंखला में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहेगा।
    • वर्तमान में भारत की सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल निर्माण क्षमता लगभग 2-3 गीगावाट है।
    • वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 450 गीगावाट करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये भारत को प्रतिवर्ष 30-40 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की आवश्यकता है, जिसके लिये निम्नलिखित की आवश्यकता होगी:
      • अधिकतम घरेलू विनिर्माण क्षमता।
      • सौर पैनलों पर सीमा शुल्क बढ़ाना क्योंकि यह भारत में घरेलू निर्माताओं द्वारा सौर पैनलों के विनिर्माण को प्रोत्साहित करेगा एवं संपूर्ण आपूर्ति शृंखला को मज़बूत बनाएगा।

आगे की राह

  • प्राथमिक पहलें: भारत को इतने बड़े मिशन की शुरुआत के लिये एक रणनीति की आवश्यकता है, जैसे कि कुछ प्राथमिक पहलें।
    • हाइड्रोजन, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों में से एक है जिस पर भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा एवं परिवहन के दृष्टिकोण से विचार करने की आवश्यकता है।
  • सभी स्तरों पर प्रयास: बजट का दृष्टिकोण यह बताता है कि केवल केंद्रीय स्तर पर ही नहीं राज्य स्तर पर भी बहुत कुछ किया जाना आवश्यक है।
    • भारत के 11 से अधिक राज्यों ने स्वयं की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी योजनाओं की शुरुआत की है और वे न केवल विनिर्माण अथवा रोज़गार बल्कि मांग सृजन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
  • सभी विकल्पों की खोज करना: केवल एक वैकल्पिक संसाधन पर ही निर्भर न रहना बल्कि अन्य विकल्पों की भी खोज करना।
    • इंट्रा अथवा इंटर-सिटी आवागमन के लिये विभिन्न प्रौद्योगिकियाँ साथ-साथ कार्य कर सकती हैं एवं विभिन्न प्रकार से योगदान दे सकती हैं।
    • 1 किलोग्राम हाइड्रोजन लगभग 100 किमी. दूरी तय करने के लिये पर्याप्त हो सकता है लेकिन समान दूरी तय करने के लिये लगभग 7-8 लीटर पेट्रोल की आवश्यकता होती है।
  • हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा अवधारणा को बढ़ावा देना: उत्पादों की ग्रीन लेबलिंग करने की आवश्यकता है ताकि उपभोक्ताओं को पता चले कि वे जिन संसाधनों का उपभोग कर रहे हैं, वे पर्यावरण के अनुकूल हैं।
    • हरित ऊर्जा का उपयोग करने के लिये प्रेरित किये जाने हेतु उन्हें उस ऊर्जा के लाभों से अवगत कराया जाना चाहिये जिसका वे उपभोग कर रहे हैं। साथ ही व्यापक विपणन एवं जागरूकता अभियान भी इसमें सहायक हो सकते हैं।
  • क्षमता निर्माण: केवल जागरूकता नहीं बल्कि उद्योगों की क्षमता निर्माण का प्रयास किया जाना चाहिये ताकि हमारे पास विनिर्माण एवं अंततः अधिक रोज़गार के अवसर उपलब्ध हों।
    • हरित ऊर्जा अवसंरचना की स्थापना एवं कार्बन उत्सर्जन को कम करते हुए एक रोडमैप तैयार करना जहाँ हम रोज़गार उत्पन्न कर सकते हैं।
  • अनुसंधान एवं विकास पर विशेष व्यय: हाइड्रोजन ऊर्जा में अनुसंधान एवं विकास तथा ई-वाहनों में प्रौद्योगिकी अपनाने पर व्यय किया जाना चाहिये क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ भारत सौर फोटोवोल्टिक में असफल रहा है।
    • सौर ऊर्जा के संदर्भ में भारत को अपने विभिन्न भौगोलिक स्थानों का लाभ अर्जित करने तथा हाइड्रोजन ऊर्जा के एक उभरते विकल्प से पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को प्रतिस्थपित करने हेतु अनुसंधान एवं विकास तथा बुनियादी अवसंरचना में अधिक पूंजी व्यय करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

हरित ऊर्जा प्राप्ति की ओर बढ़ना वास्तव में एक चहुँमुखी लाभ की स्थिति है, यह न केवल स्वच्छ वातावरण हेतु स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देगी, बल्कि विनिर्माण एवं रोज़गार के विभिन्न क्षेत्रों को भी बढ़ावा देगी।

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