अंतर्राष्ट्रीय संबंध
UNSC में भारत : विगत योगदान तथा वर्तमान चुनौतियाँ
- 13 Jan 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) में अस्थायी सदस्य के रूप में प्रवेश किया है। परिषद में इसकी सदस्यता की अवधि दो वर्षों अर्थात् वर्ष 2021 तथा 2022 तक होगी।
प्रमुख बिंदु:
- UNSC में भारत का योगदान: इससे पहले भारत ने सात बार इस परिषद को अपनी सेवाएँ दी हैं।
- 1950-51: UNSC के अध्यक्ष के रूप में भारत ने कोरियाई युद्ध के दौरान युद्ध विराम और कोरिया गणराज्य की सहायता के लिये आमंत्रित प्रस्तावों को अपनाने हेतु इनका संचालन किया।
- 1967-68: भारत ने साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र मिशन के जनादेश का विस्तार करने वाले प्रस्ताव 238 को सह-प्रायोजित किया।
- 1972-73: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश के प्रवेश हेतु ज़ोरदार समर्थन दिया।
- 1977-78: भारत ने UNSC में अफ्रीका का प्रबल समर्थन किया और भारत ने रंगभेद के खिलाफ तथा वर्ष 1978 में नामीबिया की स्वतंत्रता के लिये आवाज़ उठाई।
- 1984-85: मध्य-पूर्व, विशेष रूप से फिलिस्तीन और लेबनान में संघर्षों के समाधान हेतु भारत ने UNSC में आवाज़ उठाई थी।
- 1991-92: भारत ने UNSC की पहली शिखर बैठक में भाग लिया और शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने में UNSC की भूमिका के महत्त्व को रेखांकित किया।
- 2011-2012: वर्ष 2011-12 के कार्यकाल के दौरान भारत ने विकासशील देशों के मुद्दों के साथ-साथ शांति व्यवस्था, आतंकवाद पर नियंत्रण और अफ्रीका आदि से संबंधित मुद्दों पर आवाज़ उठाई। भारत की अध्यक्षता के दौरान ही UNSC द्वारा सीरिया पर पहली बार बयान जारी किया गया था।
- वर्ष 2011-12 में अपने कार्यकाल के दौरान भारत ने आतंकवाद पर नियंत्रण से संबंधित यूएनएससी 1373 समिति, आतंकवादी गतिविधियों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये खतरे से संबंधित 1566 वर्किंग ग्रुप, सोमालिया और इरिट्रिया से संबंधित सुरक्षा परिषद 751/1907 समिति की अध्यक्षता की थी।
- वर्ष 1996 में भारत ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये एक व्यापक कानूनी ढाँचा प्रदान करने के उद्देश्य से ‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय’ (Comprehensive Convention on International Terrorism- CCIT) का मसौदा तैयार करने की पहल की।
- भारत ने पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर को अल-कायदा, ISIS और संबंधित व्यक्तियों तथा संस्थाओं से संबंधित UNSC की 1267 प्रतिबंध समिति (मई 2019) के तहत सूचीबद्ध करने के लिये UNSC में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम किया, गौरतलब है कि यह मामला वर्ष 2009 से लंबित था।
UNSC में भारत की चुनौतियाँ:
- चीन की चुनौती:
- भारत ऐसे समय में UNSC में प्रवेश कर रहा है जब चीन वैश्विक स्तर पर स्वयं को पहले से कहीं ज़्यादा आक्रामक रूप में प्रस्तुत कर रहा है। वर्तमान में चीन संयुक्त राष्ट्र के कम-से-कम छह संगठनों का नेतृत्त्व करता है और इसने कई मौकों पर वैश्विक नियमों को चुनौती दी है।
- वर्ष 2020 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ भारत-चीन सीमा पर वर्ष भर चीन का आक्रामक व्यवहार देखने को मिला है।
- चीन ने UNSC में कश्मीर के मुद्दे को उठाने की कोशिश की है।
- COVID-19 के बाद की वैश्विक व्यवस्था:
- वर्तमान में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था भारी अस्थिरता की स्थिति से गुज़र रही है और कई देश स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कर रहे हैं। इन सभी स्थितियों को संभालने और विश्व को इस चुनौती से बाहर निकालने के लिये एक सुविचारित रणनीति की आवश्यकता है।
- अमेरिका, रूस और अस्थिर पश्चिम एशिया के बीच संतुलन:
- अमेरिका और रूस के बिगड़ते संबंधों तथा अमेरिका एवं ईरान के बढ़ने तनाव के बीच भारत के लिये स्थितियों को संभालना कठिन होगा।
- ऐसे में भारत द्वारा मानव अधिकारों का सम्मान और राष्ट्रीय हितों को सुनिश्चित करते हुए एक नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (Nations Security Council) सहित संयुक्त राष्ट्र के अन्य छह मुख्य अंगों की स्थापना संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई। UNSC की संरचना की व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 23 में है।
- सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है जिसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम करना है।
- संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंग सदस्य राज्यों के लिये सिफारिशें करते हैं, किंतु सुरक्षा परिषद के पास सदस्य देशों के लिये निर्णय लेने और बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने की शक्ति होती है।
- स्थायी और अस्थायी सदस्य: UNSC का गठन 15 सदस्यों (5 स्थायी और 10 गैर-स्थायी) द्वारा किया गया है।
- सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन हैं। गौरतलब है कि इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को दो साल के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है।
- दस गैर-स्थायी सीटों का वितरण क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है:
- इसमें पाँच सदस्य एशियाई या अफ्रीकी देशों से, दो दक्षिण अमेरिकी देशों से, एक पूर्वी यूरोप से और दो पश्चिमी यूरोप या अन्य क्षेत्रों से चुने जाते हैं।
- भारत UNSC में एक स्थायी सीट की वकालत करता रहा है।
- भारत जनसंख्या, क्षेत्रीय आकार, जीडीपी, आर्थिक क्षमता, संपन्न विरासत और सांस्कृतिक विविधता तथा संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों में विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में योगदान आदि सभी पैमानों पर खरा उतरता है।