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भारतीय अर्थव्यवस्था

‘लघु वनोत्पाद’ की खरीद

  • 04 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

लघु वनोत्पाद, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास

मेन्स के लिये:

लघु वनोत्पाद की खरीद प्रक्रिया को बढ़ावा देने हेतु केंद्र सरकार द्वारा किये गए प्रयास  

चर्चा में क्यों:

हाल ही में केंद्र सरकार ने COVID-19 के मद्देनज़र राज्य सरकारों को लघु वनोत्पाद (Minor Forest Produce) की खरीद प्रक्रिया में तेज़ी लाने का आग्रह किया है।

लघु वनोत्पाद (Minor Forest Produce-MFP):

  • जनजातीय लोगों की आजीविका का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत गैर-काष्ठ वनोत्पाद है, जिसे सामान्यतः लघु वनोत्पाद कहा जाता है। इसमें पौधीय मूल के सभी गैर-काष्ठ उत्पाद जैसे- बाँस, बेंत, चारा, पत्तियाँ, गम, वेक्स, डाई, रेज़िन और कई प्रकार के खाद्य जैसे मेवे, जंगली फल, शहद, लाख, रेशम आदि शामिल हैं।
  • ये लघु वनोत्पाद जंगलों में या जंगलों के नज़दीक रहने वाले लोगों को जीविका और नकद आय दोनों उपलब्ध कराते हैं। ये उनके खाद्य, फल, दवा और अन्य उपभोग वस्तुओं का एक बड़ा भाग है और बिक्री से उन्हें नकद आय भी प्रदान करता है।
  • वन अधिकार अधिनियम, 2011 पर राष्ट्रीय समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार, वनवासियों के लिये लघु वनोत्पाद का आर्थिक और सामाजिक महत्त्व है क्योंकि अनुमानतः 100 मिलियन लोग अपनी आजीविका का स्रोत लघु वनोत्पाद के संग्रह और विपणन से प्राप्त करते हैं।
  • वनों में रहने वाले लगभग 100 मिलियन लोग खाद्य, आश्रय, औषधि और नकद आय के लिये लघु वन उत्पादों पर निर्भर हैं। जनजातीय लोग अपनी वार्षिक आय का 20-40% लघु वनोत्पाद से प्राप्त करते हैं जिस पर वे अपने समय का एक बड़ा भाग खर्च करते हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि 10 राज्यों में लघु वनोत्पाद की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, साथ ही वित्त वर्ष 2020-21 के लिये अब तक कुल 20.30 करोड़ रुपए की खरीद की जा चुकी है।
  • उल्लेखनीय है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) द्वारा 1 मई, 2020 को 49 उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices-MSP) में संशोधन की घोषणा की गई है।  
    • इसके माध्यम से आदिवासियों की आय बढ़ेगी साथ ही उनको उद्यमशीलता हेतु प्रोत्साहित भी किया जाएगा।
  • राज्यों ने वन धन केंद्रों को बाज़ारों से लघु वनोत्पाद की खरीद हेतु ‘प्राथमिक खरीद एजेंट’ के रूप में नियुक्त किया है। 
    • वर्तमान में वन धन केंद्रों ने 1.11 करोड़ रुपए के 31.35 टन लघु वनोत्पाद की खरीद की है।
    • ध्यातव्य है कि प्रधानमंत्री वन धन कार्यक्रम के अंतर्गत 3.6 करोड़ जनजातीय लाभार्थियों हेतु 21 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश में 1126 वन धन विकास केंद्रों (Van Dhan Vikas Kendra- VDVK) को स्वीकृति दी गई है।
  • गिलॉय, महुआ के फूलों, हिल ग्रास और लाक के मूल्य में सबसे ज़्यादा बदलाव किया गया है, जबकि साल के बीज, बहेदा और हरड़ में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ की पहल:

  • भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (TRIFED) ने लघु वनोत्पाद की खरीद प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिये एक वन धन मॉनिट डैशबोर्ड (Van Dhan Monit Dashboard) तैयार किया है। यह डैशबोर्ड “ट्राइफेड ई-संपर्क सेतु” (TRIFED E- Sampark Setu) का हिस्सा है।
    • इस डैशबोर्ड के माध्यम से राज्य स्तर पर लघु वनोत्पादों की खरीद प्रक्रिया की सूचना दी जाएगी।
    • प्रत्येक पंचायत और वन धन केंद्र से ई-मेल या मोबाइल के माध्यम से सूचनाओं का आदान प्रदान भी किया जाएगा।
    • TRIFED ने इस डैशबोर्ड के माध्यम से 10 लाख गाँवों, ज़िलों और राज्य स्तर के भागीदारों, एजेंसियों तथा स्वयं सहायता समूह (Self-help Group-SHG) को जोड़ने का प्रस्ताव किया है। 

स्रोत: पीआईबी

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