भारत-ब्राज़ील संबंधों में प्रगाढ़ता
प्रिलिम्स के लिये:भारत-ब्राज़ील संबंध, विश्व व्यापार संगठन, चीनी सब्सिडी मुद्दे मेन्स के लिये:भारत और ब्राज़ील के बीच सहयोग तथा जुड़ाव का क्षेत्र, भारत-ब्राज़ील संबंधों की चुनौतियाँ, आगे की राह |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों ?
पिछले कुछ वर्षों में विविधतापूर्ण रही भारत-ब्राज़ील रणनीतिक साझेदारी में प्रगाढ़ता बढ़ी है, जिसमें रक्षा, अंतरिक्ष-अन्वेषण, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और लोगों के बीच संबंधों सहित कई तरह के क्षेत्र शामिल हैं।
- एक अन्य घटनाक्रम में वैश्विक चीनी उत्पादन में दो प्रमुख भागीदार भारत और ब्राज़ील ने चीनी सब्सिडी पर अपने विश्व व्यापार संगठन (WTO) व्यापार विवाद को सुलझा लिया है। यह संकल्प इथेनॉल प्रौद्योगिकी में उनके बढ़ते सहयोग से संबंधित है जिसने वैश्विक चीनी अधिशेष मुद्दों, जो कीमतों को प्रभावित करते हैं, को हल किया है।
भारत-ब्राज़ील चीनी सब्सिडी मुद्दा क्या है?
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 2019 में ब्राज़ील ने ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला के साथ मिलकर WTO में भारत के चीनी सब्सिडी मापदंड को चुनौती दायर करते हुए तर्क दिया कि भारत की चीनी सब्सिडी नीतियाँ विश्व व्यापार संगठन के कृषि समझौते के कई प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।
- अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भारत की रिपोर्टिंग में एक बहुत बड़ी कमी को भी उजागर किया, जिसमें दावा किया गया कि भारत ने विपणन वर्ष 1995-96 के बाद से किसी भी घरेलू समर्थन अधिसूचना में गन्ना या इसके डेरिवेटिव को शामिल नहीं किया है।
- भारत का रुख:
- भारत ने यह कहते हुए अपने रुख का बचाव किया कि गन्ना खरीद का प्रबंधन निजी मिलों द्वारा किया जाता है, न कि सरकार द्वारा, जिससे निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाया जा सके।
- भारत ने त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया विश्लेषण किसी दिये गए वर्ष में भारत में उत्पादित गन्ने की कुल मात्रा के आधार पर सब्सिडी की गणना करता है, भले ही गन्ना वास्तव में गन्ना (नियंत्रण) आदेश के तहत पेराई के लिये चीनी मिलों को दिया गया हो या नहीं।
भारत और ब्राज़ील के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?
- संस्थागत स्तर पर जुड़ाव: भारत और ब्राज़ील के बीच द्विपक्षीय तथा विभिन्न बहुपक्षीय मंचों जैसे BRICS, IBSA, G4, G20, BASIC, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), WTO, UNESCO एवं WIPO में बहुत करीबी एवं बहुआयामी संबंध हैं। द्विपक्षीय जुड़ाव में शामिल हैं:
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के नेतृत्व में रणनीतिक वार्ता के तहत आपसी हितों के प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को हल किया जाता है।
- भारत-ब्राज़ील बिजनेस लीडर्स फोरम व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग के अवसरों पर केंद्रित है।
- व्यापार निगरानी तंत्र (TMM), द्विपक्षीय व्यापार में मुद्दों को ट्रैक और हल करता है।
- आर्थिक और वित्तीय वार्ता जिसमें निवेश, व्यापार और मौद्रिक नीति पर सहयोग शामिल है।
- संयुक्त रक्षा आयोग, संयुक्त अभ्यास, उपकरण खरीद और आसूचना साझा करने सहित रक्षा सहयोग को सुगम बनाता है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संयुक्त समिति, अनुसंधान, विकास और ज्ञान के आदान-प्रदान में सहयोग को बढ़ावा देती है।
- व्यापार और निवेश:
- भारत वर्ष 2021 में ब्राज़ील का 5वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना और साथ ही द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2020 में 7.05 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 11.53 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
- यह व्यापर वर्ष 2022 में बढ़कर 15.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया और वर्ष 2023 में ब्राज़ील को भारत का निर्यात 6.9 बिलियन अमरीकी डॉलर एवं आयात 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हुआ।
- ब्राज़ील में भारत का प्रमुख निर्यात: कृषि रसायन, सिंथेटिक यार्न, ऑटो कंपोनेंट्स एवं पार्ट्स और ब्राज़ील से आयात में कच्चा तेल, सोना, वनस्पति तेल, चीनी तथा थोक खनिज व अयस्क शामिल हैं।
- भारत और ब्राज़ील ने ऑटोमोबाइल, आईटी, खनन, ऊर्जा, जैव ईंधन और जूते जैसे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश देखा है।
- भारत ने वर्ष 2004 में MERCOSUR (ब्राज़ील, अर्जेंटीना, उरुग्वे, पैराग्वे) के साथ एक अधिमान्य व्यापार समझौते (PTA) पर भी हस्ताक्षर किये।
- भारत वर्ष 2021 में ब्राज़ील का 5वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना और साथ ही द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2020 में 7.05 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 11.53 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
- रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग: भारत और ब्राज़ील ने वर्ष 2003 में एक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें संयुक्त रक्षा समिति (JDC) की बैठकों ने इस सहयोग को संस्थागत रूप दिया।
- वर्ष 2006 में उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने के लिये भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के नेतृत्व में एक रणनीतिक वार्ता की स्थापना की।
- इसके अतिरिक्त जनवरी 2020 में ब्राज़ील के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान CERT-In और उसके ब्राज़ीलियाई समकक्ष के बीच साइबर सुरक्षा पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग:
- भारत और ब्राज़ील के बीच वर्ष 2004 में अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में हुए समझौते से डेटा शेयरिंग तथा सैटेलाइट ट्रैकिंग में सहयोग की वृद्धि हुई।
- ब्राज़ील के मंत्री ने 2021 में अमेज़ोनिया-1 उपग्रह के प्रक्षेपण को देखने के लिये भारत का दौरा किया।
- भारत और ब्राज़ील के बीच वर्ष 2004 में अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में हुए समझौते से डेटा शेयरिंग तथा सैटेलाइट ट्रैकिंग में सहयोग की वृद्धि हुई।
- आयुर्वेद और योग को भी ब्राज़ील की स्वास्थ्य नीति में मान्यता दी गई है। जनवरी, 2020 में परंपरागत चिकित्सा और होम्योपैथी पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- ऊर्जा सुरक्षा:
- जनवरी, 2020 में भारतीय तेल निगम और ब्राजील के CNPEM के बीच भारत में जैव ऊर्जा पर एक शोध संस्थान स्थापित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- दोनों देशों ने अमेरिका के साथ मिलकर जैव ईंधन की उत्पादन और मांग को बढ़ाने के लिये वर्ष 2023 में भारत में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (GBA) की शुरुआत की।
- इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम: वर्ष 1975 से इथेनॉल उत्पादन में अग्रणी ब्राज़ील ने भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने और भारत के जैव ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तकनीकी सहायता प्रदान की है।
- ब्राज़ील ने गैसोलीन में 27% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया है, जिससे इसके 84% वाहन फ्लेक्सिबल-ईंधन इंजन से लैस हैं, जो गैसोलीन और इथेनॉल के अलग-अलग अनुपात पर गति करने में सक्षम हैं।
- जुलाई 2024 तक भारत ने पेट्रोल में 15.83% इथेनॉल मिश्रण दर हासिल कर ली है, जिसका लक्ष्य आपूर्ति वर्ष 2025-26 तक 20% तक पहुँचना है।
भारत-ब्राज़ील संबंधों में क्या चुनौतियाँ हैं?
- व्यापार घाटा और प्रतिस्पर्धा: कृषि उत्पादों में ब्राज़ील के प्रभुत्व और सोयाबीन व चीनी जैसी वस्तुओं के आयात पर भारत की निर्भरता के कारण भारत ने लगातार ब्राज़ील के साथ व्यापार घाटा बनाए रखा है।
- दोनों देशों ने घरेलू उद्योगों की रक्षा हेतु टैरिफ और सब्सिडी जैसे संरक्षणवादी उपायों को लागू किया है, जिससे व्यापार घर्षण (trade friction) उत्पन्न हुआ है तथा द्विपक्षीय व्यापार के विकास में बाधा उत्पन्न हुई है।
- वैश्विक मंचों के विविध हित: जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षीय संस्थाओं के मामले में भारत तथा ब्राज़ील की प्राथमिकताएँ अलग-अलग हैं।
- भारत उत्सर्जन तीव्रता, आर्थिक विकास एवं ऊर्जा पहुँच को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि ब्राज़ील जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अमेज़न वनों की कटाई को कम करने को प्राथमिकता देता है।
- इसी तरह संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे संगठनों में भी उनकी प्राथमिकताएँ अलग-अलग हैं।
- पीपल टू पीपल कनेक्ट : भारत और ब्राज़ील के लोगों से लोगों का संपर्क अपेक्षाकृत कम है, जिसमें व्यापार, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान शामिल हैं।
- चीन की भूमिका: इसके अतिरिक्त चिंताएँ हैं कि ब्राज़ील के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में चीन की स्थिति भारत एवं ब्राज़ील के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
आगे की राह
- आर्थिक सहयोग: भारत और ब्राज़ील को मूल्य-वर्धित उत्पादों, सेवाओं तथा प्रौद्योगिकी को शामिल करके व्यापार में विविधता लानी चाहिये। उन्हें अनुकूल निवेश वातावरण बनाने और समझौतों एवं संयुक्त उद्यमों के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त परिवहन और रसद (Transportation and Logistics) जैसी बुनियादी परियोजनाओं में निवेश करने से व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है तथा कनेक्टिविटी में सुधार हो सकता है।
- पीपल टू पीपल एक्सचेंज : सांस्कृतिक कूटनीति और छात्र आदान-प्रदान को बढ़ाने से भारत तथा ब्राज़ील के बीच विश्वास का निर्माण हो सकता है, जबकि पर्यटन को बढ़ावा देने से पीपल टू पीपल कनेक्ट और आर्थिक लाभ दोनों को बढ़ावा मिल सकता है।
- रणनीतिक सहयोग: भारत और ब्राज़ील को संयुक्त अभ्यास तथा प्रौद्योगिकी साझा करने के माध्यम से रक्षा सहयोग को बढ़ाना चाहिये, साथ ही अपने साझा हितों को आगे बढ़ाने हेतु संयुक्त राष्ट्र और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर एक साथ कार्य करना चाहिये।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार: भारत और ब्राज़ील को नवाचार तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये अक्षय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी एवं आईटी में अनुसंधान एवं विकास पर सहयोग करना चाहिये। इसके अतिरिक्त कौशल विकास व प्रशिक्षण में निवेश करने से दोनों देशों में कार्यबल प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिल सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत-ब्राज़ील संबंधों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा कीजिये, सहयोग के लिये प्रमुख अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डालिये। व्यापार, प्रौद्योगिकी तथा सतत् विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने की रणनीतियों का भी सुझाव दीजिये। |
अधिक पढ़ें: इथेनॉल उत्पादन, WTO स्क्रूटनी के तहत भारत की गन्ना सब्सिडी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में गन्ने की खेती में वर्तमान प्रवृत्तियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कभी-कभी समाचारों में 'एम्बर बॉक्स, ब्लू बॉक्स और ग्रीन बॉक्स' शब्द देखने को मिलते हैं? (2016) (a) WTO मामला उत्तर: (a) प्रश्न. गन्ने की उचित एवं लाभप्रद कीमत (FRP) को निम्नलिखित में से कौन अनुमोदित करता/करती है? (2015) (a) आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न 1. यदि 'व्यापार युद्ध' के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) को जिंदा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (2018) प्रश्न 2. "विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन तथा प्रोन्नति करना है। परंतु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोंमुखी प्रतीत होती है, जिसका कारण विकसित एवं विकासशील देशों के बीच मतभेद है।" भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस पर चर्चा कीजिये। (2016) प्रश्न 3. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जहाँ लिये गए निर्णय देशों को गहराई से प्रभावित करते हैं। डब्ल्यू. टी. ओ. का क्या अधिदेश (मैंडेट) है और उसके निर्णय किस प्रकार बंधनकारी हैं? खाद्य सुरक्षा पर विचार-विमर्श के पिछले चक्र पर भारत के दृढ़ मत का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (2014) |
परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ (ARC) संबंधी चिंताएँ
प्रिलिम्स के लिये:परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ (ARC), गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA), प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियाँ (AUM), खुदरा NPA, राष्ट्रीय एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL), दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, (IBC), SARFAESI अधिनियम, 2002, मैदावोलु नरसिम्हम, योग्य खरीदार मेन्स के लिये:परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARCs) के कामकाज़ में चुनौतियाँ और उपचारात्मक उपाय |
स्रोत: लाइव मिंट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मार्च 2024 तक गैर-निष्पादित परिसंपात्तियों (Non Performing Assets- NPA) का स्तर घटकर 12 वर्ष के निम्नतम स्तर 2.8% पर पहुँच गया जिसके कारण परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (Asset Reconstruction Companies- ARC) की संवृद्धि में मंदी देखी गई।
- रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार 2023-2024 में स्थिर रहने के बाद ARC द्वारा प्रबंधन के अधीन संपत्ति (AUM) 2024-2025 में 7-10% तक घट जाएगी।
परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARC) से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?
- कम व्यावसायिक संभावना: नई गैर-निष्पादित कॉर्पोरेट परिसंपत्तियों में कमी ने ARC को छोटे कम लाभदायक खुदरा ऋणों पर ध्यान केंद्रित करने के लिये प्रेरित किया है।
- चूँकि नई गैर-निष्पादित कॉर्पोरेट परिसंपत्तियों की संख्या में कमी आ रही है, इसलिये ARC लघु, कम लाभदायक खुदरा ऋणों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- इस बदलाव के बावजूद खुदरा NPA में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है, जो ARC के लिये अवसरों को और सीमित करता है।
- निवेश में वृद्धि का अधिदेश: अक्तूबर 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ARC को बैंक निवेश का कम से कम 15% प्रतिभूति रसीदों (Security Receipts) में या जारी की गई कुल प्रतिभूति रसीदों का 2.5%, जो भी अधिक हो, निवेश करने का निर्देश दिया।
- निवल स्वाधिकृत निधि आवश्यकताएँ: अक्तूबर 2022 में RBI ने ARC के लिये न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि (Net Owned Funds) आवश्यकता को 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपए कर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ARC की बैलेंस शीट सुदृढ़ हो।
- इस निर्णय ने ARC के पूंजी उपयोग पर अतिरिक्त बाधाएँ लगाईं, जिसमें कई ₹300 करोड़ की आवश्यकता को पूरा करने के लिये संघर्ष कर रहे थे, जिससे कंपनियों के बीच विलय हुए अथवा कई कंपनियाँ क्षेत्र से बाहर हुईं।
- निवल स्वाधिकृत निधि, निवल मूल्य (Net Worth) के समान होती हैं तथा इन्हें कंपनी के स्वामित्व तथा बकाया राशि के बीच के अंतर के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- इस निर्णय ने ARC के पूंजी उपयोग पर अतिरिक्त बाधाएँ लगाईं, जिसमें कई ₹300 करोड़ की आवश्यकता को पूरा करने के लिये संघर्ष कर रहे थे, जिससे कंपनियों के बीच विलय हुए अथवा कई कंपनियाँ क्षेत्र से बाहर हुईं।
- NARCLसे प्रतिस्पर्द्धा: राज्य के स्वामित्व वाली राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (NARCL) की स्थापना परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के लिये एक गंभीर चुनौती है क्योंकि NARCL सरकार द्वारा गारंटीकृत प्रतिभूति रसीदें प्रदान करती है, जो वित्तीय संस्थानों के लिये अधिक आकर्षक हैं।
- विनियामक चुनौतियाँ: RBI ने यह भी अनिवार्य किया है कि ARC को सभी निपटान प्रस्तावों के लिये एक स्वतंत्र सलाहकार समिति से अनुमोदन प्राप्त करना होगा।
- इस उपाय के कारण निपटानों की मंज़ूरी में देरी हुई है, विशेष रूप से खुदरा ऋणों के मामले में क्योंकि सलाहकार समितियाँ भविष्य में जाँच से बचने के लिये सतर्क हैं।
- RBI की बढ़ती जाँच से प्रमुख ARC प्रभावित हुए हैं, एडलवाइस ARC को संबंधित समूह ऋणों के माध्यम से नियमों को दरकिनार करने के कारण नए ऋण देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- विश्वास की कमी: ऐसा प्रतीत होता है कि नियामक (RBI) और ARC के बीच विश्वास की कमी उत्पन्न हो गई है।
- RBI ने चिंता व्यक्त की है कि कुछ लेन-देन से डिफॉल्टर्स प्रमोटरों को अपनी परिसंपत्तियों पर नियंत्रण पुनः प्राप्त करने में मदद मिल रही है, जो दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code- IBC) की धारा 29A के प्रावधानों का उल्लंघन है।
- IBC की धारा 29A डिफॉल्टर प्रमोटरों को अपनी दिवालिया फर्मों के लिये बोली लगाने से रोकती है।
RBI क्यों विपर्यय (Upset) है?
- कुछ ARC ने विनियमन से बचने के लिये लेन-देन की संरचना हेतु "नवाचार तरीकों" का उपयोग किया।
- उन्होंने स्वयं को सदाबहार संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का माध्यम बनने दिया।
- तनाव को दूर करने के लिये उधारकर्त्ताओं के साथ एकमुश्त निपटान का अक्सर उपयोग किया जाता है।
- ARC मार्ग का उपयोग दागी प्रमोटरों द्वारा चूक के बाद नियंत्रण पुनः प्राप्त करने के लिये किया जा रहा है।
ARC क्या है?
- परिचय: परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (ARC) एक विशेष प्रकार की वित्तीय संस्था है, जो बैंक के ऋणों को पारस्परिक रूप से सहमत मूल्य पर खरीदती है तथा ऋणों या संबंधित प्रतिभूतियों की वसूली स्वयं करने का प्रयास करती है।
- ARC की पृष्ठभूमि: ARC की अवधारणा नरसिम्हम समिति-II (1998) द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप सिक्योरिटाइज़ेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट, 2002 (SARFAESI अधिनियम, 2002) के अंतर्गत ARC की स्थापना की गई।
- वर्तमान में RBI के साथ 27 ARC पंजीकृत हैं, जिनमें NARCL, एडलवाइस ARC और आर्किल जैसी उल्लेखनीय कंपनियाँ शामिल हैं।
- ARC का पंजीकरण और विनियमन: ARC कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत है और उसे SARFAESI अधिनियम की धारा 3 के तहत RBI के साथ भी पंजीकृत होना चाहिये।
- वे SARFAESI अधिनियम और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं।
- ARC के लिये वित्तपोषण: ऐसे ऋणों (NPA) को खरीदने के लिये आवश्यक धनराशि अर्हता प्राप्त क्रेताओं (Qualified Buyers- QB) से जुटाई जा सकती है। QB एकमात्र संस्थाएँ हैं, जिनसे ARC धन जुटा सकती हैं।
- QB में बीमा कंपनियाँ, बैंक, राज्य वित्तीय और औद्योगिक विकास निगम, SARFAESI के तहत पंजीकृत ट्रस्टी या ARC तथा SEBI के साथ पंजीकृत परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियाँ शामिल हैं।
- ARC की कार्यप्रणाली:
- ARC नकदी या नकदी-सुरक्षा रसीदों के संयोजन के लिये छूट पर आपात ऋण खरीदते हैं, जिन्हें आठ वर्षों के भीतर मोचित किया जा सकता है।
- आस्ति/परिसंपत्ति पुनर्निर्माण (Asset Reconstruction): इसमें रिकवरी के उद्देश्य से ऋण, एडवांस, डिबेंचर, बॉण्ड , गारंटी या अन्य क्रेडिट सुविधाओं में बैंक या वित्तीय संस्थान के अधिकारों को प्राप्त करना शामिल है, जिसे सामूहिक रूप से 'वित्तीय सहायता' कहा जाता है।
- प्रतिभूतिकरण: इसमें योग्य खरीदारों को प्रतिभूति रसीदें जारी करके वित्तीय परिसंपत्तियाँ प्राप्त करना शामिल है।
गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA)
- परिचय: किसी ऋण को NPA के रूप में तब वर्गीकृत किया जाता है जब उसे न्यूनतम 90 दिनों की अवधि के भीतर चुकाया नहीं जाता।
- कृषि के लिये किसी ऋण को NPA के रूप में वर्गीकृत किया जाता है यदि दो फसल मौसमों के लिये मूलधन या ब्याज का भुगतान नहीं किया जाता है।
- NPA के प्रकार: बैंक NPA को इस आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं कि परिसंपत्ति कितने समय से गैर-निष्पादित है और बकाया राशि वसूलने की संभावना कितनी है।
- अवमानक परिसंपत्तियाँ: अवमानक आस्तियाँ वह परिसंपत्ति है जिसे 12 महीने से कम या उसके तुल्य अवधि के लिये NPA के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- अशोध्य/संदिग्ध परिसंपत्तियाँ: संदिग्ध आस्तियाँ वह परिसंपत्ति है जो 12 महीने से अधिक अवधि के लिये गैर-निष्पादित रही है।
- हानि आस्ति: ऐसी संपत्ति जो वसूली योग्य नहीं है और जिसकी वसूली की बहुत कम या कोई उम्मीद नहीं है तथा जिसे पूरी तरह से बट्टे खाते में डालने की आवश्यकता है।
RBI द्वारा ARC विनियमन में हाल ही में किये गए बदलाव
- शासन संरचना को मजबूत करना: RBI ने अनिवार्य किया है कि ARC में कॉर्पोरेट प्रशासन को बढ़ाने के लिये बोर्ड की अध्यक्षता और बोर्ड मीटिंग में कम से कम आधे निदेशक स्वतंत्र निदेशक होने चाहिये।
- पारदर्शिता बढ़ाना: ARC को सुरक्षा रसीद निवेशकों के लिये रिटर्न उत्पन्न करने के अपने ट्रैक रिकॉर्ड का खुलासा करना चाहिये और पारदर्शिता बढ़ाने के लिये पिछले आठ वर्षों में शुरू की गई योजनाओं के लिये रेटिंग एजेंसियों के साथ सहयोग करना चाहिये।
- संशोधित निवेश आवश्यकताएँ: ARC को सुरक्षा प्राप्तियों (SR) में अंतरणकर्त्ताओं के निवेश का कम से कम 15% या जारी की गई कुल प्राप्तियों का 2.5%, जो भी अधिक हो, निवेश करना होगा, जो सभी प्राप्तियों के 15% की पिछली आवश्यकता को प्रतिस्थापित करेगा।
ARC के समक्ष चुनौतियों का समाधान करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?
- एसेट पोर्टफोलियो का विविधीकरण: ARC को पारंपरिक कॉर्पोरेट और खुदरा ऋणों से परे अवसरों की खोज़ करके अपने एसेट पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिये।
- इसमें बुनियादी ढाँचा, MSME और तनावग्रस्त जैसे क्षेत्र शामिल हो सकते हैं जिनमें अभी भी सुधार की संभावना है।
- विनियामक पारदर्शिता और सहयोग में सुधार: ARC को पारदर्शी संचालन और सभी दिशानिर्देशों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये आरबीआई तथा अन्य विनियामक निकायों के साथ मिलकर कार्य करना चाहिये।
- एक मानक आचार संहिता स्थापित करने से विश्वास और जवाबदेही में सुधार करने में भी मदद मिल सकती है।
- निपटान में दक्षता बढ़ाना: स्वतंत्र सलाहकार समितियों से अनिवार्य अनुमोदन के कारण होने वाली देरी का मुकाबला करने के लिये ARC एआई-संचालित एनालिटिक्स जैसी तकनीक का उपयोग कर सकते हैं, जो तेज़ी से मूल्यांकन करने में मदद कर सकती है, जिससे अनुपालन बनाए रखते हुए देरी को कम किया जा सकता है।
- NARCL के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को अपनाना: निजी ARC को विशिष्ट बाज़ारों के अनुरूप विशेष समाधान प्रदान करके या तीव्रता से वसूली तंत्र पर ध्यान केंद्रित करके अपनी सेवाओं को अलग करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARC) के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और उनकी प्रभावशीलता बढ़ाने के उपाय बताइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा हाल ही में समाचारों में आए ‘दबावयुक्त परिसम्पत्तियों के धारणीय संरचन पद्धति (स्कीम फॉर सस्टेनेबल स्ट्रक्चरिंग ऑफ स्ट्रेचड एसेट्स/S4A)’ का सर्वोत्कृष्ट वर्णन करता है? (a) यह सरकार द्वारा निरूपित विकासपरक योजनाओं की पारिस्थितिक कीमतों पर विचार करने की पद्धति है। उत्तर: (b) |
प्रधानमंत्री की सिंगापुर और ब्रुनेई दारुस्सलाम यात्राएँ
प्रिलिम्स के लिये:सेमीकंडक्टर, भारत का सेमीकंडक्टर मिशन, हरित हाइड्रोजन, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन मेन्स के लिये:सिंगापुर के साथ भारत के संबंध, भारत के सामरिक हितों के लिये ब्रुनेई का महत्त्व, एक्ट ईस्ट नीति, आसियान-भारत व्यापक सामरिक साझेदारी |
स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री की ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर की यात्राओं ने दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की कूटनीतिक तथा रणनीतिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण प्रगति को चिह्नित किया है।
सिंगापुर और ब्रुनेई दारुस्सलाम के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- ब्रुनेई दारुस्सलाम:
- स्थान: बोर्नियो द्वीप के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। दक्षिण चीन सागर के साथ इसकी तटरेखा लगभग 161 किलोमीटर है। यह उत्तर में दक्षिण चीन सागर और बाकी सभी तरफ मलेशिया से घिरा हुआ है।
- अर्थव्यवस्था: राजस्व मुख्य रूप से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है तथा आर्थिक विविधीकरण के प्रयास किये जाते हैं।
- दक्षिण-पूर्व एशिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक, विश्व स्तर पर चौथा सबसे बड़ा तरलीकृत प्राकृतिक गैस उत्पादक।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम के मुख्य निर्यात में तीन प्रमुख वस्तुएँ शामिल हैं - कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और तरलीकृत प्राकृतिक गैस- जो मुख्य रूप से जापान, अमेरिका तथा आसियान देशों को बेची जाती हैं।
- सिंगापुर:
- भूगोल: सिंगापुर एक द्वीप राष्ट्र है, जिसमें एक मुख्य द्वीप (पुलाऊ उजोंग) और 62 छोटे द्वीप शामिल हैं। इसके पड़ोसियों में उत्तर में मलेशिया तथा दक्षिण में इंडोनेशिया शामिल हैं।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: मूल रूप से तुमासिक के नाम से जाना जाने वाला यह द्वीप, जिसका अर्थ है "समुद्र", व्यापारियों के लिये एक प्रमुख पड़ाव था। 14वीं शताब्दी के दौरान तुमासिक ने अपना नया नाम "सिंगापुरा" (जिसका अर्थ है "लायन सिटी") अर्जित किया।
- सिंगापुर आधिकारिक तौर पर वर्ष 1826 में ब्रिटिश शासन के अधीन आया। जापानियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1942 में सिंगापुर पर नियंत्रण कर लिया, लेकिन युद्ध हारने के बाद उन्होंने स्वामित्व वापस ब्रिटिशों को सौंप दिया।
- वर्ष 1959 में सिंगापुर स्वशासित हो गया, हालाँकि ब्रिटेन अभी भी देश की सेना को नियंत्रित करता था। देश को अंततः वर्ष 1965 में सिंगापुर गणराज्य के रूप में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- सरकार और अर्थव्यवस्था: संसदीय गणराज्य। यह बैंकिंग और विनिर्माण में महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के साथ दक्षिण पूर्व एशिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
प्रधानमंत्री की ब्रुनेई दारुस्सलाम यात्रा के मुख्य परिणाम क्या थे?
- प्रधानमंत्री ने बंदर सेरी बेगावान (Bandar Seri Begawan) में प्रतिष्ठित उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद (Omar Ali Saifuddien Mosque) का दौरा किया, जो ब्रुनेई की इस्लामी विरासत का प्रतीक है और इसका नाम ब्रुनेई के 28वें सुल्तान के नाम पर रखा गया है।
- भारत ने इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और टेलीकमांड (Telemetry Tracking and Telecommand- TTC) स्टेशन की मेजबानी में ब्रुनेई के सहयोग की सराहना की तथा नए समझौता ज्ञापन के तहत सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा की।
- दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेषकर UNCLOS 1982 के अनुरूप दक्षिण चीन सागर में विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के महत्त्व को रेखांकित किया।
- आसियान-भारत वार्ता संबंध, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति हुई। .
- दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया, जिसमें भारत ने ब्रुनेई के प्रयासों का समर्थन किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन के लिये आसियान केंद्र की मेज़बानी भी शामिल है।
- इससे पूर्व भारत ने रूसी आपूर्ति के पक्ष में ब्रुनेई से अपने तेल आयात को कम कर दिया था। अब तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) में दीर्घकालिक सहयोग पर चर्चा शुरू की गई है।
प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा के मुख्य परिणाम क्या थे?
- सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम भागीदारी: एक लचीली सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला विकसित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए, जो द्विपक्षीय सहयोग के एक नए क्षेत्र को चिह्नित करता है। विभिन्न प्रौद्योगिकियों में सेमीकंडक्टर चिप्स के वैश्विक महत्त्व के कारण समझौता ज्ञापन का भू-रणनीतिक महत्त्व बहुत अधिक है।
- सिंगापुर का सेमीकंडक्टर उद्योग वर्ष 1970 के दशक से ही बढ़ रहा है, जो वैश्विक सेमीकंडक्टर उत्पादन का लगभग 10% और सेमीकंडक्टर उपकरण उत्पादन का 20% हिस्सा है।
- व्यापक रणनीतिक साझेदारी: भारत और सिंगापुर ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक बढ़ाने पर सहमति जताई है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।
- स्थायित्व में सहयोग: दोनों देश ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया परियोजनाओं पर सहयोग करने के लिये तैयार हैं, इन पहलों का समर्थन करने हेतु एक रूपरेखा विकसित की जा रही है।
- भारत ने सिंगापुर की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करते हुए सिंगापुर को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिये छूट देने पर सहमति जताई है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकी: डेटा, एआई और साइबर सुरक्षा में सहयोग को गहरा करने के उद्देश्य से डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। साइबर नीति वार्ता की स्थापना तथा साइबर सुरक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन के नवीनीकरण का कार्य प्रगति पर है।
- फिनटेक सहयोग: भारत के यू.पी.आई. और सिंगापुर के पेनाउ और ट्रेडट्रस्ट पहल को कागज़ रहित लेनदेन को सुविधाजनक बनाने एवं व्यापार दक्षता बढ़ाने में उनकी भूमिका के लिये मान्यता दी गई है।
- सांस्कृतिक संबंध: भारत ने तमिल संत तिरुवल्लुवर की विरासत का उत्सव मनाते हुए सिंगापुर में तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र के आगामी उद्घाटन की भी घोषणा की।
- सिंगापुर में भारतीय समुदाय के योगदान को मान्यता देते हुए संस्कृति और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिये आपसी प्रतिबद्धता है।
ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर के साथ भारत के संबंध कैसे हैं?
- ब्रुनेई दारुस्सलाम:
- राजनीतिक संबंध: भारत और ब्रुनेई दारुस्सलाम के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1984 में स्थापित हुए थे। दोनों राष्ट्र सांस्कृतिक संबंधों एवं संयुक्त राष्ट्र, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमंडल और आसियान जैसे संगठनों में सदस्यता के माध्यम से घनिष्ठ संबंध साझा करते हैं।
- ब्रुनेई के सुल्तान, सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया, भारत-ब्रुनेई के घनिष्ठ संबंधों के प्रबल समर्थक हैं और उन्होंने भारत की 'लुक ईस्ट' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियों का समर्थन किया है।
- ब्रुनेई ने भारत की अंतर्राष्ट्रीय उम्मीदवारी का भी समर्थन किया है और वर्ष 2012 से वर्ष 2015 तक आसियान देश समन्वयक के रूप में भारत-आसियान संबंधों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- वाणिज्यिक संबंध: ब्रुनेई को भारत के मुख्य निर्यात में ऑटोमोबाइल, परिवहन उपकरण, चावल और मसाले शामिल हैं। भारत ब्रुनेई से कच्चे तेल का एक प्रमुख आयातक है, जिसका आयात प्रतिवर्ष लगभग 500-600 मिलियन अमरीकी डॉलर का है।
- भारतीय समुदाय: ब्रुनेई दारुस्सलाम में भारतीय प्रवासी दशकों से निवास करते आ रहे हैं, 1930 के दशक में पहली बार यहाँ आए लोगों में से आधे से अधिक तेल और गैस, निर्माण एवं खुदरा जैसे उद्योगों में अर्द्ध व अकुशल श्रमिक थे।
- राजनीतिक संबंध: भारत और ब्रुनेई दारुस्सलाम के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1984 में स्थापित हुए थे। दोनों राष्ट्र सांस्कृतिक संबंधों एवं संयुक्त राष्ट्र, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमंडल और आसियान जैसे संगठनों में सदस्यता के माध्यम से घनिष्ठ संबंध साझा करते हैं।
- सिंगापुर:
- ऐतिहासिक संबंध: एक सहस्राब्दी से भी अधिक समय से भारत और सिंगापुर ने घनिष्ठ सांस्कृतिक, वाणिज्यिक तथा पारस्परिक संबंध बनाए रखे हैं।
- आधुनिक संबंध स्टैमफोर्ड रैफल्स (ब्रिटिश ईस्ट इंडियन प्रशासक और बंदरगाह शहर सिंगापुर के संस्थापक) द्वारा वर्ष 1819 में सिंगापुर में एक व्यापारिक चौकी स्थापित करने से जुड़े हैं, जो बाद में वर्ष 1867 तक कोलकाता से शासित एक ब्रिटिश उपनिवेश बन गया। वर्तमान संबंध तब शुरू हुए जब स्टैमफोर्ड रैफल्स (ब्रिटिश ईस्ट इंडियन प्रशासक और बंदरगाह शहर सिंगापुर के संस्थापक) द्वारा वर्ष 1819 में सिंगापुर में एक व्यापारिक स्टेशन की स्थापना की गई। तब से वर्ष 1867 तक इस द्वीप पर कोलकाता से ब्रिटिश उपनिवेश का शासन रहा।
- भारत वर्ष 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग:
- व्यापार: सिंगापुर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, जिसकी भारत के कुल व्यापार में 3.2% हिस्सेदारी है।
- निवेश: वर्ष 2018-19 से सिंगापुर भारत में FDI का सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता रहा है, जिसमें शीर्ष क्षेत्र सेवाएँ, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर, व्यापार, दूरसंचार और ड्रग्स एवं फार्मास्यूटिकल्स हैं।
- फिनटेक: सिंगापुर में RuPay कार्ड स्वीकृति के लिये वाणिज्यिक और तकनीकी व्यवस्था की गई है। UPI-Paynow लिंकेज एक ऐतिहासिक क्रॉस-बॉर्डर फिनटेक विकास है।
- सिंगापुर पहला देश है जिसके साथ भारत ने यह क्रॉस-बॉर्डर पर्सन-टू-पर्सन (P2P) भुगतान सुविधा शुरू की है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग: ISRO ने सिंगापुर के कई उपग्रहों को लॉन्च किया है, जिसमें 2011 में सिंगापुर का पहला स्वदेशी निर्मित माइक्रो-सैटेलाइट भी शामिल है।
- बहुपक्षीय सहयोग: सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन में शामिल हो गया है। ये दोनों इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे बहुपक्षीय समूहों का भी हिस्सा हैं।
- भारतीय समुदाय: सिंगापुर के 3.9 मिलियन निवासियों में से लगभग 9.1% भारतीय हैं। तमिल सिंगापुर की चार आधिकारिक भाषाओं में से एक है।
- ऐतिहासिक संबंध: एक सहस्राब्दी से भी अधिक समय से भारत और सिंगापुर ने घनिष्ठ सांस्कृतिक, वाणिज्यिक तथा पारस्परिक संबंध बनाए रखे हैं।
सामरिक हितों के लिये दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का क्या महत्त्व है?
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी: प्रधानमंत्री की दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की यात्रा, भारत की व्यापक एक्ट ईस्ट पॉलिसी के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य ASEAN देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करना और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की सामरिक उपस्थिति को बढ़ाना है।
- भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में अपने रक्षा संबंधों को सुदृढ़ कर रहा है, जिसका उदाहरण फिलीपींस के साथ समझौते और वियतनाम व इंडोनेशिया जैसे अन्य देशों के साथ सहयोग है।
- भू-रणनीतिक स्थान: दक्षिण-पूर्व एशिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर स्थित है, जो मेरीटाइम सिल्क रोड जैसे समुद्री व्यापार मार्गों का एक प्रमुख केंद्र है। यह रणनीतिक स्थान भारत के मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण के लिये महत्वपूर्ण है।
- चीन का प्रतिकार: चीन के साथ इस क्षेत्र की निकटता इसे चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतिकार करने के भारत के प्रयासों के लिये महत्त्वपूर्ण बनाती है। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने से भारत को रणनीतिक बढ़त बनाए रखने और क्षेत्रीय स्थिरता का समर्थन करने में मदद मिलती है।
- आर्थिक हित: दक्षिण पूर्व एशिया विश्व की कुछ सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं (मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम) का गढ़ है, यह क्षेत्र भारत के लिये पर्याप्त आर्थिक अवसर प्रस्तुत करता है।
- भारत आसियान का प्रमुख व्यापार साझेदार रहा है। भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और मेकांग-भारत आर्थिक गलियारा जैसी प्रमुख परियोजनाएँ आर्थिक एकीकरण को और बढ़ाती हैं।
- दक्षिण पूर्व एशिया में भारत के समक्ष चुनौतियाँ:
- दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक नीतियों ने क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने और अपने व्यापार के लिये महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने के भारत के प्रयासों को जटिल बना दिया है।
- संबद्ध क्षेत्र से चीन की निकटता और आर्थिक शक्ति उसे स्वाभाविकतः लाभप्रद बनाती है, जिससे भारत के लिये दक्षिण-पूर्व एशिया में उसके प्रभुत्व की बराबरी करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- दक्षिण-पूर्व एशिया के राजनीतिक परिदृश्य की विविधता तथा चीन के प्रभाव के प्रति देशों के अलग-अलग प्रकार के विरोध और एकजुटता को देखते हुए भारत के लिये सभी के लिये एक जैसी रणनीति अपनाना मुश्किल हो जाता है।
- हालाँकि भारत दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संपर्क सुधारने पर काम कर रहा है, किंतु मौजूदा बुनियादी ढाँचा अभी भी अविकसित है, जिससे व्यापार और लोगों के बीच संपर्क की सुविधा बाधित होती है।
आगे की राह
- ई-कॉमर्स और फिनटेक में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये भारत को दक्षिण पूर्व एशिया के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार करने की आवश्यकता है। भारत को अपनी सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षमताओं का लाभ उठाकर सॉफ्टवेयर, IT सेवाओं और डिजिटल नवाचार में विशेषज्ञता प्रदान करने हेतु इसे एक क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहिये।
- भारत को आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये ताकि चीन पर निर्भरता कम हो, अधिक आर्थिक लचीलापन और एकीकरण के लिये व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिये क्षेत्रीय मूल्य शृंखलाओं को बढ़ावा दिया जा सके।
- भारत को समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना चाहिये ताकि समुद्री डकैती, अवैध मत्स्यन और समुद्री आतंकवाद जैसे सामान्य खतरों का समाधान किया जा सके।
- भारत संबद्ध क्षेत्र में कनेक्टिविटी और सहयोग बढ़ाने के लिये चीन के BRI का मुकाबला करने के लिये एक समुद्री दक्षिण पूर्व एशिया-भारत आर्थिक गलियारा विकसित करने पर विचार कर सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत-सिंगापुर संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी का रूप देने के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न क्षेत्रों में इसके अपेक्षित लाभ क्या होंगे? प्रश्न. एक्ट ईस्ट नीति के तहत आसियान देशों के साथ अपने संबंधों का विस्तार करने में भारत के लिये रणनीतिक लाभ क्या हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) के ‘मुक्त व्यापार भागीदारों’ में से हैं? (a) केवल 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) प्रश्न.'रीज़नल काम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) (a) जी- 20 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. शीत युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016) |
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शिशु और बाल मृत्यु दर में कमी
प्रिलिम्स के लिये:स्वच्छ भारत मिशन (SBM), शिशु मृत्यु दर (IMR), पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR), ग्राम पंचायतें, स्वच्छ भारत कोष, यूनिसेफ, रोबोट बैंडिकूट, एशियन एनिग्मा, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) मेन्स के लिये:स्वच्छ भारत मिशन (SBM) का महत्त्व और उपलब्धियाँ, SBM से जुड़ी चुनौतियाँ। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विज्ञान पत्रिका नेचर ने ‘स्वच्छ भारत मिशन (SBM) के तहत शौचालय निर्माण और भारत में शिशु मृत्यु दर’ शीर्षक से एक अध्ययन प्रकाशित किया है।
- इसने वर्ष 2011 से 2020 के दौरान 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और 600 से अधिक ज़िलों के डेटा का विश्लेषण किया।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- शिशु मृत्यु में कमी: वर्ष 2011-2020 के दौरान वार्षिक तौर पर संभावित रूप से होने वाली 60,000-70,000 शिशु मृत्यु आँकड़ों में स्वच्छ भारत मिशन (SBM) के कारण कमी आई है।
- SBM के तहत 30% से अधिक शौचालयों का निर्माण करने वाले ज़िलों में प्रति 1,000 जन्मों पर शिशु मृत्यु दर में 5.3 की कमी और बाल मृत्यु दर में 6.8 की कमी देखी गई।
- SBM के बाद ज़िला-स्तरीय शौचालय उपलब्धता प्रत्येक 10% की वृद्धि के कारण शिशु मृत्यु दर (IMR) में 0.9 अंकों की कमी और पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR) में औसतन 1.1 अंकों की कमी हुई है।
- IMRमें त्वरित गिरावट: SBM के बाद की अवधि के दौरान IMR में कमी में तेज़ी आई, जिसमें 8-9% वार्षिक गिरावट आई, जबकि SBM से पहले की अवधि (वर्ष 2000-2014 के दौरान) में 3% वार्षिक गिरावट हुई थी।
- शौचालय की उपलब्धता: SBM के प्रारंभिक पाँच वर्षों में शौचालयों की उपलब्धता दोगुनी हो गई और खुले में शौच 60% से घटकर 19% हो गया।
- वर्ष 2014 से 2020 तक सरकार ने 109 मिलियन घरेलू शौचालयों का निर्माण किया और घोषणा की कि 600,000 से अधिक गाँव खुले में शौच से मुक्त (ODF) हैं।
- बेहतर स्वच्छता के अतिरिक्त लाभ: शौचालयों तक बेहतर पहुँच के व्यापक लाभ हैं, जिनमें महिलाओं की सुरक्षा, कम चिकित्सा व्यय के कारण वित्तीय बचत और समग्र रूप से जीवन की गुणवत्ता में सुधार शामिल है।
- ODF गाँवों में परिवारों ने स्वास्थ्य लागत पर सालाना औसतन 50,000 रुपए की बचत की।
- SBM का अनूठा दृष्टिकोण: शौचालय निर्माण को सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) एवं सामुदायिक सहभागिता में पर्याप्त निवेश के साथ जोड़ने का SBM का दृष्टिकोण खुले में शौच से निपटने के लिये व्यापक रणनीतियों का प्रतिनिधित्व करता है।
स्वच्छ भारत मिशन क्या है?
- स्वच्छ भारत मिशन: यह राष्ट्रीय स्तर का स्वच्छता अभियान है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता दिवस 2014 पर की गई थी तथा इसका शुभारंभ 2 अक्तूबर 2014 को गांधी जयंती के अवसर पर किया गया था।
- यह भारत का अभी तक का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान है, जिसमें 30 लाख सरकारी कर्मचारी, स्कूल और कॉलेज के छात्र शामिल हैं।
- फरवरी 2020 में SBM के दूसरे चरण को स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसका उद्देश्य ODF स्थिति को बनाए रखना और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) पर ध्यान केंद्रित करना था।
- प्रमुख सिद्धांत और लक्ष्य:
- शौचालय निर्माण: वैयक्तिक, समूह/क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना जिसका उद्देश्य खुले में शौच को समाप्त करना अथवा कम करने था, जो बाल मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है।
- उपयोग की निगरानी: न केवल निर्माण अपितु शौचालय के उपयोग की निगरानी के लिये एक उत्तरदायी तंत्र स्थापित करना।
- सार्वजनिक जागरूकता: खुले में शौच के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों को अधिक जागरूक करना और शौचालय के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
- व्यवहार परिवर्तन: समर्पित ग्राउंड स्टाफ और अभियानों के माध्यम से लोगों के दृष्टिकोण, मानसिकता और स्वच्छता के प्रति व्यवहार को बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
- स्वच्छ गाँव: गाँवों में स्वच्छता बनाए रखना और ग्राम पंचायतों के माध्यम से प्रभावी ठोस तथा तरल अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करना।
- जल आपूर्ति: सभी घरों में जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये जल की पाइपलाइनें संस्थापित करना।
- वित्त पोषण और बजट आवंटन: वर्ष 2015 से 2020 तक SBM का औसत वार्षिक बजट लगभग 1.25 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जो राष्ट्रीय स्वच्छता और लोक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में सरकार के पर्याप्त निवेश को दर्शाता है।
- वित्तीय और तकनीकी सहायता: शौचालय निर्माण और अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता प्रयासों के लिये केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।
- स्वच्छ भारत कोष के अंतर्गत बुनियादी ढाँचा संबंधी उद्देश्यों के लिये सार्वजनिक, कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत योगदान किया जा सकता है।
- स्वच्छ भारत प्रेरक, टाटा ट्रस्ट द्वारा भर्ती किये गए स्वयंसेवक हैं जो स्वच्छता गतिविधियों की प्रगति की निगरानी करते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन (SBM) का महत्त्व क्या है?
- प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप: बेहतर स्वच्छता को वैश्विक स्तर पर शिशु मृत्यु दर में महत्त्वपूर्ण गिरावट से संबद्ध माना जाता है। 1900 के दशक की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों में भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति देखी गई थी।
- शोध से पुष्टि होती है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बेहतर स्वच्छता भारत में बाल मृत्यु दर (IMR) और शिशु मृत्यु दर (5 वर्ष से कम आयु- U5MR) को कम करने में महत्त्वपूर्ण घटक रही है।
- 'एशियाई पहेली' (Asian Enigma) पर चर्चा: यह अध्ययन 'एशियाई पहेली' पर पूर्ववर्ती शोध का समर्थन करता है, जहाँ आर्थिक प्रगति के बावजूद भारत में बच्चों में स्टंटिंग की उच्च दर का संबंध व्यापक रूप से खुले में शौच से था।
- SBM के अंतर्गत खुले में शौच में कमी से स्वच्छता में सुधार के माध्यम से इस समस्या का समाधान होगा, जिससे बच्चों में स्टंटिंग (उम्र का अनुसार कम ऊँचाई) की दर में कमी लाने में दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की आशा है।
- आर्थिक लाभ: यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन में निवेश किये गए प्रत्येक रुपए से स्वास्थ्य देखभाल लागत में कमी, उत्पादकता में वृद्धि आदि के कारण 4.3 रुपए का रिटर्न मिलता है।
- यदि स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता में सुधार के साथ खुले में शौच को समाप्त करने का लक्ष्य हासिल कर लिया, तो नुकसान की लागत GDP के 2.7% तक कम हो जाएगी। इससे मौजूदा स्थिति की तुलना में 8.1 ट्रिलियन रुपए की बचत होगी।
SBM के सफल कार्यान्वयन में कौन-सी चुनौतियाँ हैं?
- व्यवहार में परिवर्तन: ग्रामीण भारत में अधिकांश लोग खुले में शौच को स्वास्थ्यवर्द्धक, स्वच्छ तथा कभी-कभी धार्मिक रूप से स्वीकार्य भी मानते हैं।
- बच्चे (विशेषकर 15 वर्ष से कम आयु), अधिकांशतः खुले में शौच करते हैं।
- गैर-कार्यात्मक शौचालय: आँकडें बताते हैं कि शौचालय अपर्याप्त जल सुविधा या उसके अभाव के कारण गैर-कार्यात्मक रहते हैं।
- गड्ढा आधारित शौचालय: इनमें से अधिकांश शौचालय गड्ढे या सेप्टिक टैंक से जुड़े होते हैं। लगातार इस्तेमाल के परिणामस्वरूप पाँच से छह साल बाद ये गड्ढे भर जाते हैं और मल-मूत्र की सफाई एक चुनौती के रूप में विद्यमान रहती है।
- खुले स्थानों पर मल का असुरक्षित निपटान, डायरिया और स्टंटिंग की बढ़ती दर में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक है।
- हाथ की स्वच्छता के प्रति अज्ञानता: हाथ की स्वच्छता एक आवश्यक लागत प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप है, लेकिन सुविधाओं (जल, साबुन, हाथ धोने की जगह) की कमी के कारण इसे व्यवहार में लाना असंगत है।
- वंचित समुदायों के समक्ष चुनौतियाँ: भूमिहीन लोगों, प्रवासी मज़दूरों तथा दिव्यांग व्यक्तियों सहित वंचित वर्गों को प्रायः शौचालयों तक पहुँच नहीं होती अथवा वे मौजूदा शौचालयों तक पहुँच पाने में असमर्थ होते हैं।
आगे की राह
- ODF स्थिति को बनाए रखना: ODF स्थिति को बनाए रखने के लिये घोषणा के बाद निगरानी आवश्यक है, क्योंकि समुदाय पुरानी प्रथाओं पर वापस लौट सकते हैं।
- स्वच्छता की स्थिति की निगरानी के लिये प्रशिक्षित स्वयंसेवकों और प्रोत्साहनों की आवश्यकता है।
- व्यवहार परिवर्तन: समाज में व्यवहार परिवर्तन लाने के लिये प्रशिक्षित कार्यबल आवश्यक है, जो समुदायों को भागीदारीपूर्ण आत्म विश्लेषण में संलग्न कर उन्हें अपर्याप्त स्वच्छता के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करे।
- मैनुअल स्कैवेंजिंग: वंचित समुदायों को शौचालय साफ करने के लिये मजबूर किया जाता है। इस मुद्दे को हल करने में प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उदाहरण के लिये, रोबोट बैंडिकूट मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा को समाप्त करने में मदद कर सकता है।
- सहयोग और बहु-क्षेत्रीय प्रयास: पेयजल और स्वच्छता विभाग, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय, यूनिसेफ, विश्व बैंक एवं कई गैर सरकारी संगठनों को प्रयासों को दोहराने से बचने के लिये समन्वय में कार्य करना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. स्वच्छ भारत मिशन की वर्तमान उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। मिशन की दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करने हेतु अभी भी जिन चुनौतियों का समाधान किया जाना है, उन पर प्रकाश डालिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न . भारतीय रेलवे द्वारा उपयोग किये जाने वाले जैव-शौचालय के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015) जैव-शौचालय में मानव अपशिष्ट का अपघटन एक कवक इनोकुलम द्वारा शुरू किया जाता है। इस अपघटन में अमोनिया और जलवाष्प एकमात्र अंतिम उत्पाद हैं, जो वायुमंडल में निर्मुक्त होते हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: D मेन्स: प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे, फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2021) प्रश्न. "जल, सफाई एवं स्वच्छता की आवश्यकता को लक्षित करने वाली नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये लाभार्थी वर्गों की पहचान को प्रत्याशित परिणामों के साथ जोड़ना होगा।" 'वाश' योजना के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (2017) प्रश्न. सामाजिक प्रभाव और समझाना-बुझाना स्वच्छ भारत अभियान की सफलता में किस प्रकार योगदान कर सकते हैं? (2016) |