भारतीय अर्थव्यवस्था
कृषि पर समझौता: विश्व व्यापार संगठन
- 18 Sep 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:विश्व व्यापार संगठन, कृषि पर समझौता, G-33, ग्रीन बॉक्स सब्सिडी, अंबर बॉक्स सब्सिडी, ब्लू बॉक्स सब्सिडी मेन्स के लिये:विश्व व्यापार संगठन और भारत की खाद्य सुरक्षा चिंताएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में G-33 वर्चुअल अनौपचारिक मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) के ‘कृषि पर समझौते’ में असंतुलन की ओर संकेत किया।
- उन्होंने दावा किया कि यह विकसित देशों के पक्ष में है और नियम-आधारित, निष्पक्ष तथा न्यायसंगत व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये ऐतिहासिक विषमताओं एवं असंतुलनों को ठीक किया जाना चाहिये।
- उन्होंने आग्रह किया कि G-33 को खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के स्थायी समाधान संबंधी सकारात्मक परिणामों हेतु प्रयास करना चाहिये और एक विशेष सुरक्षा तंत्र को शीघ्रता से अंतिम रूप देना चाहिये तथा घरेलू समर्थन पर एक संतुलित परिणाम प्राप्त करना चाहिये।
G-33
- यह कृषि व्यापार वार्ता में विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिये विश्व व्यापार संगठन के ‘कान्कुन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन’ के दौरान गठित विकासशील देशों का एक मंच है।
- भारत G-33 का एक हिस्सा है, जो 47 विकासशील और अल्पविकसित देशों का समूह है।
- यह समूह ऐसे देशों की मदद करने के लिये बनाया गया था जो समान समस्याओं का सामना कर रहे थे। G-33 ने विश्व व्यापार संगठन की वार्त्ताओं में विकासशील देशों हेतु विशेष नियम प्रस्तावित किये हैं, जैसे कि उन्हें अपने कृषि बाज़ारों तक पहुँच को प्रतिबंधित करना जारी रखने की अनुमति देना।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- इसका उद्देश्य व्यापार बाधाओं को दूर करना और पारदर्शी बाज़ार पहुँच तथा वैश्विक बाज़ारों के एकीकरण को बढ़ावा देना है।
- विश्व व्यापार संगठन की कृषि समिति, समझौते के कार्यान्वयन की देखरेख करती है और सदस्यों को संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिये एक मंच प्रदान करती है।
- कृषि पर समझौते के तीन स्तंभ:
- घरेलू समर्थन: यह घरेलू सब्सिडी में कमी का आह्वान करता है जो मुक्त व्यापार और उचित मूल्य को विकृत करता है।
- इस प्रावधान के तहत विकसित देशों द्वारा सहायता के कुल मापन को 6 वर्षों की अवधि में 20% और विकासशील देशों द्वारा 10 वर्षों की अवधि में 13% कम किया जाना है।
- इसके तहत सब्सिडी को निम्नलिखित रूपों में वर्गीकृत किया गया है:
- घरेलू समर्थन: यह घरेलू सब्सिडी में कमी का आह्वान करता है जो मुक्त व्यापार और उचित मूल्य को विकृत करता है।
- ग्रीन बॉक्स:
- इसके अंतर्गत दी जाने वाली सब्सिडी सामान्यतः व्यापार में या तो विकृति उत्पन्न करती नहीं है या फिर न्यूनतम विकृति उत्पन्न करती है।
- इसके अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम, स्थानीय विकास कार्यक्रमों, अनुसंधान, आपदा राहत इत्यादि हेतु सरकार द्वारा प्रदान की गई आर्थिक सहायता को शामिल किया जाता है
- इसलिये ग्रीन बॉक्स सब्सिडी पर प्रतिबंध नहीं होता है, बशर्ते यह नीति-विशिष्ट मानदंडों के अनुरूप हो।
- अंबर बॉक्स:
- इसके अंतर्गत ब्लू एवं ग्रीन बॉक्स के अलावा वे सभी सब्सिडियाँ आती हैं जो कृषि उत्पादन एवं व्यापार को विकृत करती हैं।
- इस सब्सिडी में सरकार द्वारा कृषि उत्पादों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण तथा कृषि उत्पादों की मात्रा के आधार पर प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता आदि को शामिल किया जाता है।
- ब्लू बॉक्स:
- यह "शर्तों के साथ एम्बर बॉक्स"(Amber Box With Conditions) है। इसे एसी स्थितियों में कमी लेन हेतु डिज़ाइन किया गया है जो व्यापार में विकृति उत्पन्न करती हैं।
- आम तौर पर एम्बर बॉक्स में शामिल उस सब्सिडी को नीले बॉक्स में रखा जाता है जिसे प्राप्त करने के लिये किसानों को अपना उत्पादन सीमित करने की आवश्यकता होती है।
- वर्तमान ब्लू बॉक्स सब्सिडी पर खर्च करने की कोई सीमा नहीं है।
- बाज़ार तक पहुंँच: विश्व व्यापार संगठन में माल के लिये बाज़ार की पहुंँच का अर्थ शर्तों, टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों से है, जो सदस्यों द्वारा अपने बाज़ारों में विशिष्ट वस्तुओं के प्रवेश पर लगाए जाते हैं।
- बाज़ार तक पहुंँच सुनिशित करने के लिये आवश्यक है कि मुक्त व्यापार की अनुमति देने के लिये अलग-अलग देशों द्वारा निर्धारित टैरिफ (जैसे कस्टम ड्यूटी) में उत्तरोत्तर कटौती की जाए। इसके लिये देशों को टैरिफरहित शर्तों को हटाकर टैरिफ ड्यूटी में में बदलने की भी आवश्यकता थी।
- निर्यात सब्सिडी: कृषि इनपुट/निवेश वस्तुओं पर सब्सिडी, निर्यात को सस्ता बनाना या निर्यात को बढ़ावा देने हेतु अन्य प्रोत्साहन जैसे- आयात शुल्क में छूट आदि को निर्यात सब्सिडी के तहत शामिल किया गया है।
- इनके परिणामस्वरूप अन्य देशों में अत्यधिक सब्सिडी वाले (और सस्ते) उत्पादों की डंपिंग हो सकती है जिससे उन देशों के घरेलू कृषि क्षेत्र को नुकसान हो सकता है।
विश्व व्यापार संगठन
- यह वर्ष 1995 में अस्तित्व में आया। विश्व व्यापार संगठन, द्वितीय विश्व युद्ध के मद्देनजर स्थापित प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on Tariffs and Trade- GATT) का उत्तराधिकारी है।
- इसका उद्देश्य व्यापार प्रवाह में सुचारू रूप से, स्वतंत्र रूप से और अनुमानित रूप से मदद करना है।
- विश्व के 164 देश इसके सदस्य हैं, जो विश्व व्यापार का 98% हिस्सा है।
- इसे GATT के तहत आयोजित व्यापार वार्ताओं या दौरों की एक शृंखला के माध्यम से विकसित किया गया था।
- GATT बहुपक्षीय व्यापार समझौतों का एक समूह है जिसका उद्देश्य कोटा को समाप्त करना और अनुबंध करने वाले देशों के बीच टैरिफ शुल्क में कमी करना है।
- विश्व व्यापार संगठन के नियम, समझौते सदस्यों के मध्य वार्ताओं का परिणाम हैं।
- वर्तमान संग्रह काफी हद तक वर्ष 1986- 94 के उरुग्वे राउंड की वार्ता का परिणाम है, जिसमें मूल प्रशुल्क एवं व्यापार सामान्य समझौते (GATT) का पुनरीक्षण शामिल था।
- WTO का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है।
- विश्व व्यापार संगठन के अन्य तंत्र
- बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधी पहलु (TRIPS)
- व्यापार सुविधा समझौता
- सेवाओं के व्यापार पर सामान्य समझौता (GATS)
- व्यापार नीति समीक्षा तंत्र