भारतीय अर्थव्यवस्था
WTO में भारत की सातवीं व्यापार नीति समीक्षा
- 09 Jan 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) द्वारा भारत की सातवीं व्यापार नीति समीक्षा की गई है।
व्यापार नीति की समीक्षा WTO की निगरानी प्रणाली के तहत एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत WTO द्वारा किसी नीति में सुधार की आवश्यकता तथा इस बात की समीक्षा की जाती है कि इसके नियमों का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं।
- इससे पहले भारत की व्यापार नीति की समीक्षा वर्ष 2015 में की गई थी।
प्रमुख बिंदु
- विश्व व्यापार संगठन ने निम्नलिखित बिंदुओं पर भारत की सराहना की:
- वर्ष 2016 में भारत द्वारा प्रस्तुत वस्तु एवं सेवा कर (Goods & Services Tax) के मामले में।
- विश्व व्यापार संगठन के व्यापार सुविधा समझौते (Trade Facilitation Agreement) के कार्यान्वयन हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदमों के मामले में।
- व्यापार सुविधा समझौते (TFA) का उद्देश्य सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में तेज़ी लाना तथा व्यापार को सरल, तीव्र एवं सुगम बनाना है।
- देश में व्यापार सुगमता की दिशा में किये गए प्रयासों के मामले में।
- ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट के तहत ‘ट्रेडिंग अक्रॉस बॉर्डर्स’ यानी सीमा पार व्यापार संकेतक में भारत की बेहतर रैंकिंग के मामले में।
- भारत द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) नीति और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (National Intellectual Property Rights Policy), 2016 को उदार बनाए जाने के लिये उठाए गए कदमों के मामले में।
- भारत की चिंता:
- पिछली समीक्षा के बाद से अब तक भारत की व्यापार नीति काफी हद तक अपरिवर्तित रही है।
- WTO के अनुसार, व्यापार नीति के साधनों जैसे- टैरिफ, निर्यात कर, न्यूनतम आयात मूल्य, आयात तथा निर्यात प्रतिबंध और लाइसेंसिंग पर भारत की निर्भरता बनी हुई है।
- इन साधनों का उपयोग घरेलू मांग तथा आपूर्ति संबंधी आवश्यकताओं को प्रबंधित करने, घरेलू मूल्य में व्यापक उतार-चढ़ाव से अर्थव्यवस्था को बचाने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं उनका समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिये किया जाता है।
- इनके परिणामस्वरूप टैरिफ दरों और व्यापार नीति के अन्य साधनों में लगातार बदलाव होते रहते हैं जिसके कारण व्यापारियों के लिये अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न होती है।
- खाद्य तथा जीविका की सुरक्षा:
- वर्तमान में व्याप्त महामारी ने एक बार फिर लोगों के लिये खाद्य तथा जीविका की सुरक्षा के महत्त्व को दर्शाया है तथा खाद्य सुरक्षा के स्थायी समाधान के लिये पब्लिक स्टॉक होल्डिंग (PSH) का मार्ग अपनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
पब्लिक स्टॉक होल्डिंग (PSH):
- यह एक नीतिगत उपकरण है जिसका उपयोग सरकारों द्वारा आवश्यकता पड़ने पर खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण और वितरण के लिये किया जाता है।
- वर्तमान में विकासशील देशों के सार्वजनिक वितरण कार्यक्रमों को विश्व व्यापार संगठन के ‘ट्रेड-डिसटॉर्टिंग अंबर बॉक्स’ (Trade-Distorting Amber Box) उपायों के तहत शामिल किया गया है, जिन पर WTO की कटौती संबंधी प्रतिबद्धताएँ लागू होती हैं।
- अन्य विकासशील देशों के साथ भारत भी यह मांग कर रहा है कि खाद्य सुरक्षा से संबंधित कार्यक्रमों को WTO की सब्सिडी कटौती प्रतिबद्धताओं से मुक्त किया जाना चाहिये।
- भारत ने सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग संबंधी मुद्दों के लिये एक स्थायी समाधान की मांग की है।
व्यापार नीति समीक्षा तंत्र:
- व्यापार नीति समीक्षा तंत्र (Trade Policy Review Mechanism-TPRM) उरुग्वे राउंड (Uruguay Round) का शुरुआती परिणाम था।
- यह सदस्य देशों की व्यापार नीतियों और प्रथाओं के सामूहिक मूल्यांकन की प्रक्रिया हेतु एक अवसर प्रदान करता है।
- उद्देश्य:
- सदस्य देशों की व्यापार नीति की पारदर्शिता को बढ़ाकर बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के सुचारु कामकाज में सहायता करना।
- बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली पर एक सदस्य देश की व्यापार नीतियों और प्रथाओं के प्रभाव की जाँच करना।
- प्रक्रिया:
- यह समीक्षा WTO के व्यापार नीति समीक्षा निकाय द्वारा की जाती है, जो कि विश्व व्यापार संगठन की सामान्य परिषद का एक अनुषंगी निकाय है।
- कार्यविधि:
- व्यापार नीति समीक्षा द्वारा सभी सदस्य देशों को उनकी समग्र व्यापार तथा आर्थिक नीतियों के सकारात्मक और नकारात्मक पक्षों को जानने का अवसर मिलता है।
- विकासशील देशों की व्यापार नीतियों की समीक्षा प्रत्येक चार वर्ष में की जाती है, जबकि विकसित देशों की व्यापार नीति की समीक्षा प्रत्येक दो वर्ष में की जाती है।
- सेवाओं के व्यापार और बौद्धिक संपदा को कवर करने के लिये TPRM को विस्तृत किया गया था।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सभी सदस्य TPRM के तहत समीक्षा के अधीन हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.