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डेली न्यूज़

  • 03 Jul, 2024
  • 42 min read
इन्फोग्राफिक्स

भारत में राज्यों का पुनर्गठन

Reorganisation of States in India

और पढ़ें: राज्य के दर्जे की मांगजम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत पर FATF की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट

प्रिलिम्स के लिये:

वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF), धन शोधन (ML), आतंकवादी वित्तपोषण (TF), G20, जन धन, आधार, मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी, आतंकवाद, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT सिटी), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)

मेन्स के लिये:

भारत के लिये धन शोधन (ML), आतंकवादी वित्तपोषण (TF) की समस्या, चुनौतियाँ और संबंधित  पहल

स्रोत: लाइव मिंट 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) ने भारत पर एक पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट (Mutual Evaluation Report- MER) जारी की, जिसे सिंगापुर में आयोजित उनके पूर्ण सत्र के दौरान अनुमोदित किया गया। इसमें विशेष रूप से धन शोधन (Money Laundering- ML), आतंकवादी वित्तपोषण (Terrorist Financing- TF) और प्रसार हेतु वित्तपोषण (Proliferation Financing) से निपटने में भारत के प्रयासों का मूल्यांकन किया गया।

MER रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • भारत पर पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट:
    • नियमित अनुवर्ती श्रेणी: 
      • भारत को 'नियमित अनुवर्ती' (Regular Follow-Up) श्रेणी में रखा गया है जिससे यह एक ऐसे विशेष समूह में शामिल हो गया है जिसमें केवल चार देश- यूनाइटेड किंगडम, फ्राँस, इटली और अन्य G20 देश शामिल हैं। 
      • 'नियमित अनुवर्ती' का अर्थ है कि भारत को केवल अक्तूबर 2027 में अनुशंसित कार्यों पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
        • FATF, सदस्य देशों को चार श्रेणियों में से किसी एक में रखता है अर्थात् ‘नियमित अनुवर्ती’, ‘वर्द्धित अनुवर्ती’ (Enhanced Follow-Up), ‘ग्रे लिस्ट’ और ‘ब्लैक लिस्ट
        • नियमित अनुवर्ती उक्त 4 श्रेणियों में शीर्ष श्रेणी है और पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट के बाद भारत सहित G20 में केवल 5 देशों को नियमित अनुवर्ती में रखा गया है।
    • JAM ट्रिनिटी के माध्यम से डिजिटल अर्थव्यवस्था:
      • जन धन, आधार, मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी और नकद लेन-देन के कठोर विनियमों द्वारा भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हुआ है जिससे ML, TF तथा भ्रष्टाचार एवं संगठित अपराध जैसे अपराधों से प्राप्त आय से जुड़े जोखिम सफलतापूर्वक कम हुआ हैं।

FATF क्या है?

  • परिचय:
    • FATF वर्ष 1989 में स्थापित अंतर-सरकारी संगठन है। 
    • यह मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता से संबंधित अन्य खतरों से निपटने के लिये एक वैश्विक मानक-निर्धारक है।
  • उद्देश्य:
    • FATF का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करना तथा धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार से निपटने हेतु उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
  • गठन:
    • FATF का गठन G7 देशों की पहल पर धन शोधन और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंताओं का समाधान करने के लिये किया गया था।
    • प्रारंभ में यह मुख्यतः मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये सिफारिशें करने और सर्वोत्तम अभ्यास विकसित करने पर केंद्रित था।
      • विगत कुछ वर्षों में, इसके कार्यक्षेत्र में विस्तार हुआ और इसमें आतंकवादी वित्तपोषण की रोकथाम करने तथा नए उभरते खतरों से निपटना शामिल किया गया है।
  • ब्लैक लिस्ट: 
    • ब्लैक लिस्ट में उन असहयोगी देशों या क्षेत्रों (Non-Cooperative Countries or Territories-NCCT) को शामिल किया जाता है जो आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का समर्थन करते हैं।
    • अभी तक ईरान, उत्तर कोरिया और म्याँमार तीन देश ब्लैक लिस्टेड हैं।
  • ग्रे लिस्ट: 
    • जिन देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करने के लिये सुरक्षित स्थल माना जाता है, उन्हें FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है।
    • यह उस देश के लिये एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है कि उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।
  • FATF के सदस्य और पर्यवेक्षक:
    • FATF में वर्तमान में 37 सदस्य निकाय हैं जो दुनिया के के लगभग सभी हिस्सों के सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • 39 सदस्यों में से दो क्षेत्रीय संगठन हैं: यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद।
  • भारत और FATF:
    • भारत वर्ष 2006 में 'पर्यवेक्षक' देशों की सूची में शामिल हुआ और वर्ष 2010 में FATF का पूर्ण सदस्य बन गया।

FATF

भारतीय अर्थव्यवस्था पर MER रिपोर्ट का महत्त्व क्या है?

  • वैश्विक वित्तीय प्रतिष्ठा में वृद्धि:
    • FATF का सकारात्मक मूल्यांकन भारत की मज़बूत वित्तीय प्रणाली को दर्शाता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भरोसा बढ़ता है। यह गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (GIFT सिटी) जैसी पहलों को और अधिक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को आकर्षित करने में मदद कर सकता है। 
    • इस बेहतर प्रतिष्ठा से बेहतर क्रेडिट रेटिंग मिल सकती है, जिससे वैश्विक बाज़ारों में भारतीय संस्थाओं के लिये उधार लेने की लागत कम हो सकती है।
  • विदेशी निवेश में वृद्धि:
  • डिजिटल भुगतान प्रणाली का विस्तार:
    • रिपोर्ट का समर्थन भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payments Interface - UPI) के वैश्विक विस्तार का समर्थन करता है। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में UPI की व्यापक स्वीकृति हो सकती है क्योंकि UPI पहले से ही सिंगापुर और UAE जैसे देशों में चालू है इसे और देशों में विस्तारित करने की योजना है।
  • भारत के फिनटेक उद्योग को बढ़ावा:
    • सकारात्मक मूल्यांकन से भारत के फिनटेक क्षेत्र के विकास में तेज़ी आ सकती है। पेटीएम और फोनपे जैसी फिनटेक कंपनियों के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करना आसान हो सकता है। यह अधिक उद्यम पूंजी को आकर्षित कर सकता है और ब्लॉकचेन तथा डिजिटल मुद्राओं जैसे क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित कर सकता है।
  • संवर्द्धित धन प्रेषण प्रवाह:
    • बेहतर वित्तीय प्रणालियों के साथ, अनिवासी भारतीयों (NRI) से प्राप्त धन अधिक कुशल और लागत प्रभावी हो सकता है। धन प्रेषण की मात्रा में वृद्धि हो सकती है, जो भारत के विदेशी मुद्रा में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता है।

धन शोधन और आतंकवाद वित्तपोषण क्या है?

  • धन शोधन (Money Laundering):
    • धन शोधन में अवैध रूप से प्राप्त धन की पहचान को छिपाना या प्रच्छन्न करना शामिल है, ताकि ऐसा प्रतीत हो कि वह वैध स्रोतों से आया है।
    • यह अक्सर अन्य, अधिक गंभीर अपराधों जैसे कि नशीली दवाओं की तस्करी, डकैती या जबरन वसूली का एक घटक होता है। IMF के अनुसार, वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग का अनुमान वैश्विक GDP के 2 से 5% के बीच है।
  • आतंकवाद वित्तपोषण (TF): 
    • आतंकवाद का वित्तपोषण आतंकवादियों या आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का कार्य है, ताकि वे आतंकवादी कार्य कर सकें या किसी आतंकवादी या आतंकवादी संगठन को लाभ पहुँचा सकें।
    • यद्यपि धन आपराधिक गतिविधियों से आ सकता है, लेकिन यह वैध स्रोतों से भी प्राप्त हो सकता है, उदाहरण के लिये वेतन, वैध व्यवसाय से प्राप्त राजस्व या गैर-लाभकारी संगठनों सहित दान के माध्यम से।
    • आतंकवाद के वित्तपोषण में सामान्यतः तीन चरण होते हैं: धन जुटाना, धन का स्थानांतरण और उसका उपयोग करना।

भारत के लिये FATF की चिंताएँ और सुझाव क्या हैं?

चिंताएँ 

सुझाव 

  • गैर-वित्तीय क्षेत्रों की भेद्यता: गैर-वित्तीय क्षेत्र कमज़ोर निगरानी के कारण मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। उदाहरण के लिये, भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र, जिसे अवैध वित्तीय गतिविधियों के प्रति संवेदनशील माना जाता है।
  • पर्यवेक्षण और कार्यान्वयन को मज़बूत करना: उच्च मूल्य वाली संपत्ति के लेन-देन के लिये मज़बूत परिश्रम प्रक्रियाओं या गैर-वित्तीय क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों हेतु बेहतर रिपोर्टिंग तंत्र की आवश्यकता है।
  • अधिक प्रभावी जाँच हेतु कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उच्च गुणवत्ता वाली वित्तीय खुफिया जानकारी का विश्लेषण और प्रसार करने के लिये भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND) की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • लंबी कानूनी प्रक्रियाएँ: यह AML/CFT (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग/आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला) प्रयासों की प्रभावशीलता में बाधा डाल सकता है और संभावित रूप से अपराधियों को न्याय से बचने का मौका दे सकता है। उदाहरण के लिये, देश से भाग चुके हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधियों से संबंधित मामलों में अभियोजन तथा संपत्ति की वसूली में काफी देरी का सामना करना पड़ा है।
  • ML और TF अभियोगों में देरी को संबोधित करना: इसके लिये बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें न्यायिक सुधार, वित्तीय अपराध मामलों में कानून प्रवर्तन तथा न्यायिक अधिकारियों हेतु क्षमता निर्माण एवं न्यायिक प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग शामिल हो सकता है।
  • आभासी परिसंपत्ति जोखिम और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध: आभासी परिसंपत्तियों (क्रिप्टोकरेंसी) का बढ़ता उपयोग AML/CFT व्यवस्थाओं के लिये नई चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।
  • अप्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सीमा पार वित्तीय अपराधों से निपटने के प्रयासों में बाधा डालता है।
  • आभासी परिसंपत्ति जोखिमों के विरुद्ध उपायों को सुदृढ़ बनाना: भारत को आभासी परिसंपत्ति सेवा प्रदाताओं के लिये अधिक व्यापक विनियमन और पर्यवेक्षण तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि धन शोधन या आतंकवादी वित्तपोषण हेतु उनके दुरुपयोग को रोका जा सके।
  • भारत को अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध या सीमा पार धन शोधन योजनाओं से जुड़े मामलों में अन्य देशों के साथ सूचना साझा करने और सहयोग करने के लिये अपने तंत्र में सुधार करने की आवश्यकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. हाल ही में FATF पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट ने भारत द्वारा अपने धन शोधन विरोधी और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण व्यवस्था में किये गए कई सुधारों को रेखांकित किया है। रिपोर्ट में किन प्रमुख चिंताओं को उठाया गया है तथा इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने हेतु भारत को किन उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिये?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स: 

प्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021)


शासन व्यवस्था

भारत में फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का विनियमन

प्रिलिम्स के लिये:

फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी, सूचना का अधिकार, बायोमेट्रिक तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता

मेन्स के लिये:

फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी, भारत में FRT के प्रशासन की आवश्यकता, इसके निहितार्थ और उपयोग, FRT में चुनौतियाँ।

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार के प्रमुख सार्वजनिक नीति थिंक-टैंक नीति आयोग ने देश में फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (Facial Recognition Technology- FRT) के उपयोग को विनियमित करने के लिये व्यापक नीति और कानूनी सुधारों का आह्वान किया है।

  • गोपनीयता, पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच इस कदम को एक बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है।

भारत में FRT के उपयोग को विनियमित करने हेतु क्या प्रस्ताव हैं?

  • भारत में विनियमन की स्थिति:
    • वर्तमान में भारत में फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (FRT) के उपयोग को विनियमित करने के लिये कोई व्यापक कानूनी ढाँचा मौजूद नहीं है।
  • FRT को विनियमित करने की आवश्यकता:
    • बहुआयामी चुनौतियाँ: FRT अन्य तकनीकों की तुलना में अलग-अलग चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, क्योंकि इसमें संवेदनशील बायोमेट्रिक डेटा को दूर से ही कैप्चर करने और प्रोसेस करने की क्षमता है। मौजूदा नियम इन विशिष्ट चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं कर सकते हैं।
    • उत्तरदायी विकास सुनिश्चित करना: इसका उद्देश्य एक व्यापक शासन ढाँचा तैयार करना है जो भारत में FRT के उत्तरदायी विकास और क्रियान्वयन को सुनिश्चित कर सके।
    • यह FRT के उपयोग से जुड़े जोखिमों और नैतिक चिंताओं को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है, जैसे- गोपनीयता का उल्लंघन, एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रह और निगरानी शक्तियों का दुरुपयोग।
    • अंतर्राष्ट्रीय विचार नेतृत्व: सक्रिय विनियमन से भारत FRT प्रशासन पर वैश्विक विचार नेता के रूप में उभरेगा तथा अंतर्राष्ट्रीय विचार-विमर्श और नीतियों को आकार देगा।
    • सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देना: प्रभावी विनियमन से प्रौद्योगिकी में सार्वजनिक विश्वास का निर्माण होगा और विभिन्न क्षेत्रों में इसके व्यापक रूप से अपनाए जाने में सहायता मिलेगी।
    • नवाचार और सुरक्षा उपायों में संतुलन: सुधारों का उद्देश्य FRT नवाचार को बढ़ावा देने तथा व्यक्तिगत अधिकारों एवं सामाजिक हितों की रक्षा के लिये आवश्यक सुरक्षा उपाय लागू करने के बीच संतुलन बनाना है।
  • प्रमुख प्रस्ताव:
    • उत्तरदायित्व का मानकीकरण:
      • एक विधिक ढाँचा तैयार करना जो क्षतिपूर्ति के दायरे को परिभाषित करता है और FRT की खराबी या दुरुपयोग से होने वाले नुकसान के लिये दायित्व स्थापित करता है। इससे ज़िम्मेदार नियोजन और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
    • नैतिक निरीक्षण:
      • FRT कार्यान्वयन की देखरेख के लिये विविध विशेषज्ञता वाली एक स्वतंत्र नैतिक समिति के गठन का प्रस्ताव रखा गया। यह समिति प्रणाली के भीतर पारदर्शिता, जवाबदेहिता और संभावित पूर्वाग्रह के मुद्दों का निराकरण करेगी।
    • नियोजन में पारदर्शिता:
      • FRT प्रणालियों के नियोजन के संबंध में स्पष्ट और पारदर्शी दिशा-निर्देश अनिवार्य करना। इसमें विशिष्ट क्षेत्रों में FRT के उपयोग के बारे में जनता को सूचित करना और जहाँ आवश्यक हो, वहाँ उनकी सहमति प्राप्त करना शामिल होगा।
    • विधिक अनुपालन:
      • यह सुनिश्चित करना कि FRT प्रणालियों में न्यायमूर्ति के.एस.पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ  मामले में दिये गए निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित विधिक सिद्धांतों का अनुपालन किया जाए।
      • इन सिद्धांतों में वैधता (मौजूदा कानूनों का अनुपालन), तर्कसंगतता (उद्देश्य के प्रति आनुपातिकता) और आनुपातिकता (वैयक्तिक अधिकारों के साथ सुरक्षा की आवश्यकता का संतुलन) शामिल हैं।

फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी क्या है?

  • परिचय:
    • फेशियल रिकग्निशन एक एल्गोरिथम-आधारित तकनीक है जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं की पहचान और मानचित्रण करके चेहरे का एक डिजिटल नक्शा बनाती है तथा उपलब्ध डेटाबेस से मिलान करती है।
    • ऑटोमेटेड फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम (AFRS) में बड़े डेटाबेस (जिसमें लोगों के चेहरों की तस्वीरें और वीडियो होते हैं) का इस्तेमाल व्यक्ति के चेहरे का मिलान करने और उसकी पहचान करने के लिये किया जाता है।
    • सीसीटीवी फुटेज से ली गई एक अज्ञात व्यक्ति की छवि की तुलना मौजूदा डेटाबेस से की जाती है, जो पैटर्न-खोज और मिलान के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करती है।
  • कार्यप्रणाली:
    • चेहरे की पहचान करने वाली प्रणाली मुख्य रूप से कैमरे के माध्यम से चेहरे और उसकी विशेषताओं को कैप्चर करके तथा कैप्चर की गई विशेषताओं को पुनः बनाने के लिये विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है।
    • इसकी विशेषताओं के साथ कैप्चर किया गया चेहरा एक डेटाबेस में संग्रहीत किया जाता है जिसे किसी भी प्रकार के सॉफ्टवेयर के साथ एकीकृत किया जा सकता है जिसका उपयोग सुरक्षा उद्देश्यों, बैंकिंग सेवाओं आदि के लिये किया जा सकता है।
  • उपयोग:
    • सत्यापन:
      • चेहरे का नक्शा किसी व्यक्ति की पहचान प्रामाणित करने के लिये डेटाबेस पर मौजूद उसकी तस्वीर से मिलान करने के उद्देश्य से प्राप्त किया जाता है। उदाहरण के लिये इसका उपयोग फोन को अनलॉक करने के लिये किया जाता है।

    • पहचान:

      • चेहरे का नक्शा किसी फोटो या वीडियो से प्राप्त किया जाता है और फिर फोटो या वीडियो में व्यक्ति की पहचान करने के लिये पूरे डेटाबेस से मिलान किया जाता है। उदाहरण के लिये, कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ आमतौर पर पहचान के लिये FRT प्राप्त करती हैं।

FRT प्रौद्योगिकी के उपयोग के संबंध में चिंताएँ क्या हैं?

  • अशुद्धता, दुरुपयोग तथा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: FRT में गलत पहचान हो सकती है, विशेषरूप से जब अलग-अलग जातीय तथा लैंगिक समूहों की तुलना की जाती है। इसके परिणामस्वरूप योग्य उम्मीदवारों को गलत तरीके से अयोग्य घोषित किया जा सकता है
  • निगरानी एवं डेटा संग्रहण के लिये FRT का व्यापक उपयोग, कानूनी ढाँचे की उपस्थिति में भी, डेटा गोपनीयता के साथ-साथ संरक्षण के उद्देश्यों के साथ टकराव उत्पन्न कर सकता है।
  • नस्लीय तथा लैंगिक पूर्वाग्रह: अध्ययनों से पता चलता है कि नस्लीय तथा लैंगिक आधार पर FRT सटीकता में असमानताएँ हैं, जो संभावित रूप से योग्य उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर देती हैं और सामाजिक पूर्वाग्रहों को मज़बूत करती हैं।
  • आवश्यक सेवाओं से बहिष्कार: आधार प्रणाली के अंतर्गत बायोमेट्रिक प्रामाणीकरण में विफलता के कारण लोग आवश्यक सरकारी सेवाओं की पहुँच से वंचित हो गए हैं।

  • डेटा संरक्षण कानूनों का अभाव: व्यापक डेटा संरक्षण कानूनों की कमी बायोमेट्रिक डेटा के संग्रह, भंडारण एवं उपयोग के लिये अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ, FRT प्रणाली को दुरुपयोग को अधिक संवेदनशील बनाती है।

  • नैतिक चिंताएँ: यह सार्वजनिक सुरक्षा तथा व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन के साथ-साथ प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के साथ-साथ दुरुपयोग की संभावना के बारे में नैतिक प्रश्न भी उत्पन्न करता है। अनामिता के ह्रास के साथ-साथ इस बात की भी चिंता है कि FRT का उपयोग सामाजिक नियंत्रण एवं विपक्ष के दमन के लिये किया जाएगा।

अन्य देशों में FRT विनियमन

  • यूरोपीय संघ (EU): सामान्य डेटा संरक्षण विनियम (GDPR) एवं डेटा संरक्षण निर्देश के अतिरिक्त, EU के पास एक AI अधिनियम है जिसका उद्देश्य जोखिम-आधारित अनुपालन ढाँचे को निर्मित करना, FRT प्रणालियों को "उच्च जोखिम" के रूप में वर्गीकृत करना और साथ ही उन्हें कठोर अनुपालन आवश्यकताओं के अधीन करना है।
  • यूके, यूएस, कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया: इन देशों में FRT का विनियमन मुख्य रूप से उनके संबंधित डेटा संरक्षण एवं गोपनीयता कानूनों द्वारा नियंत्रित होता है।

आगे की 

  • मज़बूत कानूनी ढाँचा: सार्वजनिक और निजी दोनों ही तरह के लोगों द्वारा FRT के इस्तेमाल को नियंत्रित करने वाले समर्पित कानून या विनियमन स्थापित करना। इन कानूनों में FRT के इस्तेमाल के लिए वैध उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिये, आनुपातिकता पर ज़ोर दिया जाना चाहिये और जवाबदेही की स्पष्ट रेखाएँ स्थापित की जानी चाहिये।
  • नैतिक निरीक्षण और शासन: FRT की तैनाती के नैतिक निहितार्थों का आकलन करने, कार्यप्रणाली संहिता निर्धारित करने तथा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये स्वतंत्र नैतिक निरीक्षण समितियों के गठन की आवश्यकता है।
  • पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा: सरकारी और निजी दोनों संस्थाओं के लिये FRT तैनाती का सार्वजनिक प्रकटीकरण अनिवार्य बनाना तथा मज़बूत डेटा सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिये FRT प्रशासन को भारत के आगामी डेटा सुरक्षा ढाँचे के साथ संरेखित करना।
  • पूर्वाग्रह को विकसित करना: विशेष रूप से उच्च-दांव वाले अनुप्रयोगों में FRT के निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश विकसित करने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक नेतृत्व: वैश्विक मानकों को आकार देने के लिये FRT शासन पर अंतर्राष्ट्रीय चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लेना। विश्व मंच पर ज़िम्मेदार AI विकास को बढ़ावा देने के लिये एक तकनीकी नेता के रूप में भारत की स्थिति का लाभ उठाना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी प्रणालियों को स्थापित करने से जुड़ी प्रमुख चिंताओं पर चर्चा कीजिये तथा पारदर्शिता, जवाबदेही सुनिश्चित करने और संभावित पूर्वाग्रहों को दूर करने के उपाय सुझाइए

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत् की खपत कम करना
  2.  सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
  3.  रोगों का निदान
  4.  टेक्स्ट से स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन
  5.  विद्युत् ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1,2, 3 और 5
(b) केवल 1,3 और 4
(c) केवल 2,4 और 5
(d) 1,2,3,4 और 5

उत्तर: (b)


प्रश्न. पहचान प्लेटफॉर्म ‘आधार’ खुला (ओपेन) ‘‘एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस’’ (ए.पी.आई.) उपलब्ध कराता है। इसका क्या अभिप्राय है? (2018)

  1. इसे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
  2. परितारिका (आईरिस) का प्रयोग कर ऑनलाइन प्रामाणीकरण संभव है।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)    केवल 1   
(b)    केवल 2
(c)    1 और 2 दोनों   
(d)    न तो 1, न ही 2

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020)

प्रश्न: निषेधात्मक श्रम के कौन से क्षेत्र हैं जिन्हें रोबोट द्वारा स्थायी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है? उन पहलों पर चर्चा कीजिये जो प्रमुख शोध संस्थानों में शोध को वास्तविक और लाभकारी नवाचार के लिये प्रेरित कर सकती हैं। (2015)


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-बांग्लादेश संबंधों में सुधार

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-बांग्लादेश संबंध,बांग्लादेश मुक्ति युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध, व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA), गंगाजल संधि

मेन्स के लिये:

भारत-बांग्लादेश संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से संबंधित और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान, दोनों देश  व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर वार्ता शुरू करने पर सहमत हुए, जिससे दोनों पड़ोसी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापक आर्थिक संबंधों का मार्ग प्रशस्त होगा।

  • वर्ष 2022 में दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement - CEPA) पर एक संयुक्त व्यवहार्यता अध्ययन पूरा किया।

हाल की बैठक के प्रमुख परिणाम क्या थे?

  • भारत और बांग्लादेश ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ाने तथा व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिये CEPA पर काम शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है।
    • इस समझौते का उद्देश्य दक्षिण एशिया की दो तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक अनुपूरकता का लाभ उठाना है।
  • भारत ने बांग्लादेश के सिराजगंज में एक अंतर्देशीय कंटेनर बंदरगाह के निर्माण में सहयोग देने पर सहमति व्यक्त की है, जिससे बेहतर रसद और व्यापार प्रवाह की सुविधा मिलेगी।
  • दोनों देशों ने वर्ष 1996 की गंगाजल संधि को नवीनीकृत करने के लिये तकनीकी स्तर की वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई, जिसमें बाढ़ प्रबंधन, पूर्व-चेतावनी प्रणाली एवं पेयजल परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोनों देशों के बीच साझा होने वाली 54 नदियों को देखते हुए यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
  • एक समुद्री सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये गए, जो हिंद महासागर के लिये उनके साझा दृष्टिकोण और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी हितों को प्रदर्शित करता है। भारत ने हिंद-प्रशांत महासागर पहल में शामिल होने के बांग्लादेश के निर्णय का स्वागत किया।

भारत-बांग्लादेश सहयोग में अन्य हालिया घटनाक्रम

  • भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का उद्घाटन।
  • भारत और बांग्लादेश के बीच वर्ष 1965 से पहले के रेल संपर्कों का पुनर्वास तथा संचालन
  • वर्ष 2023 में अखौरा-अगरतला रेल लिंक का उद्घाटन, जो त्रिपुरा के माध्यम से बांग्लादेश और पूर्वोत्तर को जोड़ता है। यह छठा भारत-बांग्लादेश क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक है।
  • परिवहन संपर्क के लिये बिम्सटेक मास्टर प्लान भारत, बांग्लादेश, म्याँमार तथा थाईलैंड में प्रमुख परिवहन परियोजनाओं को जोड़ता है, जिससे शिपिंग नेटवर्क की स्थापना होती है।
  • मैत्री सुपर थर्मल पावर प्लांट का परिचालन।
  • खुलना-मोंगला बंदरगाह के माध्यम से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिये कार्गो सुविधा।
    • मोंगला बंदरगाह पहली बार रेल मार्ग से जुड़ा है।
  • इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र जैसे केंद्रों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग
  • भारत, भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (ITEC) के माध्यम से प्रत्येक वर्ष बांग्लादेश को उच्च शिक्षा के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं अनुदान प्रदान करता है।

भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध कैसे हैं?

  • ऐतिहासिक संबंध:
    • बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों की नींव वर्ष 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में रखी गई थी। भारत ने पाकिस्तान से आज़ादी की लड़ाई में बांग्लादेश की मदद के लिये महत्त्वपूर्ण सैन्य और भौतिक सहायता प्रदान की थी।
    • इसके बावजूद सैन्य शासन और भारत विरोधी भावना के कारण कुछ वर्षों में ही संबंध खराब हो गए, लेकिन वर्ष 1996 में सत्ता परिवर्तन तथा गंगाजल बँटवारे पर संधि के साथ ही स्थिरता लौट आई।
    • भारत और बांग्लादेश ने वर्ष 2015 में भूमि सीमा समझौता (Land Boundary Agreement- LBA) तथा प्रादेशिक जल पर समुद्री विवाद जैसे लंबे समय से लंबित मुद्दों को भी सफलतापूर्वक सुलझाया।
  • आर्थिक सहयोग:
    • पिछले दशक में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि हुई है।
    • बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।
    • भारत एशिया में बांग्लादेश का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत को बांग्लादेशी निर्यात लगभग 2 बिलियन अमेरीकी डॉलर का होगा।
    • वर्ष 2010 से भारत ने बांग्लादेश को 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य की ऋण सहायता प्रदान की है।
  • ऊर्जा:
    • ऊर्जा क्षेत्र में, बांग्लादेश भारत से लगभग 2,000 मेगावाट (MW) बिजली आयात करता है।
    • वर्ष 2018 में रूस, बांग्लादेश और भारत ने रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना, बांग्लादेश के पहले परमाणु ऊर्जा रियेक्टर के कार्यान्वयन में सहयोग पर एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
  • रक्षा एवं बहुपक्षीय सहयोग:

भारत-बांग्लादेश संबंधों में चुनौतियाँ और उनके संभावित समाधान क्या हैं?

चुनौतियाँ

आगे की राह

सीमा-पारीय नदी जल का बँटवारा

स्थायी नदी आयोग की स्थापना: साझा नदियों के प्रबंधन के लिये द्विपक्षीय आयोग का गठन

संयुक्त नदी प्रबंधन परियोजनाओं का क्रियान्वयन: बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के लिये संयुक्त परियोजनाएँ विकसित करना।

अवैध प्रवास

प्रवासन पर द्विपक्षीय समझौते: विधिक प्रवासन और श्रम गतिशीलता पर केंद्रित नए समझौतों का मसौदा तैयार करना।

रोहिंग्या शरणार्थियों का समन्वय: इसके मूल कारणों का पता लगा कर उन्हें संबोधित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर कार्य करना।

मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध व्यापार

अवैध व्यापार पर संयुक्त कार्य बल: मानव तस्करी और अवैध शिकार की रोकथाम करने के लिये संयुक्त कार्य बल की स्थापना करना।

विधिक ढाँचों का सुदृढ़ीकरण: विधि में सामंजस्य स्थापित करना और तस्करी तथा अवैध व्यापार करने वालों के लिये दंड वर्द्धित करना।

बांग्लादेश में चीन का बढ़ता प्रभाव

आर्थिक सहयोग में सुधार: चीन के विकल्प के रूप में भूमिका बढ़ाने के लिये व्यापार और निवेश पहलों में विस्तार करना।

सांस्कृतिक और पारस्परिक आदान-प्रदान: संबंधों को सुदृढ़ करने और सद्भावना को बढ़ावा देने के लिये दोनों देशों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत-बांग्लादेश संबंधों में प्रमुख चुनौतियों की विवेचना कीजिये। द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाने के लिये इन मुद्दों के समाधान के उपाय बताइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. तीस्ता नदी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. तीस्ता नदी का उद्गम वही है जो ब्रह्मपुत्र का है लेकिन यह सिक्किम से होकर बहती है। 
  2. रंगीत नदी की उत्पत्ति सिक्किम में होती है और यह तीस्ता नदी की एक सहायक नदी है। 
  3. तीस्ता नदी, भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न: आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा नियंत्रण रेखा सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा इस संदर्भ में निभाई गई भूमिका की विवेचना भी कीजिये। (2020)


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