नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय राजनीति

लद्दाख द्वारा पूर्ण राज्य की मांग

  • 10 Feb 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख, छठी अनुसूची, अनुच्छेद 370, अनुच्छेद 3, अनुच्छेद 3 के तहत शर्तें, अनुच्छेद 244(2), स्वायत्त ज़िले

मेन्स के लिये:

लद्दाख से संबंधित प्राथमिक मांगें, लद्दाख की वर्तमान केंद्रशासित प्रदेश के दर्जे के कारण, छठी अनुसूची के उद्देश्य

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण की मांगों को लेकर कामकाज पूरी तरह ठप्प रहा।

लद्दाख की प्राथमिक मांगें क्या हैं?

  • पृष्ठभूमि: अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त किये जाने और राज्य को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद जम्मू तथा कश्मीर का पूर्ववर्ती हिस्सा लद्दाख एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया।
    • ऐसे में इस क्षेत्र में नई प्रशासनिक दर्जे को लेकर काफी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं, तब से लद्दाख अपनी सांस्कृतिक एवं जनसांख्यिकीय पहचान की अधिक स्वायत्तता और सुरक्षा की मांग कर रहा है।
  • प्राथमिक मांगें: आंदोलन का नेतृत्व करने वाले दो सामाजिक-राजनीतिक संगठनों की मांग है कि अनुच्छेद 370 और 35A के तहत केंद्रशासित प्रदेश के लिये सुरक्षा की व्यवस्था की जाए। उनकी प्राथमिक मांगों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा: अधिक राजनीतिक स्वायत्तता और निर्णय लेने की शक्तियों के संदर्भ में लद्दाख को उसके वर्तमान केंद्रशासित प्रदेश के दर्जे के स्थान पर एक पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करने की मांग।
    • 6वीं अनुसूची के तहत सुरक्षा उपाय: स्वदेशी आबादी के सांस्कृतिक, भाषाई और भूमि संबंधी अधिकारों की रक्षा के लिये 6वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक प्रावधानों के क्रियान्वयन की मांग।
    • नौकरियों में आरक्षण: लद्दाख के युवाओं के लिये रोज़गार के अवसरों में आरक्षण का समावेश, आर्थिक संसाधनों एवं अवसरों तक समान पहुँच सुनिश्चित किया जाना।
    • पृथक संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण: प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्ट जनसांख्यिकीय और भौगोलिक विशेषताओं को दर्शाने वाले लेह व कारगिल के लिये अलग संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की स्थापना का प्रस्ताव।
  • गृह मंत्रालय ने लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ संवाद करने के लिये एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया है।

नोट: 

  • अनुच्छेद 35A (वर्तमान में अप्रभावी) जम्मू और कश्मीर राज्य की विधायिका को राज्य के "स्थायी निवासियों" को परिभाषित करने तथा उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता है जो सामान्य तौर पर भारतीय नागरिकों के लिये उपलब्ध नहीं थे।

वर्तमान में लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्रदान किये जाने के क्या कारण हैं?

  • सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय भिन्नताएँ: केंद्रशासित प्रदेश के रूप में नामित होने से पूर्व लद्दाख जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा था।
    • लद्दाख में बौद्ध धर्म की बहुलता पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की मुस्लिम-बहुल आबादी से काफी भिन्न है।
    • यह अंतर अक्सर संसाधन आवंटन, राजनीतिक प्रतिनिधित्त्व और सांस्कृतिक संरक्षण को लेकर चिंताएँ उत्पन्न करता है।
  • सुरक्षा संबंधी दृष्टिकोण: लद्दाख की सीमा पाकिस्तान और चीन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से लगती है, ऐसे में रणनीतिक महत्त्व इस क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
    • केंद्रशासित प्रदेश के रूप में स्थापित किये जाने से इसे सुरक्षा मामलों में केंद्र सरकार से अधिक प्रत्यक्ष और सुव्यवस्थित प्रशासन व मदद मिली।
  • विकासात्मक परिप्रेक्ष्य: भारत सरकार ने संभवतः लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को दूर करने, प्रशासनिक दक्षता में सुधार करने और इस क्षेत्र में विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का निर्माण सर्वोचित तरीका माना।

भारत में राज्यों के गठन से संबंधित संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को राज्यों के गठन, परिवर्तन अथवा विघटन के संबंध में विभिन्न कार्रवाई करने का अधिकार देता है। इन कार्रवाइयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • नए राज्यों का गठन: संसद मौजूदा राज्य से क्षेत्र को अलग करके, दो अथवा दो से अधिक राज्यों को मिलाकर अथवा किसी क्षेत्र को मौजूदा राज्य के एक हिस्से के साथ जोड़कर एक नए राज्य का निर्माण कर सकती है।
    • राज्य क्षेत्र का विस्तार अथवा संकुचन: संसद के पास किसी भी राज्य के क्षेत्र में वृद्धि करने अथवा उसे कम करने की शक्ति है।
    • राज्य की सीमाओं में परिवर्तन: संसद किसी भी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है।
    • राज्य का नाम परिवर्तन: संसद किसी भी राज्य के नाम में परिवर्तन सकती है।
  • अनुच्छेद 3 के तहत शर्तें:
    • इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रस्ताव के साथ एक विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुशंसा के साथ ही संसद के किसी भी सदन में पेश किया जाना आवश्यक है
    • विधेयक की सिफारिश करने से पूर्व, राष्ट्रपति के लिये अनिवार्य है कि वह एक निर्दिष्ट अवधि के भीतर अपने विचार व्यक्त करने के लिये इसे संबद्ध राज्य विधानमंडल के पास प्रेषित करें।
  • अतिरिक्त विमर्श: 
    • नए राज्य के निर्माण के संसद की शक्ति के अंतर्गत किसी राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश के एक हिस्से को दूसरे राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश के साथ मिलाकर एक नए राज्य या केंद्रशासित प्रदेश का निर्माण करने की शक्ति भी शामिल है।
    • संसद राज्य विधायिका के विचारों का पालन करने के लिये बाध्य नहीं है और समयबद्ध तरीके से  प्राप्त होने पर भी उन्हें स्वीकार अथवा अस्वीकार कर सकती है।
    • केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में, संबंधित विधायिका के समक्ष किसी भी प्रकार का कारण अथवा संदर्भ प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, संसद कोई भी उचित कार्रवाई कर सकती है।
    • अतएव भारत राज्यों का एक संघ है जिसे विघटित एवं पुनर्गठित किया जा सकता है।

छठी अनुसूची क्या है? 

  • परिचय: छठी अनुसूची में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244(2) के तहत चार पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिये विशेष प्रावधान शामिल हैं।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य जनजातीय भूमि और संसाधनों की सुरक्षा करना तथा इनका गैर-जनजातीय संस्थाओं को हस्तांतरण को रोकना है। यह जनजातीय समुदायों को शोषण से भी सुरक्षा प्रदान करता है, यह उनकी सांस्कृतिक व सामाजिक अस्मिता को बरकरार रखने में तथा उनका प्रोत्साहन सुनिश्चित करता है।
  • स्वायत्त ज़िले और क्षेत्र: इन राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन स्वायत्त ज़िलों के रूप में किया जाता है।
    • ऐसे मामलों में जहाँ एक स्वायत्त ज़िले में विभिन्न अनुसूचित जनजातियाँ निवास करती हैं, राज्यपाल इन ज़िलों को स्वायत्त क्षेत्रों में विभाजित कर सकता है।
    • राज्यपाल के पास स्वायत्त ज़िलों को व्यवस्थित करने, पुनर्गठित करने और सीमाओं अथवा नामों में परिवर्तन करने की शक्ति है।
  • ज़िला और क्षेत्रीय परिषद: इसके तहत प्रत्येक स्वायत्त ज़िले के लिये अधिकतम 30 सदस्यों वाले एक ज़िला परिषद का गठन किया जाना आवश्यक है।
    • इनमें से राज्यपाल द्वारा नामित सदस्यों की अधिकतम संख्या 4 है, जबकि शेष का चयन वयस्क मताधिकार के आधार पर किया जाता है।
    • इसी प्रकार, स्वायत्त क्षेत्र के रूप में नामित प्रत्येक क्षेत्र के लिये एक अलग क्षेत्रीय परिषद की स्थापना की जाती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न 1. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं?  (2012)

  1. राज़्य की नीति के निदेशक तत्त्व
  2. ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय
  3. पंचम अनुसूची
  4. षष्ठ अनुसूची
  5. सप्तम अंनुसूची

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (d)


प्रश्न 2. भारत के संविधान की किस अनुसूची के अधीन जनजातीय भूमि का, खनन के लिये निजी पक्षकारों को अंतरण अकृत और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019)

(a) तीसरी अनुसूची
(b) पाँचवी अनुसूची
(c) नौवीं अनुसूची
(d) बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (b)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow