सामाजिक न्याय
भारत में अनुसूचित क्षेत्र
- 13 Oct 2023
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प्रिलिम्स के लिये:भारत में अनुसूचित क्षेत्र, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित क्षेत्र और अनुसूचित जनजाति आयोग, अनुच्छेद 244(1), अनुच्छेद 244(2), छठी अनुसूची, स्थानीय स्वशासन मेन्स के लिये:भारत में अनुसूचित क्षेत्र, केंद्र और राज्यों द्वारा आबादी के कमज़ोर वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ व इन योजनाओं का प्रदर्शन |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत की आबादी में अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST) की हिस्सेदारी 8.6% है, ये भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निवास करते हैं। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244 अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन संबंधी एक महत्त्वपूर्ण प्रावधान है।
अनुसूचित क्षेत्र:
- परिचय:
- अनुसूचित क्षेत्र भारत के 11.3% भूमि क्षेत्र को कवर करते हैं, जहाँ भारत की आबादी में 8.6% की हिस्सेदारी वाले अनुसूचित जनजाति समुदाय निवास करते हैं।
- अनुसूचित क्षेत्र वाले घोषित 10 राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश।
- वर्ष 2015 में केरल ने 2,133 बस्तियों, पाँच ग्राम पंचायतों और पाँच ज़िलों के दो वार्डों को अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित करने का प्रस्ताव रखा, इसे अभी तक केंद्र सरकार की मंज़ूरी नहीं मिली है।
- अनुसूचित क्षेत्र चिह्नित किये जाने हेतु मानदंड:
- किसी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने वाले मार्गदर्शक मानदंडों में जनजातीय आबादी की प्रधानता, सघनता, आकार, एक प्रशासनिक इकाई के रूप में व्यवहार्यता तथा आसपास के क्षेत्रों की तुलना में आर्थिक पिछड़ापन शामिल हैं।
- वर्ष 2002 के अनुसूचित क्षेत्र और अनुसूचित जनजाति आयोग अथवा भूरिया आयोग ने वर्ष 1951 की जनगणना के अनुसार 40% अथवा इससे अधिक जनजातीय आबादी वाले क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करने की सिफारिश की थी।
- संवैधानिक प्रावधान और शासन:
- अनुच्छेद 244 (1) असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अतिरिक्त अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों पर पाँचवीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू करता है।
- अनुच्छेद 244 (2) उपर्युक्त राज्यों पर छठी अनुसूची के प्रावधानों को लागू करता है।
- जनजातीय सलाहकार परिषद: भारत के राष्ट्रपति अनुसूचित क्षेत्रों को अधिसूचित करते हैं और अनुसूचित क्षेत्रों वाले राज्य अनुसूचित जनजाति के कल्याण संबंधी मामलों पर राज्यपाल को सलाह देने के लिये एक जनजातीय सलाहकार परिषद की स्थापना करते हैं।
- पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA), 1996: यह ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने के साथ ही प्रत्यक्ष लोकतंत्र के माध्यम से पर्याप्त अधिकार प्रदान करता है व स्थानीय स्वशासन को प्राथमिकता देता है।
- वर्ष 1995 में अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत राज के विस्तार के प्रावधानों की सिफारिश करने के लिये गठित भूरिया समिति ने अनुसूचित क्षेत्र वाले गाँवों को पंचायती राज में शामिल करने की सिफारिश की थी, लेकिन यह कार्य अभी तक नहीं किया गया है।
- भारत के राष्ट्रपति भारत के अनुसूचित क्षेत्रों को अधिसूचित करते हैं। अनुसूचित क्षेत्रों वाले राज्यों को 20 ST सदस्यों वाले एक जनजातीय सलाहकार परिषद का गठन करना अनिवार्य है।
- यह समीति ST के कल्याण के संबंध में उन्हें भेजे गए मामलों पर राज्यपाल को सलाह देती है। इसके बाद राज्यपाल अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
- वर्ष 1995 में अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत राज के विस्तार के प्रावधानों की सिफारिश करने के लिये गठित भूरिया समिति ने अनुसूचित क्षेत्र वाले गाँवों को पंचायती राज में शामिल करने की सिफारिश की थी, लेकिन यह कार्य अभी तक नहीं किया गया है।
अनुसूचित क्षेत्रों से संबंधित चिंताएँ:
- आदिवासी संगठनों की मांगों के बावजूद, भारत की ST आबादी का एक बड़ा हिस्सा (59%) अनुच्छेद 244 के अंतर्गत नहीं आता है, जिससे वे अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू होने वाले कानूनों के तहत संरक्षित अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।
- नौकरशाह तंत्र में व्यवहार्य ST-बहुमत प्रशासनिक इकाइयों की अनुपस्थिति एक आम समस्या रही है, जिसके कारण अनुसूचित क्षेत्रों के कुछ हिस्सों को गैर-अधिसूचित करने की मांग उठी है।
- उन्हें भूमि अधिग्रहण, पुनरुद्धार, पुनर्वासन में उचित प्रतिकार तथा पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 और जैविक विविधता अधिनियम, 2002 सहित अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू होने वाले कानूनों के तहत संरक्षित किये गये अधिकारों से वंचित किया गया है।
भारत में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित प्रावधान:
- परिभाषा:
- भारतीय संविधान में ST की मान्यता के लिये कोई मानदंड परिभाषित नहीं है। जनगणना-1931 के अनुसार, ST को "बहिष्कृत" और "आंशिक रूप से बहिष्कृत" क्षेत्रों में निवास करने वाली "पिछड़ी जनजाति" कहा जाता है।
- सर्वप्रथम प्रांतीय विधानसभाओं में "पिछड़ी जनजातियों" के लिये प्रतिनिधित्व का प्रावधान भारत सरकार अधिनियम 1935 द्वारा लाया गया था।
- संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 366(25) के अनुसार ST की परिभाषा:
- "ST" उन जनजातियों, आदिवासी समुदायों अथवा उन जनजातियों व समुदायों के कुछ हिस्सों या समूहों को संदर्भित करता है, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिये अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
- अनुच्छेद 366(25) के अनुसार ST की परिभाषा:
- कानूनी प्रावधान:
- अस्पृश्यता के विरुद्ध नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955।
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989।
- पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA), 1996
- अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006।
आगे की राह
- सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जहाँ ST सबसे बड़ा सामाजिक समूह है, किंतु उनके आवास अथवा आवासों के समूह अनुसूचित क्षेत्रों के बाहर हैं, उन क्षेत्रों की निकटता पर विचार किये बिना अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया जाएगा।
- FRA (वन अधिकार अधिनियम) 2006 के तहत वन भूमि पर "सामुदायिक वन संसाधन" क्षेत्र और राजस्व भूमि के भीतर प्रथागत सीमा, जहाँ लागू हो, को इन गांवों की भौगोलिक सीमाओं में जोड़ा जाना चाहिये। संबंधित राज्य कानूनों में उचित संशोधन से यह संभव हो सकता है।
- राजस्व ग्राम, पंचायत, तालुका और ज़िले की भौगोलिक सीमाओं को फिर से निर्धारित करने की आवश्यकता होगी ताकि ये पूरी तरह से अनुसूचित क्षेत्र बनाए जा सकें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन-सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उत्तर: (d) प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची में कुछ राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के लिये विशेष प्रावधान हैं?(2008) (a) तीसरा उत्तर: (b) प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची के तहत खनन के लिये निजी पार्टियों को आदिवासी भूमि के हस्तांतरण को शून्य और शून्य घोषित किया जा सकता है? (2019) (a) तीसरी अनुसूची उत्तर: (b) प्रश्न. सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (PESA) अधिनियम को 1996 में अधिनियमित किया। निम्नलिखित में से कौन-सा एक उसके उद्देश्य के रूप में अभिज्ञात नहीं है? (2013) (a) स्वशासन प्रदान करना उत्तर: (c) प्रश्न. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अधीन, व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों अथवा दोनों की प्रकृति एवं विस्तार के निर्धारण की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिये कौन प्राधिकारी होगा? (2013) (a) राज्य वन विभाग उत्तर: (d) प्रश्न. भारत के संविधान की पाँचवीं और छठी अनुसूची में किससे संबंधित प्रावधान हैं? (2015) (a) अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 244, अनुसूचित व आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है। इसकी पाँचवीं सूची का क्रियान्वयन न हो पाने से वामपंथी पक्ष के चरमपंथ पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। (2013) प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद से अनुसूचित जनजातियों (ST) के खिलाफ भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गई दो मुख्य विधिक पहल क्या हैं? (2017) प्रश्न. क्या कारण है कि भारत में जनजातियों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ कहा जाता है? भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित उनके उत्थान के लिये प्रमुख प्रावधानों को सूचित कीजिये। (2016) |