बिहार Switch to English
बिहार ने PMAY-G के तहत धनराशि का अनुरोध किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के ग्रामीण विकास विभाग (RDD) ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के तहत बेघर परिवारों के लिये 13.5 लाख रुपए की अतिरिक्त आवास इकाइयों को मंज़ूरी देने के लिये ग्रामीण विकास मंत्रालय को एक नया अनुरोध भेजा है।
प्रमुख बिंदु
- RDD ने वर्ष 2016-17 से वर्ष 2023-24 की अवधि के दौरान PMAY-G के तहत स्वीकृत कुल 37 लाख इकाइयों में से 36.64 लाख आवास इकाइयों का निर्माण किया है।
- PMAY-G के तहत प्रत्येक लाभार्थी को ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत दरों के अनुसार श्रम लागत के साथ एक आवास इकाई के लिये 1.30 लाख रुपये मिलते हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G)
- लॉन्च:
- वर्ष 2022 तक “सभी के लिये आवास” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये, पूर्ववर्ती ग्रामीण आवास योजना इंदिरा आवास योजना (IAY) को 1 अप्रैल, 2016 से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) में पुनर्गठित किया गया था।
- हालाँकि सरकार इस लक्ष्य से चूक गई और अगस्त 2022 में “सभी के लिये आवास” सुनिश्चित करने की समय सीमा दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी।
- संबंधित मंत्रालय:
- ग्रामीण विकास मंत्रालय।
- स्थिति:
- राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने लाभार्थियों के लिये 2.85 करोड़ मकान स्वीकृत किये हैं और मार्च 2023 तक 2.22 करोड़ मकान पूरे हो चुके हैं।
- उद्देश्य:
- मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवारों, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना।
- गरीबी रेखा से नीचे (BPL) ग्रामीण लोगों को आवास इकाइयों के निर्माण और मौजूदा अनुपयोगी कच्चे घरों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता करके सहायता करना।
- लाभार्थी:
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग, युद्ध में मारे गए रक्षा कर्मियों की विधवाएँ या उनके निकट संबंधी, पूर्व सैनिक और अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति और अल्पसंख्यक।
- लाभार्थियों का चयन:
- तीन-चरणीय सत्यापन जैसे सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा और जियो-टैगिंग के माध्यम से।
- लागत का बँटवारा:
- मैदानी क्षेत्रों के मामले में केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं, तथा पूर्वोत्तर राज्यों, दो हिमालयी राज्यों और जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के मामले में 90:10 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं।
- केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख सहित अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र 100% लागत वहन करता है।
- मैदानी क्षेत्रों के मामले में केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं, तथा पूर्वोत्तर राज्यों, दो हिमालयी राज्यों और जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के मामले में 90:10 के अनुपात में व्यय साझा करते हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
- परिचय:
- मनरेगा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किया गया विश्व का सबसे बड़ा कार्य गारंटी कार्यक्रम है।
- यह प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को वैधानिक न्यूनतम मज़दूरी पर सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिये तैयार रहने पर सौ दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
- सक्रिय कर्मचारी: 14.32 करोड़ (2023-24)
- प्रमुख विशेषताएँ:
- मनरेगा के रूपरेखा (डिज़ाइन) की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क काम का अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर काम मिल जाना चाहिये।
- यदि यह प्रतिबद्धता पूरी नहीं होती है तो "बेरोज़गारी भत्ता" प्रदान किया जाता है।
- इसमें महिलाओं को इस तरह प्राथमिकतादी जाती है कि लाभार्थियों में से कम-से-कम एक तिहाई महिलाएँ हों जिन्होंने पंजीकरण कराया हो और काम के लिये अनुरोध किया हो।
- मनरेगा की धारा 17 में मनरेगा के तहत निष्पादित सभी कार्यों का सामाजिक लेखा-परीक्षण अनिवार्य किया गया है।
- मनरेगा के रूपरेखा (डिज़ाइन) की आधारशिला इसकी कानूनी गारंटी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी ग्रामीण वयस्क काम का अनुरोध कर सकता है और उसे 15 दिनों के भीतर काम मिल जाना चाहिये।
- कार्यान्वयन एजेंसी:
- भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना के सम्पूर्ण कार्यान्वयन की निगरानी कर रहा है।
बिहार Switch to English
बिहार की पहली खेल अकादमी एवं विश्वविद्यालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री ने राज्य की पहली खेल अकादमी और बिहार खेल विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया, जो राजगीर में अंतर्राष्ट्रीय खेल परिसर का एक हिस्सा है।
प्रमुख बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय खेल परिसर में एक साथ 24 खेल विधाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- खिलाड़ियों को एक ही परिसर में प्रशिक्षण, आवास और चिकित्सा सुविधाओं सहित सभी सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी
- परिसर में एक मुख्य क्रिकेट स्टेडियम के साथ-साथ आठ छोटे स्टेडियम, एक विश्व स्तरीय खेल पुस्तकालय और विभिन्न खेलों के लिये प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं
- मुख्य स्टेडियम में लगभग 50,000 दर्शकों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि छोटे स्टेडियमों में 10,000 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था होगी।
- सूत्रों के अनुसार राजगीर नवंबर में छह देशों की एशियाई महिला हॉकी चैंपियनशिप की मेज़बानी करेगा
- राज्य सरकार ने जुलाई, 2021 में बिहार खेल विश्वविद्यालय की स्थापना को मंज़ूरी दी।
- इस विश्वविद्यालय का प्राथमिक उद्देश्य बिहार राज्य में व्यायाम शिक्षा, खेल विज्ञान, खेल प्रौद्योगिकी, खेल प्रबंधन और खेल प्रशिक्षण के क्षेत्रों में खेल शिक्षा को बढ़ावा देना है
- विश्वविद्यालय को खेलों के लिये एक उच्च-स्तरीय अनुसंधान तथा प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करने के लिये तैयार किया गया है।
राष्ट्रीय खेल दिवस
- परिचय:
- इस दिन को पहली बार वर्ष 2012 में भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में नामित और मनाया गया था
- राष्ट्र अपने खिलाड़ियों का सम्मान करते हुए इस दिन को मनाता है
- इस अवसर पर राष्ट्रपति मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार और ध्यानचंद पुरस्कार जैसे खेल पुरस्कार प्रदान करते हैं।
- महत्त्व:
- राष्ट्रीय खेल दिवस का प्राथमिक उद्देश्य खेलों के महत्त्व और दैनिक जीवन में शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है
- भारत सरकार राष्ट्रीय खेल दिवस के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये विभिन्न कार्यक्रम, आयोजन, सेमिनार आदि आयोजित करती है।
झारखंड Switch to English
झारखंड मंत्रिमंडल ने बिजली बकाया बिल माफ किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड सरकार ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली योजना से लाभान्वित होने वाले लगभग 39.44 लाख उपभोक्ताओं का 3,584 करोड़ रुपए का बिजली बकाया बिल माफ करने का निर्णय किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस निर्णय का उद्देश्य मुख्यमंत्री ऊर्जा खुशहाली योजना के तहत पंजीकृत घरेलू उपभोक्ताओं पर वित्तीय दबाव को कम करना है
- राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित अन्य निर्णय इस प्रकार हैं:
- ड्यूटी या सैन्य ऑपरेशन के दौरान शहीद होने वाले झारखंड के अग्निवीर सैनिकों के परिवारों को 10 लाख रुपए की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी दी जाएगी।
- अनुग्रह राशि वह धनराशि है, जो नैतिक दायित्व के कारण दी जाती है न कि कानूनी दायित्व के कारण।
- आँगनवाड़ी पोषण सखियों और रसोइयों के पारिश्रमिक की अवधि 10 महीने से बढ़ाकर 12 महीने करना।
- छह ज़िलों-धनबाद, दुमका, गिरिडीह, चतरा, कोडरमा और गोड्डा में 10,388 पोषण सखियों की पुनर्नियुक्ति।
- ड्यूटी या सैन्य ऑपरेशन के दौरान शहीद होने वाले झारखंड के अग्निवीर सैनिकों के परिवारों को 10 लाख रुपए की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी दी जाएगी।
अग्निपथ योजना
- "अग्निवीर" शब्द का अर्थ "अग्नि-योद्धा" है। यह एक नया सैन्य पद है।
- यह सैनिक, वायुसैनिक और नाविक जैसे अधिकारी पद से नीचे के सैन्य कर्मियों की भर्ती की एक योजना है, जो भारतीय सशस्त्र बलों में कमीशन प्राप्त अधिकारी नहीं हैं।
- उन्हें 4 वर्ष की अवधि के लिये भर्ती किया जाता है, जिसके बाद इन भर्तियों में से 25% तक (जिन्हें अग्निवीर कहा जाता है), योग्यता और संगठनात्मक आवश्यकताओं के अधीन, स्थायी कमीशन (अन्य 15 वर्ष तक) पर सेवाओं में शामिल हो सकते हैं।
- वर्तमान में चिकित्सा शाखा के तकनीकी संवर्ग को छोड़कर सभी नाविक, वायुसैनिक और सैनिक इस योजना के तहत सेवाओं में भर्ती किये जाते हैं।
उत्तराखंड Switch to English
ओम पर्वत से पहली बार बर्फ लुप्त
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इतिहास में पहली बार उत्तराखंड के ओम पर्वत से बर्फ लुप्त हो गई है, जिससे पर्यावरणविदों में गहरी चिंता उत्पन्न हो गई है।
प्रमुख बिंदु
- विशेषज्ञों ने इस अभूतपूर्व घटना के लिये मुख्य रूप से पिछले पाँच वर्षों में ऊपरी हिमालयी क्षेत्र में हुई कम वर्ष और छिटपुट बर्फबारी को ज़िम्मेदार ठहराया है
- वर्षा में उल्लेखनीय गिरावट ने सीधे तौर पर ओम पर्वत पर बर्फ के आवरण को कम करने में योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त वाहनों से होने वाले प्रदूषण में वृद्धि तथा ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है।
- इस घटना के प्रभाव से क्षेत्र के पर्यटन उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- ओम पर्वत से बर्फ का लुप्त होना जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभाव का स्पष्ट संकेत है।
- हिमालय क्षेत्र, जो अपने नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिये जाना जाता है, तापमान और वर्षा पैटर्न में परिवर्तन के लिये विशेष रूप से अतिसंवेदनशील है
- वैश्विक तापमान में वृद्धि ने ग्लेशियर पिघलने और बर्फबारी में कमी को बढ़ा दिया है, जिससे क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता तथा जल संसाधन प्रभावित हो रहे हैं।
- क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के प्रयासों में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करना, वनाग्नि को नियंत्रित करना तथा सतत् पर्यटन पद्धतियों को बढ़ावा देना, जैसे उपाय शामिल होने चाहिये।
- पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की वहन क्षमता का आकलन करने तथा वाहनों की गतिविधियों पर कड़े नियम लागू करने से हिमालय की प्राकृतिक सुन्दरता और पारिस्थितिक अखंडता को संरक्षित करने में सहायता मिल सकती है।
ओम पर्वत
- यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में लगभग 14,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है
- यह अपनी बर्फ से ढकी चोटी के लिये प्रसिद्ध है, जो स्वाभाविक रूप से हिंदू प्रतीक "ओम" जैसा पैटर्न बनाती है
- इस अनूठी विशेषता ने इसे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के बीच एक लोकप्रिय गंतव्य बना दिया है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
नई रेल परियोजनाएँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 6,456 करोड़ रुपए की कुल अनुमानित लागत वाली तीन नई रेल परियोजनाओं को मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु
- प्रधानमंत्री के अनुसार मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत तीन नई रेलवे संबंधी परियोजनाओं से ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ को बहुत लाभ होगा।
- रेल मंत्रालय के अनुसार इन परियोजनाओं से लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार होगा, लाइन क्षमता बढ़ेगी और परिवहन नेटवर्क में वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप आपूर्ति शृंखला सुव्यवस्थित होगी तथा आर्थिक विकास में तेज़ी आएगी।
- ये परियोजनाएँ मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये PM-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हो पाई हैं और लोगों, वस्तुओं व सेवाओं की आवाजाही के लिये निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA)
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में CCEA सार्वजनिक क्षेत्र के लिये निवेश प्राथमिकताएँ निर्धारित करती है तथा निवेश के लिये विशेष प्रस्तावों का मूल्यांकन करती है, जो पूर्व निर्धारित सीमाओं से कम नहीं होने चाहिये, जिन्हें समय-समय पर संशोधित किया जाता है।
- इसकी ज़िम्मेदारियों में सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश के लिये प्राथमिकताएँ निर्धारित करना, निवेश प्रस्तावों पर विचार करना, आर्थिक रुझानों की समीक्षा करना, आर्थिक नीति ढाँचा विकसित करना और आर्थिक गतिविधियों तथा नीतियों का निर्देशन व समन्वय करना शामिल है।
मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिये PM-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान
- यह एक मेड इन इंडिया पहल है, जो आर्थिक नोड्स और सामाजिक बुनियादी ढाँचे के लिये मल्टीमॉडल बुनियादी ढाँचे की कनेक्टिविटी की एकीकृत योजना के लिये एक परिवर्तनकारी 'संपूर्ण-सरकार' दृष्टिकोण है, जिससे लॉजिस्टिक दक्षता में सुधार होता है।
- PM गति शक्ति सिद्धांत क्षेत्रीय संपर्क के हिस्से के रूप में सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र-आधारित विकास लाता है।
- PM गतिशक्ति को अक्तूबर 2021 में लॉन्च किया गया था।
- गति शक्ति योजना में वर्ष 2019 में शुरू की गई 110 लाख करोड़ रुपए की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन शामिल हो गई है।
- PM गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) डेटा-आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसमें 1400 से अधिक डेटा परतें और 50 से अधिक उपकरण हैं।
- यह ट्रंक और उपयोगिता अवसंरचना, भूमि उपयोग, मौजूदा संरचनाओं, मृदा की गुणवत्ता, आवास, पर्यटन स्थलों, वन संवेदनशील क्षेत्रों आदि का दृश्य प्रतिनिधित्व प्रदान करता है।
- इस पहल का क्रियान्वयन क्षेत्रीय भागीदारों के साथ संपर्क बढ़ाने के लिये भी किया जा रहा है। इसके कुछ उपयुक्त उदाहरण इस प्रकार हैं:
- भारत-नेपाल हल्दिया प्रवेश नियंत्रित गलियारा परियोजना (पूर्वी भारतीय राज्य और नेपाल)।
- विकास केंद्रों तथा सीमावर्ती क्षेत्रों तक बहुविध कनेक्टिविटी के लिये क्षेत्रीय जलमार्ग ग्रिड (RWG) परियोजना।
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