वायनाड के लिये राहत और पुनर्वास निधि | उत्तर प्रदेश | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने भूस्खलन प्रभावित वायनाड ज़िले में राहत और पुनर्वास प्रयासों में सहायता के लिये केरल सरकार को 10 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं।
प्रमुख बिंदु
- केरल के वायनाड ज़िले में भारी वर्षा और नाज़ुक पारिस्थितिक स्थितियों के कारण जुलाई 2024 की शुरुआत में विनाशकारी भूस्खलन आपदा आई
- चूरलमाला और मुंडक्कई गाँवों में भूस्खलन से कम-से-कम 144 लोगों की मृत्यु हो गई तथा 197 लोग घायल हो गए, ज़िले में 24 घंटे में 140 mm से अधिक वर्ष हुई, जिससे मृदा संतृप्त हो गई एवं नीचे की कठोर चट्टानों से उसकी पट्टी कमज़ोर हो गई।
भूस्खलन
- परिचय:
- भूस्खलन एक ढलान पर चट्टान, मृदा और मलबे का नीचे की ओर खिसकना है, जिसमें छोटे-मोटे बदलाव से लेकर बड़े, विनाशकारी घटनाक्रम शामिल होते हैं
- यह प्राकृतिक या मानव निर्मित ढलानों पर हो सकता है और भारी वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखी गतिविधि, मानवीय गतिविधियों तथा भूजल स्तर में बदलाव जैसे कारकों से शुरू होता है।
- भारत में भूस्खलन के जोखिम को कम करने के लिये सरकारी पहल:
- राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति (2019): राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति (2019) एक व्यापक रणनीति है जो खतरे के मानचित्रण, निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, जागरूकता कार्यक्रम, क्षमता निर्माण, नीतियों और स्थिरीकरण उपायों को संबोधित करती है।
- भूस्खलन जोखिम शमन योजना (LRMS): भूस्खलन जोखिम शमन योजना (LRMS) तैयारी के तहत, जिसका उद्देश्य संवेदनशील राज्यों में भूस्खलन शमन परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिसमें आपदा निवारण, शमन रणनीतियों और गंभीर भूस्खलनों की निगरानी के लिये अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा
- बाढ़ जोखिम शमन योजना (FRMS): बाढ़ आश्रयों, नदी बेसिन-विशिष्ट प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और बाढ़ की तैयारी तथा निकासी के लिये डिजिटल उन्नयन मानचित्रों के विकास के लिये बाढ़ जोखिम शमन योजना (FRMS)।
- भूस्खलन और हिमस्खलन पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा दिशा-निर्देश, जिसमें खतरा आकलन, जोखिम प्रबंधन, संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपाय, संस्थागत तंत्र, वित्तीय व्यवस्था तथा सामुदायिक भागीदारी शामिल है।
- भारत का भूस्खलन एटलस: यह एक विस्तृत संसाधन है जो देश के संवेदनशील क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाओं का दस्तावेज़ीकरण करता है और इसमें कुछ स्थलों के लिये क्षति का आकलन भी शामिल है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के तहत राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) द्वारा विकसित, यह भारत में भूस्खलन से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी और अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
राजस्थान बनेगा चिकित्सा पर्यटन का केंद्र | राजस्थान | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये शीघ्र ही 'हील इन राजस्थान' नीति शुरू करके चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।
- यह नीति तैयार करने के लिये एक मेडिकल वैल्यू ट्रैवल समिति नियुक्त की गई है, जिसमें विभिन्न विभागों और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
मुख्य बिंदु
- राज्य सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने नीति के लिये सुझाव एकत्र करने के लिये निजी अस्पतालों, टूर ऑपरेटरों और अन्य हितधारकों के साथ सहयोग किया है।
- इसका मुख्य ध्यान स्वास्थ्य, कायाकल्प और पारंपरिक चिकित्सा आधारित उपचारों पर है, जिसका उद्देश्य जयपुर तथा अन्य शहरों को प्रमुख चिकित्सा पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करना है।
- राज्य सरकार ने वर्ष 2024 में बजट का 8.26% स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये आवंटित किया है।
- इसका उद्देश्य नीतिगत निर्णयों, निवेश और रोज़गार के अवसरों के सृजन तथा फार्मास्यूटिकल्स एवं आतिथ्य जैसे संबंधित उद्योगों में विकास के माध्यम से राजस्थान को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक मॉडल के रूप में स्थापित करना था।
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग निवेश संवर्द्धन ब्यूरो (BIP) और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के साथ मिलकर उच्च स्तरीय सुविधाएँ स्थापित करेगा, जिसका उद्देश्य चिकित्सा उपचार के लिये अन्य राज्यों तथा विदेशों से आने वाले रोगियों को आकर्षित करना है।
नोट: निवेश संवर्द्धन ब्यूरो (BIP) राजस्थान की एक सरकारी एजेंसी है जो राज्य में निवेश और एकल खिड़की मंज़ूरी को बढ़ावा देती है। BIP का मुख्य लक्ष्य निवेशकों का समर्थन करना तथा राजस्थान में निवेश को बढ़ावा देना है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII)
- CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-नेतृत्व वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है।
- यह सलाहकार और परामर्श प्रक्रियाओं के माध्यम से उद्योग, सरकार तथा नागरिक समाज के साथ साझेदारी करके भारत के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाने एवं बनाए रखने का कार्य करता है।
- वर्ष 1895 में स्थापित, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
राजस्थान ने सरकारी कर्मचारियों पर लगा प्रतिबंध हटाया | राजस्थान | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है।
मुख्य बिंदु
- राज्य में RSS में शामिल होने पर प्रतिबंध वर्ष 1972 से लागू है। परिपत्र के माध्यम से सरकारी अधिकारियों पर 52 वर्ष पुराना प्रतिबंध हटा दिया गया है।
- पिछले आदेशों में 17 संगठनों को सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें उनसे जुड़े या उनकी गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान था
- अब, कर्मचारियों को शाखाओं (सुबह की सभाओं) में शामिल होने और RSS की अन्य सभी गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति है।
- जुलाई 2024 में केंद्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों के RSS गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध हटा लिया, जिसके बाद हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों ने भी प्रतिबंध हटा लिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)
- परिचय
- यह एक हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1925 में नागपुर में डॉ. के.बी. हेडगेवार द्वारा हिंदू संस्कृति और समाज के लिये कथित खतरों के जवाब में की गई थी, विशेष रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान।
- इसका उद्देश्य हिंदुत्व के विचार को बढ़ावा देना है, जो हिंदू सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान पर ज़ोर देता है।
- विचारधारा:
- विनायक दामोदर सावरकर द्वारा व्यक्त की गई RSS की केंद्रीय विचारधारा इस विचार को बढ़ावा देती है कि भारत मूलतः एक हिंदू राष्ट्र है।
- RSS भारतीय संस्कृति और विरासत के महत्त्व पर ज़ोर देता है, जिसका उद्देश्य लोगों को एक समान राष्ट्रीय पहचान के तहत एकजुट करना है।
- यह संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आपदा राहत सहित विभिन्न सामाजिक सेवा गतिविधियों में संलग्न है तथा अपने सदस्यों के बीच "सेवा" के विचार को बढ़ावा देता है।
स्वदेशी कदन्न खेती की पहल | राजस्थान | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उदयपुर ज़िले के झाड़ोल ब्लॉक में कदन्न (मिलेट्स) की खेती की पहल ने किसानों की नई पीढ़ी के बीच स्वदेशी बाजरा किस्मों की खेती को पुनर्जीवित किया है, जिससे आजीविका प्रोत्साहन के साथ-साथ प्राकृतिक खेती (नेचुरल फार्मिंग) पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- पायलट परियोजना का उद्देश्य स्थानीय आजीविका को बढ़ाने और सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रागी (Finger Millet), प्रोसो बाजरा, कंगनी (Foxtail) बाजरा तथा कोदो बाजरा जैसी बाजरा किस्मों को पुनर्जीवित करना है।
- झाड़ोल के किसानों को रासायनिक रूप से गहन कृषि पद्धतियों को अपनाने और बहु-फसल जैसे पारंपरिक फसल विविधीकरण के स्थान पर तेज़ी से लाभ देने वाली वाणिज्यिक एकल-फसल को अपनाने के कारण फसल हानि का सामना करना पड़ा है।
- पहचानी गई कदन्न किस्मों को मूल रूप से लघु बाजरा कहा जाता था और स्थानीय रूप से कुरी, बत्ती, कोदरा, चीना, समलाई एवं माल के रूप में जाना जाता था।
- उदयपुर ज़िले में कार्यरत आंगनवाड़ी केंद्रों ने बच्चों के लिये पोषण पूरक के रूप में कदन्न आधारित व्यंजन शामिल करना शुरू कर दिया है।
- उदयपुर स्थित स्वैच्छिक समूह सेवा मंदिर ने एक कार्यक्रम सहयोगी के माध्यम से लघु बाजरा की ज़मीनी स्तर पर खेती को सुविधाजनक बनाने के लिये परियोजना शुरू की।
- कदन्न हस्तक्षेप के परिणाम से उत्साहित होकर, सेवा मंदिर ने हाल ही में 1,000 किसानों के साथ बाज़ार तक पहुँच के लिये एक रूपरेखा तैयार की है।
मध्य प्रदेश में देवी-देवताओं से जुड़े स्थानों का विकास किया जाएगा | मध्य प्रदेश | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
जन्माष्टमी के अवसर पर मध्य प्रदेश सरकार ने दो पूज्य देवताओं भगवान राम और कृष्ण से जुड़े स्थानों को विकसित करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
मध्य प्रदेश का इतिहास गौरवशाली है, क्योंकि भगवान राम ने 11 वर्ष राज्य में व्यतीत किये थे, जबकि भगवान कृष्ण ने उज्जैन के आचार्य संदीपनी आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी।
जन्माष्टमी
- जन्माष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी या श्रीकृष्ण जयंती भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण, विष्णु के आठवें अवतार के जन्म का जश्न मनाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है।
- यह चंद्र-सौर हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी (आठवें दिन) को मनाया जाता है, आमतौर पर अगस्त या सितंबर में।
- जन्माष्टमी का एक मुख्य आकर्षण "दही हांडी" कार्यक्रम है।
आचार्य सांदीपनि आश्रम
- प्राचीन उज्जैन, अपने राजनीतिक और धार्मिक महत्त्व के अलावा, महाभारत काल की शुरुआत में शिक्षा का एक प्रतिष्ठित केंद्र था।
- भगवान कृष्ण और सुदामा ने गुरु सांदीपनि के आश्रम में नियमित शिक्षा प्राप्त की थी।
- आश्रम के निकट का क्षेत्र अंकपाट के नाम से जाना जाता है, ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अपनी लिखी हुई चीज़ों को धोने के लिये इस स्थान का उपयोग किया था।
- ऐसा माना जाता है कि पत्थर पर अंकित 1 से 100 तक की संख्याएँ गुरु सांदीपनि द्वारा उत्कीर्ण की गई थीं।
- पुराणों में वर्णित गोमती कुंड प्राचीन काल में आश्रम में जल आपूर्ति का स्रोत था।
- वल्लभ संप्रदाय के अनुयायी इस स्थान को वल्लभाचार्य की 84 पीठों में से 73वीं पीठ मानते हैं, जहाँ उन्होंने पूरे भारत में अपने प्रवचन दिये थे।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण | छत्तीसगढ़ | 27 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में 25 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। वे प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की गंगलूर और भैरमगढ़ क्षेत्र समितियों में सक्रिय थे।
मुख्य बिंदु
- अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने खोखली माओवादी विचारधारा से मोहभंग होने तथा गैरकानूनी आंदोलन के नेताओं द्वारा आदिवासी समुदायों पर किये गए अत्याचारों का उदाहरण देते हुए आत्मसमर्पण किया।
- छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिये पुनर्वास नीति बनाई है।
- उन्होंने नियाद नेल्लनार योजना के तहत गाँवों में सड़क, स्वास्थ्य सेवाएँ, जल और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराकर समानता एवं विकास का वातावरण बनाया है।
नियाद नेल्लनार योजना
- नियाद नेल्लनार, जिसका अर्थ है "आपका अच्छा गाँव" या "आपका अच्छा गाँव" स्थानीय दंडामी बोली है (दक्षिण बस्तर में बोली जाती है)।
- इस योजना के तहत बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा शिविरों के 5 किलोमीटर के भीतर स्थित गाँवों में सुविधाएँ और लाभ प्रदान किये जाएंगे।
- बस्तर में 14 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किये गए हैं। ये शिविर नई योजना के क्रियान्वयन में भी सहायक होंगे। नियाद नेल्लनार के तहत ऐसे गाँवों में करीब 25 बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।