हरियाणा Switch to English
हरियाणा सरकार को NGT का नोटिस
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने राजस्थान और हरियाणा सरकारों को अपने 9 दिसंबर 2022 के फैसले का पालन करने के लिये नोटिस जारी किया है।
- न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों को गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूह (हरियाणा) और अलवर (राजस्थान) में संरक्षित अरावली भूमि से अवैध निर्माण को हटाने के लिये एक निगरानी समिति गठित करने और समय-समय पर समीक्षा करने का निर्देश दिया।
मुख्य बिंदु
- 2022 के निर्णय का अनुपालन:
- इन ज़मीनों को 'गैर मुमकिन पहाड़' (अनुपयुक्त पहाड़ी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहाँ निर्माण प्रतिबंधित है।
- स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, राज्यों ने कोई अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की न ही आवश्यक कार्रवाई की।
- मामले की पृष्ठभूमि:
- कार्यकर्त्ताओं ने मूल रूप से अरावली भूमि पर अतिक्रमण को उजागर करते हुए याचिका दायर की थी।
- यह मामला एक दशक से अधिक समय से NGT की जाँच के अधीन है, जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की 7 मई 1992 की अधिसूचना के उल्लंघन पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो निर्दिष्ट क्षेत्रों में निर्माण पर प्रतिबंध लगाता है।
- न्यायाधिकरण ने दिसंबर 2022 का फैसला जारी करने से पहले 10 वर्षों से अधिक समय तक इस मामले की निगरानी की थी।
- NGT का 2022 का निर्णय और निर्देश:
- NGT ने कहा था कि अतिक्रमणकारियों की पहचान कर ली गई है और दोनों राज्यों ने एक निगरानी तंत्र गठित कर लिया है।
- दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को तिमाही समीक्षा के माध्यम से अनुपालन की निगरानी करने का निर्देश दिया गया।
- पीड़ित पक्षों को किसी भी उल्लंघन के लिये कानूनी उपाय अपनाने की अनुमति दी गई।
- अवैध निर्माण की सीमा:
- वन विभाग के सर्वेक्षण से पता चला है कि गुरुग्राम में अरावली की भूमि पर कम-से-कम 500 अवैध फार्महाउस बनाए गए हैं।
- ये ग्वालपहाड़ी, अभयपुर, गैरतपुर बास, सोहना, रायसीना और मानेसर जैसे क्षेत्रों में स्थापित थे।
- वन विभाग के सर्वेक्षण से पता चला है कि गुरुग्राम में अरावली की भूमि पर कम-से-कम 500 अवैध फार्महाउस बनाए गए हैं।
अरावली पर्वतमाला
- अरावली, पृथ्वी पर सबसे पुराना वलित पर्वत है। भूवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह तीन अरब साल पुराना है।
- यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा से होकर) तक 800 किलोमीटर से अधिक तक फैला हुआ है।
- अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।
- जलवायु पर प्रभाव:
- अरावली पर्वतमाला का उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे की जलवायु पर प्रभाव पड़ता है।
- मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को धीरे-धीरे पूर्व की ओर शिमला और नैनीताल की ओर ले जाती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों को पोषण मिलता है तथा उत्तर भारतीय मैदानों को पोषण मिलता है।
- सर्दियों के महीनों के दौरान, यह सिंधु और गंगा की उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों को मध्य एशिया से आने वाली कठोर ठंडी पश्चिमी हवाओं से बचाता है।


उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में हिमस्खलन की चेतावनी
चर्चा में क्यों?
रक्षा भूसूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान ((DGRE) ने उत्तराखंड के पाँच ज़िलों के ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिये हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है।
मुख्य बिंदु
- चमोली में हिमस्खलन::
- यह अलर्ट चमोली ज़िले में भारत-चीन सीमा के पास माणा (चमोली) में हुए घातक हिमस्खलन के बाद जारी किया गया है।
- हिमस्खलन में सीमा सड़क संगठन (BRO) के आठ संविदा कर्मियों की मौत हो गई।
- हिमस्खलन चेतावनियाँ:
- DGRE ने चमोली में ऊँचाई वाले क्षेत्रों के लिये ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जो हिमस्खलन के उच्च जोखिम का संकेत है।
- उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग ज़िलों के लिए मध्यम जोखिम का संकेत देने वाला येलो अलर्ट जारी किया गया था।
- बागेश्वर ज़िले के लिये कम खतरे के स्तर को दर्शाते हुए ग्रीन अलर्ट जारी किया गया।
- ताज़ा बर्फबारी के कारण ढलानों पर बर्फ का जमाव बढ़ गया है, जिससे इन क्षेत्रों में हिमस्खलन का खतरा काफी बढ़ गया है।
- सुरक्षा अनुशंसाएँ:
- DGRE ने घाटी में सुरक्षित और सावधानीपूर्वक चयनित मार्गों तक आवाजाही को सीमित रखने की सलाह दी।
- इसमें यात्रा करते समय अत्यधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया गया है तथा बर्फ से भरी ढलानों पर जाने के प्रति चेतावनी दी गई है।
- प्राधिकारियों ने हिमस्खलन-प्रवण मार्गों के निकट स्थित असुरक्षित बस्तियों को खाली कराने की सिफारिश की।
रक्षा भूसूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (DGRE)
- परिचय:
- DGRE रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत एकमात्र ऐसा संस्थान है जो सशस्त्र बलों को उन्नत भू-आसूचना समाधान प्रदान करता है।
- यह भारतीय हिमालय में भूस्खलन और हिमस्खलन के मानचित्रण, पूर्वानुमान, निगरानी, नियंत्रण और शमन में विशेषज्ञता रखता है।
- DGRE की स्थापना 15 नवंबर 2020 को DRDO के आर्मामेंट एंड कॉम्बैट इंजीनियरिंग क्लस्टर के तहत की गई थी।
- इसका गठन DRDO की दो प्रमुख प्रयोगशालाओं को मिलाकर किया गया था:
- हिम एवं हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (SASE), चंडीगढ़
- रक्षा भू-भाग अनुसंधान प्रयोगशाला (DTRL), दिल्ली
- DGRE का मुख्यालय चंडीगढ़ में स्थित है।
- अनुसंधान एवं मौसम विज्ञान केंद्र:
- DGRE पाँच अनुसंधान एवं विकास केंद्र (RDCs) संचालित करता है :
- मनाली (हिमाचल प्रदेश)
- दिल्ली
- तेजपुर (असम)
- तवांग (अरुणाचल प्रदेश)
- लाचुंग (सिक्किम)
- इसके तीन पर्वतीय मौसम विज्ञान केंद्र (MMCs) भी हैं :
- श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर)
- औली (उत्तराखंड)
- सासोमा (लद्दाख यूटी)
- DGRE पाँच अनुसंधान एवं विकास केंद्र (RDCs) संचालित करता है :
- उद्देश्य:
- चुनौतीपूर्ण इलाकों में सैनिकों की सुरक्षित गतिशीलता सुनिश्चित करना।
- आधुनिक मूल्यांकन तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न भूभागों की सैन्य क्षमता का आकलन करना।
- मिशन प्राथमिकताएँ:
- भूस्थानिक सूचना प्रणाली - परिचालन योजना और सैन्य खुफिया जानकारी के लिये एक प्रणाली विकसित करना।
- इंजीनियरिंग समाधान - विशेष रूप से हिमस्खलन और भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में सुरक्षित सैन्य आवाजाही सुनिश्चित करने के लिये अत्याधुनिक इंजीनियरिंग समाधान प्रदान करना।
- एआई-सक्षम प्रणालियाँ - अनुकूलित तैनाती और परिचालन दक्षता के लिये एआई-संचालित समाधान बनाएँ।
हिमस्खलन
- परिचय:
- हिमस्खलन किसी पहाड़ या ढलान से बर्फ और मलबे का अचानक, तेज़ी से नीचे आना है।
- यह विभिन्न कारकों से उत्पन्न हो सकता है, जैसे भारी बर्फबारी, तापमान में तीव्र परिवर्तन, या मानवीय गतिविधियाँ।
- हिमस्खलन की आशंका वाले कई क्षेत्रों में विशेष टीमें होती हैं जो विस्फोटकों, बर्फ अवरोधों और अन्य सुरक्षा उपायों जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग करके हिमस्खलन के जोखिम की निगरानी और नियंत्रण करती हैं।
- प्रकार:
- चट्टानी हिमस्खलन जिसमें टूटी हुई चट्टान के बड़े खंड शामिल होते हैं।
- हिमस्खलन जो आमतौर पर ग्लेशियर के आसपास होता है।
- मलबा - हिमस्खलन जिसमें विभिन्न प्रकार की असंगठित सामग्रियाँ होती हैं, जैसे ढीले पत्थर और मिट्टी।


छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ खनिज राजस्व में वृद्धि
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ के कुशल खनिज संसाधन निष्कर्षण ने राज्य के गठन के बाद से राज्य के खनिज राजस्व में अभूतपूर्व 30 गुना वृद्धि की है, जो 2023-24 में 13,000 करोड़ रुपए तक पपहुँच गई है।
मुख्य बिंदु
- खनिज ब्लॉकों की सफल ई-नीलामी:
- छत्तीसगढ़ ने 44 खनिज ब्लॉकों के लिये ई-नीलामी आयोजित की है, जिससे संसाधन आवंटन में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित हुई है।
- भारत की पहली लिथियम ब्लॉक नीलामी छत्तीसगढ़ में आयोजित की गई, जिसमें कोरबा ज़िले के कटघोरा लिथियम ब्लॉक को साउथ मैकी माइनिंग कंपनी को 76% प्रीमियम पर आवंटित किया गया।
- सुकमा और कोरबा ज़िलों में लिथियम की खोज जारी है तथा अधिकारियों ने आशाजनक भंडार की सूचना दी है।
- राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन:
- महत्त्वपूर्ण खनिजों के महत्त्व को समझते हुए, भारत सरकार ने जनवरी 2025 में राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन शुरू किया।
- इस पहल के अनुरूप, छत्तीसगढ़ ने अन्वेषण को प्राथमिकता दी है तथा महत्त्वपूर्ण एवं गहरे खनिजों पर चल रही 56 परियोजनाओं में से 31 पर ध्यान केंद्रित किया है।
- लौह अयस्क खनन और ई-नीलामी विस्तार:
- बैलाडीला क्षेत्र एक प्रमुख लौह अयस्क खनन क्षेत्र बना हुआ है, जिसमें भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क भंडारों में से एक है।
- राज्य तीन नए लौह अयस्क ब्लॉकों के लिये ई-नीलामी आयोजित कर रहा है, जिसके मार्च 2025 तक समाप्त होने की उम्मीद है।
- कांकेर ज़िले में हाहालद्दी लौह अयस्क ब्लॉक अंतिम नीलामी चरण में है।
- छत्तीसगढ़ का समृद्ध प्राकृतिक संसाधन आधार:
- राज्य में 28 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं, जिनमें कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर, बॉक्साइट, सोना, निकल, क्रोमियम, प्लैटिनम समूह के तत्त्व शामिल हैं।
राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM)
- उद्देश्य: NCMM का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण खनिजों के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करना और उच्च तकनीक उद्योगों, स्वच्छ ऊर्जा और राष्ट्रीय रक्षा के लिये आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।
- मिशन में खनिज अन्वेषण, खनन, लाभकारीकरण, प्रसंस्करण और जीवन के अंतिम उत्पादों से पुनर्प्राप्ति सहित सभी चरण शामिल होंगे।
- यह मिशन देश के भीतर और इसके अपतटीय क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण खनिजों की खोज को तीव्र करेगा।
- दृष्टिकोण: NCMM विभिन्न मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निजी कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर काम करते हुए "संपूर्ण सरकार" दृष्टिकोण अपनाएगा।
- महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये खनन परियोजनाओं में तेजी लाने के लिये फास्ट-ट्रैक अनुमोदन प्रक्रिया स्थापित की जाएगी।
- खनिजों का भण्डारण: महत्त्वपूर्ण खनिजों के भण्डारण के लिये NCMM के प्रावधान यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत के पास भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिये पर्याप्त भंडार उपलब्ध हो।
- अंतर्राष्ट्रीय रणनीति: भारतीय कंपनियों को विदेशों में महत्त्वपूर्ण खनिज परिसंपत्तियों का अधिग्रहण करने और संसाधन संपन्न देशों के साथ व्यापार संबंध बनाने के लिये प्रोत्साहित करती है।
- बुनियादी ढाँचा: मिशन खनिज प्रसंस्करण पार्क स्थापित करेगा, महत्त्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देगा तथा महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये उत्कृष्टता केंद्र के निर्माण सहित संबंधित प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान का समर्थन करेगा।
- वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से उद्योगों को भारत में प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को वित्तपोषित करने के लिये व्यक्तियों, स्टार्टअप्स और MSME में नवाचारों को बढ़ावा देने (PRISM) पहल का विस्तार किया गया।


उत्तर प्रदेश Switch to English
गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स
चर्चा में क्यों?
18 मार्च, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित ET गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स में उत्तर प्रदेश को डिजिटल गवर्नेंस की विभिन्न श्रेणियों में 5 पुरस्कार प्रदान किये गये।
मुख्य बिंदु
- उत्तर प्रदेश को प्राप्त पुरस्कार हैं-
-
सार्वजनिक सेवाओं में AI /ML, डेटा एनालिटिक्स और उभरती प्रौद्योगिकियों का सर्वोत्तम उपयोग
- प्राप्तकर्त्ता: प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड और यूपी पुलिस
- कारण: महाकुंभ 2025 के दौरान एआई-आधारित निगरानी और भीड़ प्रबंधन प्रणाली के उपयोग के लिये।
- स्मार्ट मोबिलिटी और परिवहन प्रौद्योगिकियों में उत्कृष्टता
- प्राप्तकर्त्ता: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC)
- कारण: यूपी-112 के साथ Vehicle Location Tracking Device (VLTD) और पैनिक बटन के माध्यम से व्यापक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये
- इनोवेटिव डिजिटल हेल्थ सर्विसेज और पब्लिक हेल्थ डेटा एनालिटिक्स
- प्राप्तकर्त्ता: हमीरपुर ज़िला प्रशासन
- कारण: 'प्रोजेक्ट जागृति: टीबी मुक्त हमीरपुर' पहल के लिये।
- सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकी का अभिनव उपयोग
- प्राप्तकर्त्ता: यूपी डेवलपमेंट सिस्टम्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPDESCO)
- कारण: स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तीकरण योजना के तहत डिजिटल प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के लिये।
- डिजिटल गवर्नेंस में नवाचार
- प्राप्तकर्त्ता: उत्तर प्रदेश सरकार
- कारण: विभिन्न डिजिटल पहलों और तकनीकी उन्नयन के जरिये प्रशासनिक कार्यों को बेहतर बनाने के लिये।
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- गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स
- इकोनॉमिक टाइम्स (ET) गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है।
- ये पुरस्कार उन अग्रदूतों को प्रदान किये जाते हैं, जिन्होंने सार्वजनिक सेवाओं में डिजिटल परिवर्तन को दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इस समारोह में पूरे भारत से 30 विजेताओं को सम्मानित किया गया। विभिन्न श्रेणियों में गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, केरल, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा सहित कई राज्यों को भी पुरस्कार प्रदान किये गये।
डिजिटल गवर्नेंस के बारे में:
- परिचय
- डिजिटल गवर्नेंस किसी संगठन की डिजिटल उपस्थिति के लिये जवाबदेही, भूमिकाएँ और निर्णय लेने का अधिकार स्थापित करने का एक ढाँचा है।
- इसमें संगठन की वेबसाइटें, मोबाइल साइट्स, सोशल मीडिया चैनल और अन्य इंटरनेट-आधारित सेवाएँ शामिल होती हैं।
- महत्त्व
- डिजिटल गवर्नेंस संगठनों में स्पष्ट निर्णय प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।
- यह प्रभावी प्रबंधन द्वारा डिज़ाइन, सामग्री, तकनीकी अवसंरचना, सुरक्षा और वित्तपोषण में समन्वय स्थापित करता है।
- एक मजबूत गवर्नेंस ढाँचा संगठन की डिजिटल उपस्थिति को लेकर अनावश्यक वाद-विवाद को कम करता है और बेहतर सेवाओं, मज़बूत संगठनात्मक प्रदर्शन तथा प्रभावी ग्राहक अनुभव के जरिये जनता के विश्वास को बढ़ाता है।


बिहार Switch to English
बिहार को मिला डिजिटेक अवार्ड्स 2025
चर्चा में क्यों?
18 मार्च, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स समारोह में बिहार को ‘बिहार कृषि’ ऐप और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के सफल क्रियान्वयन के लिये स्वर्ण पुरस्कार प्रदान किया गया।
मुख्य बिंदु
- स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग:
- यह पुरस्कार बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BSPHCL) को स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये दिया गया।
- राज्य की पहल ‘बिहार- प्राउड टॉर्च बियरर ऑफ यूनिवर्सल स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग फॉर द नेशन’ को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन लीडर इन पब्लिक सेक्टर श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया।
- स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग एक आधुनिक ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली है। यह पारंपरिक मीटरिंग की तुलना में अधिक पारदर्शी, कुशल और उपभोक्ता हितैषी है।
- इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना, बिलिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना, ऊर्जा की बचत और राजस्व वसूली में सुधार करना है।
- ‘बिहार कृषि’ ऐप:
- 'बिहार कृषि' एप बिहार कृषि विभाग द्वारा विकसित एक एकल डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जो किसानों को कृषि योजनाओं, फसल मूल्य, मौसम, शिकायत निवारण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सरकारी घोषणाओं और कृषि संबंधित संपर्क जानकारी उपलब्ध कराता है।
- बिहार के कृषि विभाग को इस ऐप के सफल कार्यान्वयन हेतु स्वर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 'बिहार कृषि' एप बिहार कृषि विभाग द्वारा विकसित एक एकल डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जो किसानों को कृषि योजनाओं, फसल मूल्य, मौसम, शिकायत निवारण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सरकारी घोषणाओं और कृषि संबंधित संपर्क जानकारी उपलब्ध कराता है।
- गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स
- ET गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है।
- ये पुरस्कार उन अग्रदूतों को प्रदान किये जाते हैं, जिन्होंने सार्वजनिक सेवाओं में डिजिटल परिवर्तन को दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इस समारोह में पूरे भारत से 30 विजेताओं को सम्मानित किया गया। विभिन्न श्रेणियों में गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, केरल, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा सहित कई राज्यों को भी पुरस्कार प्रदान किये गये।


राजस्थान Switch to English
गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स 2025
चर्चा में क्यों?
18 मार्च, 2025 को राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम (RMSCL) को ET गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- पुरस्कार के बारे में:
- यह पुरस्कार राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम (RMSCL) को डिजिटल तकनीक के माध्यम से ऑक्सीजन संसाधन प्रबंधन को सुदृढ़ करने के लिये प्रदान किया गया है।
- इसका उद्देश्य चिकित्सा सेवाओं में नवाचार, डिजिटलीकरण और प्रभावी संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
- राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम (RMSCL)
- यह राज्य सरकार द्वारा संचालित सार्वजनिक उपक्रम है, जिसे राजस्थान में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिये स्थापित किया गया है।
- इसकी स्थापना वर्ष 2011 में राजस्थान सरकार द्वारा की गई थी।
- इसका मुख्य कार्य राज्य में आवश्यक औषधियों, चिकित्सा उपकरणों और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
- गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स
- ET गवर्नमेंट डिजिटेक अवार्ड्स को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है।
- ये पुरस्कार उन अग्रदूतों को प्रदान किये जाते हैं, जिन्होंने सार्वजनिक सेवाओं में डिजिटल परिवर्तन को दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इस समारोह में पूरे भारत से 30 विजेताओं को सम्मानित किया गया। विभिन्न श्रेणियों में गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, केरल, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा सहित कई राज्यों को भी पुरस्कार प्रदान किये गये।


राजस्थान Switch to English
पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गाँव योजना
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने “पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गाँव योजना” के तहत प्रदेश के 5000 गाँवों को गरीबी मुक्त बनाने की घोषणा की है।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
- इस योजना के अंतर्गत चिह्नित गाँवों के सभी बीपीएल परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने के उद्देश्य से 300 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की है।
- इसके तहत अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को पट्टे प्रदान किये जाएंगे।
- योजना के प्रथम चरण में 5,000 गाँवों को शामिल किया जाएगा, जहाँ सरकार द्वारा विकास योजनाओं, स्वरोजगार के अवसरों, कौशल विकास कार्यक्रमों तथा वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जाएगी।
- इसके अतिरिक्त, प्रमुख ज़िला सड़कों (MDR) के माध्यम से गाँवों को बेहतर परिवहन सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी, जिससे संपर्क और आजीविका के अवसरों में वृद्धि होगी।
- उद्देश्य
- यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेगी और राज्य को गरीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगी।
- सरकार का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक को आत्मनिर्भर बनाना तथा गरीबी उन्मूलन करना है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय
- परिचय: इनका जन्म 25 सितंबर 1916 को हुआ और यह भारतीय राजनीतिज्ञ, दार्शनिक और RSS एवं भारतीय जनसंघ (BJS) (भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती) के विचारक अथवा सिद्धांतकार थे।
- योगदान: उन्होंने अंत्योदय अर्थात समाज में सबसे आखिरी व्यक्ति के उत्थान और सर्वाधिक सुविधावंचितों की आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया।
- यह "समग्र मानवतावाद" दर्शन के प्रणेता थे जिसमें कल्याण, सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता और आत्मनिर्भरता पर ज़ोर दिया गया।
- मान्यता: राष्ट्र के प्रति उनके योगदान के सम्मान में वर्ष 2014 से 25 सितंबर को उनकी जयंती को अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- वर्ष 2015 में, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के नाम में परिवर्तन कर इसे दीनदयाल अंत्योदय योजना-NRLM कर दिया गया।
- वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश में मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर उनके नाम पर रखा गया।

