उत्तर प्रदेश Switch to English
मदरसों की शिक्षा
चर्चा में क्यों
हाल ही में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के गैर-अनुपालन का हवाला देते हुए भारत में मदरसा शिक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की।
प्रमुख बिंदु
- NCPCR की चिंताएँ: NCPCR ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि मदरसा शिक्षा व्यापक नहीं है और यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करती है ।
- मदरसों में प्रयुक्त पाठ्य पुस्तकें कथित तौर पर ‘इस्लाम की सर्वोच्चता’ को बढ़ावा देती हैं, जो धर्मनिरपेक्ष शैक्षिक सिद्धांतों और RTE आवश्यकताओं के विपरीत है।
- उच्च न्यायालय का निर्णय: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को ‘असंवैधानिक’ घोषित किया।
- यह अधिनियम ‘धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत’ तथा संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता पाया गया।
- मदरसा: मदरसा एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ शैक्षणिक संस्थान होता है।
- आरंभ में, इस्लाम में मस्जिदें शैक्षणिक संस्थानों के रूप में संचालित होती थीं, लेकिन 10 वीं शताब्दी तक, मदरसे इस्लामी दुनिया में धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा दोनों के लिये अलग-अलग संस्थाओं के रूप में विकसित हो गए।
- सबसे प्रारंभिक मदरसे खुरासान और ट्रांसोक्सेनिया (आधुनिक पूर्वी व उत्तरी ईरान, मध्य एशिया और अफगानिस्तान) में पाए गए, जहाँ बड़े संस्थान छात्रों, विशेष रूप से गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों के लिये आवास उपलब्ध कराते थे।
- सत्र 2018-19 तक, भारत में 24,010 मदरसे थे: 19,132 मान्यता प्राप्त और 4,878 गैर-मान्यता प्राप्त।
- मान्यता प्राप्त मदरसे राज्य बोर्ड के अधीन हैं; गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे दारुल उलूम नदवतुल उलमा और दारुल उलूम देवबंद जैसे प्रमुख मदरसों के पाठ्यक्रम का पालन करते हैं ।
- देश के 60% मदरसे उत्तर प्रदेश में हैं। जिनमें 11,621 मान्यता प्राप्त और 2,907 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।
- भारत में मदरसों की श्रेणियाँ
- मदरसा दरसे निज़ामी: सार्वजनिक दान के रूप में संचालित होते हैं और इन्हें राज्य स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम का पालन करना आवश्यक नहीं है
- मदरसा दरसे आलिया: राज्य मदरसा शिक्षा बोर्डों से संबद्ध (जैसे, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड)।
- राज्य सरकारों द्वारा शासित, शिक्षकों और अधिकारियों की नियुक्ति राज्य सरकारों द्वारा की जाती है।
- वर्ष 2023 में लगभग 1.69 लाख छात्र उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड परीक्षा (कक्षा 10 और कक्षा 12 के समकक्ष) में उपस्थित हुए।
- मदरसों के लिये वित्तपोषण: वित्तपोषण का बड़ा हिस्सा संबंधित राज्य सरकारों से आता है।
- केंद्र सरकार की योजना: मदरसों/अल्पसंख्यकों को शिक्षा प्रदान करने की योजना (SPEMM) मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- SPEMM के अंतर्गत उप-योजनाएँ:
- मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की योजना (SPQEM
- अल्पसंख्यक संस्थानों का अवसंरचना विकास (IDMI
- अप्रैल 2021 में SPEMM को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से शिक्षा मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
- NCPCR एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना मार्च 2007 में बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत की गई थी।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- आयोग का अधिदेश यह सुनिश्चित करना है कि सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र भारत के संविधान एवं बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन में निहित बाल अधिकार परिप्रेक्ष्य के अनुरूप हों।
- यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के अंतर्गत बच्चों के निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है ।
- यह लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में किसान फैक्टर
चर्चा में क्यों
हाल ही में, हरियाणा के विधानसभा चुनावों में किसानों में अशांति एक प्रमुख मुद्दा बन गया है, जो राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था की उभरती गतिशीलता को उजागर करता है
प्रमुख बिंदु
- कृषि और रोज़गार: राज्य के सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन (GSVA) में कृषि की हिस्सेदारी के मामले में हरियाणा 8वें स्थान पर है, वर्ष 2022-23 के GSVA आँकड़ों के अनुसार यह लगभग 18% है।
- हालाँकि, कुल कार्यबल में कृषि की हिस्सेदारी के मामले में, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2022-23 के अनुसार लगभग 32%, हरियाणा 15वें स्थान पर है।
- समग्र उत्पादन और रोज़गार दोनों में कृषि का अपेक्षाकृत कम हिस्सा होने के बावजूद, प्रति कृषि श्रमिक कृषि में सकल राज्य मूल्य संवर्द्धन (GSVA) के मामले में हरियाणा, पंजाब के बाद भारत में दूसरे स्थान पर है।
- इससे पता चलता है कि भारत के अन्य राज्यों की तुलना में हरियाणा में कृषि एक महत्त्वपूर्ण उच्च मूल्य वाली गतिविधि है।
- हरियाणा के लिये कृषि परिवारों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा स्थिति आकलन सर्वेक्षण आयोजित किया गया था। यह डेटा मुख्य रूप से वर्ष 2018-19 के सर्वेक्षण से है, जिसमें वर्ष 2021-22 से कुछ अपडेट उपलब्ध हैं।
- हरियाणा में कुल परिवारों में से लगभग 14.7% कृषि परिवार हैं।
- हरियाणा में कृषि परिवारों की औसत मासिक आय लगभग 23,000 रुपए है।
- कृषि परिवारों की कुल आय का लगभग 48% हिस्सा कृषि गतिविधियों से आता है।
- हरियाणा में गेहूँ और चावल जैसी प्रमुख फसलों की उत्पादकता उच्च है, तथा उपज प्रायः राष्ट्रीय औसत से अधिक होती है।
- कृषि कार्यबल का एक बहुत बड़ा हिस्सा मौसमी श्रम और आकस्मिक रोज़गार में लगा हुआ है
- कृषि परिवारों की कुल आय का लगभग 48% हिस्सा कृषि गतिविधियों से आता है।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण
- परिचय:
- यह भारत में रोज़गार और बेरोज़गारी की स्थिति का आकलन करने के लिये सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत NSO द्वारा किया गया एक सर्वेक्षण है।
- NSO ने अप्रैल 2017 में PLFS का शुभारंभ किया।
- PLFS का उद्देश्य:
- 'वर्तमान साप्ताहिक स्थिति' (CWS) में केवल शहरी क्षेत्रों के लिये तीन महीने के लघु समय अंतराल में प्रमुख रोज़गार और बेरोज़गारी संकेतकों (अर्थात श्रमिक जनसंख्या अनुपात, श्रम बल भागीदारी दर, बेरोज़गारी दर) का अनुमान लगाना।
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 'सामान्य स्थिति' और CWS दोनों में रोज़गार एव्न्न बेरोज़गारी संकेतकों का वार्षिक अनुमान लगाना।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान में बारिश की चेतावनी
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने जयपुर, अजमेर, अलवर और उदयपुर समेत पूर्वी राजस्थान के कई ज़िलों में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है
प्रमुख बिंदु
- कलर कोडेड (रंग के आधार पर कूटबद्ध) अलर्ट
- ग्रीन अलर्ट: इसका अर्थ है ‘कोई चेतावनी नहीं’, हल्की से मध्यम वर्षा का पूर्वानुमान, जो 15.6 मिमी से 64.4 मिमी तक हो सकता है।
- येलो अलर्ट: इसका अर्थ है ‘निगरानी’, इसमें 64.5 मिमी से 115.5 मिमी तक भारी वर्षा की संभावना होती है ।
- ऑरेंज अलर्ट: इसका अर्थ है ‘अलर्ट’, जो 115.6 मिमी से 204.4 मिमी तक बहुत भारी वर्षा का संकेत देता है।
- रेड अलर्ट: ‘चेतावनी’ का संकेत देता है, जिसमें 204.5 मिमी से अधिक भारी वर्षा का पूर्वानुमान है।
- पूर्वानुमान में उन्नयन: भारत का मौसम विभाग स्थानीय और चरम मौसम पूर्वानुमानों को अधिक सटीकता के साथ बेहतर बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण उन्नयन के लिये तैयार है।
- नया मिशन : कम-से-कम 10,000 करोड़ रुपए के बजट वाला एक नया मौसम पूर्वानुमान मिशन जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है, जो मानसून मिशन, 2012 से काफी बड़ा होगा।
- इसमें भारत के लिये सटीक कंप्यूटर सिमुलेशन मॉडल विकसित करने और जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों पर ध्यान देने पर ज़ोर दिया जाएगा।
- इस मिशन के तहत डॉप्लर रडार जैसे परिष्कृत उपकरणों के प्रयोग को बढ़ाया जाएगा और मौसम पूर्वानुमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)/मशीन लर्निंग (ML) को एकीकृत किया जाएगा।
- भारत के पास तीन मौसम संबंधी उपग्रह (INSAT-3D, INSAT-3DR और INSAT-3DS) हैं, जिनमें बेहतर पूर्वानुमानों के लिये उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्रदान करने के लिये नेक्स्ट जेनरेशन की INSAT-4 शृंखला विकसित की जा रही है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान तथा संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
- नियम और ज़िम्मेदारियाँ:
- मौसम संबंधी अवलोकन तथा कृषि, सिंचाई, नौवहन, विमानन, अपतटीय तेल अन्वेषण आदि जैसी मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के इष्टतम संचालन के लिये वर्तमान और पूर्वानुमानित मौसम संबंधी जानकारी प्रदान करना।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, नॉरवेस्टर, धूल के तूफान, भारी बारिश और हिम, ठंड और गर्म लहरों (हीट वेव) आदि जैसी गंभीर मौसम संबंधी घटनाओं के विरुद्ध चेतावनी देना, जो जीवन और संपत्ति के विनाश का कारण बनते हैं।
- कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, उद्योग, तेल अन्वेषण और अन्य राष्ट्र निर्माण गतिविधियों के लिये आवश्यक मौसम संबंधी आँकड़े उपलब्ध कराना।
- मौसम विज्ञान और संबद्ध विषयों में अनुसंधान का संचालन और संवर्द्धन करना।
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