हरियाणा Switch to English
गर्भिणी-दृष्टि
चर्चा में क्यों?
भारत ने देश की पहली फेरेट अनुसंधान सुविधा का उद्घाटन करके, गर्भ-इनि-दृष्टि डेटा रिपोजिटरी का शुभारंभ करके तथा एक प्रमुख प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते को अंतिम रूप देकर, अत्याधुनिक जैव-चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है।
- यह कार्यक्रम हरियाणा के फरीदाबाद स्थित NCR बायोटेक साइंस क्लस्टर स्थित ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI) में आयोजित किया गया।
मुख्य बिंदु
- THSTI फेरेट अनुसंधान सुविधा:
- भारत ने THSTI फेरेट अनुसंधान सुविधा का उद्घाटन किया, जो उच्चतम जैव सुरक्षा और अनुसंधान मानकों का पालन करने वाली एक अत्याधुनिक स्थापना है।
- यह सुविधा टीकाकरण के विकास, चिकित्सीय परीक्षण और उभरते संक्रामक रोगों पर अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह भारत की महामारी संबंधी तैयारी रणनीति को सशक्त करता है और वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान में इसकी स्थिति को बढ़ाता है।
- गर्भ-इनि-दृष्टि:
- गर्भ-इनि-दृष्टि (GARBH-INi-DRISHTI) THSTI में एक अग्रणी DBT डेटा रिपोजिटरी और सूचना साझाकरण केंद्र है।
- यह प्लेटफॉर्म 12,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और प्रसवोत्तर माताओं से नैदानिक डेटा, चित्र और जैविक नमूनों की उपलब्धता प्रदान करता है।
- दक्षिण एशिया के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य डेटाबेस में से एक के रूप में, यह शोधकर्त्ताओं को मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिये परिवर्तनकारी अध्ययन करने में सक्षम बनाता है।
- यह पहल भारत के अग्रणी अनुसंधान संस्थानों और अस्पतालों के बीच सहयोगात्मक प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है, जो एक प्रबल अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देती है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता:
- THSTI ने अपने नवोन्मेषी माइक्रोबियल कंसोर्टियम, लैक्टोबेसिलस क्रिस्पैटस के व्यावसायीकरण के लिये मेसर्स सुंद्योटा नुमांडिस प्रोबायोस्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- गर्भ-इनि समूह में नामांकित महिलाओं के प्रजनन पथ से पृथक किया गया यह सिंथेटिक माइक्रोबियल संघ, न्यूट्रास्युटिकल अनुप्रयोगों के लिये अपार संभावनाएँ रखता है।
- यह समझौता लक्षित माइक्रोबायोम-आधारित हस्तक्षेपों के माध्यम द्वारा अनुसंधान को वास्तविक विश्व स्वास्थ्य समाधानों में परिवर्तित करने की सुविधा प्रदान करता है।
- THSTI ने अपने नवोन्मेषी माइक्रोबियल कंसोर्टियम, लैक्टोबेसिलस क्रिस्पैटस के व्यावसायीकरण के लिये मेसर्स सुंद्योटा नुमांडिस प्रोबायोस्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किये।
गर्भ-इनि (GARBH-INi)
- गर्भ-इनि (जन्म परिणामों पर उन्नत अनुसंधान के लिये अंतःविषय समूह-DBT इंडिया पहल) की शुरुआत वर्ष 2014 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा एक सहयोगात्मक अंतःविषय कार्यक्रम के रूप में की गई थी।
- यह कार्यक्रम ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI), NCR बायोटेक क्लस्टर, फरीदाबाद द्वारा संचालित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य समय से पूर्व जन्म (PTB) के जैविक और गैर-जैविक जोखिमों को स्पष्ट करना है, ताकि महत्त्वपूर्ण ज्ञान-संचालित हस्तक्षेप और प्रौद्योगिकियों का निर्माण किया जा सके, जिन्हें इस रोग के लिये नैदानिक अभ्यास और समुदाय में स्थायी रूप से क्रियान्वित किया जा सके।
उत्तर प्रदेश Switch to English
बुंदेलखंड: सौर ऊर्जा का केंद्र
चर्चा में क्यों ?
उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति कर रहा है और बुंदेलखंड इस प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए ऊर्जा का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है।
मुख्य बिंदु
- उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा का विकास:
- सरकार ने एक व्यापक सौर ऊर्जा नीति लागू की है, जिसके तहत सौर ऊर्जा परियोजनाओं को विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान किये जा रहे हैं।
- वर्ष 2024 में, राज्य में लगभग 1100 मेगावाट क्षमता वाले 17 सौर ऊर्जा संयंत्र चालू हो चुके हैं।
- इन सौर संयंत्रों ने प्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित किये हैं, जो उत्तर प्रदेश में अक्षय ऊर्जा विस्तार के महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव को रेखांकित करते हैं।
- बुंदेलखंड की भूमिका:
- बुंदेलखंड अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरा है और क्षेत्रीय विकास और रोज़गार को बढ़ावा दे रहा है।
- इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में सूर्य का प्रकाश और जलवायु परिस्थितियाँ इसे सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये आदर्श बनाती हैं।
प्रमुख परियोजनाएँ:
- बुंदेलखंड में 4 हज़ार मेगावाट की सौर ऊर्जा इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। इस क्षेत्र में स्थापित 10 नए सौर संयंत्रों में से 995 मेगावाट ने काम करना शुरू कर दिया है।
- झाँसी सौर ऊर्जा परियोजना TUSCO लिमिटेड द्वारा 600 मेगावाट की परियोजना जनवरी 2025 में चालू की जाएगी। इसके साथ ही, 2024 के मध्य में 1200 करोड़ रुपए के निवेश के साथ बबीना, झाँसी में फोर्थ पार्टनर एनर्जी द्वारा 100 मेगावाट का सौर संयंत्र शुरू किया गया।
- बुंदेलखंड में एक और महत्त्वपूर्ण विकास सन सोर्स एनर्जी सोलर ओपन एक्सेस प्रोजेक्ट है, जो राज्य के ऊर्जा ग्रिड में अतिरिक्त 135 मेगावाट का योगदान देता है।
बुंदेलखंड
- बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा में स्थित एक भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है।
- यह उत्तर प्रदेश के सात जिलों (झाँसी, जालौन, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बाँदा और चित्रकूट) से मिलकर बना एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र है।
- यह एक पर्वतमाला भी है। झाँसी बुंदेलखंड का सबसे बड़ा शहर है।
- बुंदेलखंड को पहले जेजाभुक्ति या जेजाकभुक्ति के नाम से जाना जाता था, लेकिन 14वीं शताब्दी में बुंदेलों के समय से इसे बुंदेलखंड के नाम से जाना जाने लगा।
राजस्थान Switch to English
अल्पसंख्यक मामलों के नए निदेशक
चर्चा में क्यों ?
5 फरवरी, 2025 को भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी मातादीन मीना ने अल्पसंख्यक मामलात विभाग के निदेशक का कार्यभार संभाला।
मुख्य बिंदु
- पदभार संभालने के बाद अधिकारी ने मदरसा बोर्ड का दौरा कर विभिन्न अनुभागों की कार्यप्रणाली का अवलोकन किया।
- इस दौरान उन्होंने निदेशालय के अधिकारीगण एवं कर्मचारियों से फीडबैक लिया और उन्हें ईमानदारी, कर्त्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और सेवाभाव के साथ कार्य करने के निर्देश दिये।
अल्पसंख्यक मामलात विभाग
- राजस्थान सरकार ने राज्य के अल्पसंख्यक समुदायों (मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी) के सर्वांगीण विकास और सामाजिक-आर्थिक एवं शैक्षिक उत्थान के लिये 2009 में एक नया अल्पसंख्यक विभाग स्थापित किया।
- यह विभाग अल्पसंख्यक समुदायों के लाभ के लिये नीतियों, योजनाओं और विकास कार्यक्रमों की समीक्षा तथा समन्वय करता है। इस विभाग का नेतृत्व अल्पसंख्यक मामले और वक्फ के मंत्री द्वारा किया जाता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश: आईटी निवेश का नया केंद्र
चर्चा में क्यों ?
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के अनुसार राज्य अब IT, ITES (Information Technology Enabled Services) और ESDM (Electronics System Design and Manufacturing) क्षेत्रों में एक प्रमुख निवेश केंद्र के रूप में उभर रहा है।
मुख्य बिंदु
- आकर्षक केंद्र: राज्य सरकार की IT और ESDM नीति, डाटा सेंटर पार्क, IT पार्क्स और स्टार्ट-अप्स के विकास ने मध्यप्रदेश को तकनीकी निवेश के लिये आकर्षक केंद्र बना दिया है।
- मध्यप्रदेश डिजिटल इंडिया मिशन के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, बिग डेटा, ब्लॉकचेन और साइबर सिक्योरिटी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने में अग्रणी है।
- प्रमुख शहर: इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहर अब आईटी कंपनियों के नए केंद्र बन चुके हैं।
- 24-25 फरवरी 2025 को भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाएगा जिसमें आईटी और टेक्नोलॉजी निवेशकों को प्रदेश की व्यापक संभावनाओं से परिचित होने का उत्कृष्ट अवसर मिलने की संभावना है।
ITES
- ITES का पूरा नाम "Information Technology Enabled Services" (सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाएँ) है, जो व्यवसायों और संगठनों को विभिन्न सेवाएँ प्रदान करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग को संदर्भित करता है। इसमें डाटा प्रोसेसिंग, ग्राहक सहायता, तकनीकी सहायता और परामर्श जैसी सेवाएँ शामिल हैं।
- ITES के कुछ सामान्य उदाहरणों में शामिल हैं:
- KPO (नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग)
- BPO (बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग)
- LPO (लीगल प्रोसेस आउटसोर्सिंग)
- GPO (गेम प्रोसेस आउटसोर्सिंग)
- EDI (इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज)
- ESDM
- ESDM का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सिस्टम के डिज़ाइन, विकास और निर्माण के सभी पहलुओं को कवर किया जाता है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ में माओवादी मारा गया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में एक माओवादी को मार गिराया। कांकेर-नारायणपुर सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान के दौरान वन में गोलीबारी की एक घटना घटित हुई।
मुख्य बिंदु
- नक्सल विरोधी अभियान:
- ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) की एक संयुक्त टीम ने क्षेत्र में उत्तर बस्तर और माड़ डिवीज़नों के माओवादी कैडरों की उपस्थिति के बारे में खुफिया जानकारी के आधार पर अभियान शुरू किया।
- जनवरी 2025 से अब तक छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में 50 माओवादी मारे जा चुके हैं।
- बस्तर संभाग में सबसे अधिक 34 माओवादी मारे गये।
- वार्षिक माओवादी हताहत:
- वर्ष 2024 में, सुरक्षा बलों ने राज्य भर में विभिन्न मुठभेड़ों में 219 माओवादियों को ढेर कर दिया था।
- वर्ष 2024 में, सुरक्षा बलों ने राज्य भर में विभिन्न मुठभेड़ों में 219 माओवादियों को ढेर कर दिया था।
ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG)
- ज़िला रिज़र्व गार्ड (DRG) छत्तीसगढ़ में एक विशेष पुलिस इकाई है, जिसे वर्ष 2008 में माओवादी हिंसा से निपटने के लिये स्थापित किया गया था।
- इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मचारी शामिल होते हैं, जो प्रभावित ज़िलों में माओवाद-विरोधी अभियानों का संचालन करते हैं, तलाशी एवं ज़ब्ती करते हैं और खुफिया जानकारी एकत्रित करते हैं।
- माओवादी विद्रोह का सामना करने के लिये DRG केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) जैसे अन्य सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करता है।
सीमा सुरक्षा बल (BSF)
- BSF की स्थापना वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद की गई थी।
- यह गृह मंत्रालय (MHA) के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत भारत संघ के सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है।
- अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैं: असम राइफल्स (AR), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और सशस्त्र सीमा बल (SSB)।
- 2.65 लाख जवानों वाला यह बल पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर तैनात है।
- इसे भारतीय सेना के साथ भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा, भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (LoC) पर और नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात किया गया है।
- BSF अपने अत्याधुनिक जलयान बेड़े के साथ अरब सागर में सरक्रीक और बंगाल की खाड़ी में सुंदरवन डेल्टा की रक्षा कर रहा है।
- यह प्रतिवर्ष अपने प्रशिक्षित जनशक्ति का एक बड़ा दल भेजकर संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में समर्पित सेवाएँ प्रदान करता है।
हरियाणा Switch to English
म्हारी लाडो रेडियो कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने प्रमुख पहल "म्हारी लाडो" रेडियो कार्यक्रम शुरू किया, जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना के तहत एक अनुकरणीय सफलता की कहानी बन गया है।
मुख्य बिंदु
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना:
- भारत सरकार ने 22 जनवरी, 2015 को पानीपत, हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना शुरू की गई।
- इस पहल का उद्देश्य घटते बाल लिंग अनुपात (CSR) को संबोधित करना और यह सुनिश्चित करना है कि लड़कियों और महिलाओं को समान अवसर, देखभाल और सम्मान मिले।
- BBBP योजना के उद्देश्य:
- जागरूकता और हस्तक्षेप के माध्यम से जन्म के समय लिंग अनुपात में वृद्धि करना।
- मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिये संस्थागत प्रसव में सुधार करना।
- माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का नामांकन बढ़ाना तथा स्कूल छोड़ने की दर पर अंकुश लगाना।
- मातृ कल्याण के लिये शीघ्र प्रसवपूर्व देखभाल (ANC) पंजीकरण को प्रोत्साहित करना।
- सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता और प्रबंधन (MHM) पर जागरूकता को बढ़ावा देना।
- म्हारी लाडो रेडियो कार्यक्रम:
- इसे BBBP के तहत एक प्रमुख पहल के रूप में 16 अगस्त, 2024 को लॉन्च किया गया था।
- इस समुदाय-संचालित कार्यक्रम का उद्देश्य लैंगिक असमानता को दूर करना, लड़कियों को सशक्त बनाना और हरियाणा में बेटियों के महत्त्व को बढ़ावा देना है।
- प्रसारण कार्यक्रम: प्रत्येक बुधवार और गुरुवार को आकाशवाणी (AIR) स्टेशनों- चंडीगढ़, हिसार, रोहतक और कुरुक्षेत्र पर।
- विषय-वस्तु का प्रारूप: 15 मिनट के खंडों में लैंगिक समानता और सशक्तीकरण पर समुदायों को शामिल करने के लिये कहानियाँ, साक्षात्कार और चर्चाएँ शामिल हैं।
- अधिकतम पहुँच के लिये लामबंदी रणनीतियाँ:
- हरियाणा सरकार ने कार्यक्रम की पहुँच बढ़ाने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया।
- प्रमुख हितधारकों ने समुदायों को संगठित किया:
- ज़िला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) और बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO)।
- आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता और वन स्टॉप सेंटर (OSC), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) और पोषण (POSHAN) अभियान के कर्मचारी।
- आँगनवाड़ी केंद्रों पर सुनवाई सत्र आयोजित किये गए, जिनमें पुरुषों और महिलाओं दोनों को चर्चा में शामिल किया गया।
- डिजिटल पहुँच:
- प्रतिभागियों को आसान पहुँच के लिये "न्यूज़ ऑन AIR" ऐप डाउनलोड करने के लिये प्रोत्साहित किया गया।
- ऐप के उपयोग संबंधी दिशा-निर्देश व्हाट्सएप, टेलीफोन और ईमेल के माध्यम से साझा किये गए।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)
- यह मातृत्व लाभ कार्यक्रम 1 जनवरी, 2017 से देश के सभी ज़िलों में क्रियान्वित किया गया।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका क्रियान्वयन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया गया।
- गर्भवती महिलाओं को उनके बैंक खाते में सीधे नकद लाभ प्रदान किये जाते हैं, ताकि उनकी बढ़ी हुई पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और आंशिक रूप से मज़दूरी हानि की भरपाई की जा सके।
पोषण अभियान
- पोषण (POSHAN) अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) सरकार द्वारा 8 मार्च, 2018 को शुरू किया गया था।
- अभियान का लक्ष्य बौनापन, कुपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों में) को कम करना तथा जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की संख्या में क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% प्रति वर्ष की कमी लाना है।
- मिशन का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में बौनेपन को 38.4% से घटाकर 25% तक लाना था।
- पोषण 2.0:
- सरकार ने समान उद्देश्यों वाले विभिन्न कार्यक्रमों जैसे पूरक पोषण कार्यक्रम और पोषण अभियान को एक अम्ब्रेला-मिशन पोषण 2.0 के अंतर्गत समाहित कर दिया है, ताकि संचालन में तालमेल बनाया जा सके और पोषण सेवा तंत्र में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
- सरकार ने समान उद्देश्यों वाले विभिन्न कार्यक्रमों जैसे पूरक पोषण कार्यक्रम और पोषण अभियान को एक अम्ब्रेला-मिशन पोषण 2.0 के अंतर्गत समाहित कर दिया है, ताकि संचालन में तालमेल बनाया जा सके और पोषण सेवा तंत्र में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
उत्तराखंड Switch to English
बद्रीनाथ मंदिर
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित बद्रीनाथ मंदिर के पवित्र कपाट 4 मई, 2025 को श्रद्धालुओं के लिये खोले जाएंगे।
मुख्य बिंदु
- बद्रीनाथ मंदिर खोलने पर निर्णय:
- बसंत पंचमी के अवसर पर पुजारियों ने विशेष पूजा-अर्चना के पश्चात बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोलने का शुभ समय तय किया।
- चार धामों का वार्षिक समापन और पुनः उद्घाटन:
- दीवाली के बाद, अधिकारियों द्वारा चार धाम— बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री— भक्तों के लिये बंद कर दिये जाते हैं।
- अगले वर्ष अप्रैल-मई में द्वार पुनः खुलेंगे।
चार धाम यात्रा
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला
- देवी यमुना को समर्पित
- यमुना नदी भारत में गंगा नदी के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला
- देवी गंगा को समर्पित
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला
- भगवान शिव को समर्पित
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली ज़िला
- बद्रीनारायण मंदिर का पवित्र स्थल
- भगवान विष्णु को समर्पित
- वैष्णवों के लिये पवित्र तीर्थस्थलों में से एक।
बिहार Switch to English
किऊल नदी
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने किऊल नदी पर 49 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले पुल का शिलान्यास किया।
मुख्य बिंदु
- इस पुल की लंबाई 390 मीटर और चौड़ाई 12 मीटर है।
- किऊल-लखीसराय को जोड़ने वाले इस पुल का निर्माण पूरी तरह से पथ निर्माण विभाग द्वारा किया गया है।
किऊल नदी
- किऊल नदी गंगा की एक सहायक नदी है, जिसका उद्गम स्थल उत्तरी छोटा नागपुर का पहाड़ है। यह नदी झारखंड के गिरिडीह ज़िले में स्थित पर्वतमाला से गिरती है और जमुई होते हुए लखीसराय पहुँचकर हरूहर नदी में मिल जाती है।
- इसके बाद यह मुंगेर जिले में गंगा में मिल जाती है।