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आंतरिक सुरक्षा

माओवादी उग्रवाद का उन्मूलन

  • 18 Dec 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल, कमांडो बटालियन फॉर रेज़ोल्यूट एक्शन, ऑपरेशन समाधान, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम, नागरिक कार्यवाही कार्यक्रम, वन अधिकार अधिनियम, 2006, विधिविरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) अधिनियम, 1967, वन संरक्षण अधिनियम, 1980, पाँचवीं और नौवीं अनुसूची, जनजातीय सलाहकार परिषद

मेन्स के लिये:

भारत में वामपंथी उग्रवाद से जुड़े मुद्दे और चुनौतियाँ।

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर स्थित अमर शहीद स्मारक पर माओवादी उग्रवाद ( नक्सलवाद) से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • उन्होंने यह भी कहा कि त्रि-आयामी रणनीति का उपयोग करके मार्च 2026 तक भारत माओवादी उग्रवाद (नक्सलवाद) से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा।
    • त्रि-आयामी लालच-और-दंड रणनीति (Three-Pronged Carrot-And-Stick Strategy) में माओवादी उग्रवाद से निपटने के लिये सुरक्षा उपाय, विकास और सशक्तिकरण शामिल हैं।

माओवादी उग्रवाद को खत्म करने की त्रि-आयामी रणनीति क्या है?

  • सुरक्षा उपाय (बल): 
    • सुरक्षा बलों की तैनाती: वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों की उपस्थिति को मज़बूत करना।
    • संयुक्त अभियान: राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र बलों जैसे CRPF (केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल) तथा COBRA (कमांडो बटालियन फॉर रेज़ोल्यूट एक्शन) के बीच समन्वित कार्यवाही।
    • क्षमता निर्माण: सैन्य बलों के लिये हथियारों, संचार प्रणालियों और बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना। उदाहरण के लिये, CAPF बटालियनों के लिये मिनी UAV, सौर लाइट, मोबाइल टावर आदि  का उपयोग।
    • ऑपरेशन समाधान: खुफिया जानकारी जुटाने, परिचालन रणनीति और विकास पर केंद्रित एक दृष्टिकोण।
  • विकास पहल:
    • विकास केंद्रित योजनाएँ: प्रमुख कार्यक्रमों का कार्यान्वयन जैसे:
      • PMGSY (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना): ग्रामीण सड़क कनेक्टिविटी के लिये।
      • आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 15,000 घरों के निर्माण को मंज़ूरी दी है। 
        • प्रत्येक गाँव में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुँचाने के प्रयास चल रहे हैं।
      • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 47 ज़िलों में कौशल विकास योजना: वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिये विशेष रूप से तैयार की गई।
      • नागरिक कार्यवाही कार्यक्रम (CAP): वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों को करने के लिये CAPFs को वित्तीय अनुदान प्रदान करना
      • विशेष अवसंरचना योजना: सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सड़क, पुल और स्कूल जैसी बुनियादी अवसंरचना का सृजन।
      • बेहतर शासन: स्थानीय कार्मिकों की भर्ती के माध्यम से इन क्षेत्रों में प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना।
  • सशक्तीकरण (दिल और दिमाग जीतने का दृष्टिकोण):
    • सार्वजनिक सहभागिता: सरकार और जनजातीय समुदायों के बीच विश्वास और संचार को बढ़ावा देना, अलगाव को कम करना।
    • पुनर्वास नीतियाँ: माओवादी कार्यकर्त्ताओं के लिये आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजनाएँ, जिनमें शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा वित्तीय सहायता जैसे प्रोत्साहन दिये जाते हैं।
    • शिकायतों का समाधान: निष्पक्ष भूमि अधिग्रहण नीतियों को सुनिश्चित करना, वन अधिकार अधिनियम, 2006 का कार्यान्वयन और सामाजिक-आर्थिक अंतर को कम करने के लिये जनजातीय अधिकारों का संरक्षण।

नोट: समाधान का अर्थ है S- Smart leadership (कुशल नेतृत्व), A- Aggressive strategy (आक्रामक रणनीति), M- Motivation and training (अभिप्रेरणा एवं प्रशिक्षण), A- Actionable intelligence (अभियोज्य गुप्तचर व्यवस्था), D- Dashbord based key performance indicators and key result area (कार्ययोजना आधारित प्रदर्शन सूचकांक एवं परिणामोन्मुखी क्षेत्र), H- Harnessing technology (कारगर प्रौद्यौगिकी), A- Action plan for each threat (प्रत्येक रणनीति की कार्ययोजना) और N- No access to financing (नक्सलियों के वित्त-पोषण को विफल करने की रणनीति)। 

माओवाद क्या है?

  • परिचय: माओ से-तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। यह सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर अधिकार करने का सिद्धांत है।
    • माओ ने इस प्रक्रिया को 'दीर्घकालिक जनयुद्ध' कहा, जिसमें सत्ता पर अधिकार करने के लिये ‘मिलिट्री लाइन' पर ज़ोर दिया जाता है ।
  • माओवादी विचारधारा: माओवादी विचारधारा का केंद्रीय विषय राज्य सत्ता पर कब्ज़ा  करने के साधन के रूप में  हिंसा और सशस्त्र विद्रोह का प्रयोग करना है।
    • माओवादी उग्रवाद सिद्धांत के अनुसार, 'हथियार रखना अस्वीकार्य है'।
  • भारतीय माओवादी: भारत में सबसे बड़ा और सबसे हिंसक माओवादी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) है जिसका गठन वर्ष 2004 में हुआ था।
    • फ्रंट ऑर्गनाइज़ेशन मूल माओवादी पार्टी की शाखाएँ हैं, जो कानूनी उत्तरदायित्व से बचने के लिये अलग अस्तित्व का दावा करती हैं।
  • CPI (माओवादी) और उसके अग्रणी संगठनों को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है

Left_Wing_Extremism_in_India

माओवादी उग्रवाद को समाप्त करने में हाल की उपलब्धियाँ क्या हैं?

  • 'माओवाद-मुक्त' गाँव: वर्ष 2023 में छत्तीसगढ़ में 287 नक्सलियों को मार गिराया गया, लगभग 1,000 को गिरफ्तार किया गया और 837 ने आत्मसमर्पण कर दिया।
    • दंतेवाड़ा के गाँवों को क्रमिक रूप से 'माओवादी मुक्त' घोषित किया गया है, वर्ष 2021 तक 15 से अधिक गाँवों को यह दर्जा प्राप्त हो जाएगा। 
    • रिकॉर्ड संख्या में नक्सलवादियों को मारा गया, गिरफ्तार किया गया या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। यह इतिहास में पहली बार है कि एक ही वर्ष में इतना बड़ा क्षेत्र नक्सल प्रभाव से मुक्त हो गया है।

Deaths_of_LWEs_in_Chhattisgarh

  • सुरक्षा बलों की मृत्यु में कमी: वर्ष 2024 में, सुरक्षा बलों की केवल 14 मृत्यु दर्ज की गईं, जो वर्ष 2007 में अधिकतम 198 मृत्यु की तुलना में काफी कम है।
  • समर्थन हासिल करना: माओवादियों की असफलता का कारण जनजातीय समुदायों से मिल रही समर्थन में कमी है, जो वर्षों तक नुकसान पहुँचाने के बाद अलगाव महसूस कर रहे हैं।
  • उन्नत सुरक्षा उपाय: सैन्य सहायता और परिचालन दक्षता के लिये अब 12 हेलीकॉप्टर तैनात किये गए हैं, जबकि पहले केवल दो हेलीकॉप्टर तैनात थे, जिसके बाद से सरकारी सैन्य हताहतों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
  • बुनियादी ढाँचा और रसद: वर्ष 2014 और 2024 के बीच 544 किलेबंद पुलिस स्टेशन बनाए गए, जबकि वर्ष 2004 और 2014 के बीच केवल 66 ही बनाए गए थे।
    • सुरक्षा संबंधी रिक्तियों को भरने के लिये 45 पुलिस स्टेशनों को भरने का निर्णय लिया गया है।
  • विशेष केंद्रीय सहायता: अब तक कुल 14,367 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं, जिनमें से 12,000 करोड़ रुपए प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में सुधार पर खर्च किये गए हैं।

माओवादी उग्रवाद को समाप्त करने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • शोषण और दमन: सामंती व्यवस्था, जाति पदानुक्रम और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 जैसे कानून ने आदिवासियों को और अधिक अलग-थलग कर दिया, जबकि माओवादियों के मूल आधार जनजातियों तथा दलितों को ऐतिहासिक रूप से हाशिये पर रहने के लिये मजबूर किया गया।
  • विकास का अभाव: आंतरिक क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का अभाव है, महत्त्वपूर्ण आवंटन के बावजूद शासन और कार्यान्वयन विफलताओं के कारण विकास अवरुद्ध है।
  • केंद्रीकृत माओवादी कमान: CPI (माओवादियों) के पास केंद्रीकृत कमान है, जो सरकार की विभाजित प्रतिक्रिया के कारण अभुजमाध जैसे क्षेत्रों को सैन्य ठिकानों के रूप उपयोग करने को सक्षम बनाती है।
  • समृद्ध संसाधनों तक पहुँच: 80% कोयला भंडार और लगभग 19% अन्य समृद्ध खनिज संसाधन नक्सल प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में स्थित हैं, जिससे उन्हें अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिये एक अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करता है।
  • विश्वास की कमी: अप्रभावी शासन, संवैधानिक प्रावधानों (जैसे- पाँचवीं एवं नौवीं अनुसूची) के गैर-कार्यान्वयन तथा उचित पुनर्वास के बिना विस्थापन से स्थानीय अलगाव की स्थिति और खराब हो जाती है।

आगे की राह:

  • शासन में सुधार: पाँचवीं अनुसूची के अनुसार जनजातीय सलाहकार परिषदों का गठन करना ताकि आदिवासियों को अपने संसाधनों के प्रबंधन में सशक्त बनाया जा सके।
    • भूमिहीनों को भूमि पुनर्वितरित करने के लिये नौवीं अनुसूची के अंतर्गत भूमि हदबंदी अधिनियम लागू करने की आवश्यकता है।
  • आर्थिक विकास: बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये आक्रामक और समावेशी विकासात्मक पहलों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • अफीम की खेती जैसी अवैध गतिविधियों पर निर्भरता को कम करने के लिये वैकल्पिक आजीविका प्रदान करना।
  • सुरक्षा उपाय: स्थानीय शासन संरचनाओं को सशक्त बनाते हुए जनजातीय क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिये अर्द्ध-सैनिक बलों की विशेष इकाई तैनात करना।
  • संसाधन प्रबंधन: इस प्रक्रिया में हितधारकों के रूप में आदिवासियों के साथ प्राकृतिक संसाधनों का सतत् और न्यायसंगत दोहन सुनिश्चित करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न: माओवादी उग्रवाद को खत्म करने के लिये भारत सरकार द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली त्रि-आयामी रणनीति का विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

मेन्स:

Q. भारत के पूर्वी हिस्से में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरे का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बलों को क्या रणनीति अपनानी चाहिये? (2020)

Q. पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है। मल्कानगिरि एवं नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक तथा आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (2015)

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