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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पर्सपेक्टिव: G7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री

  • 24 Jun 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

50वाँ G7 शिखर सम्मेलन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक आपूर्ति शृंखला, यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व क्षेत्र, पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII), भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), ऊर्जा, अफ्रीका, भूमध्य सागर, समावेशी समाज, भारत-इटली, रणनीतिक साझेदारी, भारत-जापान, इंडो-पैसिफिक, भारत-यूक्रेन, यूक्रेन का क्रीमिया क्षेत्र, G-20 शिखर सम्मेलन, सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, ग्लोबल साउथ, विधि सम्मत शासन, लोकतंत्र, खाद्य, अफ्रीकी संघ, G-20, वसुधैव कुटुंबकम

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध और G7 से संबंधित भारत के सामरिक हित

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इटली में  50वाँ G7 शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ और भारतीय प्रधानमंत्री ने एक आउटरीच देश के रूप में शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

50वें G7 शिखर सम्मेलन से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

प्रमुख पहल:

  • इस शिखर सम्मेलन में शामिल नेताओं ने G7 पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (Partnership for Global Infrastructure and Investment- PGII) की महत्त्वपूर्ण पहलों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया।।
  • इसके तहत, G7 विकासशील और मध्यम आय वाले देशों को आधारभूत अवसंरचना परियोजनाएँ  प्रदान करने के लिये वर्ष 2027 तक 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि आवंटित करेगा।
  • G7 राष्ट्रों नें भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। 
  • G7 ने मध्य अफ्रीका में लोबिटो कॉरिडोर तथा लूज़ोन कॉरिडोर एवं मिडल कॉरिडोर के लिये भी समर्थन व्यक्त किया।
    • लोबिटो कॉरिडोर: यह अंगोला के अटलांटिक तट पर स्थित लोबिटो के बंदरगाह शहर से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) और ज़ाम्बिया तक विस्तृत है।
    • लूज़ोन कॉरिडोर: यह फिलीपींस के लूज़ोन द्वीप पर स्थित एक रणनीतिक आर्थिक और अवसंरचना गलियारा है। लूज़ोन फिलीपींस का सबसे बड़ा और सबसे अधिक आबादी वाला द्वीप है।
    • मिडल कॉरिडोर: इसे ट्रांस-कैस्पियन अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मार्ग (TITR) के नाम से भी जाना जाता है, जो यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स/रसद तथा परिवहन नेटवर्क है।
  • G7 के नेता अधिक निश्चितता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने हेतु अपने AI गवर्नेंस दृष्टिकोणों (AI Governance Approaches) के बीच अंतर-संचालन को बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध हैं।

आउटरीच सत्र:

  • मेज़बान देश इटली ने G7 के आउटरीच सत्र में भारत सहित 11 देशों को आमंत्रित किया।
  • G-7 शिखर सम्मेलन का आउटरीच सत्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता और ऊर्जा, अफ्रीका तथा भूमध्यसागरीय क्षेत्र पर केंद्रित रहा।
  • भारत ने शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र को संबोधित किया और प्रौद्योगिकी में एकाधिकार को समाप्त करने का आह्वान किया तथा कहा कि इसका उपयोग समावेशी समाज के लाभ के लिये किया जाना चाहिये।
  • प्रधानमंत्री ने सभी के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) पर ज़ोर दिया अर्थात् कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग सभी मानव जाति की प्रगति और समृद्धि के लिये किया जाना चाहिये।
  • भारत ने G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान इटली, जापान, यूक्रेन, ब्रिटेन, फ्राँस, मिस्र, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की।

G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान कौन-सी द्विपक्षीय वार्ता हुई?

  • भारत-इटली:
    • भारत ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की प्रगति के बारे में इटली के साथ द्विपक्षीय वार्ता की तथा वैश्विक मंचों और बहुपक्षीय पहलों में सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की।
  • भारत-जापान:
    • भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई जिसमें भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये भारत-जापान संबंधों के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
    • दोनों देश बिज़नेस टू बिज़नेस (B2B) और पीपल टू पीपल (P2P) सहयोग को मज़बूत करने पर सहमत हुए।
  • भारत-यूक्रेन:
    • भारत-यूक्रेन द्विपक्षीय वार्ता में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की तथा यूक्रेन में युद्ध की स्थिति और शांति वार्ता के प्रयासों पर चर्चा की।

G7 क्या है?

  • G-7 विश्व की सबसे विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं यानी फ्राँस, जर्मनी, इटली, यूनाइटेड किंगडम, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा का समूह है।
  • G-7 की उत्पत्ति वर्ष 1973 के तेल संकट और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न वित्तीय संकट से संबंधित है, जिसके कारण 6 प्रमुख औद्योगिक देशों के नेताओं को वर्ष 1975 में एक बैठक बुलाने के लिये बाध्य होना पड़ा।
  • कनाडा वर्ष 1976 में इसमें शामिल हुआ, जिसके परिणामस्वरूप G7 का गठन हुआ।
  • वर्ष 1997 में रूस के मूल सात में शामिल होने के बाद इसे कई वर्षों तक 'G8' के नाम से जाना जाता था, लेकिन वर्ष 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के बाद रूस को सदस्य के रूप में निष्कासित कर दिये जाने के बाद इसका नाम बदलकर G7 कर दिया गया।

इस शिखर सम्मेलन में भारत हेतु किस प्रकार के अवसर उपलब्ध हैं?

  • रणनीतिक धुरी के रूप में भारत:
    • भारत वैश्विक सहयोग में रणनीतिक धुरी है, क्योंकि यह सबसे अधिक आबादी वाला देश, सबसे बड़ा लोकतंत्र, सबसे बड़े बाज़ारों में से एक और 5वीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था है तथा G-7 अर्थव्यवस्थाओं में से 4 देशों- फ्राँस, इटली, ब्रिटेन एवं कनाडा से आगे है।
  • भारत वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ के रूप में:
  • आर्थिक अवसर:
    • भारत और ग्लोबल साउथ भी अमीर G-7 सदस्य देशों के लिये निवेश का एक गंतव्य है। भारत निवेश हेतु एक स्थिर अर्थव्यवस्था है तथा यहाँ सुरक्षित एवं संरक्षित राजनीतिक माहौल है।
  • भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र:
  • वैश्विक चुनौतियों का समाधान:
    • जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी वैश्विक चुनौतियों पर वैश्विक एकजुटता।

G-7 से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?

  • एलीट मेन्स क्लब:
    • G-7 को विकसित देशों के समूह के रूप में देखा जाता है जिनकी प्राथमिकताएँ विकासशील देशों से भिन्न हैं।
    • G-7 सदस्यों को विकासशील देशों के साथ सहयोग करके उनकी चिंताओं का समाधान करना होगा।
  • सत्ता का सूक्ष्म परिवर्तन:
    • वर्ष 2008 में जबकि G-8 ने खाद्य मुद्रास्फीति और अन्य सभी प्रकार के महत्त्वपूर्ण विश्व मुद्दों पर बात की, वे वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट को पूरी तरह से भूल गए।
    • वर्ष 2023 में अफ्रीकी संघ को G-20 समूह में शामिल किये जाने से वैश्विक मुद्दों के समाधान में G-7 की तुलना में G-20 समूह की प्रासंगिकता बढ़ गई है।
  • G-7 का विस्तार:
    • भारत जैसे देशों को शामिल करके G-7 का विस्तार करना एक दूर का लक्ष्य प्रतीत होता है, क्योंकि भारत एक विकासशील देश है और प्रति व्यक्ति आय के मामले में समूह के अन्य देशों से पीछे है।
  • अनौपचारिक समूह:
    • G-7 एक अनौपचारिक समूह है और कोई भी अनिवार्य निर्णय नहीं लेता है, इसलिये शिखर सम्मेलन के अंत में समूह की घोषणाएँ बाध्यकारी नहीं होती हैं।

आगे की राह

  • कूटनीति एवं संवाद:
    • भारत विकसित तथा विकासशील देशों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य कर सकता है क्योंकि इसने संयम एवं ज़िम्मेदारी की भावना प्रदर्शित की है।
  • भारत के लिये प्रतीकात्मक एवं वास्तविक महत्त्व:
    • G7 शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति प्रतीकात्मक एवं वास्तविक महत्त्व रखती है क्योंकि भारत अधिकांश G7 देशों का रणनीतिक भागीदार है।
  • क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दे:
    • वैश्विक मंच वसुधैव कुटुंबकम के दृष्टिकोण के साथ वैश्विक मुद्दों पर भारत के अद्वितीय दृष्टिकोण एवं परिप्रेक्ष्य को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करते हैं।
  • G-7 दृष्टिकोण में सुधार:
    • यह माना गया है कि G-7 को विशिष्ट देशों के समूह के रूप में देखा जा रहा है, वैश्विक मुद्दों को G7 के भीतर ही हल नहीं किया जा सकता है, इसलिये वैश्विक मुद्दों के समाधान हेतु दृष्टिकोण में सुधार की आवश्यकता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI):

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं? (2020)

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राजील, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)

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