स्थिरता और समृद्धि के लिये भारत-मॉरीशस साझेदारी | 13 Mar 2025
यह एडिटोरियल 12/03/2025 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित “India and the geopolitics of Mauritius: The ‘Star and Key’ to the Indian Ocean” पर आधारित है। लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री की मॉरीशस यात्रा बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा के बीच किस प्रकार भारत के सामरिक, आर्थिक और समुद्री संबंधों को मज़बूत करती है।
प्रिलिम्स के लिये:हिंद महासागर, भारत का SAGAR विज़न, पुदुचेरी, भारत के लिये शीर्ष FDI स्रोत, दोहरा कराधान बचाव समझौता (DTAA), जन औषधि केंद्र, व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौता (CECPA), विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), हिंद महासागर क्षेत्र हेतु सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR), भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम, वाकाशियो तेल रिसाव, चक्रवात चिडो, अगालेगा द्वीप मेन्स के लिये:बदलते हिंद-प्रशांत परिदृश्य में भारत-मॉरीशस संबंधों का महत्त्व |
भारत और मॉरीशस ऐतिहासिक, आर्थिक और रणनीतिक बंधन साझा करते हैं, जो साझा विरासत, भू-राजनीतिक हितों एवं आर्थिक सहयोग से आकार लेते हैं। भारतीय प्रधानमंत्री की मार्च 2025 की यात्रा वैश्विक गतिशीलता में बदलाव के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। जैसे-जैसे हिंद महासागर में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, समुद्री सुरक्षा, व्यापार और बुनियादी अवसंरचना के विकास में भारत की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो गई है। रक्षा सहयोग, आर्थिक जुड़ाव और सांस्कृतिक साझेदारी को मज़बूत करने से यह सुनिश्चित होगा कि मॉरीशस क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि के लिये भारत के SAGAR विज़न में एक प्रमुख स्तंभ बना रहे।
भारत-मॉरीशस संबंधों का इतिहास क्या है?
- औपनिवेशिक युग और बंधुआ मजदूरी प्रणाली: मॉरीशस पर फ्राँसीसी (वर्ष 1715-1810) और बाद में ब्रिटिश (वर्ष 1810-1968) का शासन जारी रहा।
- फ्राँसीसी आप्रवासियों पहली बार 1700 के दशक में पुदुचेरी से भारतीय कारीगरों और राजमिस्त्रियों को यहाँ लेकर आए थे।
- अंग्रेज़ चीनी बागानों के लिये भारतीय गिरमिटिया मजदूरों (वर्ष 1834-1900 के दशक के प्रारंभ) को लेकर आए।
- लगभग 500,000 भारतीय मॉरीशस पहुँचे, जिनमें से दो-तिहाई स्थायी रूप से मॉरीशस में बस गये।
- भारतीय प्रवासी और सांस्कृतिक अवधारण: आज, मॉरीशस की 70% आबादी भारतीय मूल की है, जिसमें भोजपुरी, तमिल, तेलुगु और मराठी भाषी समुदाय भी महत्त्वपूर्ण हैं।
- भारतीय मूल के कई मॉरीशसवासियों, मुख्यतः बिहार और उत्तर प्रदेश से, ने अपनी भाषाओं, सांस्कृतिक त्योहारों और परंपराओं को संरक्षित रखा है।
- स्वतंत्रता संग्राम और राजनयिक संबंध: मॉरीशस को वर्ष 1968 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई, जिसका नेतृत्व भारत के स्वतंत्रता संग्राम से प्रभावित एक आंदोलन ने किया।
- महात्मा गांधी ने वर्ष 1901 में मॉरीशस का दौरा किया और श्रमिकों को शिक्षा एवं राजनीतिक सशक्तीकरण के लिये प्रेरित किया।
- भारतीय नेताओं ने मॉरीशस के स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन देने में अहम भूमिका निभाई और वर्ष 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किये।
- स्वतंत्रता संग्राम और राजनयिक संबंध: मॉरीशस को वर्ष 1968 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई, जिसका नेतृत्व भारत के स्वतंत्रता संग्राम से प्रभावित एक आंदोलन ने किया।
- सांस्कृतिक संबंधों को गहरा करना: भारत ने महात्मा गांधी संस्थान (वर्ष 1976), रवींद्रनाथ टैगोर संस्थान (वर्ष 2000) और विश्व हिंदी सचिवालय (वर्ष 2018) का उद्घाटन किया।
- इंदिरा गांधी भारतीय संस्कृति केंद्र (वर्ष 1987) विदेश में भारत का सबसे बड़ा सांस्कृतिक केंद्र है।
- ये संस्थाएँ भारतीय भाषाओं, परंपराओं और विरासत को बढ़ावा देती हैं।
- आधुनिक कूटनीति में भारत-मॉरीशस: संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों से आगे बढ़कर आर्थिक, सुरक्षा एवं रणनीतिक साझेदारी तक विस्तारित हो गए हैं।
- पश्चिमी हिंद महासागर में मॉरीशस की भू-राजनीतिक स्थिति भारत के समुद्री सुरक्षा हितों को बढ़ाती है।
भारत-मॉरीशस द्विपक्षीय संबंधों का महत्त्व और वर्तमान स्थिति क्या है?
- वाणिज्यिक संबंध: मॉरीशस एक प्रमुख आर्थिक साझेदार है और अफ्रीका में भारतीय व्यवसायों के लिये प्रवेश द्वार है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 851.13 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें भारत ने 778.03 मिलियन डॉलर मूल्य का निर्यात किया।
- प्रमुख निर्यातों में पेट्रोलियम उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स और वस्त्र शामिल हैं, जबकि मॉरीशस वेनिला, चिकित्सा उपकरण और एल्यूमीनियम मिश्र धातु का निर्यात करता है।
- मॉरीशस भारत के लिये शीर्ष FDI स्रोत बना हुआ है, जिसने वर्ष 2000 से 177 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, जो भारत के कुल FDI प्रवाह का 25% है।
- दोहरे कराधान परिहार समझौते (DTAA) ने वित्तीय केंद्र के रूप में मॉरीशस की भूमिका को बढ़ाया है।
- भारत-सहायता प्राप्त परियोजनाएँ: भारत ने 1.1 बिलियन डॉलर की विकास सहायता के साथ कई बुनियादी अवसंरचना और सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है।
- प्रमुख परियोजनाओं में मेट्रो एक्सप्रेस, सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग, ENT अस्पताल और सामाजिक आवास पहल शामिल हैं।
- हाल ही में, भारत द्वारा वित्त पोषित 20 परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया है, जिनमें सिविल सेवा कॉलेज ($4.75 मिलियन) और ₹7 करोड़ मूल्य की सामुदायिक-जुड़ी अवसंरचना शामिल है।
- 500 मिलियन डॉलर की ऋण सहायता (वर्ष 2017) महत्त्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना के विकास का समर्थन करती है।
- भारत ने मॉरीशस के छात्रों के लिये डिजिटल टैबलेट भी प्रदान किये और अपना पहला विदेशी जन औषधि केंद्र (वर्ष 2024) भी लॉन्च किया।
- व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौता (CECPA), 2021 के तहत मॉरीशस को भारतीय निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
- संकटों में प्रथम प्रतिक्रियाकर्त्ता: भारत ने लगातार संकटों के दौरान मॉरीशस की सहायता की है, जिसमें कोविड-19 महामारी, वाकाशियो तेल रिसाव (वर्ष 2020) और चक्रवात चिडो (वर्ष 2024) शामिल हैं।
- भारत ने अपनी मानवीय भूमिका को सुदृढ़ करते हुए टीके (वैक्सीन मैत्री), ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और चिकित्सा सहायता प्रदान की।
- भू-राजनीतिक महत्त्व: मॉरीशस अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) (2.3 मिलियन वर्ग किमी) के कारण भारत की समुद्री सुरक्षा और हिंद महासागर में बाह्य शक्तियों को संतुलित करने के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- भारत ने समुद्री निगरानी के लिये अगालेगा द्वीप का विकास किया तथा सुरक्षा बढ़ाने के लिये तटीय राडार स्टेशन स्थापित किये।
- चागोस पर मॉरीशस की संप्रभुता के लिये भारत का समर्थन बाह्य दबावों के विरुद्ध क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- मॉरीशस भारत के हिंद महासागर क्षेत्र हेतु सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR) में एकीकृत है और कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (भारत, श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, मॉरीशस) में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
- इसके अलावा, मॉरीशस भारत के SAGAR विज़न में एक महत्त्वपूर्ण साझेदार है।
- भारत और ग्लोबल साउथ के बीच एक सेतु: मॉरीशस अफ्रीका और ग्लोबल साउथ तक भारत के आर्थिक एवं कूटनीतिक अभिगम के लिये प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।
- इसका द्विभाषी लाभ (अंग्रेज़ी और फ्रेंच) फ्रैंकोफोन अफ्रीका के साथ जुड़ाव एवं व्यापार विस्तार को सुविधाजनक बनाता है।
- अफ्रीकी देशों के साथ द्वीप के अधिमान्य व्यापार समझौते भारत की वैश्विक व्यापार उपस्थिति को बढ़ाते हैं।
- सांस्कृतिक संबंध और लोगों के बीच संपर्क: मॉरीशस भारत के भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम का एक प्रमुख लाभार्थी है, जिसके तहत वर्ष 2002 से अब तक 4,940 मॉरीशसवासियों को प्रशिक्षण दिया गया है।
- मॉरीशस में 26,357 भारतीय नागरिक, 13,198 OCI कार्डधारक और लगभग 2,316 भारतीय छात्र रहते हैं।
- ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती (e-VBAB) ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम में वर्ष 2022 में 229 और वर्ष 2023 में 53 नामांकन हुए।
- वीज़ा-मुक्त यात्रा, साझा धार्मिक प्रथाएँ और बढ़ता पर्यटन संबंधों को सुदृढ़ करता है, जबकि भारत मॉरीशस की हिंदी, भोजपुरी और तमिल सांस्कृतिक संरक्षण का समर्थन करता है।
भारत और मॉरीशस द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?
- भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा: मॉरीशस भारत, चीन, यूरोप, खाड़ी देशों और रूस के साथ संबंधों को संतुलित करता है, जिससे हिंद महासागर में प्रतिस्पर्द्धात्मक कूटनीतिक परिदृश्य का निर्माण होता है।
- चीन ने क्षेत्र में बंदरगाह विकास और आर्थिक परियोजनाओं सहित बुनियादी अवसंरचना में निवेश बढ़ाया है।
- भारतीय सहायता पर निर्भरता: मॉरीशस को भारत की विकास सहायता, रियायती ऋण और अनुदान से काफी लाभ होता है, जिससे भारत पर अत्यधिक निर्भरता की चिंता बढ़ जाती है।
- भारत ने मेट्रो एक्सप्रेस, सामाजिक आवास और सर्वोच्च न्यायालय परियोजनाओं सहित 1.1 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की है।
- मॉरीशस आर्थिक और सुरक्षा आवश्यकताओं के लिये किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता से बचने के लिये साझेदारी में विविधता लाना चाहता है।
- आर्थिक और व्यापार बाधाएँ: CECPA (वर्ष 2021) के बावजूद, अन्य अफ्रीकी देशों के साथ भारत के व्यापार की तुलना में द्विपक्षीय व्यापार अपेक्षाकृत कम है।
- मॉरीशस भारत का दूसरा सबसे बड़ा FDI स्रोत है, लेकिन संशोधित कर संधियों और वैश्विक नियामक परिवर्तनों के कारण निवेश प्रवाह में गिरावट आ रही है।
- जातीय और कूटनीतिक जुड़ाव में संतुलन: मॉरीशस की आबादी विविध है, जिसमें भारतीय मूल, अफ्रीकी और यूरोपीय समुदाय शामिल हैं।
- यद्यपि भारत भारतीय मूल के मॉरीशसवासियों (जनसंख्या का 70%) के साथ मज़बूत संबंध साझा करता है, फिर भी उसे कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिये सभी जातीय समूहों को शामिल करना आवश्यक है।
- पर्यावरणीय और जलवायु जोखिम: मॉरीशस को गंभीर जलवायु कमज़ोरियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें समुद्र का बढ़ता स्तर, चक्रवात और तटीय क्षरण शामिल हैं।
- वाकाशियो तेल रिसाव (वर्ष 2020) और चक्रवात चिडो (वर्ष 2024) ने मॉरीशस की समुद्री अर्थव्यवस्था और पर्यटन क्षेत्र के लिये पारिस्थितिक जोखिमों को उजागर किया।
- समुद्री सुरक्षा और बाह्य प्रभाव पर चिंताएँ: मॉरीशस के 2.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) को उन्नत सुरक्षा सहयोग की आवश्यकता है।
- भारत ने संयुक्त समुद्री निगरानी और तटीय रडार स्टेशनों के लिये अगालेगा द्वीप विकसित किया है, लेकिन चीन, खाड़ी देश और रूस सहित बाह्य शक्तियाँ भी अपनी नौसैनिक उपस्थिति का विस्तार कर रही हैं।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता: भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (PSU) मॉरीशस में आर्थिक भागीदारी पर हावी हैं, जिनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, LIC, SBI और इंडियन ऑयल का सुदृढ़ परिचालन है।
- हालाँकि, भारतीय निजी क्षेत्र की भागीदारी कम बनी हुई है, जिससे व्यावसायिक नवाचार और व्यापार विविधीकरण सीमित हो रहा है।
भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों को मज़बूत करने के लिये आगे क्या रास्ता होना चाहिये?
- सतत् विकास के लिये आर्थिक साझेदारी का विस्तार: भारत और मॉरीशस को व्यापार क्षमता को अधिकतम करने के लिये CECPA समझौते को व्यापक बनाना चाहिये, जिसमें सेवाओं, फिनटेक और डिजिटल व्यापार को शामिल किया जाना चाहिये।
- मॉरीशस FDI प्रवाह को बढ़ावा देने के लिये दोहरे कराधान परिहार संधि (DTAC) और CECPA में संशोधन की मांग कर रहा है, जिसे द्विपक्षीय रूप से सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
- अफ्रीका के लिये भारत के वित्तीय प्रवेशद्वार के रूप में मॉरीशस की भूमिका को मज़बूत करने से अधिक निवेश और आर्थिक सहयोग आकर्षित होगा।
- समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मज़बूत करना: भारत को मॉरीशस के साथ नौसैनिक अभ्यास का विस्तार करना चाहिये, तटीय सुरक्षा और समुद्री डकैती विरोधी अभियानों को सुदृढ़ करना चाहिये।
- बढ़ती विदेशी नौसैनिक गतिविधि का मुकाबला करने के लिये अगालेगा सुविधा को कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन जैसे क्षेत्रीय सुरक्षा कार्यढाँचे में एकीकृत किया जाना चाहिये।
- जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध समुत्थानशक्ति को मज़बूत करना: मॉरीशस और भारत को जलवायु अनुकूलन कार्यक्रमों, विशेष रूप से तटीय समुत्थानशीलन, हरित ऊर्जा और आपदा प्रबंधन पर सहयोग करना चाहिये।
- समुद्री संरक्षण और संधारणीय मात्स्यिकी के लिये भारत के समर्थन का विस्तार करने से मॉरीशस की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होगी।
- निजी क्षेत्र के निवेश और डिजिटल कनेक्टिविटी को प्रोत्साहित करना: भारत को निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिये, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, AI और वित्तीय सेवाओं में।
- मॉरीशस में भारतीय स्टार्टअप्स के लिये विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) एक क्षेत्रीय नवाचार केंद्र का निर्माण कर सकता है।
- डिजिटल कनेक्टिविटी और ई-कॉमर्स साझेदारी के विस्तार से आर्थिक संबंध और मज़बूत होंगे।
- द्विपक्षीय पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना: भारत और मॉरीशस के बीच हवाई संपर्क व पर्यटन को बढ़ावा देने से सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं आर्थिक अवसर बढ़ेंगे।
- भारत को मॉरीशस के भारतीय मूल के ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए विरासत पर्यटन पहल को सुविधाजनक बनाना चाहिये।
- भारत को ITEC कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रवृत्ति बढ़ानी चाहिये, उच्च शिक्षा आदान-प्रदान और तकनीकी प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिये।
- अफ्रीका में एक प्रमुख राजनयिक साझेदार के रूप में मॉरीशस को बढ़ावा देना: मॉरीशस का रणनीतिक स्थान इसे भारत के अफ्रीका आउटरीच के लिये एक आदर्श साझेदार बनाता है।
- अफ्रीकी संघ की गतिविधियों और भारत-प्रशांत सुरक्षा वार्ता में मॉरीशस की भूमिका को मज़बूत करने से क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ेगी।
निष्कर्ष
भारत और मॉरीशस ऐतिहासिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंध साझा करते हैं, जिन्हें वैश्विक गतिशीलता के विकास के लिये निरंतर अनुकूलन की आवश्यकता है। व्यापार, सुरक्षा, पर्यावरण सहयोग और डिजिटल कनेक्टिविटी को मज़बूत करने से एक सुदृढ़, भविष्य के लिये तैयार साझेदारी सुनिश्चित होगी। जैसे-जैसे वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं, भारत को मॉरीशस के लिये एक स्थायी और रणनीतिक सहयोगी के रूप में अपनी प्रतिबद्धता को दृढ़ करना चाहिये।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत-मॉरीशस संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों से आगे बढ़कर रणनीतिक एवं आर्थिक सहयोग तक पहुँच गए हैं। इस साझेदारी में जुड़ाव के प्रमुख क्षेत्रों और चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटेन और फ्राँस जैसी कई प्रमुख एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मॉरीशस से आता है। क्यों? (2010) (a) FDI प्राप्त करने के संबंध में भारत कुछ देशों को प्राथमिकता देता है। उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न 1. परियोजना 'मौसम' को भारत सरकार की अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों की सुदृढ़ करने की एक अद्वितीय विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या इस परियोजना का एक रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिये। (2015) |