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कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन चार्टर

  • 11 Oct 2024
  • 5 min read

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) के सदस्यों (भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस) ने कोलंबो में CSC सचिवालय की स्थापना हेतु एक चार्टर एवं समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

  • इसमें बांग्लादेश अनुपस्थित रहा तथा सेशेल्स ने पर्यवेक्षक राज्य के रूप में भाग लिया।

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • CSC की पृष्ठभूमि: इसे मूल रूप से समुद्री सुरक्षा पर NSA ट्राईलेटरल के रूप में जाना जाता था और इसे वर्ष 2011 में भारत, श्रीलंका एवं मालदीव के बीच स्थापित किया गया था।
  • सदस्य: भारत, श्रीलंका और मालदीव इसके संस्थापक सदस्य थे। 
    • वर्ष 2022 में मॉरीशस जबकि बांग्लादेश वर्ष 2024 में इस सम्मेलन में शामिल हुआ। सेशेल्स इसमें एक पर्यवेक्षक राज्य है।
  • CSC के लक्ष्य: CSC के तहत सहयोग पाँच लक्ष्यों पर केंद्रित है:
    • समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा।
    • आतंकवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना।
    • तस्करी और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध का मुकाबला करना।
    • साइबर सुरक्षा तथा रणनीतिक बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी की सुरक्षा।
  • मानवीय सहायता एवं आपदा राहत।
  • रक्षा अभ्यास: नवंबर 2021 में भारत, श्रीलंका और मालदीव ने मालदीव में अभ्यास दोस्ती XV का आयोजन किया।
    • इसके बाद भारत, श्रीलंका और मालदीव ने CSC के तत्वावधान में अरब सागर में अपना पहला संयुक्त अभ्यास किया।
  • संवाद और बैठकें: तीनों देशों के बीच प्रथम वार्ता वर्ष 2011 में मालदीव में हुई, इसके बाद श्रीलंका (2013) और भारत (2014) में बैठकें हुईं। 
    • भारत-मालदीव के बीच बढ़ते तनाव और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण वर्ष 2014 के बाद यह वार्ता स्थिर हो गई।
    • इसे वर्ष 2020 में पुनर्जीवित किया गया और कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव के रूप में पुनः स्थापित किया गया।
  • CSC का महत्त्व: CSC भारत की हिंद महासागर में पहुँच को मज़बूत करता है, चीन के प्रभाव का सामना करता है, समुद्री सुरक्षा को बढ़ाता है, यह सागर (SAGAR) दृष्टिकोण के साथ संरेखित है, और साझा सुरक्षा मंच पर छह हिंद महासागर देशों के बीच उप-क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है।

हिंद महासागर भारत के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • केंद्र स्थल: अफ्रीका से आस्ट्रेलिया तक फैला हिंद महासागर भारत को प्रमुख समुद्री मार्गों पर नियंत्रण रखने की स्थिति में रखता है, जिसमें मलक्का और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे महत्त्वपूर्ण बैरियर पॉइंट भी शामिल हैं, जो वैश्विक व्यापार और राष्ट्रीय हितों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • व्यापार मार्ग: भारत ऐतिहासिक रूप से हिंद महासागर में एक स्थायी शक्ति के रूप में कार्य करता रहा है, तथा उसके सामरिक जल के 40% भाग पर अधिग्रहण रखता है। 
    • मात्रा की दृष्टि से भारत का लगभग 95% तथा मूल्य की दृष्टि से 68% व्यापार हिंद महासागर से होकर गुजरता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिये हिंद महासागर पर बहुत अधिक निर्भर है तथा अपनी लगभग 80% कच्चे तेल की आवश्यकता इसी मार्ग से आयात करता है।
  • खनिजों से समृद्ध: हिंद महासागर विश्व के अपतटीय तेल उत्पादन का 40% तथा निकल, कोबाल्ट और ताँबे जैसे खनिजों का भंडार है।
  • मत्स्य उद्योग: हिंद महासागर में महत्त्वपूर्ण मत्स्याग्रह क्षेत्र हैं, भारत का मत्स्य उद्योग लगभग 14 मिलियन लोगों को रोज़गार देता है।

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