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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत और मॉरीशस के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग तथा साझेदारी समझौता

  • 26 Feb 2021
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और मॉरीशस के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग तथा भागीदारी समझौते (Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement- CECPA) पर हस्ताक्षर करने हेतु मंज़ूरी दी है।

  • CECPA पहला व्यापार समझौता है, जो अफ्रीका के किसी देश के साथ किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • CECPA के विषय में:
    • यह एक तरह का मुक्त व्यापार समझौता है जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने और बेहतर बनाने के लिये एक संस्थागत तंत्र प्रदान करना है।
    • CECPA समझौते के अंतर्गत संबंधित देशों के उत्पादों पर शुल्कों (Duties) को कम या समाप्त कर दिया जाता है और ये देश सेवा व्यापार को बढ़ावा देने के लिये निर्धारित मानदंडों में छूट भी देते हैं।

व्यापार समझौतों के प्रकार

  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA):
    • FTA के तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को सरल बनाया जाता है।
    • भारत ने कई देशों, जैसे- श्रीलंका के साथ-साथ विभिन्न व्यापारिक समूहों यथा- आसियान (ASEAN) से FTA पर बातचीत की है।
  • अधिमान्य व्यापार समझौता:
    • इस प्रकार के समझौते में दो या दो से अधिक भागीदार कुछ उत्पादों के आयात को प्राथमिकता देते हैं। इसे निर्धारित तटकर पर शुल्कों को कम करके किया जाता है।
    • अधिमान्य व्यापार समझौते में भी कुछ उत्पादों पर शुल्क घटाकर शून्य किया जा सकता है। भारत ने अफगानिस्तान के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता:
    • यह समझौता एफटीए से अधिक व्यापक है।
    • इस समझौते के अंतर्गत सेवाओं, निवेश और आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों में व्यापार को कवर किया जाता है।
    • भारत ने दक्षिण कोरिया और जापान के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता:
    • यह समझौता आमतौर पर व्यापार प्रशुल्क और TRQ (टैरिफ दर कोटा) दरों को कवर करता है। यह व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता की तरह व्यापक नहीं है। भारत ने मलेशिया के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • भारत-मॉरीशस और CECPA:
    • इस समझौते के विषय में:
      • यह एक सीमित समझौता है जो वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, व्यापार में तकनीकी बाधाओं, विवाद निपटान, नागरिकों के आवागमन, दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं, सीमा शुल्क जैसे चुनिंदा क्षेत्रों को कवर करेगा।
    • भारत को लाभ:
      • मॉरीशस के बाज़ार में भारत के कृषि, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे 300 से अधिक घरेलू सामानों को रियायती सीमा शुल्क पर पहुँच मिलेगी।
      • भारतीय सेवा प्रदाताओं को 11 व्यापक सेवा क्षेत्रों जैसे- पेशेवर सेवाओं, कंप्यूटर से संबंधित सेवाओं, दूरसंचार, निर्माण, वितरण, शिक्षा, पर्यावरण, वित्तीय, मनोरंजन, योग आदि के अंतर्गत लगभग 115 उप-क्षेत्रों तक पहुँच प्राप्त होगी।
    • मॉरीशस को लाभ:
      • मॉरीशस को विशेष प्रकार की चीनी, बिस्कुट, ताजे फल, जूस, मिनरल वाटर, बीयर, मादक पेय, साबुन, बैग, चिकित्सा और शल्य-चिकित्सा उपकरण तथा परिधान सहित अपने 615 उत्पादों के लिये भारतीय बाज़ार में पहुँच से लाभ मिलेगा।
      • भारत ने 11 व्यापक सेवा क्षेत्रों के अंतर्गत लगभग 95 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है, जिनमें पेशेवर सेवाएँ, आर एंड डी, अन्य व्यावसायिक सेवाएँ, दूरसंचार, उच्च शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, मनोरंजन सेवाएँ आदि शामिल हैं।
    • स्वचालित ट्रिगर सुरक्षा तंत्र पर बातचीत:
      • भारत और मॉरीशस ने समझौते पर हस्ताक्षर करने के दो साल के भीतर कुछ अति संवेदनशील उत्पादों के लिये एक स्वचालित ट्रिगर सुरक्षा तंत्र (Automatic Trigger Safeguard Mechanism) पर बातचीत करने पर भी सहमति व्यक्त की है।
      • ATSM किसी देश को उसके आयात में होने वाली अचानक वृद्धि से बचाता है।
      • इस तंत्र के अंतर्गत भारत, मॉरीशस से किसी उत्पाद का आयात अत्यधिक बढ़ने पर उस पर एक निश्चित सीमा के बाद आयात शुल्क लगा सकता है। मॉरीशस भी भारत से आयातित वस्तुओं पर ऐसा प्रावधान लागू कर सकता है।
  • भारत-मॉरीशस आर्थिक संबंध:
    • भारत ने वर्ष 2016 में मॉरीशस को 353 मिलियन अमेरिकी डॉलर का 'विशेष आर्थिक पैकेज' दिया था। इस पैकेज के अंतर्गत लागू की गई परियोजनाओं में से एक है- न्यू मॉरीशस सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग प्रोजेक्ट। इसका उद्घाटन वर्ष 2020 में दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
    • भारत और मॉरीशस ने संयुक्त रूप से विशेष आर्थिक पैकेज के तहत मॉरीशस में निर्मित मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना, चरण -I तथा 100-बेड वाले अत्याधुनिक ईएनटी अस्पताल का उद्घाटन किया था।
    • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (International Trade Centre) के अनुसार, वर्ष 2019 में मॉरीशस के मुख्य आयात भागीदार थे- भारत (13.85%), चीन (16.69%), दक्षिण अफ्रीका (8.07%) और यूएई (7.28%)।
    • भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2005-06 के 206.76 मिलियन डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2019-20 में 690.02 मिलियन डॉलर (233% की वृद्धि) हो गया है।
    • मॉरीशस वर्ष 2019-20 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का दूसरा शीर्ष स्रोत था।
  • हाल के अन्य घटनाक्रम:
    • भारत और मॉरीशस के बीच 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रक्षा समझौता हुआ है।
    • मॉरीशस को एक डोर्नियर विमान और एक उन्नत लाइट हेलीकाप्टर ध्रुव पट्टे पर मिलेगा जो उसकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं में वृद्धि करेगा।
    • दोनों पक्षों द्वारा चागोस द्वीपसमूह (Chagos Archipelago) विवाद पर भी चर्चा की गई जो संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) के समक्ष संप्रभुता और सतत् विकास का मुद्दा था।

  • भारत ने वर्ष 2019 में इस मुद्दे पर मॉरीशस के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान किया। भारत उन 116 देशों में से एक था, जिसने इस द्वीपसमूह पर ब्रिटेन के "औपनिवेशिक प्रशासन" को समाप्त करने के लिये वोटिंग की मांग की थी।
  • भारत द्वारा मॉरीशस को 1,00,000 कोविशील्ड के टीके प्रदान किये गए हैं।

आगे की राह

  • हिंद महासागर (Indian Ocean) के उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य ने इस महासागर और सीमावर्ती देशों के लिये नई चुनौतियों के साथ-साथ अवसर को जन्म दिया है। मॉरीशस, भारत के अन्य छोटे द्वीपीय पड़ोसियों के साथ अपनी समुद्री पहचान और भू-स्थानिक मूल्य के विषय में गहराई से जानता है। ये पड़ोसी भली-भाँति समझते हैं कि एक बड़े पड़ोसी देश के रूप में भारत उनके लिये क्या मायने रखता है।
  • भारत का रुझान मॉरीशस की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा है जैसा कि मिशन सागर (Mission Sagar) के अंतर्गत भारत की पहल को हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को कोविड-19 से संबंधित सहायता प्रदान करने में देखा जा सकता है। भारत को इस जुड़ाव को आगे भी बनाए रखने के लिये मॉरीशस, कोमोरोस, मेडागास्कर, सेशेल्स, मालदीव और श्रीलंका जैसे समान विचारधारा वाले साझेदारों के साथ सक्रिय रहने की आवश्यकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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